मेरे प्यारे मित्रो, मैं अपनी हिंदी पोर्न स्टोरी आपके लिए लाया हूँ. यह मेरी पहली और सच्ची घटना है. यह बात अभी 15 दिन पहले की है.
पहले मैं इस कहानी के सभी पात्रों से आपका परिचय करा देता हूँ.
मेरा नाम दीप है, मैं अहमदाबाद गुजरात से हूँ. मेरी उम्र 28 साल की है. मैं प्राईवेट सेक्टर में जॉब करता हूँ. मेरी पत्नी (किरन) की उम्र 24 साल है और वो हाउसवाईफ है. मेरी शादी को 3 साल हो गए हैं.
मेरी ससुराल में मेरी सास नीरू, जिनकी उम्र 43 साल है. ससुर जी जिनकी उम्र 48 साल है. एक साला, जिसकी उम्र 21 साल है … और मेरी इकलौती साली सीमा, जो 19 साल की माल है.
मेरे घर में मैं और मेरी पत्नी शहर में रहते हैं और मेरे मम्मी पापा गांव में रहते हैं.
कहानी मेरी और मेरी प्यारी सास की है. मेरी सास 36-32-38 की फिगर वाले भरे हुए बदन की मालकिन हैं. पिछले चार वर्षों से उनकी चुत में कोई लंड नहीं गया. क्योंकि मेरे ससुर को कैंसर था. उनका ऑपरेशन किया हुआ है. अब उनकी तबीयत तो ठीक है, लेकिन वे चुदाई नहीं कर पाते हैं.
मेरी सास बहुत सुंदर दिखती हैं. जो उनको एक बार देखता है, तो देखता ही रह जाता है. इस उम्र में भी वो जवान लड़कियों को पीछे छोड़ दें, ऐसी दिखती हैं. उनका भरा-भरा जिस्म किसी भी मर्द की नियत को खराब कर सकता है. फिर मैं तो उनका अपना हूं.
मेरी शादी हुई, मैं तभी से उनको भोगना चाहता था. लेकिन उनके डर से मैं कुछ कर नहीं पाया.
शादी के कुछ समय बाद मेरी बीवी प्रेग्नेंट हो गई. हमारे यहां सात महीने पूरे होने पर श्रीमंत की एक रस्म होती हैं. उस रस्म के बाद पत्नी को उसके मायके भेजा जाता है. तो मेरी बीवी को भी मायके भेजा गया.
जब किसी शादीशुदा मर्द को 7 महीनों से चुदाई करने ना मिली हो, तो वो कितना तड़पता होगा … ये बात इस वक्त मुझसे बेहतर कोई नहीं समझता होगा.
मेरी बीवी प्रेग्नेन्ट हुई, फिर भी मेरा पूरा ख्याल रखती है. हालांकि वो चुदाई नहीं करवाती, लेकिन मेरा लौड़ा मुँह में ले कर इतना अच्छे से लॉलीपॉप की तरह चूसती है कि चुदाई जैसा आनन्द आ जाता है. परन्तु एक मर्द को तो चुत चुदाई से ही संतोष हो पाता है, ये आप लोग जानते ही हैं.
फिर एक दिन जो हुआ वो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था.
मेरी बीवी को सातवां महीना लगा था. डॉक्टर ने सेक्स करने को मना किया हुआ था. जिधर हम दोनों रोज़ चुत चुदाई यानि सेक्स का आनन्द लेते थे. वहां चुदाई पर प्रतिबन्ध लग जाए, तो क्या होगा. मेरी बीवी बहुत ज्यादा कामुक है … और मैं भी.
मैं अपनी बीवी से अक्सर उसकी मां के बारे में सामन्य बात करता रहता हूँ. इससे मुझे पता चला कि मेरी सास अब ब्रा-पेन्टी नहीं पहनती हैं. मेरी बीवी ने ये भी बताया कि उसकी मां की टांगों पर शुरू से ही एक भी बाल नहीं है. जांघों पर भी नहीं हैं. ये सब बातें सुनके मेरा लौड़ा तो पेन्ट में ही कूदता रहता था.
अब बीवी उसके मायके जा चुकी थी, तो मैं हर रविवार को उसे मिलने और हाल-चाल पूछने चला जाता था.
मैं जब भी ससुराल जाता था, तो मेरी बीवी को चुदाई करने को कहता हूँ … लेकिन वो हमेशा की तरह मनाकर देती हैं. मैं उसे मुँह में लेने को कहता हूँ, तो थोड़ी ना-नुकर के ले लेती है. लेकिन जब एक बार लंड चूसना शुरू करती है, तो ऐसे चूसती है जैसे कोई आइसक्रीम खा रही हो. वो जबरदस्त लंड चुसाई करके मेरा रस निकाल देती है.
एक बार ऐसा हुआ कि जब मैं मेरी बीवी को सेक्स के लिए मना रहा था, तब मेरी सास हमारी बातें सुन रही थीं. ये बात उन्होंने मुझे बाद में बताई थी.
तब से वो मेरे से बहुत ही कामुकता से पेश आ रही थीं. ये जान कर मुझे लगा कि मेरी सास को ये क्या हो गया है. ये मेरे साथ ऐसा बर्ताव क्यों कर रही हैं.
फिर बाद में मैंने सोचा कि चलो मेरे लिए तो अच्छा ही है.
उसके बाद जब भी मैं ससुराल जाता, तब मेरी सास मुझसे किसी न किसी तरह उकसाए रहती थीं. ऐसा मुझे लगता था. हकीकत मुझे मालूम नहीं थी कि वो मेरे बारे में क्या सोचती हैं.
खैर समय बीतता गया. मुझसे अब चुत चुदाई के बिना रहा नहीं जा रहा था.
अगले हफ्ते जब मैं ससुराल गया, तब मैं फिर से मेरी बीवी को चुदाई के लिए मना रहा था. उसने पहले की तरह मुझे मना कर दिया.
थोड़ा जोर देने पर वो बोली कि रात को सब सो जाएं, तब तुम मेरे पास आ जाना, मैं आपका लंड चूस कर आपको शान्त कर दूंगी.
मैंने सोचा चलो रात को लंड चुसाई के बाद चुदाई भी कर लूंगा. हालांकि मुझे भी मालूम था कि चुदाई नहीं होने वाली थी.
मैंने हां कह दिया.
फिर मेरी सास मुझे चाय देने आईं, उन्होंने मुझे ऐसे झुक कर चाय दी कि उनका पल्लू गिर गया, मुझे तो मानो जन्नत मिल गयी हो. उन्होंने भी पल्लू उठाने की कोई जल्दबाजी नहीं की, बल्कि वो तो मेरी ओर देखे जा रही थीं कि मैं क्या करता हूँ. उन्होंने मुझे अपनी मदमस्त चुचियां घूरते हुए देख लिया. फिर भी वो गुस्सा होने के बजाए मुस्कुरा कर चली गईं. मैं उनकी ठुमकती गांड को देखता रहा.
मैं रात होने का इंतजार करता रहा. शाम को सब खाना खा कर टीवी देखने लगे. मैं अपनी बीवी को आंखों के इशारों से कह रहा था कि आज रात में हम बहुत मस्ती करेंगे. तो वो मुस्कुरा कर ना बोली. मैं थोड़ा गुस्सा हो गया.
ये सब हरकतें मेरी सास देख रही थीं और मुस्कुरा रही थीं.
करीब 11 बजे सब सोने की तैयारी करने लगे, तो मैं बहुत खुश हो गया. आखिर होता भी क्यों नहीं, बीवी का साथ मिलने वाला था.
एक बेडरूम में मेरी सास, बीवी और साली सोते थे और दूसरे में मेरे सोने का इंतजाम किया गया था. मेरे ससुर की बीमारी के चलते वो और मेरा साला हॉल में सोते थे.
मेरी बीवी और साली डबलबेड में … और मेरी सास साईड में बेड लगा कर सोती थीं.
करीब एक घंटे बाद सबके सो जाने के बाद मैं अपनी बीवी के पास सोने चला गया. उसको छूते ही उसने मुझे मना कर दिया और धीरे से बोली कि सीमा (मेरी साली) बगल में सो रही है.
मुझे उस वक्त बहुत ही गुस्सा आया और हमारी नोक झौंक हो गयी. ये सब बातें मेरी सास चुपके से देख रही थी. ये बात भी उन्होंने मुझे बाद में बताई थी.
मैं बहुत मायूस हो गया. मैंने सोचा कि ये तो खड़े लंड पे धोखा हो गया. लेकिन मुझे तो चुत हर हाल में चाहिए थी, तो मुझे सास की दोपहर वाली हरकत याद आ गई. मैंने सोचा कि क्यों ना सास को एक बार आजमाया जाये.
ये सोच कर मैं बगल में लेटी मेरी सास को दूर से ही छूने की कोशिश करने लगा. उनकी तरफ से कोई हलचल ना होने, पर मेरी हिम्मत और बढ़ गयी. फिर मैं अपना हाथ धीरे से उनके चुचियों पर ले गया, तो मैंने पाया कि उनके ब्लाउज के एक के अलावा सारे बटन खुले थे. मैं ये देख कर भौंचक्का रह गया.
मैंने पहले ही बताया था कि वो अन्दर ब्रा नहीं पहनती थीं, तो मेरा हाथ सीधा उनके बाएं चुचे को छू गया. मुझे तो मानो मजा ही आ गया. हालांकि साथ में मुझे डर भी लग रहा था कि कहीं वो मुझे डांट ना दें. जब उनकी तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं हुई. तो मुझे विश्वास हो गया कि मेरी सास भी मजे ले रही हैं.
सास मजे लें भी क्यों नहीं … कई साल से उनकी चुत में मेरे ससुर का लंड नहीं गया था. उनके अन्दर भी वर्षों की कामवासना जगी होना लाजमी था.
फिर मैंने बिना डरे उनके ब्लाउज का बचा हुआ एक बटन भी खोल दिया और दोनों चूचों को बारी बारी से सहलाने लगा. इससे मेरी पेन्ट में मेरा लंड तंबू बन गया.
अब मैं धीरे धीरे अपना हाथ सास की चुची से नीचे ले जाता गया. आखिर में मेरा पेटीकोट के नाड़े से टकरा गया. मुझे मानो यकीन ही नहीं हुआ कि उनके पेटीकोट का नाड़ा भी खुला हुआ था.
अब तो मुझे पक्का यकीन हो गया कि ये भी मेरी तरह चुदाई की प्यासी हैं.
फिर आगे बढ़ते हुए मैंने हाथ नीचे चुत की ओर बढ़ा दिया, तो मेरी सास ने तुरंत ही मेरा हाथ पकड़ लिया. मेरी तो सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई. मुझे काटो तो खून ना निकले, ऐसा हो गया.
लेकिन उनके मुख से जो निकला, वो सुनकर तो मानो यकीन ही नहीं हुआ. उन्होंने कहा- रुको दामाद जी … मेरी बेटी बगल में सो रही है.
मैं मौके की नजाकत को समझते हुए तुरंत ही बोला- चलो … मेरे बेडरूम में चलते हैं.
वो तुरंत ही मान गईं.
मेरी तो मानो लॉटरी लग गई. मैं बहुत ही खुश हो गया.
फिर मैं उनको मेरे रूम में ले गया और तुरंत दरवाजा बंद कर दिया. दरवाजा बंद करते ही मैंने सासू माँ पर चुम्बनों की बारिश ही कर दी.
वो बोलीं- दामाद जी, धीरे धीरे करो … अब तो मैं तुम्हारी ही हूं.
फिर मैंने सासू माँ को बेड पे लेटा दिया और नीचे हाथ ले गया, तो मेरा हाथ उनकी चूत से निकले पानी से गीला हो गया. मैं समझ गया कि सासू माँ तो पहले से ही गर्म हो चुकी हैं.
वो बोलीं- मैं कब से चुदाई के लिए तैयार थी, लेकिन रिश्तों के लिहाज से चुप बैठी थी. पर आज आपने मेरे अन्दर की आग को जगा दिया बेटे, अब देर ना करो और मेरी बरसों की इस आग को अपने लौड़े से शान्त कर दो.
मैं तो उनकी इस तरह की बोली से चकित रह गया. समय बरबाद ना करते मैंने उनके बाकी बचे कपड़े निकाल दिए और उनको नंगी कर दिया.
उनके बारे मैंने आपको पहले ही बता दिया था कि वो तो मानो कामवासना की देवी थीं. उनके साथ मैंने चुत चुदाई करने का मन बना लिया था.
मैंने एक हाथ उनकी चुत पे और दूसरा हाथ उनकी चुचियों पे रख दिया और उनके मोटे मोटे मम्मे दबाने लगा. मेरी सास ने आंखें बंद कर लीं और मज़ा लेने लगीं.
उफ़्फ़ … क्या बला की खूबसूरत लग रही थीं वो नंगे बदन …
मैं भी पूरा नंगा हो गया और उनके ऊपर चढ़ गया. मैंने उनके होंठ चूसने शुरू कर दिए और अपना लंड उनकी चुत के ऊपर घिसने लगा. मेरी सास भी मेरा साथ देने लगीं. उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया, जगह जगह किस करने लगीं.
अब मैं उनके मम्मे चूसने लगा, उनके मुँह से सीत्कारें निकल रही थीं. उसके बाद मैं उनके पेट से होता हुआ उनकी चुत के पास आ गया और उनके जिस्म को चाटने लगा.
मेरी सास मेरा सर अपनी चुत के ऊपर ले गईं और दबाने लगीं. मैं समझ गया कि क्या करना है, मैंने उनकी चुत के ऊपर दाने को चाटना शुरू कर दिया.
अब तो मेरी सास की हालत बहुत खराब हो गई, वो ज़ोर ज़ोर से ‘आह आह आह ऊह ऊई …’ करने लगीं. मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी. एक दो उंगली भी उनकी चुत के अन्दर बाहर करने लगा. उनको बहुत मज़ा आ रहा था.
अब उन्होंने मुझे अपने नीचे लिटा दिया, मेरे ऊपर चढ़ गईं और मुझे मज़ा देने लगीं. मेरे सारे जिस्म को चूसते चाटते हुए मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं. वो लंड चूसने में इतनी माहिर थीं कि उनका एक भी दांत मेरे लंड को नहीं चुभा.
उन्होंने मेरा लंड चूस चूस के मुझे पागल कर दिया. मेरा वीर्य छूटने वाला था. मैंने उनको हटाया, पर वो ज़ोर ज़ोर से लंड चूस रही थीं, तो मेरा पानी छूट गया और उनके मुँह में वीर्य चला गया.
वो तो इस तरह से माल खाने लगीं, मानो एक भी बूंद छोड़ने वाली नहीं थीं. सासू माँ मेरा सारा माल पूरा पी गईं.
उन्होंने अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए कहा- बहुत ज्यादा लिसलिसा और नमकीन माल था … मजा आ गया बेटे.
अब मैंने कहा- अब असली काम करते हैं सासू माँ.
तो वो बोलीं- आप मेरे ऊपर आ जाओ, मैं नीचे से चुदूँगी.
अब मैं उनके ऊपर चढ़ गया और फिर उनको गर्म करने लगा. जल्दी ही वो फिर से आग की तरह गर्म हो गईं. मैंने भी देर न करते हुए अपना 6 इंच का लंड उनकी चुत के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया. मैं तब तक लंड रगड़ता रहा … जब तक उन्होंने खुद नहीं कहा कि जल्दी से मेरी चुत के अन्दर डाल दो.
मैंने जैसे ही दबाव बढ़ाया, तो सासू माँ बोली- दामाद जी, धीरे से डालना कई सालों से चुत में लंड नहीं गया, तो दर्द होगा. मैंने सिर्फ़ अन्तर्वासना पर हिंदी पोर्न स्टोरी पढ़ पढ़ कर चूत में उंगली की है.
फिर मैं बोला- फिक्र ना करो सासू माँ, इतना मस्त चोदूंगा कि आपको मजे ही मजे आएंगे.
इस पर वो सिर्फ इतना बोलीं- आह … मेरे प्यारे दामाद जी..
मैंने लंड को धीरे धीरे से चुत में पेला. कुछ तो चुदास थी कुछ चुदास के चलते चूत चिकनी हुई पड़ी थी. मेरा लंड कब सासू माँ की चूत में घुस गया, उनको बता ही नहीं चला. पर जब जाकर उनकी बच्चेदानी से टकराया, तो सासू माँ की आह निकल गई. मैं रुक गया और उनके मम्मों को चूसने लगा. सासू माँ मेरे सर पर हाथ फेरते हुए मुझे अपना दूध पिलाती रहीं.
मैंने कुछ देर बाद लंड को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. सासू माँ भी गांड उठाते हुए चुदाई का मजा लेने लगीं. मैं उनको लगातार करीब 20 मिनट तक चोदता रहा. वो भी मज़े से चुद रही थीं.
चुदाई के दौरान उनका रस दो बार निकल चुका था. फिर मेरा भी निकलने को हुआ. मैंने उनकी चुत में ही रस छोड़ दिया.
जब हम चुदाई करके अलग हुए तो मैंने कहा- वाह, आज तो मजा आ गया.
वो बोलीं- दामाद जी, आज आपने मेरी बरसों की आग को शान्त किया है. अब तो इस सुलगती चुत की आग को आपको ही बुझाना पड़ेगा.
मैं बोला- क्यों नहीं सासू माँ, अब तो मेरी दो दो बीवियां हैं. आपकी चुत की आग को अलग अलग तरीकों से शान्त करूंगा.
सासू माँ ने मुझे चूम लिया.
मैं बोला कि सासू माँ ये 7 महीने मैंने चुत के बिना कैसे बिताये, ये मैं बयान नहीं कर सकता.
उन्होंने कहा- बेटा, मैं तो पिछले चार सालों से प्यासी थी … मैं भी कामुक औरत हूँ. पर क्या करती लोकलाज की वजह बाहर मुँह नहीं मार सकती थी.
मैंने उनको चूम लिया.
सासू माँ- अब आप हर रविवार को आकर मेरी चुत चोद कर ठंडी कर देना.
एक बार की चुदाई में सासू माँ ने कहा- आप जब तक चाहो, मेरे साथ मज़ा कर सकते हो, लेकिन मेरी बेटी को पता नहीं चलना चाहिए.
मैं मान गया.
इसके बाद हम दोनों हर संडे के दिन चुदाई करते हैं … और खूब मज़े करते हैं.
एक संडे को हम सास दामाद चुदाई कर रहे थे कि मेरी साली सीमा ने हमें चुदाई करते देख लिया.