हॉस्टल के कमरे में अपने सगे भाई के साथ मैंने सारी हदें पार की

मै फरीदाबाद [हरियाणा] की रहने वाली हूँ. कुछ महीनो से हर दिन यहाँ पर सेक्सी कहानी पढ़ रही हूँ. कई दिन से सोच रही थी की एक दिन मैं भी अपनी कहानी सभी दोस्तों को सुनाऊंगी, पर दोस्तों, मेरी पढाई बहुत कठिन थी. एक सेकंड की भी फुर्सत नही मिलती थी. मैं दिल्ली [एम्स] से ऍम बी बी अस कर रही हूँ. मैं डॉक्टर बनना चाहती हूँ. पर क्या दोस्तों डोक्टर्स को चुदास नही लगती. मैं भी एक लड़की हूँ. मैं भी सेक्स और चुदाई के मजे लेना चाहती हूँ. डॉक्टर कोई अलियन नही होते. वो भी आखिर इंसान होते है. वो भी सेक्स, सहवास और सम्भोग डॉक्टर भी करते है.

तो आपको अपनी कहानी सुनाती हूँ. २ साल पहले ही मैंने और मेरे भाई मुकेश ने इन्त्रंस एक्जाम दिया. और हम दोनों भाई बहनों का नाम ऍम बी बी अस में आ गया. देश का सबसे अच्छा मेडिकल कॉलेज दिल्ली का एम्स हम भाई बहन को मिला. ये हमारे और परिवार के लिए बड़ी फक्र की बात थी. पर दोस्तों,. दाखिला लेने के बाद यहाँ इतनी गाड़ तोड़ पढाई हुई की हम दोनों भाई बहनों की गाड़ फट गयी. बिमारियों, दवाओ, तरह तरह के बक्टेरिया, वाईरस के साइंटिफिक नाम याद करते करते हम भाई बहनों की ऐसी की तैसी हो गयी. कॉलेज में हम दोनों को एक ही कमरा अलोट हुआ था.

मेरे भैया मुकेश मुझसे अब मेरे साथ ही रहते थे. मैं भी यही चाहती थी. क्यूंकि दूसरे लड़के थोड़े खुराफाती होते थे. पहला सेमस्टर जब बीता तो लगा की १ साल बीत गया है. ६ महीने तक हम भाई बहन कहीं घूमने नही गए थे. सुबह ९ शाम ४ बजे तक क्लास होती थी. फिर हम अपने कमरे में आ जाते थे. और रात २ बजे तक पढते थे. यही सिलसिला पिछले ६ महीनो तक चला था. हम भाई बहन से फर्स्ट डिविसन तो सुरक्षित कर ही ली थी. जब हमारा रिसल्ट आ गया तो १० दिन की हमे छुट्टी मिली.

भाई पिछले ६ महीने से हम दोनों कहीं घूमने नही गये, चलो पिक्चर देखने चलते है! मैंने मुकेश भैया से कहा. हम दोनों पीवीआर साकेत फिल्म देखने गए. वहां कई जवान जोड़े एक दूसरे के हाथ में हाथ डाले थे. पर हम भाई बहन तो अकेले थे, कहीं हम दोनों का कोई मजाक ना बनाये इसलिए मैंने मुकेश भाई के हाथ में हाथ दाल दिया. भाई से भी कुछ नही कहा. १००० रुपये के भैया ने पोपकोर्न और कोल्ड्रिंक ली, क्यूंकि पीवीआर मल्टीप्लेक्स बहुत ही महंगा है. जब फिल्म शुरू हुई तो हर जोड़ा अपने साथी के साथ रोमांस कर रहा था. पर हम दोनों तो भाई बहन थे. मैंने भी एक दो बार मुकेश भैया को किस कर लिया.

ये क्या शीतल ?? भैया से आपत्ति की.

देखो न भैया! यहाँ सब जोड़े एक दूसरे को बाँहों में भरे है. अगर हम दोनों दुर दुर रहेंगे तो ये लोग क्या सोचेंगे? इसलिए मैंने आपके गाल पर पप्पी दे दी. फिर जब इंटरवल के बाद जवान जोड़े फिर से चुम्मा चाटी करने लगे तो भैया से मेरे गोरे गाल पर झुक कर किस कर लिया. मुझे बड़ा अच्छा लगा. हकिकत में हम दोनों भाई बहन थे, पर ये बात वो लोग तो जानते नही थी. इसलिए हम दोनों भाई बहन बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड जैसा व्यवहार कर रहें थे. फिल्म खत्म होने के बाद हम दोनों एक नॉनवेज रेस्टोरंट में गए और जमकर हम दोनों चिकन पर हाथ साफ किया. फिर रात १० बजे हम अपने हॉस्टल लौट आये. गर्मी का मौसम होने के कारण भाई से अपने सारे कमरे निकाल दिए. सिर्फ बनियान और हाफ पैंट में थे.

शीतल !! तुम कोई मोटा कपड़ा मत पहनों! कुछ हल्का ही पहन लो! मुकेश भैया बोले. मैंने एक हल्की ही नेट वाली जालीदार नाइटी पहन ली. हॉस्टल के इस कमरे में हम दोनों को एक छोटा सा कूलर मिला था.

शीतल !! इधर ही आ जाओ. उधर सोगी तो मच्छर तुम्हे उठा ले जाएँगे ! भैया बोले

तो दोस्तों, मैं भाई के बेड पर ही आ गयी. हम दोनों एक दूसरे की ओर मुह करके लेट गयी. सच में ये कूलर ना होता तो ना जाने क्या हाल हुआ होता. कूलर की तेज हवा मुझे और मुकेश भैया को लगने लगी. हवा मेरी नाइटी में जाने लगी तो नाइटी उड़ने लगी. भैया को मेरे गदराये गोरे जिस्म के दर्शन होने लगे. मुकेश भैया खुद को रोक ना सके और उनकी नजरे मेरे सफ़ेद व उजले दूध पर टिक गयी. मैंने भी भैया को नही रोका. क्यूंकि मैं उनसे बहुत प्यार करती थी. १ घंटा बीता, तो हम दोनों को झट से नींद आ गयी. मैं तो सो गयी और मुकेश भैया भी सो गए. मई के इस मौसम में कूलर तो एक वरदान की तरह था. भीसड गर्मी के कारण कॉलेज प्रशासन से हॉस्टल के सभी कमरों में कूलर लगवा दिया था. रात १२ बजे मेरी आँख खुली तो देखा मुकेश भैया हाथ मेरे कन्धों पर था और उनकी दाई टांग मेरी टांग के उपर थी. antarvasna story, Antarvasnacom

मैंने कुछ नही कहा. मैंने जरा भी वहां से पीछे नही हटी. तभी मुकेश भैया की नींद टूट गयी. हम दोनों भाई बहन जुड़वाँ थे. २५ साल के थे. मुकेश भैया मुझसे सिर्फ १० मिनट बड़े थे. हम दोनों की जवान थे. हम दोनों ने अभी तक सिर्फ डॉक्टर वाली किताब में सहवास और सम्भोग के बारे में पढ़ा था, पर कभी प्रक्टिकल करने का वक्त नही मिला था. फर फर करती हुई कूलर की तेज हवा मेरी नाइटी को हर किनारे से उड़ा रही थी. मेरा गोरा, श्वेत, चिकन बदन बार बार भैया को ना चाहते हुए भी दिख जाता था. कुछ देर तक तो वो कुछ नही बोले. फिर पता नही उनको क्या क्या. अचानक उन्होंने अपना सिर उठाया और सीधा मेरे सिर पर रख दिया. १ सेकंड बाद उनके होठ मेरे होंठों पर ना जाने कहाँ से आ गए और बिलकुल जम गए. मैं हैरान थी. जब तक कुछ सोच पाती या भैया से कुछ पूछ पाती मुकेश भैया मेरे होठ पीने लगे.

एक तरह मुझे अच्छा लग रहा था क्यूंकि मैं जवान हो चुकी थी, चाहती थी की कोई मेरे गुलाबी होंठों की लाली चुराये. वहीँ थोडा अटपटा लग रहा था क्यूंकि मेरा बड़ा भाई ही मुझसे प्यार कर रहा था. मैं कुछ नही कहा. भैया मजे से मेरे हसीन गुलाबी होंठों की लाली चुराते रहे. मैंने उनकी आँखों में देखा तो वासना का समुन्दर हिलोरे मार रहा था. सायद मैं भी उनके साथ सोना चाहती [संभोग करना चाहती] थी. मेरी नजरे मुकेश भैया की नजरों से बंध गयी. वो मेरे करीब आ गयी. कब उन्होंने मुझे बाहों में भर लिया, ये मुझे भी नही मालूम हुआ.

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शीतल आई लव यू ! भैया बोले

पर मैं तो आपकी …

नही कुछ मत कहो. आज रात के लिए तुम मेरी बन जाओ भैया ने मुझे कुछ नही बोलने दिया और अपनी फरमाइश कर दी. मैं सोच में पड़ गयी. मुकेश भैया मुझसे सहवास करना चाहते थे, मेरे साथ सोना चाहते थे, मेरे संग संभोग करना चाहते थे, या खुलकर कहूँ तो वो मुझको आज रात भार चोदना चाहते थे. मैं सोच में पढ़ गयी. क्या साइंस और विज्ञान मुझे इस बात की अनुमति देता है. मैं सोच में पढ़ गयी. दोस्तों, अभी तक मैं चुदास महसूस करती थी तो अपनी चूत में ऊँगली या कोई पेन पेंसिल दाल लेती थी. पर आज मैं अगर हाँ कर दू तो मैं असली मजा ले सकती हूँ. मैं मैं कैसी अचानक से हाँ बोल देती. मैं कशमकश में पड़ गयी. मेरे भी चुदने का पूरा मूड था.

कर लो भैया!! मैंने आखिर कुछ ५ ७ मिनट बाद कह दिया.

मैं भी करना [चुदना] चाहती हूँ! मैंने भाई से कहा.

भैया ने मुझे बाँहों में भर लिया. पहले तो मेरे होंठ खूब पिए. फिर प्यार से मेरी

आँखों को चूमने लगी. ‘शीतल ! तुम दुनिया की सबसे प्यारी बहना हो’ भैया बोले. उनके हाथ मेरी जालीदार नेट वाली पारदर्शी नाइटी पर यहाँ वहां रेंगने लगे. मुझे मजा आने लगा. जहाँ जहाँ भाई हाथ लगाते उत्तेजना और सनसनाहट होती. एक पुरष का हाथ लगाना कैसा होता है, आज मैं जान गयी. भैया मेरे शरीर हो सहलाने लगे. भाई ने मेरे गुद्देदार गोरे कंदों को दांत में भर लिया. पहले तो उसे चूमने लगे, फिर दांत से काटने लगे. आह ! मुझे बड़ा अच्छा लगा. मुकेश भैया के दांत मेरे गोरे मुलायम कंधे में गड़ गए थे. मुझे दर्द हो रहा था पर मैं उनको दांत हटाने को नहीं कहा. उन्होंने मेरे मुलायम कन्धों को खूब काटा, खूब चूसा. भैया ने फूल मजा ले लिया. मैं दर्द से तडपती रही.

धीरे धीरे वो नीचे बढ़ने लगे. मुझे अपनी असली प्रेमिका की तरह समजके के मेरे गदराये पर वो बिलकुल भूखे शेर की तरह टूट पड़े थे. उधर कूलर फर फर की आवाज करता हुआ चल रहा था. भैया भली भाति जान गए की उनकी सगी बहन भी चुदासी है. उन्होंने अपना एक हाथ मेरी नाईटी में डाल दिया. जब मेरे मम्मे को पीने के लिए नहीं निकाल सके तो, उन्होंने मेरी नाइटी की एक डोरी मेरे कंधे से नीचे सरका दी. और मेरे उस तरह के मम्मे को उन्होंने उपर कर लिया और मुह में भूखे शेर की तरह भरके पीने लगे. मुझे एक ओर मजा भी आ रहा था , पर दूसरी तरफ दर्द भी हो रहा था. भैया फिरसे अपने नुकीले दांत मेरे मुलायम मम्मो में गड़ा रहे थे. मुझे सच में बहुत दर्द हो रहा था दोस्तों. लग रहा था वो मेरी पूरी छाती ही जैसे उखाड़ लेंगे. फिर उन्होंने मेरे दूसरे कंधे से भी मेरी जालीदार नाईटी की डोरी को नीचे की तरह सरका दिया. मेरा दूसरा मम्मा भैया के मुह में आ गया. वो उसको पीने लगा.

सायद मुकेश भाई ने पहली बार किसी लड़की के स्तनों को पिया था, सायद तभी इतने बेचैन हो गए थे. एक बार वो फिर से मेरे दूसरे स्तन को मुह में भरके दांत गडा गडा के पीने लगे, दर्द से मेरी जान निकलने लगी.

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भैया! बहुत दुःख रहा है. प्लीस दांत मत गडाइये मैंने कहा

वो कुछ नरम पड़े. जीभरके मुह चला चला के सिर हिला हिलाके पीने लगे. मेरी चूत तो बिलकुल गीली हो गयी. मेरी चूत का पानी तो मेरी बुर के बाहर बहने लगा. भैया ने मेरी कमर को अपने हाथ में भर लिया . मेरी नाभि को चूमने लगे, उसमे जीभ गड़ाने लगे. मेरी कमर को उन्होंने खूब चाटा. चुम्बनों और किसेस की तो उन्होंने झड़ी लगा दी. फिर मेरी चूत पर आ गए.

आह शीतल! तेरी फुद्दी तो बड़ी गुलाबी है रे !! देखो कैसे शर्मा रही है ?? भैया बोले

मैंने कुछ नही कहा. भाई मेरी बुर पी सके इसके लिए मैंने दोनों टांगे खोल दी. भैया ने अपने होठ मेरी चूत पर लगा दिए और पीने लगे. बड़ी अजीब सी सनसनाहट मुझे महसूस हुई दोस्तों. लगा जैसे कोई मेरा दिल ही चाट रहा हो. मेरी चूत और मचलने लगी. और अधिक गीली और नम हो गयी. भाई ने अपना बड़ा सा काला लंड मेरी चूत के छेद पर रखा और अंडर की ओर धक्का दिया. लंड सीधा अंडर चला गया. मैंने तो डर और दर्द से आँखे बंद कर ली. दर्द तो बहुत हो रहा था दोस्तों, पर मैं आखिर क्या कर सकती थी. मुकेश भैया मुझको चोदने लगे.

कितनी अजीब और विचित्र बात थी. मैं अपने सगे भाई से संभोग और मैथुन में रत थी. एक तरह से तो मैं पाप कर रही थी. पर जिस पाप में मजा और आनंद मिले उसे कभी कभी कर लेना चाहिए. कुछ देर बाद मेरा दर्द कम हुआ तो भैया जल्दी जल्दी मुझको लेने[ चोदने] लगे. पर मैंने अभी भी आँखे नही खोली. भैया ने मेरे माथे पर प्यार से पुचकार कर हाथ फेरा.

ओ री शीतल!! अब आँखे तो खोल. बस बस चुद गयी तू !! आँखे खोल बहन !! देख अब तेरा दर्द खतम हो गया है !! भैया बोले. मैंने आँखे खोली तो सच में दर्द गायब था. भैया गपागप मेरी चूत मार रहें थे. ये बिलकुल एक जादू जैसा था. मैं कितना डर रही थी. पर ये तो अब आसान बात थी. मैंने अपनी दोनों जांघे और खोल दी. भैया को और अच्छी पकड़ मेरी चूत पर मिल गयी. और मस्ती से वो मुझको पेलने लगे. कुछ ५० ६० धक्कों के बाद वो झड गए. उधर कूलर अब भी फर फर की आवाज करता हुआ चल रहा था. हम दोनों भाई बहन पसीने से भीग गाये थे. दोस्तों, अपनी कोमेट्स sexkahani.net पर जरुर लिखे और अपनी प्रतिक्रिया जरुर दे.

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