मुंहबोली बहन का प्यार

मेरा नाम विक्की है, उम्र २८, MBA की पढाई कर रहा हूँ.
वहा मेरे कई दोस्त बने जिसमे से मेरी एक फ्रेंड का नाम है शिल्पी. वो मुझे अपना भाई बोलती थी, मेरा भी कुछ खास इंटरेस्ट नहीं था उसमे. इसलिए कभी ऐतराज नहीं किया.
उसका फिगर काफी अच्छा है ३८ की चूचियां होगी और बड़ी सी गांड है जो कम से कम ३९-४० की होगी. कुल मिला मस्त चोदने लायक माल है. वो बातों बातों में काफी करीब आ जाती थी. कितनी बार उसकी चूचियां मेरे सीनेा से दब जाती थी.. मेरा लंड खड़ा हो जाता था.
हम सब हॉस्टल में रेहत है.. एक रात उसका कॉल आया.

शिल्पी: भैया मुझे अच्छा नहीं लग रहा ..
मै: क्या हुआ
शिल्पी: भैया शायद तबियत ख़राब है.. आप आ सकते है क्या
मैं उससे मिलने चला गया.. वहा का नजारा ही कुछ अलग था.. उसने टीशर्ट पहन रखा था.. जिससे उसका क्लीवेज दिख रहा था.. और एक छोटी सी शॉर्ट्स जिसमे उसकी बड़ी गांड आ नहीं रही थी.. मेरा लंड बहुत टाइट हो गया.. किसी तरह मैंने कण्ट्रोल किया..

मैं: डिनर कर लिया क्या?
शिल्पी: नहीं मन नहीं हो रहा है
मैं: रुक मैं आर्डर करता हूँ

मैंने डिनर आर्डर किया.. करीब ३० मिनट बाद डिनर आ गया.. डिलीवरी बॉय भी शिल्पी की टाइट चूचियों को ताड़ रहा था.. मैंने उसे पैसे दिए और गेट बंद करने लगा..
बॉय:साहब, लगता है मैडम की चुदाई करोगे आप आज..
मैं: क्यों बे तुझे क्या करना है
बॉय: अरे सर मस्त गदराई हुई माल है.. खूब चोदो साली को रात भर.. मैं रहता तो साली का बूर और गांड फाड़ देता और रगड़ रगड़ कर चोदता..
मैं: अबे भाग यहाँ से..

फिर वोह चला गया.. मैं सोचने लगा की शिल्पी को चोद ही डालता हूँ.. साली ने रात को बुलाया है चुदवाने के लिए ही..
फिर हमने डिनर किया..

शिल्पी: अब अच्छा लग रहा है भैया.. आपके आने से ठीक हो गयी मैं.. भैया आप आज रात यही रूक जाओ..
मैं: ठीक है..

फिर हमदोनो की ही बेड पर सो गए.. वोह चिपक कर सो गयी मेरे से..

शिल्पी: भैया क्या आप मेरी चुदाई कर सकते है..
मैं: क्या बोल रही हो
शिल्पी: हाँ भाई .. आज रात आप मुझे चोदिये प्लीज..

उसने फिर मुझे किश करना सुरु कर दिया.. मैंने भी उसका साथ दिया और उसकी चूचियों को दबाने लगा..
मैं: क्या मस्त चूची है शिल्पी
शिल्पी: और दबाओ भाई इसे .. मजा आ रहा है.. मैं कब से चुदवाना चाहती थी आपसे.. आप ही ने कभी ध्यान नहीं दिया..
मैं: साली मुझे पता होता तो.. कब का चोद चूका होता तुझे.. क्या चूचियां है तेरी पूरी आम के साइज की है..
शिल्पी: चोद डालो भैया अपनी बहन को..
मैं: साली रंडी.. भैया बोलती है.. आज से डेली मई तेरी चुदाई करूंगा.. और रात भर तेरी बूर और गांड फाड़ दूंगा..

मैंने शार्टस के ऊपर से उसकी गांड को खूब दबाया..

शिल्पी: अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह भैया मजा आ रहा था..

फिर मैंने टीशर्ट उतर के उसके बूब्स चूसे और खूब मसला .. उसने मेरी पैंट उतर दिया और लंड से खेलने लगी.. मैंने अपना लंड उसकी मुंह में डाल दिया.. वोह किसी रंडी की तरह मेरा लंड चूस रही थी.. १५ मिनट की लंड चुसाई के बाद मैंने उसकी शार्टस उतर दी.

२३ साल की मस्त जवान लड़की मेरे सामने नंगी खड़ी थी.. क्या मस्त गोरी अनचुदी चूत थी उसकी. बिलकुल टाइट और सुन्दर.. मैंने एक ऊँगली उसकी चूत में डाल दिया.. और अंदर बाहर करने लगा

शिल्पी: उईईई माँ.. क्या कर रहे हो भाई दर्द हो रहा है..
मैं: रुक जा डार्लिंग.. अभी तो यह मोटा वाला लंड तेरी बूर में पेलुँगा
शिल्पी: अह्ह्ह्ह .. भैया मजा आ रहा है..
उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी और काफी मॉन कर रही थी..

मैंने अपना लंड उसकी बूर में सेट किया और हल्का सा धक्का मारा .. लंड बूर को चीरता हुआ २ इंच अंदर चला गया..

शिल्पी: अहहहहह .. भाई बहुत दर्द हो रहा है..
मैं: रुक जा शिल्पी थोड़ी देर बाद तुझे से ज्यादा मजा आएगा ..
फिर मैंने लंड को बाहर खींचा और पूरा घुसा दिया..

शिल्पी: उईईईईई मर गयी भैया.. छोड़ दो मुझे..
मैं: अरे रंडी चुदाई ऐसे ही होती है .. देख तेरा बूर फाड़ दिया मैंने.. अब चुदाई स्टार्ट होगी ..

फिर मैंने धका धक् लंड पेलना शुरू कर दिया. थोड़ी देर के बाद उसे भी मजा आने लगा..
शिल्पी: मजा आ गया भैया.. और चोदो अपनी बहन को..
मैं: आज से तू मेरी रंडी है..

मैं उसकी चूचियों को दबा दबा कर चोद रहा था .. वोह भी मजे ले लेकर मरवा रही थी..
मैं: कैसा लगा अपने भाई का लंड लेकर
शिल्पी: बहुत मजा आ रहा है भाई.. और तेज और तेज
मैं ३० मिनट तक उसको चोदा और उसकी बूर में ही झड गया..

फिर हम सो गए.. १ घंटे बाद मेरी नींद खुली तो उसकी भारी गांड मरने का मन हुआ…
मैं: शिल्पी उठो..
शिल्पी: क्या हुआ भैया.. और चोदना है क्या..
मैं: हाँ जानेमन.. इस बार तेरी यह गांड मरूंगा
शिल्पी: मार लो भैया..

मैंने शिल्पी को डोग्गी स्टाइल में लिया.. और उसकी बड़ी सी गांड में लंड घुसा दिया..

शिल्पी: अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह भैया..
मैंने शिल्पी की चूचियों को दबा दबा कर गांड मरने लगा.. मेरा लंड उसकी गांड को फाड़ चूका था.. और लंड आसानी से अंदर बाहर हो रहा था..

शिल्पी: और चोदो भैया.. मारलो मेरी गांड अच्छे से..
मैं: साली इतनी बड़ी गांड लेकर घूमती हो.. चुदनी तो थी ही इसे..
बड़ी बड़ी गांड जब आगे पीछे हो कर लंड से टकरा रही थी तो मजा और दुगुना हो गया.. २० मिनट गांड मरने के बाद मैंने अपना माल निकल दिया..

शिल्पी: भैया आज तो अपने मुझे दोनों साइड से बजा दिया..
मैं: कब से यह गांड और चूचियां तड़पा रही थी मुझे.. कितनी बार मैंने मुठ मारा है तेरे बदन को याद करके..
शिल्पी: अब आपको मुठ मरने की जरुरत नहीं.. कभी भी लंड खड़ा हो चोद जाइए मुझे..
यह सुनकर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया और मैंने शिल्पी की फिर चुदाई शुरू कर दी.. पूरी रात मैंने ४ बार चोदा उसे और २ बार गांड भी मारी..

अब मैं हर रात उसके साथ बीतता हूँ.. और खूब चोदता हूँ..

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