दारू पीकर फाड़ डाली सौतेली बेटी की गुलाबी चूत

मेरा नाम अनुज है। मै बस्ती में रहता हूँ। मेरी उम्र 35 साल है। कद बहुत लंबा है। मैं 6 फ़ीट 3 इंच का हूँ। मेरा लंड भी मेरे शरीर के हिसाब से लंबा है। लगभग 13 इंच का लंड जब खड़ा होता है तो अच्छी अच्छी रंडियों की चूत फट जाती हूं। आपको तो पता ही होगा बस्ती चुदाई में सबसे मशहूर जगह है। यहाँ पर एक से बढ़कर एक माल बिकती है। मै भी लौंडिया चोदने का बहुत शौक़ीन हूँ। आप भी अगर चुदाई करते है तो आपको भी पता होगा ये चस्का बहुत ही बुरा होता है। एक बार लंड खड़ा होने पर कोई भी सामने हो चोदने का मन करता है। चाहे वो कोई भी हो। मेरा लंड हर दिन एक न एक लड़की चोदता है। मैं हमेशा नम्बर एक माल हो चोदता हूँ। मेरी कमाई का सारा पैसा इसी पर खर्च होता है। दारू पीकर हर दिन मैं चोदने रंडी खाने जाता हूँ। दोस्तों मै अब अपनी कहानीं पर आता हूँ।
जब मैं 18 साल का था मेरी शादी तभी हो गई थी। लेकिन मेरी बीबी मेरा लंड ज्यादा दिन न सह सकी। भरी जवानी में ही मेरा साथ छोड़कर वो चल बसी। मै मुठ मार के काम चलाता था। उस समय मेरी उम्र 26 साल की थी। जब मुझे चुदाई के समय मुठ मारना पड़ रह था। एक दिन मुझे एक 35 साल की औरत मिली। उसका नाम कामनी था। उसके साथ एक लड़की भी थी जिसका नाम स्नेहा था। बहुत ही प्यारी लग रही थी। कामनी भी बहुत गजब का माल लग रही थी। मैं कामनी को देखते ही इंद्र की तरह मोहित हो गया। वो मेरे घर के पास ही कमरा लेकर रहती थी।
धीरे धीरे उससे मेरी बातचीत होने लगी। एक दिन वो मुझे रास्ते में मिल गई। मैंने उससे पूछा- “तुम्हारा घर कहाँ है” वह धीरे धीरे मुझसे अपना सारा हाल सुनाने लगी। मुझे उससे बात करके बहुत अच्छा लग रहा था। उसने बताया कि उसके पति की कुछ ही दिन पहले किसी दुर्घटना में ख़त्म हो गए थे। उसके बाद उसके घर की स्थिति बिगड़ गई। अब ये नौबत आ गई थी की उसे दूसरे के घर में झाड़ू पोंछा करके पेट पालना पड रहा था। मुझे उस पर तरस भी आ रहा था। मेरा लंड उसे चोदने को बेकरार भी था। मैंने उससे कहा- “तुम्हारा कोई सहारा नहीं है। इत्तेफाक से मेरी कोई बीबी भी नहीं है। तुम मेरी बीबी बन जाओ”
उसने बड़ी की कातिलाना नजरो से मेरी तरफ देखा। फिर उसने जबाब दिया।
कामिनी- “मुझे तो आप बीबी बना लोगे लेकिन मेरी फूल सी बच्ची का क्या होगा”
मै- “जब मैं तुम्हारा पति हो जाऊँगा। तो वो मेरी बेटी हो जायेगी”
कामिनी- “कही आप मजाक तो नही कर रहे हो”
मै- “मजाक करना होता तो यही मिला था मुझे। मै तो सेक्स स्टोरी   तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ। तुम भी तन्हा हो हम भी तन्हा है। इस तन्हाई को मैं समझ रहा हूँ”
कामिनी- “काश हर कोई तुम्हारे जैसा हो”
मैंने दूसरे दिन उसे बुलाकर कोर्ट में जाकर रजिस्टर्ड शादी कर ली। मै उसे अपने घर लेकर आया। आज मेरी शादी की सुहागरात थी। मै रात होने का इन्तजार करने लगा। बेटी बड़ी थी उसके सामने मै कैसे चोदता। इसीलिए मैं रात होने के बाद भी उसके सोने का इन्तजार कर रहा था। चुदाई की घड़ी आ गई थी। स्नेहा सो गई।
हम दोनों अपने सुहागरात वाले बिस्तर पर आ गए। मैंने उसका घूंघट उठाया। चाँद से मुखड़े को चूमते हुए। चुम्बन करके कार्यक्रम आरम्भ किया। बहुत दिनों बाद आज मुझे चुदाई करने का मौका मिल रहा था। कामिनी की चूंचियां ब्लाउज में उभरी हुई थी। आज उसने लाल रंग की साडी पहनी हुई थी। वो ज्यादा खूबसूरत तो नहीं थी। लेकिन फिर भी बड़ी हॉट लगती थी। आज तो वो बेहद खूबसूरत लग रही थी। मैंने अपना होंठ उसके होंठ से लगा दिया। बड़ी ही नाजुक नर्म होंठ थी उसकी। खूब रस उसकी होंठ में भरी होती थी। इतने दिनों का भरा रस मै आज चूस चूस कर पीने लगा। वो अपनी गर्म साँसे छोड़ने लगी। मैंने खूब देर तक उसको अपना लंड चुसवाया। मैनें उसकी चूंचियो को पीकर उसे चोद दिया। उसकी चूत चोदने में बहुत मजा आया।
मै किसी किसी दिन रात में दारू पी कर आता था। तो कभी कभी बेटी के सामने ही चोदने लगता था। वो बड़ी थी लेकिन उतनी समझदार नहीं थी। मेरी सैलरी के पैसे से घर का सारा खर्चा चलता था। मैंने स्नेहा का एडमिशन अच्छे स्कूल में करवा दिया। वो स्कूल चली जाती थी। मैं ऑफिस से अक्सर छुट्टी लेकर कामिनी की चुदाई पूरा दिन करता रहता था। स्नेहा हमे साथ देखती थी तो हट जाती थी। कुछ दिन बीत गया। चोदने का ये भी सामान ख़त्म हो गया यानि मेरी ये बीबी भी मेरा साथ छोड़ गई। उसकी ब्रेन ट्यूमर से मौत हो गयी। अब चुदाई के लिए कोई भी मेरा साथ नहीं देने वाला था। मै फिर से वैसे ही मुठ मारने की स्थिति में पहुच गया। मै अब सारा पैसा रंडियों को चोदने में खर्च करने लगा। मुझे पता ही नहीं चल रहा था। चुदाई का सामान मेरे ही घर में तैयार हो रहा था। मेरी बेटी धीरे धीरे जवान हो रही थी। उसके बूब्स विकसित हो रहे थे। खा पीकर वो जवान हो गई। दिनों दिन वो खूबसूरत होती जा रही थी। उसकी जवानी निखर कर सामने आने लगी। रोज रोज रंडियों को चोद कर किसी तरह से घर आता था। इतना पी लेता था कि मेरा चलना मुश्किल हो जाता था।
मै जब भी घर आता था तो मेरी बेटी मुझे बिस्तर पर लेकर जाती थी। चुदाई की प्यास तो मैं बुझा आता था। एक दिन मैं घर खूब पीकर आ गया। उस दिन मुझे चोदने को कोई भी रंडी नहीं मिली। सबकी बुकिंग चल रही थी। घर आते ही मैंने दरवाजा खोला तो जो देखा उसे देखता ही रह गया। स्नेहा बिस्तर पर लेटी हुई थी। क्या मस्त माल दिख रही थी। उसके मम्मे उभरे हुये उसके टी शर्ट पर दिख रहे थे। देखते ही मेरे मुह में पानी आने लगा। मै उसे चोदने के लिए बेकरार होने लगा। मैं वही बैठ कर उसे ताड़ने लगा। उसने हाफ लोवर पहन रखा था। उसकी गोरी गोरी टाँगे दिख रही थी। गांड भी काफी निकली हुई थी। मैंने अपना पैंट उतारा उसके बाद मुठ मारने लगा। मुठ मार कर मैंने सारा माल उसकी गांड पर झड़ दिया। कुछ देर तक तो चोदने का मन ही नहीं कर रहा था। दोस्तों आपने भी कभी अपना माल निकाला होगा। तो आपको पता होगा की उसके बाद चाहे परी सामने खडी हो तो उसे भी चोदने का मन नहीं करता। मेरा भी मन कुछ ऐसा ही हो गया। मैं कुछ देर तक बैठा रहा।
लंड भी लटकते लटकते कुछ ही देर में धीरे धीरे उठने लगा। मै फिर से जोश में आने लगा। फिर से चोदने का ख्याल आने लगा। इस बार मैंने ज्यादा देर न करते हुए मैं उसके पैर के पास जाकर बैठ गया। मुठ मारते हुए लंड को फिर से खड़ा कर दिया। उसकी टांगो को छूते हुए। मैंने किस करना शुरू किया। जिसे लड़की को मै काली काली लाया था। आज वो दूध की तरह गोरी हो गई थी। जी करता था उसकी टांगो में ही अपना मुह लगाकर चाट लूं। मैंने ऐसा ही किया। उसकी टैंगो को चाटते ही वो जाग गई। वो मुझे नंगा देख कर शर्माने लगी। वो मुझसे छुड़ा कर जाने लगी। मैंने उसे पकड़ कर दबा लिया। उसने कहा- “पापा आप ये क्या कर रहे हो”
मै- “कुछ नही तेरी जवानी को देख रहा था। तू बहुत ही खूबसूरत लग रही है”
स्नेहा- “पापा आप ये कैसी बाते कर रहे हो??”
मै- “कुछ नही घर में तू जवान बैठी है। मै बेकार ही रंडियों पर अपना पैसा बर्बाद कर रहा था”
स्नेहा- “आप क्या करना चाहते हो”
मै- “वही जो तुम्हारी मम्मी से करता था। आज तुम्हे सब सिखाता हूँ”
स्नेहा- “आप नशे में हो। आप ऐसा नहीं कर सकते। मै आपकी बेटी हूँ”
मै- “तू मुझे कभी अपनी मम्मी की याद न आने दे तो मैं सबकुछ छोड़ दूंगा”
स्नेहा- “मै क्या कर सकती हूँ”
मै- “तू मुझे 10 मिनट तक जो करता हूँ करने दे”
वो चुप हो गई। अपना सर झुकाकर नीचे देखने लगी। मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। उसके गोरे जिस्म को निहारते हुए। उसको सहलाने लगा। वो भी समझ गई आज कुछ भी कर लूं उसकी चुदाई तो होनी पक्की है। उसके गदराए बदन को मैं दबाते हुए छू छू कर मजा लेने लगा। जिस्म को छूते ही वो सिमटने लगती थी। मैंने उसे लिटा दिया।
उसके बाद मैंने उसके पूरे शरीर पर हाथ फेरना शुरू किया। वी धीरे धीरे गर्म होने लगी। मेरा नशा उतर रहा था। अब मैं सब कुछ जान बूझकर कर रहा था। उसे गर्म करके मै चोदना चाहता था। उसका भी मन मचलने लगा। मैं उसके पैर से किस करते हुए होंठ तक पहुच गया। उसके बगल में लेट कर मैं उसकी नाजुक गुलाब जैसे पंखुड़ियों को चूसने लगा। पहली बार मुझे उतनी मिठास की रस भरी होंठ को चूसने का मौका मिला था। आम की तरह मैं चूस चूस कर खूब गुलाबी कर दिया। कुछ देर बाद वो भी मेरा साथ देने लगी। मुझे अब डबल मजा आ रहा था। पता नही कहाँ से उसने ऐसा किस करने को सीखा था। मुझसे रहा नही गया। मैंने उससे पूछ ही लिया।
मै – “स्नेहा तुमने कभी इससे पहले कभी ये सब किया है। डरना मत मै कुछ नहीं कहूंगा”
स्नेहा- “जब आप मम्मी को किस करके चोदते थे। तो मै ये सब देखती रहती थी”
मै- “तुझे फिर सब पता है”
स्नेहा- “हाँ”
मैंने उसके मम्मो पर हाथ रख दिया। उसको दबाते हुए होंठ चुसाई का कार्य जारी रखा। वो अपनी गर्माहट का एहसास मुझे सांस छोड़कर बता रही थी। भाप की तरह उसकी सांस मेरी नाक में लग रही थी। अभी ताजा ताजा बड़ा हुआ उसका बूब्स बहुत ही नरम लग रहा था। हाथ से थोड़ा सा भी दबाने पर दब जाता था। उसकी चूंचिया रुई जैसी नर्म लग रही थी। खूब दबा कर आनंद लिया। मैंने उसे बिस्तर पर ही बिठा दिया। उसके बाद टी शर्ट निकाल दिया। वो काले रंग की ब्रा में बहुत ही सेक्सी लग रही थी। मेरा लंड झट से खड़ा होकर चोदने को तड़पने लगा। उसकी चूंचियो का असली रूप देखने के लिया। मैंने उसकी ब्रा के हुक को खोल कर उसे निकाल दिया। क्या मस्त चूंची थी उसकी। गोरे गोरे चूंचियो पर काला काला निप्पल बहुत ही रोमांचक लग रहा था। मैंने अपना मुह उसकी चूंचियो पर लगाकर पीने लगा। मुझे उसके चूंचियो के छोटे छोटे निप्पल को पीने में बहुत मजा आ रहा था। दांतो से काटते ही वो जोर जोर से मुझे अपने बूब्स में दबाकर “……अई…अई….अई…… अई….इसस्स्स्स्स्…….उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….” की सिसकारी भर रही थी। उसके मम्मे धीरे धीरे टाइट होने लगे। मैंने अपना हाथ उसके लोवर के नाड़े पर रख कर खोलने लगा। लोवर को नीचे सरकाते ही उसकी पैंटी में गांड साफ़ साफ़ दिखने लगी।
मैंने उसकी गांड को दबाकर उसकी पैंटी को निकाल दिया। उसकी उसकी कली जैसी चूत मे खूब रस भरा था। मैने उसकी चूत पर अपना जीभ लगाकर खूब मजे से चाटने लगा। वो मेरा सर दबाकर“..अहहह्ह्ह्हह स्सी ई ई ई इ….अ अ अ अ अ…. आहा …हा हा हा” की आवाज निकाल रही थी। उसके चूत में जीभ डाल कर चाटने लगा। चूत की की गर्मी मेरे जीभ को जला रही थी। मैंने उसकी टांगो को खूब फैला कर अपना लोहे जैसा लंड उसकी चूत पर रख कर रगड़ने लगा। उसकी चूत लाल लाल दिख रही थी। मैने छेद पर लंड लगाकर जोर से धक्का मारा। लेकिन मेरे लंड का टोपा भी अंदर नहीं घुसा।
उसकी नन्ही से छेद में मेरा रॉड जैसा लंड घुस ही नही रहा था। उसकी चूत डर के मारे फ़टी जा रही थी। मैंने अपने लंड पर खूब तेल लगाया थोड़ा बहुत तेल उसकी चूत में भी लगा दिया। उसके बाद अपना लंड़ निशाने पर रख कर जोर से धकेल दिया। उसकी चूत फट गई। फ़ैल कर मेरे लंड के टोपे को अंदर ले लिया। वो जोर जोर से “……मम्मी …मम्मी …..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊ ऊ ऊ ….ऊँ. .ऊँ.. .ऊँ. ..उनहूँ उनहूँ..” की आवाज के साथ जोर जोर से चीखने लगी। मैंने उसका। दर्द देखा तो कुछ देर तक उसकी चूत में अपने लंड के टोपा ही डाल डाल कर चुदाई करने लगा। धीरे धीरे करके मै अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसाने लगा। पूरा लंड उसकी चूत में घुसाने में बहुत देर लग गया। अंत तक मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुसा ही दिया। मेरा लंड उसके नाभि तक जा रहा था।

वो जोर जोर से “आ आ आ अह्हह्हह.. …ईईईईईई ई ….ओह्ह्ह्….अई. .अई..अई…..अई..मम्मी….” की आवाज के साथ चुदाई करवा रही थीं। मुझे उसकी टाइट चूत चोदने में बहुत ही मजा आ रहा था। उसने भी अपनी चूत को उठा दिया। अब मुझे चोदने में बहुत ही आसानी हो रही थी। उसने अपना चूत उठाकर मेरा आधा मेहनत कम कर दिया। मैंने कुछ देर तक चुदाई करके उसे उठा लिया। वो भी अपनी मूड में आ गई। उसे भी बड़ा आनंद मिल रहा था। वो भी पहले न कर रही थी। उसे भी मेरा बड़ा मोटा लंड बहुत पसंद आ गया। मैंने उसे उठाकर उसका एक घुटना मोड़ कर अपने कंधे पर रख लिया। उसके बाद अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया।
कुछ ही देर काम चला था की उसने झड़ दिया। मुझे मजबूर होकर अपना लंड निकालना पड़ा। उसकी चूत का कचरा हो गया। मेरे लंड की प्यास अब भी नहीं बुझी थी। मैंने उसे झुका दिया। उसके बाद अपना लंड उसकी गांड में डाल दिया। उसकी गांड भी फट गई। वो जोर जोर से “हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ….ऊँ—ऊँ…ऊँ सी सी सी सी… हा हा हा.. ओ हो हो….” की आवाज के साथ गांड चुदवाने लगी। मैंने अपना लंड निकाल लिया। उसके बाद लेट गया। वो मेरे लंड पर अपनी गांड का छेद सटाकर चुदवाने लगी। गांड उठा उठा कर चुदवाने लगी। वो “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी….. ऊँ—ऊँ…ऊँ….” की आवाज के साथ चुद रही थी। खूब उछल उछल कर मेरे लंड से माल को निकालने पर मजबूर कर दिया।
मैंने अपना लंड उसकी गांड से निकाल कर खड़ा हो गया। उसको सारा स्टेप पता था। उसने अपना मुह खोल कर मेरे माल के निकलने का इंतजार कर रही थी। मेरा लंड माल निकालने लगा। उसका पूरा मुह लबा लब मेरे लंड के रस से भर गया। उसने पूरा माल एक ही बार में पी लिया। दोनों ही लोग थक गए थे। बिस्तर पर मैंने उसके साथ नंगे ही लेटा था। रात में कई बार उसकी चुदाई की। अब सारा रंडी चुदाई का पैसा मै स्नेहा के नाम जमा करता हूँ। वो भी ख़ुशी ख़ुशी अपनी चूत चुदवाती है।

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