घर की चारदीवारी में ही मेरा आशियाना था और मैं घर से बहुत कम ही बाहर जाया करता था दोपहर के वक्त मैं खाना खा कर लेटा ही था कि तभी टेलीफोन की घंटी बज उठी। मेरा पूरा ध्यान टेलीफोन की घंटी सुनकर भंग हो गया मैंने टेलीफोन को उठाया और हेलो कहते हुए कहा कौन बोल रहा है। सामने से आवाज आई और वह कहने लगा पापा मैं राकेश बोल रहा हूं मैंने राकेश से कहा बेटा कैसे हो राकेश कहने लगा पापा मैं ठीक हूं। वह भी मुझसे मेरी तबीयत के बारे में पूछने लगा और कहने लगा पापा आप ठीक तो है ना मैंने राकेश को जवाब दिया और कहा हां बेटा मैं ठीक हूं। मैंने राकेश को कहा तुमने काफी दिनों बाद मुझे फोन किया है राकेश कहने लगा बस ऐसे ही आज आपकी याद आ रही थी तो सोचा आपको फोन कर लूँ। वैसे भी अपने काम से बिल्कुल समय नहीं मिल पाता और हर रोज ही मैं सोचता हूं कि आप को फोन करूं परंतु फोन करना दिमाग से ही निकल जाता है।
मैंने राकेश से कहा कोई बात नहीं बेटा ऐसा होता है मैं समझ सकता हूं क्योंकि तुम्हारे ऊपर भी अब इतनी जिम्मेदारी आन पड़ी है तुम्हारी अब शादी हो चुकी है और तुम्हारे बच्चे और तुम्हारी पत्नी का तुम्हे ही ध्यान रखना है। राकेश कहने लगा हां पापा आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं मुझे अब एहसास हो रहा है कि आपने अपने जीवन में कितने ही कष्ट झेले हैं लेकिन आपने कभी भी किसी को यह महसूस नही होने दिया की आप कितने कष्ट में हैं। आज मैं भी आपकी जगह पर खड़ा हूं तो मुझे एहसास हो रहा है कि वाकई में आपने कितनी मेहनत की है और आपकी मेहनत की बदौलत ही आज हम लोग इस मुकाम पर पहुंच पाए हैं। मैंने राकेश को कहा बेटा यह तो मेरा फर्ज था और आखिरकार अपने फर्ज को तो मुझे निभाना ही था ना परंतु अब मेरी तबीयत भी ठीक नहीं रहती है और मैं घर से बहुत कम ही बाहर जाता हूं सोचता हूं कि डॉक्टर को दिखा लाऊं लेकिन मेरा मन ही नहीं करता और मैं घर पर ही रहता हूं। राकेश कहने लगा पापा आप हमारे पास क्यों नहीं आ जाते मैंने राकेश से कहा लेकिन बेटा मैं वहां आकर क्या करूंगा।
राकेश कहने लगा आप हमारे पास आ जाइए आपको भी अच्छा लगेगा आप वह पुराना घर बेच क्यों नहीं देते आप घर बेच दीजिए और हमारे पास आ जाइए कब तक आप उस पुराने घर में ही रहेंगे। मैंने राकेश से कहा बेटा यहां पर मेरी इतनी पुरानी यादें हैं और भला मैं यहां से छोड़ कर तुम्हारे पास कैसे आ सकता हूं मुझे राकेश कहने लगा पापा आपको आना तो पड़ेगा ही यदि अभी आप यह कदम नहीं उठाएंगे तो कब उठाएंगे आप मेरे पास आ जाइए ना मुझे भी तो आपकी बहुत याद आती है। राकेश को मैंने कहा ठीक है बेटा मैं सोचता हूं वह कहने लगा पापा आप को रिटायर हुए कितने वर्ष हो चुके हैं आप यदि हमारे पास बेंगलुरु आ जाएंगे तो आपको भी हम लोगों का साथ मिल जाएगा और आपको अच्छा लगेगा। मैंने राकेश से कहा ठीक है बेटा मैं तुम्हें सोच कर बताता हूं और फिर मैंने फोन रख दिया मैं इस बारे में सोचने लगा और मैंने जब मनन किया तो मुझे लगा कि राकेश बिल्कुल ठीक ही कह रहा है आखिरकार मैं भी तो राकेश से दूर ही हूं और भला मेरा इस दुनिया में है ही कौन मुझे भी राकेश के पास चला जाना चाहिए। मैंने अपने नौकर बंटी से कहा कल तुम अखबार में विज्ञापन डलवा देना बंटी मुझसे कहने लगा लेकिन मालिक क्या हुआ तो मैंने बंटी से कहा मैं सोच रहा हूं कि यह मकान बेचकर मैं भी राकेश के साथ बेंगलुरु चला जाऊं और वैसे भी मैं यहां पर क्या करूंगा। बंटी कहने लगा ठीक है मालिक आप देख लीजिए जैसा आपको उचित लगता है आखिरकार बंटी ने अखबार में इस्तेहार निकलवा दिया और मेरे पास अब मकान के कई खरीदार आने लगे थे लेकिन मुझे उतना पैसा नहीं मिल पा रहा था जितना कि मैंने सोचा था। उसके बाद मेरे पास एक व्यक्ति आया वह मोटी सी चैन और सोने की घड़ी पहने हुए थे वह मुझे कहने लगे आप मकान का सही सही दाम बोलिए मैं आज ही आपको चेक काट कर दे देता हूं।
मैंने उन्हें कहा देखिए जनाब मैंने यह मकान अपनी पूरी जिंदगी की जमा पूंजी से बनाया है वैसे तो इसका कोई मोल नहीं है लेकिन मुझे यह बेचना ही है क्योंकि मुझे अपने बेटे के पास जाना है। वह कहने लगे आप सोच समझ कर मुझे बता दीजिए मैंने कुछ देर सोचा और फिर आखिर में हम लोगों के बीच सौदा तय हो गया और मैंने अब अपने मकान को उन्हें बेच दिया। मैंने उनसे कुछ दिनों की मोहलत ली कि मैं यहां रहना चाहता हूं तो उन्होंने मुझे कहा हां आप यहां रह लीजिए मैं धीरे-धीरे अब अपने सामान को समेटने लगा था। कुछ पुराना सामान पड़ा था उसे भी मैंने बिकवा दिया था बंटी ने मेरी बहुत मदद की थी इसलिए मैंने बंटी को खुश हो कर कुछ पैसे दे दिए थे वह भी बहुत खुश था और कहने लगा मालिक आप हमेशा के लिए बेंगलुरु चले जायेंगे। मैंने बंटी से कहा हां बंटी मैं हमेशा के लिए बेंगलुरु चला जाऊंगा वह कहने लगा लेकिन मुझे आपकी बड़ी याद आएगी। मैंने उसे कहा बंटी आखिरकार मेरे पास भी तो कोई रास्ता नहीं है मैं भी अब बूढा होने लगा हूं बुढ़ापे में मैं इधर-उधर कहां भटकता रहूंगा इसलिए मुझे लगा कि मुझे अब राकेश के पास ही चला जाना चाहिए। मैंने अपना पुराना सामान तो बिका दिया था और मैं राकेश के पास जाने की तैयारी करने लगा राकेश मुझे लेने के लिए एयरपोर्ट आया तो मैं राकेश को देखकर खुश हो गया। राकेश ने मुझे अपनी कार में बैठाया और मेरे बैग को डिक्की में रख दिया राकेश मुझे कहने लगा पिताजी आपको कोई दिक्कत तो नहीं हुई ना मैं कहने लगा नहीं बेटा जब हम लोग घर पहुंचे तो वहां पर राकेश की पत्नी कल्पना ने हमारे लिए दोपहर का खाना बनाया हुआ था राकेश ने भी अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी और हम लोगों ने उस दिन काफी बात की।
राकेश इस बात से खुश था कि कम से कम मैं उसकी बात मान चुका हूं और अब मैं राकेश के पास ही रहने लगा था मुझे कुछ ही दिन हुए थे लेकिन मेरा मन बिल्कुल भी नहीं लगता था फिर भी मुझे राकेश के पास ही रहना था। राकेश की पत्नी कल्पना मेरा पूरा ध्यान रखती लेकिन उसके बावजूद भी अकेलापन महसूस होने लगा था इसलिए मैं सुबह पार्क में टहलने के लिए चले जाया करता था और शाम के वक्त भी मैं घूमने के लिए निकल जाता था। राकेश कहने लगा पिताजी आपको यहां अच्छा तो लग रहा है ना मैंने उदास मन से कहा हां बेटा लेकिन फिर मैंने उसे कहा देखो बेटा मेरा मन तो वैसे यहां लग नहीं रहा है लेकिन अब मुझे तुम लोगों के साथ ही रहना है और मुझे इस बात की खुशी है कि मैं तुम लोगों के साथ रह रहा हूं। राकेश कहने लगा ठीक है यदि आप इस बात से खुश हैं। मैं अब राकेश के साथ ही रहता था तो कई बार मुझे अपने घर की याद आती थी मुझे लगता कि मुझे वह घर बेजना नहीं चाहिए था लेकिन अब तो मैं घर बेच चुका था मेरे पास अब कोई भी संपत्ति नहीं बची थी हालांकि मेरे बैंक अकाउंट में पैसे जरूर है लेकिन मेरे पास कोई अपना घर नहीं था। कल्पना की तबीयत भी कुछ दिनों से खराब रहने लगी थी तो वह भी घर पर ही थी और इसीलिए कल्पना ने घर में एक नौकरानी रखवा दी उसकी उम्र यह कोई 40 वर्ष के आसपास रही होगी और उसका नाम मीना है। जब कल्पना ने मीना को रखा तो मीना कुछ ठीक नहीं थी वह सिर्फ पैसों की ही बात करती रहती थी।
जब वह आती तो मैं उसे देखकर अपना मुंह फेर लिया करता था लेकिन वह फिर भी मुझसे बात करने की कोशिश करती एक दिन वह मेरे पास आई और कहने लगी बाबूजी कुछ पैसे दे दो मुझे पैसों की जरूरत है। मैंने उसे कहा लेकिन तुम्हें पैसो की क्यों जरूरत है तो वह कहने लगी मेरे बच्चे की तबीयत खराब है और मुझे पैसे चाहिए थे। मैंने उसे कहा लेकिन मैं तुम्हें क्यों पैसे दूंगा वह अपनी साड़ी के पल्लू को नीचे करते हुए मुझे कहने लगी अब आप देख लीजिए यदि आपको देने है तो ठीक है नहीं तो रहने दीजिए। मैंने उसके स्तनों की तरफ नजर मारी तो मैंने उसे अपने पास बुलाया और उसे कहा मेरी गोद में बैठ जाओ वह मेरे गोद में आ गई और कहने लगी आपका तो लंड तो खड़ा होने लगा है। मैंने उसे कहा तुम मेरे बदन को मलिश करो उसके बदले मै पैसे ले लो वह कहने लगी यह तो बड़ी छोटी बात है मैं भी आप की मालिश कर देती हूं। उसने मेरे बदन की बडे अच्छे से मालिश की जब उसने मेरे लंड की मालिश कि तो मुझे और भी मजा आने लगा। मेरा मोटा लंड पूरी तरीके से खड़ा हो चुका था मैंने मीना से कहा तुम मेरे लंड को मुंह में ले लो मीना ने अपने मुंह के अंदर मेरे लंड को सामा लिया।
वह बड़े अच्छे से मेरे लंड को चूसने लगी उसे बड़ा मजा आ रहा था मुझे भी बड़ा मजा आता काफी देर तक मैं मीना से अपने लंड को चूसवाता रहा। मेरा लंड खड़ा हो चुका था मैंने मीना के बदन से कपडे उतारे तो उसके काले रंग की जालीदार ब्रा को मैंने उतारकर फेंक दिया वह कहने लगी बाबूजी आप मेरे स्तनों को अपने मुंह में ले लो। मैंने उसके स्तनों को अपने मुंह में लिया और मैंने बहुत देर तक उसके स्तनो को चूसा मेरी इच्छा पूरी हो चुकी थी मैंने अपने मोटे लंड को मीना की योनि पर लगा दिया और अंदर की तरफ धक्का देते हुए अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा। वह भी उत्तेजित हो गई थी और उसे मजा आने लगा था मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था काफी देर तक मैं उसकी चूत के मजे लेता रहा जैसे ही मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो वह कहने लगी बाबूजी आप वीर्य को मेरी योनि में गिरा देते। मैंने उसे कहा कोई बात नहीं अभी फिर गिरा देता हूं और दोबारा से मैंने उसकी योनि के अंदर लंड को डाला और करीब 10 मिनट तक उसके साथ मैंने संभोग का मजा लिया जैसे ही मैंने अपने वीर्य को गिराया तो वह खुश हो गई।