बाहों में समा जाओ मेरी

शादी के बाद मैं अपने घर पर ही आ गई थी क्योंकि मेरे पति के साथ मेरी अनबन रहती थी इसलिए मैं अपने पति का घर छोड़ अपने घर वापस आ गई। उस बात से मुझे कई बार लोगों के प्रश्नों का उत्तर देना पड़ता था लेकिन सच बड़ा कड़वा होता है जिसे कि मैंने पी लिया था और मुझे किसी के भी प्रश्नों का उत्तर देने में कोई भी परेशानी नहीं होती थी। मैं अपने घर पर ही रहकर उन प्रश्नों के उत्तर कई बार ढूंढती लेकिन मुझे आज तक उसका जवाब नहीं मिल पाया। मुझे कई बार लगता कि इसमें मेरी कोई गलती नहीं थी और गलती उस रूढ़ीवादी समाज की है जिसने पुरुष के मन में ऐसी मानसिकता भरी है कि वह महिलाओं को सिर्फ अपने पैर की जूती समझता है इससे ज्यादा वह महिला को कुछ नहीं समझता और आखिरकार मैं भी कब तक यह सब सहती इसलिए मैंने भी इससे लड़ने के बारे में सोचा और अपने पति का घर छोड़ मैं अपने मायके वापस आ गई।

मायके आने के बाद मेरे परिवार वालों ने मुझे कभी भी इस चीज के लिए कुछ नहीं कहा उन्होंने मुझे हमेशा ही अपना साथ दिया है लेकिन भैया के सरल स्वभाव की वजह से मुझे कई बार डर लगता था। भैया बहुत ही गुस्से वाले हैं और उन्हें कई बार पिताजी समझा चुके हैं कि बेटा गुस्सा बिल्कुल भी ठीक नहीं है लेकिन राजीव भैया कभी भी नहीं समझते और वह हमेशा ही गुस्से में रहते हैं। राजीव भैया घर पर आए और बड़े तेज आवाज में मां चिल्ला रहे थे वह कह रहे थे नीलम कहां है लेकिन मैंने उनकी बात सुनी नहीं थी वह लगातार चिल्लाये जा रहे थे। वह मेरा नाम लेकर पुकार रहे थे उन्हें शायद कुछ चाहिए था परन्तु मैंने उनकी आवाज नहीं सुनी जब मैंने उनकी आवाज सुनी तो मैं दौड़ती हुई बाहर गई भैया ने मुझे देखा और कहने लगे नीलम तुम कहां थी मैं कब से तुम्हें आवाज लग रहा हूं। मैंने भैया से कहा भैया आप इतने गुस्से में कहां से आ रहे हैं वह कहने लगे मैं अभी अपने काम से आ रहा हूं और मुझे अभी एक जरूरी मीटिंग के लिए निकलना है तुमने क्या मेरी सफेद कमीज देखी पता नहीं वह मुझे मिल ही नहीं रही है। मैं भैया से कहने लगी भैया अब आप शादी कर लीजिए मैं कब तक आपके कपड़े ढूंढती रहूंगी और फिर मैंने भैया को उनकी कमीज ढूंढ कर दे दी।

भैया ने मुझे कहा नीलम तुम क्या इस कमीज में प्रेस कर दोगी मैंने भैया से कहा हां मैं प्रेस कर देती हूं लेकिन अब तो आपका गुस्सा शांत हो चुका है ना वह कहने लगे हां मेरा गुस्सा शांत हो चुका है। मैं अपने कमरे में आ गई और थोड़ी देर बाद ही भैया ने मुझे दोबारा आवाज लगाई और कहने लगे नीलम जरा बाहर आना मैंने राजीव भैया से कहा भैया बस अभी आई। मैं जब बाहर गई तो भैया मुझे कहने लगे मैं जा रहा हूं तुम पापा से कह देना मुझे आने में देर हो जाएगी पापा भी भैया से बहुत ही सवाल किया करते थे इसलिए राजीव भैया पापा से बचते है वह हमेशा उन्हें बता कर जाया करते हैं। राजीव भैया मुझे कहने लगे तुम याद से पापा को बता देना मैं अभी निकल रहा हूं और यह कहते हुए राजीव भैया चले गए मां भी पता नहीं कहां सब्जी लेने गई हुई थी अभी तक घर नहीं लौटी थी। मैंने सोचा मां थोड़ी देर बाद आती होगी लेकिन अभी तक मां सब्जी लेकर नहीं लौटी थी मैंने घड़ी में समय देखा तो 6:30 बजने वाले थे मैं बैठक में ही बैठी हुई थी तभी मां आ गई और कहने लगी नीलम तुम क्या कर रही थी। मैंने मां से कहा कुछ नहीं बस तुम्हारा इंतजार कर रही थी मैं सोच रही थी पता नहीं तुम कहां रह गई होंगी मैं काफी देर से तुम्हारा इंतजार कर रही थी। मां कहने लगी अरे वह सामान लेने में समय लग गया था ना इसलिए मुझे आने में देर हो गई मैंने मां से कहा चलो कोई बात नहीं। हम लोग मटर छिल रहे थे और आपस में बात कर रहे थे तभी मां कह उठी क्या राजीव अभी तक आया नहीं है मैंने मां से कहा भैया आए थे लेकिन उन्हें कोई जरूरी काम था इसलिए वह दोबारा चले गए। मां कहने लगी यह राजीव भी ना, मैंने मां से कहा भैया ने मुझे बता दिया था। पापा भी अपने ऑफिस से आ चुके थे जब पापा ऑफिस से आए तो मैंने उन्हें राजीव भैया के बारे में बता दिया था वह कहने लगे चलो कम से कम राजीव को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होने लगा है।

मैंने पापा से कहा हां पापा भैया को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होने लगा है वह कहने लगे लगता है राजीव के लिए लड़की देखनी शुरू करनी पड़ेगी। पापा ने मजाकिया अंदाज में यह बात कही तो मां ने भी उनकी बातों में बातें मिलाकर कहा आप बिल्कुल सही कह रहे हैं राजीव को शादी करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए। वह दोनों आपस में ही बात करके हंसने लगे मैंने पिता जी से कहा आप बेवजह ही मजाक करते रहते हैं। पापा कहने लगे मैं अपने दफ्तर का कुछ काम कर रहा हूं तो मुझे तुम लोग डिस्टर्ब मत करना मैंने उन्हें कहा ठीक है पिताजी। वह अपने दफ्तर का काम कर रहे थे और हम लोग रसोई में खाना बनाने लगे रात के करीब 9:30 बजे हम सब लोग खाने की टेबल पर बैठे ही थे कि तभी दरवाजे की घंटी बज उठी। मैं दौड़ दरवाजे के दरवाजे पर गयी तो देखा भैया बाहर खड़े हैं उनका चेहरा पूरी तरीके से उतरा हुआ था और ना जाने वह किस बात पर इतने ज्यादा क्रोधित हो रहे थे। वह मुंह के अंदर ही कुछ गुनगुना रहे थे वह अंदर आ गए और सीधा ही अपने कमरे में चले गए मां ने राजीव भैया को आवाज लगाते हुए कहा राजीव तुम खाना खाने के लिए आ जाओ, राजीव भैया ने कोई जवाब नहीं दिया। जब मैं राजीव भैया के कमरे में गई तो मैंने देखा भैया बहुत ही क्रोधित हैं और उनका क्रोध इतना ज्यादा था कि ऐसा लग रहा था उनकी लाल आंखों से सारा गुस्सा बाहर आकर टपक पड़ेगा लेकिन मैंने उन्हें शांत करवाते हुए पूछा भैया क्या हुआ। वह कहने लगे मेरा जो दोस्त था उसी ने मेरे साथ बहुत बड़ा धोखा किया और मुझे जो टेंडर मिलने वाला था वह उसे मिल गया मैं उसे छोडूंगा नहीं।

मैंने भैया से कहा भैया आप यह बात अपने दिमाग से निकाल दीजिए आपस में झगड़ने का कोई मतलब ही नहीं बनता लेकिन भैया की आंखों में तो गुस्सा था और बड़ी मुश्किल से भैया को शांत करवाकर मैं खाने की टेबल तक लाई और हम लोगों ने उस दिन साथ में रात का भोजन किया। पिताजी भैया से कुछ भी पूछते तो वह सिर्फ हां का ही जवाब दिया करते हैं इससे ज्यादा उन्होंने पिताजी की बातों का जवाब नहीं दिया। पापा और मम्मी दोनों ही भैया के लिए लड़की तलाश में लगे थे लेकिन अब तक ऐसी कोई लड़की मिली ही नहीं थी जो कि भैया को पसंद आए। पिताजी ने ना जाने कितने रिश्ते कि बात की लेकिन अभी तक भैया को कोई भी लड़की पसंद नहीं आई थी वह अभी तक शादी के लिए तैयार नहीं हो पाए थे। राजीव भैया के लिए कोई अच्छी लड़की मिल नहीं पाई थी जैसा कि राजीव भैया चाहते थे। वैसे उन्हें अभी तक लड़की मिल नहीं पाई थी लेकिन उनकी तलाश खत्म हो चुकी थी उनको लड़की पसंद आ गई उसका नाम सुनैना है। सुनैना हमारे घर की बहु बनने वाली थी और पापा मम्मी भी खुश थे क्योंकि इतने समय बाद ही सही लेकिन भैया को कोई लड़की पसंद तो आई थी और पापा मम्मी की तलाश में भी विराम लग चुका था। उन लोगों ने लड़की देखना बंद कर दिया था क्योंकि सुनैना सब को पसंद थी मेरे अंदर कहीं ना कहीं इस बात को लेकर खुशी थी अब हमारे घर में सुनैना आने वाली है।

सुनैना के रिश्ते में कोई भैया है उन्हें मैं बहुत भा गई थी वह चाहते थे कि वह मुझसे शादी कर ले लेकिन मैंने उससे दूरी बनानी शुरू कर दी थी पर जब यह बात मेरे माता-पिता को पता चली तो वह लोग चाहते थे कि अमित की शादी मेरे साथ हो जाए। सब लोगों की इसमें रजामंदी हो चुकी थी अमित को मैं बहुत पसंद थी मना करने का सवाल ही नहीं था अमित और मेरी शादी हो ही गई। जब हम दोनों की शादी हुई तो मैंने कभी सोचा ना था कि मेरे जीवन में इतनी जल्दी बदलाव आ जाएगा अमित ने मुझे स्वीकार कर लिया था और उन्हें मेरे पिछले रिलेशन से कोई भी आपत्ति नही थी। सुनैना और भैया की सगाई हो चुकी थी उनकी शादी अभी दूर थी उन दोनों को ही थोड़ा समय चाहिए था। मेरी और अमित की शादी की सुहागरात होने वाली थी हालांकि मेरे जीवन में तो यह मेरी दूसरी सुहागरात होने वाली थी लेकिन अमित के लिए नई थी और अमित बड़े खुश नजर आ रहे थे। अमित मेरे पास आकर बैठे उन्होने मुझे कहा नीलम मैं बहुत खुश हूं तुम से मेरी शादी हो गई। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि तुमसे मुझसे शादी कर पाऊंगा मैंने अमित से कहा अब आप ऐसी बात ना कीजिए।

यह कहते ही उन्होंने मुझे अपनी बाहों में समा लिया और मैं उनकी बाहों के आगोश में थी। अब हम दोनों के होंठ एक दूसरे से टकराने लगे थे उनसे जो गर्मी पैदा होती उसे हम दोनों ही बर्दाश्त नहीं कर पाए। अमित ने भी अपने मोटे लंड को मेरी योनि के अंदर डाल दिया और इतने लंबे अरसे बाद किसी का लंड मेरी योनि में गया था तो मुझे भी बड़ा अच्छा लग रहा था और वह बड़ी तेज गति से मुझे धक्के मार रहे थे। जिस प्रकार से वह अपने लंड को मेरी योनि के अंदर बाहर करते उससे मेरे अंदर की गर्मी और भी ज्यादा बढ़ जाती। उन्होंने मेरे दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया और अपनी पूरी ताकत के साथ मुझे धक्के देने शुरू कर दिए। जब वह मुझे धक्के दे रहे थे उससे तो मैं ज्यादा समय तक बर्दाश्त ना कर सकी और वह मरी गर्मी को बर्दाश्त ना कर सके अमित ने अपने वीर्य को बाहर गिरा दिया।

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