दिवाली के दिन थे और गाँव में मेला लगा हुआ था Hindi Sex Stories Antarvasna Kamukta Sex Kahani Indian Sex Chudai मेरे लिए यह बड़ा सही मौका था मेरी शादीसुदा गर्लफ्रेंड मीना भाभी को चोदने का. मीना को चोदना मुझे बहुत अच्छा लगता था और मीना थी ही ऐसी की उसे देख कर चोदन का मन हो जाता था. मीना हमारे पडोसी रामलाल की बहु थी और उसका पति सोनू एक नंबर का चरसी और जुआरी था. मीना जब से यहाँ शादी कर के आई थी उसने शायद दुःख ही देखा था, लेकिन उसका टाका मेरे से भीड़ गया था और हम दोनों के नसीब की चुदाई हम लोगो को मिल रही थी. मैंने सुबह ही जब मीना भाभी हगने के लिए खेत में गई थी तो उसे मंजू के हाथ लेटर भेज के शाम को खेतों पार आये मेले में मिलने के लिए राजी कर लिया था. मंजू जवाब ले के आई थी की मीना भाभी आएंगी लेकिन मुझे उसने वही पिली शर्ट डाल के आने को बोला था जिसे पहन के मैं पहली बार उसके सामने आया था.
वैसे मुझे चुदाई का सुख मीना भाभी दे देती थी लेकिन आज का मौका कुछ अलग ही था क्यूंकि सोनू को शक हो जाने के वजह से पिछले एक महीने से चुदाई का प्रबंध नहीं हो पा रहा था और मुझे लंड हिलाते हिलाते अब गुस्सा आने लगा था. मैंने अपने दोस्त हरेश को पहले ही बोल दिया था की मैं मीना को लेके उसके गेहूं के खेत में आउँगा. हरीशने मुझे हा कह दी थी. आज शाम भी साली शाम तक आई ही नहीं, मेरा लंड अभी से मीना की चूत की तलब लगाये बैठा था, अरे क्या रसीली चूत रखती थी…..! और सब से अच्छे तो उसके स्तन थे…यह बड़े बड़े और गोल गोल…मैंने कई बार इन स्तन के निपल के साथ लंड को रगड़ रगड़ के अपना वीर्य इन स्तन के उपर छिड़का था. शाम होते ही मैं अपनी पिली शर्ट और जेब में एक सरकारी दवाखाने से मिली कंडोम डाल के निकल पड़ा. मीना भाभी और सोनू के शारीरिक सबंध नहीं थे इसलिए वो माँ बन गई तो बाप की खोज होने का पुरेपुरा डर था, इसी कारण मेरे बच्चो को मैं हमेशा कंडोम में छुपा लेता था.
करीब 6 बजे होंगे और मैं मीना भाभी की आस देखता हुआ मेले के स्थल के प्रवेश के करीब ही खड़ा हुआ था. तभी मुझे दूर से मीना भाभी और उनकी सहेली संगीता आते हुए दिखे. शायद अकेला आना मुश्किल था इसलिए मीना संगीता को ले आई थी. संगीता भी गाँव की गिनीचुनी रंडियों में से एक थी, वह कितनी बार दोपहर को हगने के बहाने खेतों की गलियों में जाती थी और लंड ले कर तृप्त होती थी. संगीता और मीना भाभी को मैंने दूर से ही इशारा किया और मैं मेले से निकल के दाहिनी तरफ आये हरेश के खेत की तरफ चल दिया. हरेश का खेत वही पास में था और एक मिनिट में तो मैं वहाँ पहुँच गया. मैंने देखा की हरेश ने अपने नौकर भोलू को भी भगा दिया है, ताकि मैं आराम से मीना भाभी को चोद सकूँ. मैंने मुड के देखा और यह दोनो उधर ही आ रही थी. मीना की चूत को मारने के ख्याल से ही मेरा लंड तना हुआ था, मैंने घर से निकलते वक्त ही वायेग्रा की गोली ले ली थी उसका असर अब दिखने लगा था क्यूंकि धोती के किनारे से मेरा 8 इंच का लंड फडफड करता खड़ा हो चूका था.
दोनों जैसे ही आई मैंने मीना को इशारा किया और हम दोनों पशुओ के खाने के लिए रखे घास के ढेर की तरफ चल दिए. वहाँ जाते ही मैंने अपनी धोती और पिली कमीज उतार दी. मीना के ब्लाउज और उसकी साडी भी खुल चुकी थी, बेचारी गरीब थी इसलिए ब्रा-पेंटी तो इसके किस्मत में थी ही नहीं. मेरा खड़ा लंड देख के मीना भी उतावली हो चुकी थी और उसने मुझे वही घास के पुलों के ढेर पर फेंका. मेरा लंड मीना के हाथ में इधर उधर होने लगा और फिर लंड को मस्त सांत्वना मिली जब मीना ने उसे मुहं में भर लिया, मैंने मीना से कहा…”भाभी बहुत दिन के बाद आई हो आज हाथ में, जरा देर तक करेंगे….!”
तभी ढेर के दुसरे तरफ ससे हसने की आवाज आई, हम दोनों ने देखा की संगीता वहाँ छुप कर हमें देख रही थी…वह खड़ी हुई और जाने लगी, मैंने आवाज दी….”आ जाओ अब देख लो…कलाकार तो तुमने देख ही लिए है, ड्रामा भी देख के ही जाओ!”
मीना हंस पड़ी और उसने भी संगीता को इशारा किया आने के लिए, मीना अपने होंठ मेरे कान के पास लाइ और बोली, “केशव..तूम इसे भी साथ में क्यों चोद नहीं देते…वैसे भी तुम्हारा लंड मुझे बहुत पेलता है…चलो आज तीनो मिल के चुदाई कर लेते है.”
मैंने संगीता की तरफ एक नजर उठा के देखा, उसकी गांड और स्तन किसी भेंस के बावले जितने बड़े थे और उसने शायद अभी तक इतने लंड ले लिए थे की उसकी चूत अब भोसड़ी बन चुकी थी. मैंने सोचा चलो ऐसे भी वायेग्रा खाई हुई है…इसकी चूत को भी सुख दे देता हूँ. संगीता जैसे आई मीना भाभी ने उसे कुछ इशारा किया और वह सीध्र ही अपने कपडे उतारने लगी, शायद यह दोनों रंडियां मेरे लंड को भोगने का प्लानिंग कर के आई थी. मैंने भी इन दोनों चुतो को लंड से फाड़ देने का इरादा बना लिया. एक बार फिर से मेरा लंड मीना के मुहं में चला गय