Desi chudai ki antarvasna kahani
मेरा नाम आकाश है मेरी उम्र 26 वर्ष है और मैं झारखंड का रहने वाला हूं। मैं छोटा मोटा काम कर के अपना जीवन यापन कर रहा हूं लेकिन इससे मेरे घर की स्थिति कुछ ठीक नहीं हो पा रही थी। मेरे पिताजी की मृत्यु के बाद हम लोग बहुत ही परेशान हैं। मेरे पिताजी बहुत ज्यादा शराब पीते थे और इसी वजह से उनकी मृत्यु हो गई। उन्होंने लोगों से बहुत पैसे लिये हुए थे जो कि मुझे चुकाने पड़ रहे हैं। मैं जितने भी पैसे कमाता हूं वह मैं लोगों के कर्ज चुकाने में ही दे देता हूं इसीलिए मैं बहुत परेशान हो गया। फिर मुझे लगा कि मुझे कुछ और करना चाहिए क्योंकि इतने पैसों से मैं अपना घर ज्यादा दिनों तक नहीं चला सकता इसीलिए मैंने अपने चाचा से बात की तो वह कहने लगे कि तुम एक काम करो, गाड़ी चलाना सीखना और उसके बाद मेरे साथ दिल्ली आ जाओ। मैंने उन्हें कहा ठीक है मैं गाड़ी चलाना सीख लेता हूं और यदि आप मेरी बात किसी अच्छी जगह कर दें तो मैं अच्छे से अपना घर चला पाऊंगा। इसलिए मैंने अपने चाचा को कहा कि मैं गाड़ी चलाना सीख लेता हूं और मैं गाड़ी चलाना सीखने लगा।
मुझे काफी दिन लग गए थे गाड़ी सीखने में और अब मैं अच्छे से गाड़ी चला पा रहा था। मैंने अपने चाचा को फोन किया और कहा कि मैंने गाड़ी चलाना सीख लिया है, अब मैं आपके पास कुछ दिनों में आ जाऊंगा। उन्होंने मुझे कहा ठीक है मैं तुम्हारे लिए किसी अच्छी जगह पर बात कर लेता हूं, उसके बाद तुम मेरे पास ही आ जाना। कुछ दिनों में मेरे चाचा का फोन आ गया, वह कहने लगे कि तुम दिल्ली आ जाओ, मैंने तुम्हारे लिए एक कंपनी में बात कर ली है। मैंने उनसे कहा ठीक है मैं कुछ दिनों में दिल्ली आ जाऊंगा। मैं जिस जगह काम करता था वहां से मैंने अपनी सैलरी ले ली उसके बाद मैंने अपने घर पर कुछ पैसे दे दिए फिर मैं दिल्ली चला गया। जब मैं दिल्ली गया तो मैं अपने चाचा के साथ ही रहने लगा। मेरे चाचा एक छोटे से कमरे में रहते थे, मेरी चाची और उनके बच्चे भी उसी कमरे में रहते थे। मेरे चाचा भी ड्राइवर हैं और उन्होंने मेरे लिए कंपनी में बात कर ली। वह मुझे अगले दिन उस कंपनी में ले गये और कहा कि तुम अब यहीं पर काम करोगे।
उन्होंने मुझे वहां के मैनेजर से मिलवाया और मैनेजर मुझसे पूछने लगे की इससे पहले तुम कहीं काम करते थे, मैंने उन्हें कहा कि नहीं इससे पहले मैं कहीं भी काम नहीं करता था तो वह मुझे कहने लगे ठीक है तुम कल से काम पर आ जाना। मैं अगले दिन से काम पर जाने लगा, जब मैं अगले दिन काम पर गया तो मुझे कंपनी की तरफ से ड्रेस मिल गई और मैंने वह ड्रेस पहन ली। कंपनी के जितने भी सीनियर होते थे मैं उन्हें उनके घर पर छोड़ने जाता था और उन्हें छोड़कर मैं दोबारा से अपने ऑफिस में आ जाता या फिर कभी कोई कंपनी का बहुत बड़ा गेस्ट आता था तो मैं उसे लेने के लिए एयरपोर्ट चला जाता था। अब मेरा काम ऐसे ही चल रहा था, मुझे तनख्वाह भी अच्छी मिलने लगी थी, मैं अपने चाचा के साथ ही रहता था। मैंने अपने चाचा से कहा कि यहां पर मुझे रहने में दिक्कत हो रही है इसलिए मैं कहीं और कमरा ले लेता हूं। चाचा कहने लगे इसमें दिक्कत वाली कोई बात नहीं है, तुम हमारे साथ ही रहो लेकिन मैंने उन्हें कहा नहीं मैं कहीं और अपने लिए घर देख लेता हूं। मैंने उनके पास ही एक छोटा सा कमरा ले लिया और उसमें ही मैं रहने लगा। मैंने अपनी चाची को कुछ पैसे दे दिये और उन्हें कहा कि आप घर का राशन का सामान भरवा दीजिए। मैंने उन्हें पैसे दिए और उसके बाद मैं अपने काम पर चला गया। मेरी चाची ने हीं मेरे घर का सारा सामान अच्छे से रखा। खाना खाने के लिए मैं अपने चाचा के घर ही जाता था, कभी कबार मैं अपने घर पर भी खाना बना लेता था। मैंने अपनी चाची से कई बार कहा कि आपको मेरी वजह से तकलीफ होती है लेकिन वह कहने लगी कि मुझे कोई भी तकलीफ नहीं है क्योंकि हम लोग अपने लिए भी खाना बनाते हैं और एक व्यक्ति के लिए खाना बनाने में किसी प्रकार की भी कोई दिक्कत नहीं है। मेरे चाचा मुझसे पूछने लगे क्या तुम घर पर भी बात करते हो, मैंने उन्हें कहा कि हां मेरी हमेशा ही मेरी मां से बात होती है। मैंने उन्हें भी पैसे भिजवा दिये थे। मेरे चाचा कहने लगे यह तो बहुत अच्छी बात है कि तुम घर पर समय पर पैसे दे देते हो। मेरी तनख्वा टाइम पर आती थी तो मैं उनमें से कुछ पैसे घर भी भिजवा देता था। अब मैं अच्छे से भी काम कर रहा था और कंपनी में भी मेरी अच्छी जान पहचान होने लगी थी।
मेरा व्यवहार सब के साथ ही बहुत अच्छा था इसी वजह से कंपनी के सारे सीनियर पोस्ट पर जितने भी लोग थे वह सब मुझे पहचानने लगे। हमारी कंपनी में जब भी कोई बड़ा व्यक्ति आता था तो उसे रिसीव करने के लिए मैं ही जाता था। मैं अपने काम से भी खुश था क्योंकि मुझे तनख्वाह भी अच्छी मिल रही थी और मैं अब पैसे घर भी भेज दिया करता था लेकिन मैं अपने लिए बिल्कुल भी वक्त नहीं निकालता था। जिस दिन मेरी छुट्टी होती थी उस दिन मैं अपने चाचा के घर चला जाता था। मेरे साथ कंपनी में और भी ड्राइवर थे। वह सब बहुत अच्छे थे उनके साथ भी मेरा रिलेशन बहुत अच्छा था और सब लोग अलग अलग राज्य के थे। हमारी कंपनी बहुत ही बड़ी है और जो हमारे सीनियर बॉस हैं वह बहुत ही कम बात करते हैं। जब भी वह ऑफिस में आते हैं तो कई बार मैं ही उन्हें घर छोड़ने जाता हूं। जब मैं उन्हें घर छोड़ने जाता हूं तो वह मुझसे कभी रास्ते में बात कर लेते हैं क्योंकि मुझे अब कंपनी में काफी समय हो चुका है इसलिए हमारे बॉस भी अब मुझे पहचानने लगे थे। एक दिन मैं उन्हें उनके घर छोड़ रहा था और वह मुझे कहने लगे कि कल से तुम मेरे साथ ही रहोगे। मैंने उन्हें कहा ठीक है सर। अगले दिन से मैं उनके घर पर ही चला गया और वहां से उन्हें रिसीव करके सीधा ऑफिस आ जा था।
उसके बाद उन्हें जब भी कहीं बाहर जाना होता तो मैं ही उनके साथ जाता था इसीलिए मेरी सर से काफी बात हो जाती थी और वह बहुत ही अच्छे व्यक्ति हैं। मैं जब भी वह मुझसे बात करते तो मैं भी उनसे बड़े अच्छे तरीके से बात करता था। वह कई बार मुझे टिप्स भी दे दिया करते थे। मेरा काम ऐसे ही चल रहा था और मैं अपने काम से जल्दी घर लौट जाता हूं। जब कभी मुझे समय मिलता तो मैं अपने चाचा के घर चला जाता था और यही मेरी दिनचर्या थी। एक दिन मैं अपने चाचा के घर गया तो उस दिन चाचा घर पर नहीं थे। मेरी चाची कहने लगी कि वह कहीं काम से बाहर गए हुए हैं। मैन चाची से पूछा कि वह कब तक लौटेंगे, चाची कहने लगी कि वह थोड़ी देर बाद लौट आएंगे। मैंने अपने चाचा को फोन किया था, चाचा कहने लगे कि तीन 4 घंटे बाद ही लौट पाऊंगा। मैंने उन्हें कहा कि ठीक है मैं घर में ही आपका इंतजार करता हूं। मैं अपनी चाची के साथ बैठा हुआ था, उनसे बात कर रहा था। मैं चाची से पूछ रहा था आप लोग अच्छे से तो है ना, वह कहने लगी हां हम लोग बहुत ही अच्छे से हैं। चाची और मैं साथ में ही बैठे हुए थे। जब मैंने चाची की बड़ी बड़ी गांड को देखा तो मेरा उस दिन पूरा मन खराब हो गया। मैंने आज से पहले कभी भी अपनी चाची के बारे में ऐसे ख्याल अपने मन में नहीं पैदा किए परंतु उसे मेरी चाची ने एक बहुत ही पतला सा गाउन पहना हुआ था उनकी पैंटी उसके अंदर साफ दिखाई दे रही थी और उनकी गांड का ऊभार मुझे साफ साफ दिखाई दे रहा था उनकी पैंटी उनकी गांड के अंदर घुसी हुई थी। मैंने जैसे ही उनकी गांड को दबाया तो मुझे बड़ा अच्छा मैं लगने लगा। वह मेरे इशारे समझ चुकी थी और वह मुझे से चुदने के लिए तैयार हो गई थी। मैंने जब अपने लंड को बाहर निकाला तो उन्होंने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग करना शुरू कर दिया और काफी देर तक वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी। मुझे काफी मजा आ रहा था जब वह मेरे लंड को अपने मुंह में ले रही थी। वह कह रही थी तुम्हारा लंड अपने मुंह में लेकर मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है।
मैंने भी अपने लंड को उनके गले तक डाल दिया। उसके बाद मैंने उन्हें पूरा नंगा कर दिया। उन्होंने मुझसे कहा कि तुम अपने लंड को मेरी योनि के अंदर डाल दो और मैंने जैसे ही उनकी चूत के अंदर अपने लंड को डाला तो वह मचलने लगे। मैंने उनके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया और बड़ी तेजी से मैं धक्के देने लगा। मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था जब मैं उन्हें धक्के मार रहा था और वह भी बहुत खुश हो रही थी। काफी देर तक मैंने उन्हें ऐसे ही चोदा उसके बाद मैंने उन्हें घोड़ी बना दिया। जैसे ही उनकी योनि के अंदर मैंने अपने लंड को डाला तो मुझे बहुत अच्छा लगा। मैं उन्हें बड़ी तीव्र गति से झटके दे रहा था वह भी मुझसे अपनी बडी बडी चूतडो को मिला रही थी। वह बहुत खुश हो रही थी कह रही थी जिस प्रकार से तुम मुझे चोद रहे हो मुझे बहुत मजा आ रहा है। मैंने अपनी चाची से कहा कि आप की गांड बड़ी मस्त है मुझे आपकी गांड मारनी है। वह कहने लगी ठीक है तुम मेरी गांड में अपने लंड को डाल दो मैंने अपने लंड पर सरसों का तेल लगा लिया और अपनी चाची की बड़ी बड़ी गांड में डाल दिया। जैसे ही मेरा लंड उनकी गांड मे गया तो वह चिल्लाने लगी और उन्हें बड़ा मजा आने लगा। मैंने भी उन्हें कसकर पकड़ लिया और बड़ी तेज गति से उन्हें चोदने लगा। वह अपनी गांड को मुझसे मिला रही थी और मैं भी मैंने बड़ी तेजी से झटके दे रहा था लेकिन ज्यादा समय तक मैं उनकी गांड की गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पाया और जैसे ही मेरा वीर्य उनकी गांड के अंदर गिरा तो मुझे बड़ा अच्छा महसूस हुआ।इस अन्तर्वासना कहानी को शेयर करें :