हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम अर्शिता और में एक शादीशुदा औरत हूँ. मेरे पति उम्र में करीब 29 साल के है हमारी शादी को अभी करीब तीन साल पूरे हो चुके है और में अब तक अपने पति के साथ एक अच्छी ख़ासी जिंदगी बहुत हंसी ख़ुशी बसर कर रही थी, लेकिन फिर भी मुझे एक दु:ख था, जिसको में कभी किसी को अपने मुहं से बोलकर नहीं बता सकती थी कि मेरे पति मुझे कभी भी चोदकर ठीक तरह से खुश नहीं कर पाते थे और उन दिनों मुझे भी इस काम की इतनी कुछ खास समझ नहीं थी, शायद इसलिए में अब तक उनकी अधूरी चुदाई की वजह से गर्भवती नहीं हो सकी हूँ.
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दोस्तों अब में आप सभी पढ़ने वालों के सामने अपनी उस सच्ची घटना को सुनाने से पहले अपने बारे में बता दूँ कि मेरे गोरे सेक्सी बदन का आकार बिल्कुल ठीक-ठाक है. में एकदम जवान दिखने में बहुत सुंदर लगती हूँ और मेरे घर में मेरी माँ पापा और मेरा एक छोटा भाई भी है.
दोस्तों में बहुत मस्त सादा विचारो वाली लड़की हूँ. वैसे तो मेरे स्कूल कॉलेज में बहुत सारे दोस्त रह चुके है, लेकिन फिर भी मुझे ज्यादा बाहर रहना या किसी से बिना मतलब बातें करना पसंद नहीं था, इसलिए जो भी लोग मुझे जानते थे वो सभी मुझे बहुत सीधीसाधी लड़की मानते है और कुछ समय मेरी कॉलेज की पढ़ाई पूरी हो जाने के बाद मेरे घरवालों ने मेरे लिए किसी अच्छे लड़को को देखना शुरू कर दिया था.
उनको मेरे लिए ऐसा लड़का चाहिए था जो मुझे हमेशा खुश रखे, क्योंकि अपने घर में भी मुझे कभी किसी बात की कमी नहीं थी और मेरे घरवालों की मेहनत तब रंग लाई जब उनको मेरे लिए बहुत अच्छा लड़का मेरी जोड़ी के हिसाब से मिल गया और वो उसको पाकर बहुत खुश थे. उन्होंने मेरी एक इंजिनियर लड़के से शादी करवाई जिससे में भी उसके साथ खुश थी और अब में एक बड़े शहर में उसके साथ रहने लगी थी.
फिर करीब एक साल के बाद मुझे समझ में आ गया कि मुझे अपने पति के साथ कैसे अपना जीवन बिताना है और कुछ दिनों में ही मुझे पता लगा कि मेरे पति की मेहनत के पैसो से ज़्यादा ऊपर की कमाई थी, लेकिन मैंने उस बात को बिल्कुल अनदेखा कर दिया. में भी उनके साथ अपने घर में खुश थी, क्योंकि मेरे इस नये बड़े घर में फ्रिज, वॉशिंग मशीन, टीवी, डीवीडी प्लेयर, अच्छा सा फर्निचर सब कुछ था. मेरे पति को पैसा भी बहुत मिलता था और मेरे पति की एक सरकारी विभाग में नौकरी होने की वजह से उन्हे काम का इतना टेंशन भी नहीं था.
धीरे धीरे मेरी पड़ोस में रहने वाली औरतें मेरी अब सहेलियाँ बन गयी और उनसे कभी बातों ही बातों में वो मुझे अपने सेक्स अनुभव या अपने पति के साथ हुई उनकी मस्त मजेदार चुदाई की घटना बताने लगती.
उनकी बातें सुनकर मेरे मन में कुछ होने लगता और एक बार ऐसे ही अपनी सहेलियों की बातें सुनकर मुझे मन ही मन महसूस हुआ कि मेरे पति ला लंड आकार में कुछ छोटा था और उनको ठीक तरह से सेक्स के मुझे पूरे मज़े देने भी नहीं आते थे.
जब भी में अपनी उन सहेलियों की बातें सुनती तो मुझे वो बातें सुनकर मन ही मन लगता कि काश मेरे पति का भी लंड थोड़ा बड़ा होता और उनको चुदाई करने की वो कला होती, जिससे वो हमेशा मुझे चोदकर हर बार खुश करते, लेकिन दोस्तों मेरे खराब नसीब में यह सब शायद अपने पति से पाना नहीं था.
फिर धीरे धीरे में भी अपनी इच्छा को पूरी करने के लिए घर से बाहर किसी के साथ गलत सम्बंध रखने के बारे में सोचने लगी थी, में अब अपनी सहेलियों की बातें सुनकर इतना पागल हो चुकी थी कि में अब चाहती थी कि कैसे भी करके मुझे किसी के लंबे मोटे लंड से अपनी चूत की प्यास को बुझाकर अपनी इस आग को हमेशा के लिए शांत करना होगा, लेकिन इतना सोचने के बाद भी कभी कभी में डरकर अपने आपको रोक देती, मेरी ज्यादा आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं हो रही थी.
में अपनी चुदाई को लेकर इतना उत्साहित हो चुकी थी कि अब मुझे हर कभी बड़े लंड के सपने नजर आने लगे थे इसलिए में सपने में देखती थी कि में उस बड़े लंड को अपने मुहं में लेकर बड़े मज़े से चूस रही हूँ और वो लंड इतना मोटा है कि मेरे एक हाथ की मुठ्ठी में भी उसका आना बड़ा मुश्किल था.
वो बहुत मोटा लंबा होने के साथ साथ बहुत दमदार था और उसकी लगातार चुदाई करने की ताकत भी इतनी थी कि किसी भी कुंवारी क्या कोई भी शादीशुदा बच्चो वाली औरत जिसकी चूत अब फटकर भोसड़ा बन जाने के बाद भी उसके सामने अपने घुटने टेक दे. में और में उसका लंड चूसती रहूँ और तब तक वो मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटता रहे. दोस्तों यह सभी बातें सोचकर कई बार मेरी पेंटी गीली हो जाती थी.
कुछ दिनों के बाद मेरा भाई भी मेरे साथ आकर रहने लगा और वो एक कॉलेज में अपनी पढ़ाई को पूरी कर रहा था और वो अब दिखने में अच्छा 18 साल का गबरू जवान हो गया था, इसलिए में कभी कभी उसकी तरफ आकर्षित होकर उससे भी अपनी चुदाई करवाने के सपने देखने लगी थी, लेकिन इस काम को करने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी. दोस्तों कुछ दिनों के बाद जैसा हर एक सरकारी रिश्वतखोर आदमी के साथ होता है वैसा ही मेरे पति के साथ भी हुआ और वो एक दिन किसी से उसका काम पूरा करवाने के बदले रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़े गए.
तब में यह बात सुनकर बहुत घबरा गयी थी, लेकिन कुछ दिन बाद वो किसी तरह जमानत पर छूटकर बाहर आ गया और जिस दिन वो घर पर आया उसी दिन शाम के करीब सात बजे दरवाजे पर घंटी बजी.
फिर मैंने जाकर तुरंत दरवाजा खोल दिया और मैंने देखा कि दरवाजे के बाहर असलम खड़ा हुआ था, असलम 37 साल का था और वो अपने शरीर को बहुत अच्छी तरह से बनाए हुए था.
वो हमारी ही गली में रहता था और कभी कभी मुझे वो छेड़ता भी था, क्योंकि वो थोड़ा सा गुंडा किस्म का था और मैंने कई बार सुना था कि वो हमारी गली की बहुत सारी औरतों को मौका देखकर चोद चुका था और वो औरतें भी उससे अपनी चुदाई करवाकर खुश थी.
अब में उसको अपने दरवाज़े पर खड़ा हुआ देखकर थोड़ा सा अचरज में पड़ गयी और मुझे उसको देखकर थोड़ा सा डर भी लगने लगा था और उसकी वो मुझे खा जाने वाली नज़र देखकर में तुरंत समझ गयी कि यह मुझे अभी यहीं पर पकड़कर मेरी चुदाई करने लगेगा, क्योंकि वो मुझे एकदम घूरकर देख रहा था और उसकी नजरो से डर जाने की वजह से में भागकर अंदर गयी और मैंने अपने पति को बाहर भेज दिया.
मैंने उनसे कहा कि बाहर आपको कोई बुला रहा है. फिर मेरे कहने पर वो बाहर चले गए, लेकिन तब तक वो घर के अंदर सोफे पर आकर बैठ गया. अब में दरवाज़े के पीछे से छुपकर उसको देख रही थी और वो भी बस मुझे ही ढूँढ रहा था. मेरे पति के सामने आते ही उसने मेरे पति को बहुत बुरा भला कहा और वो उनको गंदी गंदी गालियाँ भी देने लगा कि बहनचोद तू साला ग़रीबों से पैसे खाता है, में तेरी माँ चोद दूँगा, तेरी गांड में डंडा डाल दूंगा और उसने ऐसा बहुत कुछ कहा और यह धमकियां सुनकर मेरे पति बहुत डर चुके थे और मेरे भाई को भी उससे बहुत डर लगने लगा था, इसलिए वो भी दरवाज़े के बाहर नहीं आ पा रहा था.
फिर मेरे पति ने उसके साथ सौदा पक्का करने की बहुत कोशिश की और उन्होंने उसको बहुत सारे पैसे का लालच दिया और कुछ देर बातें बहस करने के बाद तीन लाख में उनका वो सौदा हो गया और अब उसने अपनी एक शर्त भी रखी जिसके बाद में एकदम से घबरा गयी. दोस्तों मेरे पति के पास और कोई रास्ता भी नहीं था इसलिए उसने उसका कहा चुपचाप मान लिया और उसने अपनी मर्जी से मेरे बेडरूम में असलम को भेज दिया.
में तो उसको अपनी तरफ आता हुआ देख पसीना पसीना हो गयी और जैसे ही वो उस रूम में आया तो वो मुझे पकड़कर धक्का देता हुआ बेड की तरफ ले गया. यह सब उसने इतनी जल्दी किया कि में चिल्ला भी नहीं सकी और उसने अंदर आने के बाद दरवाजा भी बंद नहीं किया था.
अंदर आते ही उसने मुझसे मेरे कपड़े उतारने के लिए कह दिया. में उसकी वो बातें सुनकर और उसका बलशाली गुस्से से भरा बदन देखकर घबराई हुई थी. मेरे पति भी मेरी कुछ मदद नहीं कर पा रहे थे और मेरा भाई भी उससे बहुत डरा हुआ था.
अब मैंने उसकी बातें सुनकर डरते हुए चुपचाप अपने कपड़े उतारने शुरू किए. उसके बाद वो धीरे से मेरी तरफ बढ़ा और मेरे बूब्स से खेलने लगा, पहले तो मुझे मेरे बूब्स पर उसका छूना और इस तरह से हाथ लगाना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा, लेकिन वो बड़ा दमदार था और वो हर तरह से मज़े करना जानता था और मज़े देना भी उसको बहुत अच्छी तरह से आता था.
यह सभी बातें अपने मन में सोचकर मैंने धीरे धीरे अपने जिस्म को उसके हवाले कर दिया, क्योंकि में भी उसके मोटे लंबे लंड से कई औरतों की चुदाई के बारे में सुन चुकी थी, इसलिए में चुप ही रही, क्योंकि आज उसके साथ मेरी भी मन की वो इच्छा पूरी होने वाली थी. फिर करीब पांच मिनट मेरे बड़े आकार के मुलायम बूब्स से उसके खेलने पर मुझे भी अब मज़ा आने लगा और जोश में आकर मेरे बूब्स भी पठार जैसे टाइट हो चुके थे और निप्पल तनकर खड़ी हो चुकी थी. अब धीरे धीरे मेरे मुहं से सिसकियों की आवाज़ निकलने लगी.
वो अब मुझसे अपने कपड़े भी उतरवाने लगा और में भी उस समय बड़ी जोश में थी. धीरे से मैंने उसके कपड़े उतारे और फिर उसके सारे कपड़े उतर जाने के बाद में उसका मोटा लंबा लंड देखकर एकदम चकित हो गई, क्योंकि उसका वो लंड तो मेरी उम्मीद से भी ज्यादा था, जिसको देखकर कुछ देर मुझे अपनी आखों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं था और इसलिए मैंने उसको छूकर भी देखा और फिर में उसके सामने नाटक करते हुए उससे कहने लगी कि यह इतना बड़ा लंड मेरी चूत के अंदर कैसे जाएगा? मुझे इससे कितना दर्द होगा, में आज इसको लेकर मर जाउंगी, नहीं मुझे नहीं करना तुम्हारे साथ यह गंदा काम, तुम मुझे जाने दो, प्लीज छोड़ दो मुझे.
उससे यह बात कहने के बाद मुझे अपनी सहेलियों की बातें याद आने लगी और में वो सब सोचकर वैसे ही लंड को अपने सामने देखकर उससे अपनी चुदाई का सपना पूरा होते हुए देख बहुत खुश होने लगी थी.
उसने बिना देर किए मुझे सोचने का मौका भी नहीं दिया और तुंरत मुझे नीचे बैठाकर अपना लंड उसने मेरे मुहं में डाल दिया और उसने मुझसे कहा कि चूसो इसको यह तुम्हारे लिए ही तनकर खड़ा हुआ और इसको अब तुम ही बैठाकर शांत करोगी.
यह मेरा चूसने का पहला मौका था और खुश होकर मैंने अब उसके लंड को चूसना शुरू किया और फिर मुझे वाह क्या मस्त मज़ा आने लगा और में खुश होकर मन ही मन सोचने लगी कि में हमेशा ही इस लंड को ऐसे ही चूसती रहूँ. अब वो भी जोश में आकर मेरे मुहं में अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा.
तेज दमदार धक्को की वजह से उसका लंड मेरे मुहं में बहुत अंदर तक जा रहा था और में भी उसके साथ मज़े कर रही थी. फिर करीब दस मिनट तक लगातार उसका लंड चूसने के बाद उसने मेरे मुहं में अपना सारा गरम वीर्य हल्के धक्को के साथ निकाल दिया.
दोस्तों मैंने पहली बार उसका स्वाद महसूस किया वो थोड़ा सा गरम, नमकीन और बहुत स्वादिष्ट था. में उसका सारा वीर्य पी गयी और बचा हुआ भी मैंने उसके लंड से चाट लिया और वो भी मेरे ऐसा करने से बड़ा खुश हुआ वो भी चेहरे से बड़ा संतुष्ट नजर आ रहा था.
करीब 10-15 मिनट के बाद वो एक बार फिर से तैयार हो गया और मेरे पति यह सभी काम बाहर दरवाज़े पर खड़े होकर छुपकर देख रहे थे. देखने से वो भी मुझे जोश में लग रहे थे और मेरे भाई के भी वही हाल थे.
अब असलम ने मुझे बेड पर लेटा दिया और वो खुद मेरे पास आकर खड़ा हो गया. उसके मेरे दोनों पैरों को ऊपर उठा दिया और फिर धीरे से उसने अपना लंड मेरी चूत के दरवाजे पर रख दिया.
उसके बाद उसने धीरे से एक झटका दिया और उसका मोटा सा लंड और मेरी छोटी आकार की चूत का मिलन होते ही में दर्द की वजह से चीख पड़ी, क्योंकि मुझे उस समय बहुत दर्द होने लगा, लेकिन वो तो इस काम में बड़ा अनुभवी था, इसलिए वो थोड़ा सा रुक गया उसके बाद उसने धीरे से झटके देने शुरू किए और उसके हल्के धक्के खाकर मुझे भी अब बड़ा मस्त मज़ा आने लगा, इसलिए में भी उसका साथ देने लगी, जिसकी वजह से उसको और भी जोश आने लगा था, इसलिए उसने भी अपने धक्को की स्पीड को बढ़ा दिया.
में भी उसका वो जोश देखकर बहुत खुश हो रही थी और सिसकियों की हल्की हल्की आवाज़ें अब मेरे मुहं से निकलने लगी थी.
मेरी आखें धीरे धीरे बंद होने लगी थी, बस मेरा अपनी चुदाई पर ही ध्यान था और में उसको धक्को से मन ही मन खुश हो रही थी. मुझे अपनी चुदाई करवाते समय यह भी ध्यान नहीं था कि बेडरूम का दरवाज़ा खुला हुआ था और बाहर खड़े मेरे पति और भाई यह सब देख रहे थे.
असलम धक्के देते हुए अचानक से ट्रेन की तरह लगातार मुझे तेज झटके दे रहा था और में भी अब चरम सीमा पर पहुँच चुकी थी और में उसको दो चार तेज धक्के खाकर झड़ गई.
लेकिन वो अभी तक नहीं झड़ा मेरी चूत के रस से उसका लंड गीला होते ही और भी जोश में आ गया, इसलिए वो ज़ोर से धक्के देकर मेरी चुदाई करने लगा और उसका पूरा लंड एक ही धक्के से फिसलता हुआ अंदर जाकर मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा था, जिसकी वजह से उसके आंड मेरी चूत के नीचे टकराकर थप थप की आवाज करने लगे और पूरे कमरे में या तो मेरी सिसकियों की आवाज या उसकी थप छप की आवाज आ रही थी.
दोस्तों में उसके इतनी देर तक लगातार तेज धक्के खाकर बहुत थक गयी थी, क्योंकि इतनी देर तक मैंने कभी भी अपनी चुदाई के मज़े नहीं लिए थे और यह मेरा पहला मौका था और वो भी किसी पराए मर्द के साथ अपने पति और भाई के सामने.
यह सभी बातें मन में सोचकर में खुश होने के साथ साथ यह भी सोच रही थी कि यह कहीं मेरा कोई सपना तो नहीं, लेकिन दर्द को महसूस करके में समझ जाती यह सब हकीकत में मेरे साथ आज हो रहा है. दोस्तों इतनी देर तक लगातार धक्के देने के बाद भी वो नहीं थका था.
बस एक चुदाई की मशीन की तरह कभी धीरे से कभी बहुत जोश में तेज धक्के देकर मुझे चोदता जा रहा था और उसको भी बड़ा मस्त मज़ा आ रहा था, जितने मज़े वो मेरी चुदाई के ले रहा था.
उससे भी ज़्यादा मज़े वो मुझे दे रहा था. फिर आख़िरकार करीब 30 मिनट के बाद एक ज़ोर का झटका दिया, जिसकी वजह से में भी एक बार फिर से झड़ गयी और उसने वो झटका देकर अपना लंड मेरी चूत में बहुत ज़ोर से दबा दिया और कुछ देर वहीं पर दबाकर रखा. फिर करीब 3-4 मिनट तक वो वैसे ही ज़ोर लगाकर खड़ा रहा. तो में उस दर्द और खुशी से चीख उठी और अब वो झड़ गया और अपने लंड से बहुत सारा गरम वीर्य उसने मेरी चूत के अंदर निकाल दिया.
अब हम दोनों एक साथ ठंडे हुए. फिर जब मैंने अपनी आखें खोलकर देखा तो उसकी नजरों में मुझे उसकी संतुष्टि साफ साफ नजर आ रही थी. अब मैंने धीरे से अपने पति की तरफ देखा और में वो द्रश्य देखकर एकदम चकित हो गई, क्योंकि वो दरवाजे पर खड़े होकर लंड को अपने एक हाथ में लेकर मुठ मार रहे थे. फिर मैंने अपने भाई की तरफ देखा तो वो भी अपने लंड को सहला रहा था और उसकी पेंट भी मेरी उस चुदाई को देखकर अब तक गीली हो चुकी थी. शायद उसका वीर्य ऐसे ही चुदाई को देखकर निकल गया था.
अब में हिम्मत करके उठकर बड़ी मुश्किल से बाथरूम की तरफ चली गयी और मुझे बड़ा तेज दर्द अपनी चूत में हो रहा था. वो बड़ी ही अजीब सी जलन थी, जिसको में अपने जीवन में पहली बार अपनी चुदाई के बाद महसूस कर रही थी.
अपने काम से फ्री होकर बाथरूम से बाहर आने पर उसने मुझसे कहा कि रानी आज तुमने तो मुझे खुश कर दिया. यह तुम्हारा दर्द तुम्हे मेरे लंड की हमेशा याद दिलाता रहेगा.
मुझे क्या पता था कि तुम्हारी चूत इतनी टाईट है वरना में बहुत पहले ही तुम्हे चोद देता, क्योंकि मेरी नजर तुम्हारे ऊपर तो बहुत पहले से थी. अब तुम मुझे अपनी चूत के जैसी कड़क मीठी एक कप चाय भी पिला दो में तुझसे पक्का वादा करता हूँ कि तेरे पति को अब कुछ नहीं होगा. (दोस्तों अब तो में उससे अपनी चुदाई के वो मस्त मज़े लेने के बाद मन ही मन चाहती थी कि मेरे पति को सज़ा हो जाए और असलम हर रोज़ आकर मुझे ऐसे ही चोदे) में उसकी वो बातें सुनकर एकदम चुप थी.
दोस्तों अपने पति और भाई के सामने क्या कहती मुझे उन्हें दिखाना था कि वो चुदाई मेरी मर्जी से नहीं बल्कि ज़ोर जबरदस्ती से हुई एक घटना है.
उसने मुझसे कहा, लेकिन मेरी रानी में अब हर कभी तेरे पास आता रहूँगा, क्योंकि मुझे तेरी जैसी चूत की बहुत दिनों से तलाश थी वो अब पूरी हो चुकी है और तू मुझे ऐसे ही हमेशा खुश करते रहना. दोस्तों उसकी वो बातें सुनकर में खुश होकर रसोई में चली गई और तुंरत उसको चाय बनाकर दी और चाय पीने के बाद वो एक बार फिर से मेरी चुदाई करने के लिए तैयार हो गया और दोबारा फिर से उसने मुझे एक बार जमकर चोदा और ज़ोर से तेज धक्के देकर चोदा.
बहुत खुश होकर धक्के दिए और मैंने भी उसके साथ बड़े मज़े किए. यह चुदाई उसने बड़े लंबे समय तक करके मेरी चूत का भोसड़ा बना दिया.
दोस्तों सचमुच यह मेरे लिए एक खुशी की बात थी, क्योंकि मैंने उस चुदाई के बाद सीख लिया था कि एक औरत का चरम सीमा पर पहुँचना क्या होता है और अब तो वो हर कभी मेरे पास आने लगा और मुझे वैसे ही अपनी पूरी ताकत से चुदाई के मज़े देता और अब में भी यह बात जान गयी हूँ कि उसकी चुदाई की वजह से मेरे पेट में अब उसका बच्चा भी है.
में उसको महसूस करके बहुत खुश हूँ, क्योंकि मेरा होने वाला बच्चा एक असली दमदार मर्द का बच्चा है. दोस्तों यह थी मेरी वो चुदाई की सच्ची कहानी जिसमे मैंने अपनी मर्जी से चुदाई करवाकर बड़े मज़े लिए.