अभी तक आप ने पढ़ा कि मैंने कैसे अपने दोस्त की बीवी को चोदने के लिये तैयार किया। अब आगे क्या होता है, ये जानने के लिये आगे पढ़ें।
वैसे तो मैं तो आराम से मस्ती के साथ मज़ा लेने वाला हूं पर सोफ़े में कम्फर्टेबल न होने के कारण ऐसा नहीं कर पाया।
मैंने जल्दी से रानी की कमीज़ उतार दी और अब वह सोफ़े के बीच काली ब्रा और लाल पैंटी में आधी नंगी खड़ी थी।
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फ़िर मैंने उसे कमर से पकड़ कर उसकी ब्रा के बाहर से ही उसके बूब्स पर किस करना शुरु कर दिया वह चिल्लाने वाली थी पर मैंने उसे डराते हुए कहा की किसी ने सुन लिया तो तुम्हारी बहुत बे-इज़्ज़ती होगी इसलिये जैसे मैं करता हूं मुझे करने दो।
मैं तो उसकी सारे शरीर पर मस्ती से मसलना, दबाना, रब करना और किस करना जारी रखा।
फ़िर मैंने उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया और उसके बूब्स को रब करने लगा.
अब रानी मस्ती में आने लगी और उसको मेरा ऐसा करना अच्छा लगने लगा वो मुझे बीच में प्यार से मना करती और कभी कभी चूमने लगती पर उसे इस बात का डर लगता था कि कहीं अनिल आ न जाये।
थोड़ी देर के बाद मैंने उसकी पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया तो वह परेशान हो गयी और उसने जल्दी में अपनी पैंटी अपने आप उतार दी।
वाह, उसकी चूत बड़ी मस्त थी एकदम गुलाबी और उसके चारों ओर छोटे छोटे से भूरे बाल, मुझे लगता है उसने अपनी चूत एक दो दिन पहले ही साफ़ की थी।
उसकी चूत के बाल एकदम नर्म नर्म थे शायद उनको कल परसों ही काटा गया था वह ज्यादा लम्बे भी नहीं थे ज्यादा से ज्यादा 1-2 मिलीमीटर तक होंगे।
उसकी चूत देखकर तो वह 18-20 साल की सी लगती थी उसे बूब्स भी एकदम टाइट और छोटे छोटे थे।
पर जहाँ तक चूत की बात थी शायद अनिल तो कभी कभी ही उसकी चूत तक हाथ फ़ेर पाता था, उसकी चूत देखकर लगता नहीं था कि वह अभी तक एक बच्चा निकाल चुकी थी और कई बार एक 6 फुटे मर्द के लंड की मार झेलती थी।
वह एकदम नर्म गुलाबी मस्त गुदगुदी मक्खन जैसी थी।
उसकी ऐसी अनछुई चूत देखकर मैं अपने आप को रोके नहीं सका और मैं समझ गया कि ऐसी चूत दुबारा चोदने को शायद कब मिल पाये।
फ़िर मैंने उसे सोफ़े पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया मैंने अपने कपड़े नहीं उतारे केवल पैंट की ज़िप खोलकर पैंट नीचे कर दी और अपना लंड बाहर निकाल कर रानी के ऊपर चढ़ गया।
मेरे लंड के टच से तो रानी पागल हो गयी और उसकी बोडी के टच से मेरा लंड भी टाइट होता चला गया मैं अपने लंड से उसकी पूरी बोडी पर रब करने लगा और वह शरमाते हुए चीखने लगी पर वह मस्ती में ये सब कर रही थी।
अचानक मुझे एक मस्ती सूझी और मैंने उसके दोनों बूब्स को दोनों हाथों में लेकर उसके बीच अपना लंड रख दिया।
मेरा लंड देखकर शरमाते हुए रानी ने अपनी आंखें बंद कर ली और फ़िर मैं उसके दोनों बूब्स के बीच लंड को फ़िट कर के चुदाई वाली स्टाइल में उसके बूब्स से लंड को रगड़ने लगा।
इससे मेरा लंड और रानी के बूब्स टाइट होते चले गये और दोनों इसे एन्जॉय करने लगे।
रानी तो मेरे इस एक्शन से मचल उठी थी वह 27-28 साल की औरत थी उसके मुकाबले मेरा चुदाई का कोई ज्यादा अनुभव नहीं था। थोड़ी देर में मेरा लंड इतना टाइट हो गया कि उसे हिलाना भी मुश्किल लग रहा था। अब मुझे लगा कि यह रानी की चूत में जाने के लिये बिल्कुल फ़िट है।
रानी ने अपनी आंखें अभी भी बंद किये हुई थी। वह मेरा लंड देखकर घबराने का बहाना कर रही थी जबकि उसका पति पूरे 6′ का था और उसका लंड तो कम से कम 7-8′ का होगा।
फ़िर मैंने बिना दर किये रानी की दोनों टांगों को फ़ैलाया और एक धक्के के साथ रानी की चूत को दोनों ओर से फ़ैलाकर अपना खड़ा लंड उसकी चूत में ठोंक दिया और एक झटके में ही पूरा अंदर तक घुसेड़ दिया।
रानी की चूत बड़ी टाइट थी किसी 18 साल की लड़की जितनी टाइट और अनछूई थी और मुझे उसकी चुदाई की शुरुआत में ही इतनी मेहनत करनी पड़ रही थी।
रानी तो मेरे एक्शन से मस्त होती जा रही थी और उसकी भूख बढ़ती जा रही थी और वह मुझे और अंदर डालने के लिये कह रही थी।
मैंने भी फ़िर और एक धक्का लगाया तो मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया और रानी अपनी गांड उठाकर और अपनी तरफ़ से धक्का लगा कर चुदवाने को बेताब थी इससे मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था पर रानी के धक्के से मैं पूरा ही हिल रहा था और मेरा लंड उसकी चूत में फ़ंस गया था।
क्योंकि मेरी चुदायी का अनुभव भी ज्यादा नहीं था पर मैंने अपनी मर्दानगी दिखाने के लिये रानी को पकड़ लिया और एक जोर का धक्का आगे पीछे लगाया तो रानी तो मस्ती में उछल पड़ी और दर्द के बावजूद मुझसे बोली राज, दिस इस वाट आइ वांट अह्ह्ह! बस ऐसे ही आगे पीछे करो, दर्द की परवाह मत करो चाहे मैं कितना चिल्लाऊँ। चाहे फाड़ ही डालो पर यार बड़ा मज़ा आ रहा है ऐसा पहली बार है जब दर्द में भी मज़ा आ रहा है।
मेरी हालत भी खराब हो गयी थी और मैंने उसका मुंह बंद कर दिया था जिससे वह चीख न पड़े।
पर लंड के अंदर जाते ही रानी की मस्ती बढ़ गयी अब मुझे दर्द हो रहा था पर वह दर्द के साथ मस्ती में मोअन कर रही थी और मुझे धक्का लगाने को कह रही थी।
एक तरफ़ वह चिल्ला रही थी और दूसरी तरफ़ मुझसे धक्का लगाने को कह रही थी- राज जोर से धक्का लगाओ न आअह्हह तेज़, और जूर्रर सीए प्पहफाड़ दो इसे आज मज़ा आ रहा है दर्द की परवाह नहीं पर धक्का लगाओ जल्दी। राज प्लीज़ तेजी से धक्के लगाओ न म्मम्म। आआह्हह्ह औअर जूओर र्र सीए आउरुर तेज़ म्मम्मम म्ममाज़्ज़ा आअ रहाअ हैई।
मैं लंड की रफ़्तार से रानी की चूत में पेलने लगा और वह भी चूतड़ उठा उठा कर चुदवा रही थी।
मैं उसके बूब्स को भी मसलता जाता था, कभी कभी तो जोश में मैंने उसके चूचियों को पूरी ताकत से दबा कर मसल दिया। पर उसके बूब्स उत्तेजना में इतने टाइट हो गये थे कि एकदम पत्थर से लगते थे पर मैंने भी उनको ऐसा मसला कि साली की हालत खराब हो गयी।
एक तो उसकी चूत वैसे ही फ़ट रही थी और ऊपर से मैंने उसके निप्पल भी पूरे जोर से मसल दिये तो रानी की मस्ती के साथ दर्द के मारे इतनी जोर से चीख निकली कि मैं डर गया कि कहीं पड़ोस में किसी को पता न चल जाये, अगर कोई और वहाँ होता तो वह भी समझ गया होगा कि उसकी जबरदस्त ठुकाई चल रही है।
पर रानी की ये चुदायी ज्यादा देर न चल सकी मेरी थकान से हालत खराब होने लगी और मैंने अपनी रफ़्तार थोड़ा कम कर दी।
इसी बीच मेरे लंड में लंड का प्रेसर लेवल से ऊपर पहुंच गया और उसमे सरसराहट सी होने लगी। मैं समझ गया कि अब मैं झड़ने वाला हूं तो मैंने रानी के दोनों चूतड़ पकड़ कर अपने लंड को उसकी चूत के अंदर पूरा घुसाकर रोका तो रानी भी समझ गयी कि मैं झड़ने वाला हूं।
रानी बोली- राज प्लीज़ पुल इट आउट जल्दी से!
मैंने वैसा ही किया और जैसे ही मैंने लंड को बाहर निकाला रानी ने झपट कर उसे अपने मुंह के अंदर ले लिया।
फ़िर मेरे लंड का सारा माल रानी के मुंह में चला गया और एक ही झटके में उसने पूरा माल पी लिया और मेरे लंड को ऐसे चूसने लगी जैसे मैं उसके निप्पल को कर रहा था।
मेरे लंड को पूरी तरह से चूसने और चाटने के बाद रानी अपने कपड़े पहन लिये पर जब लास्त में वह अपनी सलवार पहन रही थी तो एकदम से फ़टाफ़ट अपने कपड़े ठीक करने लगी वह बड़ा घबरायी हुई थी।
मैंने भी जल्दी से अपनी पैंट और कमीज़ ठीक की, मैं समझ गया था कि अब वह एम्बरास फील कर रही थी।
उसने कुछ बोला पर जैसी उसकी हालत थी उसमे उसका इतनी बेरुखी सा दिखना मुझसे समझ नहीं आया।
रानी ने मुझे दूर की तरफ़ इशारा सा किया और वह जल्दी से अपनी सलवार का नाड़ा बांधते हुए फ़टाफ़ट अपने कपड़े ठीक करके दूर की तरफ़ चली गयी। तभी बेल बजी और रानी ने नोर्मल होकर दरवाजा खोल दिया तो बाहर अनिल था।
अब मेरी समझ में रानी की घबराहट का मतलब समझ में आया। अनिल कुछ ज्यादा पिये लग रहा था पर वह बोला देर हो गयी है घर पर सब इंतज़ार कर रहे होंगे।
मैं एक बार अनिल की हालत देखकर उनको घर तक छोड़ना चाहता था पर में जानता था कि अनिल के लिये ऐसे में ड्राइव करना कोई मुश्किल नहीं था।
रात भर मैं इस घटना के बारे में सोचता रहा कि क्या ये ठीक हुआ और क्या ये गलत तो नहीं और काफ़ी देर बाद मुझे नींद आयी।
सुबह तक मैं पहले शाम वाली बात भूल गया और फ़िर मुझे रानी के बदन के बारे में सोचकर उत्तेजना होने लगी और मैं सोचने लगा कि रानी को अब और चोदने का मौका कैसे मिलेगा।
दिन में ओफ़िस में रानी का फोन आया तो मैंने सोचा शायद वह अनिल से बात करना चाहती है पर वह मुझसे ही बात करने लगी तो मैंने रानी को सोरी बोला पहली शाम के लिये।
वह बोली- राज, मैंने कल वाली बात के बारे में सोचा तो ऐसा लगता है कि इसमे हमारी कोई गलती नहीं। तुम इस बारे में परेशान मत होना मैं तुमसे नाराज़ नहीं हूं, अरे मुझे तो तुम्हारा शुक्रिया करना चाहिये कि इतने दिनो बाद मुझे सचमुच प्यार और सेक्स का एक साथ अनुभव हुआ।
रानी कह रही थी- यह एक भूख की तरह है और भूख लगने पर हर कोई जो उसे मिलता हो उसका ही मज़ा लेता है। मैं तो चाहती हूं कि ये मौका मुझे और मिले वैसे मैंने फोन इसलिये भी किया है कि आज तुम घर पर ही रहना मुझे आज तुमसे 3 पेपर टाइप करवाने हैं। अनिल का तो पता नहीं वह कुछ मदद करें या न पर तुमसे उम्मीद है।
मैं अब काफ़ी नोर्मल हो गया था और मैंने मज़ाक में कहा- एक पेपर की ट्रीट तो तुमको पता ही है तो तीन के बारे में सोच लो तुमको मुझे तीन ट्रीट देनी होंगी।
रानी बोली- राज इसे मज़ाक समझो या सीरियसली लो पर मुझे भी तुम्हारी ट्रीट से उतना ही मज़ा आया जितना तुमको। इसलिये ट्रीट के लिये जगह का इंतज़ाम होना चाहिये और मेरे को मौका मिले तो मैं तो और ज्यादा ट्रीट लेना चाहुंगी।
मैंने कहा- आशा है तुम अपने शब्द याद रखोगी।
शेष अगले भाग में और यह भी जानें कि अगली बार कैसे चुदाई और ट्रीट कैसे मिली। जानने के लिये तीसरा भाग अवश्य पढ़ें…