शादी की पहली रात चूत और गांड

Shadi ki pahli raat chut aur gaand:

Antarvasna, hindi sex story

एक दिन पापा का मूड बिल्कुल भी अच्छा नहीं था उस दिन जब वह घर आए तो वह बहुत ही ज्यादा गुस्से में थे। मैंने उनसे उनके गुस्से का कारण पूछा तो वह कहने लगे दुकान में आज चोरी हो गई और दुकान से काफी पैसे भी गायब हैं। मैंने पापा से कहा आपने पुलिस स्टेशन में कंप्लेंट नहीं करवाई तो वह कहने लगे मैंने रिपोर्ट तो दर्ज करवा दी है लेकिन अभी तक कुछ भी मालूम नहीं चल पाया है आखिरकार वह चोरी किसने की है। मैंने पापा से पूछा लेकिन आपकी दुकान में कैसे चोरी हो गई क्योंकि आपके दुकान में तो सिक्योरिटी गार्ड भी रहता है और उसके बावजूद भी दुकान से चोरी हो गई ऐसा कैसे संभव हो सकता है।

पापा कहने लगे मैं भी तो यही सोच रहा था कि आखिरकार यह काम किसने किया है लेकिन मुझे इतना तो यकीन है कि यह काम किसी अदर के व्यक्ति ने किया है। मैंने पापा से कहा आप कुछ दिन शांत बैठ जाइए और आराम से अपने काम पर ध्यान दीजिए लेकिन पापा का मूड बहुत ज्यादा खराब था वह ज्यादा किसी से भी बात नहीं कर रहे थे। उन्हें बहुत ज्यादा गुस्सा था जिस वजह से उन्होने सिक्योरिटी गार्ड को भी नौकरी से निकाल दिया। वह हर रोज दुकान पर यह देखते रहते कि आखिरकार चोरी में किसका हाथ था लेकिन उन्हें कुछ समझ नहीं आया कि आखिरकार चोरी में किसका हाथ है। मैंने इस बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की लेकिन मुझे भी ऐसा कुछ मालूम नहीं पड़ा कि आखिरकार दुकान में किसने चोरी की थी लेकिन इतना तो पक्का मालूम था कि दुकान के ही किसी व्यक्ति ने दुकान से पैसे चोरी किए हैं और इस बात का मैं पता लगाकर ही छोड़ना चाहता था। मुझे इस बात का शक था कि जरूर किसी न किसी ने दुकान से तो चोरी की है मैं हर रोज दुकान के बाहर बैठ जाया करता लेकिन मुझे ऐसा कोई व्यक्ति नहीं दिखाई दिया जिसने चोरी की थी क्योंकि अभी तक इस बारे में कुछ मालूम ही नहीं पड पा रहा था।

मैंने एक दिन पापा से पूछा क्या किसी ने आपसे बीच में पैसों के लिए बात की थी तो पापा कहने लगे हां मुझसे दुकान में काम करने वाले सुरेंद्र जी ने पैसों के लिए कहा था लेकिन सुरेंद्र जी पर मैं बहुत भरोसा करता हूं और उनके बारे में कभी ऐसा सोच भी नहीं सकता मैंने उन्हें पैसे भी दे दिए थे मैने उन्हे यह भी कहा था कि यदि आपको और पैसो की जरूरत हो तो आप मुझे बता दीजिएगा। सुरेंद्र जी को दुकान में काम करते हुए काफी वर्ष हो चुके हैं वह बहुत ही ईमानदार व्यक्ति हैं वह मेरी दुकान में सबसे पुराने व्यक्ति हैं जो काम कर रहे हैं उनकी ईमानदारी पर कभी मे शक भी नहीं कर सकता और ना ही मैंने कभी उनके बारे में ऐसा सोचा है। इसी बीच हम लोग एक दिन पुलिस स्टेशन में भी गए तो हम लोगों को वहां से खाली हाथ लौटना पड़ा हमें कोई जानकारी नहीं मिल पाई आखिरकार यह चोरी किसने की है इसमें किसका हाथ था। पापा को इतना तो पूरा यकीन था कि इसमें जरूर किसी दुकान में काम करने वाले का हाथ है, जो इस चोरी के पीछे था लेकिन अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया था। उसी बीच एक दिन सुरेंद्र जी की लडकी की शादी का कार्ड हमारे घर पर आया तो मैंने पापा से कहा क्या इनके घर पर शादी है तो वह कहने लगे हां उनकी लडकी की शादी है मैं तुम्हें बताया भी था हमे उनके घर पर शादी में जाना है। जब मेरे पापा ने मुझे यह कहा तो मुझे थोड़ा बहुत शक तो सुरेंद्र जी पर हुआ लेकिन फिर मुझे यह बात भी ध्यान आई कि पापा ने तो कहा था कि वह बहुत ही ईमानदार है वह सबसे ज्यादा उन पर भरोसा करते हैं। मैने पापा से कहा आप इस बारे में थोड़ा जानकारी इकट्ठा कीजिए उन्होंने पैसों का बंदोबस्त कहां से किया और उन्हें किस चीज के लिए पैसों की आवश्यकता थी। वह कहने लगे ठीक है मैं इस बारे में कुछ पता करता हूं लेकिन सिर्फ यही पता चला कि उनकी लड़की की शादी के लिए उन्हें कुछ पैसे चाहिए थे उन्होंने थोड़े बहुत पैसे कहीं ब्याज ने भी लिए थे।

जिस दिन हम लोग सुरेंद्र जी के घर पर गए तो उनके घर में काफी मेहमान आए हुए थे और पापा ने उन्हें उनकी लड़की की शादी के लिए बधाई दी उनकी लड़की का नाम आशा है। पापा कहने लगे तुम भी शादी का इंजॉय करो मैं भी शादी का पूरा इंजॉय कर रहा था लेकिन मेरे दिमाग में तो सिर्फ यही था दुकान से पैसे किसने चोरी किए है मैं उसके बारे में सोच रहा था। हमे कुछ जानकारी मालूम पड़ गई थी लेकिन उसी बीच आशा की शादी हो चुकी थी सुरेंद्र जी जब दुकान पर आ गए तो वह चुपचाप रहा करते थे उन्हें शायद किसी बात को लेकर बहुत ज्यादा तकलीफ थी और वह किसी को बताना नहीं चाहते थे। मैंने इस बारे में जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश की जब मुझे मालूम पड़ा कि सुरेंद्र जी ने दुकान से पैसे चोरी किए हैं मुझे पूरी तरीके से यकिन हो चुका था, मैंने जब यह बात पापा को बताई तो वह मुझे कहने लगे सुरेंद्र जी ऐसा नहीं कर रहे थे पापा कहने लगे तुम बिल्कुल गलत कह रहे हो ऐसा कभी हो ही नहीं सकता। मुझे इस बात का पूरा यकीन था कि यह चोरी सुरेंद्र जी ने ही की है एक दिन हमने सुरेंद्र जी को घर पर बुलाया पापा ने उनसे बड़े ही प्यार से पूछा आखिरकार अपने दुकान से चोरी क्योंकि तो उन्होंने कुछ नहीं कहा। पापा ने जब पुलिस को इस बारे में बताया तो पुलिस ने उनके घर की छानबीन की तो उनके घर से कुछ पैसे निकले उसके बाद तो पूरा माजरा ही खत्म हो गया सब कुछ पता चल चुका था कि यह सब सुरेंद्र जी ने किया है लेकिन उसके पीछे भी उनकी कोई मजबूरी थी इसलिए उन्होंने यह चोरी की थी। जब पापा ने उनसे कहा कि मैंने तुम्हारे ऊपर इतना भरोसा किया और कभी भी तुम्हें अपने परिवार से अलग नहीं माना उसके बदले तुमने मेरे साथ धोखा किया।

जब पापा ने उन्हे यह सब कुछ कहा तो वह चुपचाप रहे उन्होंने किसी से कुछ भी नहीं कहा और वहां से वह पुलिस स्टेशन चले गए। जब वह पुलिस स्टेशन गए तो उनकी बेटी मेरे पास आई और आशा कहने लगी आपने क्या इस बात की पूरी जानकारी ली आखिरकार उन्होंने ऐसा क्यों किया पापा उस समय मेरे साथ ही थे। जब आशा ने कहा कि पापा को चोरी करने के लिए मेरे ससुराल वालों ने मजबूर कर दिया था और उनके पास और कोई रास्ता ही नहीं था इसीलिए उन्होंने चोरी की मेरे ससुराल वाले दहेज मांग रहे थे जिस वजह से पापा काफी परेशान थे और काफी दिनों तक तो उन्होंने खाना भी नहीं खाया उनके पास और कोई चारा ही नहीं था। वह बहुत ज्यादा लाचार हो चुके थे उनके चेहरे पर साफ झलकता था उनके पास आखिरी रास्ता यही था कि वह अब चोरी करें और उन्हें जो पैसे चोरी किए थे वह उन्होंने मेरे ससुराल वालों को दे दिए। यह बात सुनकर मैं बहुत दुखी हुआ लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी आशा के पति ने उसे तलाक दे दिया था और सुरेंद्र जी बहुत दुखी हो चुके थे। मैं जब उनसे मिला तो वह मुझे कहने लगे बेटा मैंने इसमें क्या गलती की है यदि तुम मेरी जगह होते तो तुम क्या करते। मेरे पास इस बात का कोई जवाब नहीं था लेकिन मैं यह सब कुछ ठीक कर सकता था मैंने आशा से शादी करने के बारे में सोच लिया था।

मैंने आशा से शादी की मेरे पिताजी इसके खिलाफ थे लेकिन मैंने फिर भी शादी की और सुरेंद्र जी को भी कुछ समय बाद हमने जेल से छुड़वा लिया हमारी शादी हो चुकी थी। आशा को इस बात का आभास था की उसके पिताजी ने हमारे साथ बहुत गलत किया है लेकिन उसके बावजूद भी हमने इंसानियत दिखाई। आशा अब मेरी पत्नी थी जब पहली बार हम दोनों के बीच में सेक्स हुआ तो उस दिन मुझे बड़ा मजा आया क्योंकि हम दोनों के बीच सेक्स काफी समय बाद हुआ। हम दोनों एक दूसरे को समझना चाहते थे आशा और मैं साथ में बैठे हुए थे मैंने उसकी जांघों पर अपने हाथ को रखा हुआ था और उसके गालों को मै सहलाने लगा वह अपने होठों को मेरे नजदीक ले आई। मैंने उसके होठों का रसपान करना शुरू किया मैंने जब उसके होठों को अच्छे से चूसा तो मुझे बड़ा मजा आया मैंने जैसे ही अपने लंड को बाहर निकाला तो उसे आशा ने अपने मुंह के अंदर ले लिया वह उसे सकिंग करने लगी। वह मेरे लंड को अच्छे से सकिंग कर रही थी उसे मेरे लंड को अपने मुंह में लेने में बड़ा मजा आता काफी देर तक तो वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेती रही।

मैंने उसकी योनि पर अपनी जीभ को लगाया तो वह मुझे कहने लगी आप अपने लंड को मेरी चूत पर लगाओ जब वह अपनी योनि पर मेरे लंड को रगड़ती  तो मुझे बड़ा मजा आता। आशा ने मुझसे कहा अब मुझसे बिल्कुल भी नहीं रहा जा रहा है तुम अपने लंड को मेरी योनि में प्रवेश करवा दो। मैंने एक ही झटके में अपने लंड को उसकी चूत के अंदर प्रवेश करवा दिया जैसे ही मेरा लंड उसकी योनि के अंदर बाहर होता तो उसकी उत्तेजित बढने लगी उसकी उत्तेजना इतनी बढ गई की मुझे बहुत मजा आने लगा। जैसे ही मैंने अपने लंड को बाहर निकालकर अपने लंड पर तेल की मालिश की तो वह मुझे कहने लगी तुम यह क्या कर रहे हो। मैंने उसे कहा तुम्हें बहुत मजा आएगा जब मैंने अपने लंड को आशा की गांड में डालो तो वह मुझे कहने लगी मुझसे नहीं हो पाएगा लेकिन मैंने उसकी गांड के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवा ही दिया वह मचलने लगी लेकिन मुझे उसे धक्के देने में बहुत मजा आता। मैं उसकी गांड के मजे बडे अच्छे से लिए जा रहा था काफी देर तक मैंने उसकी गांड के मजे लिए और उसकी इच्छा को पूरी तरीके से शांत कर दिया। अब हम दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करते है और मै आशा की गांड हर रोज मारा करता हूं।

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