Tagged: हिंदी सेक्स कहानहीयाँ

0

पड़ोस के भैया ने मुझे चोदा

मेरा नाम अलंकृता है. यह घटना तब की है जब मैं 12वीं कक्षा में थी. मेरे माँ-पिता जी का समय-समय पर गाँव जाना रहता था. मैं खुद अपने मुँह मियाँ-मिट्ठू तो नहीं होना चाहती, पर हकीकत यही है कि मैं दिखने में खूबसूरत हूँ, लड़के हमेशा से मेरे आशिक रहे हैं. मैंने काफी के साथ मज़े किए हैं, पर जो घटना मैं यहाँ आपके संग बाँट रही हूँ, वो उनमें से अलग है. मेरे घर के ठीक बगल में एक युवक रहता था. उनकी उम्र यही कोई 24-25 के आस-पास थी, उसका...

0

एक अजनबी हसीना की चूत की चुदाई

मित्रो.. यहाँ यह मेरा पहला प्रयास है। मेरे द्वारा प्रस्तुत कहानी.. एक सत्य घटना पर आधारित है। एक बार मैं जबलपुर से रायपुर जा रहा था। पहले मैंने ट्रेन से जाने की सोची.. पर भीड़ की वजह से मैंने अपना इरादा बदल दिया। फिर मैंने बस से जाने की सोची.. तो एक स्लीपर का टिकट बुक करा लिया। बस रात को चलती थी और दूसरे दिन रायपुर पहुँचाती थी। एक स्लीपर इतना चौड़ा होता है.. कि दो आदमी उस पर आराम से सो सकें। बस चलने लगी.. उसमें सिर्फ कुछ...

0

मैंने लिफ्ट दी उसने चूत दी

हेलो तो आल रीडर, मेरा नाम किंजल है और मैं वडोदरा, गुजरात में रहता हु. मेरी यहाँ पर जॉब चल रही है और मेरी उम्र २५ साल है और मेरी हाइट ५’१०” है और मेरा लुक जब तुम मिलोगे तो पता चल जायेगा. ये मेरी पहली स्टोरी है, आई होप आपको पसंद आएगी और अगर कोई गलती हो जाए, तो पहले से ही सॉरी. तो अब मैं स्टोरी पर आता हु. बात एक वीक पहले की है, उस दिन मुझे कंपनी के काम की वजह से शाम तक रुकना पड़ा....

0

पड़ोस के भैया ने मुझे चोदा

मेरा नाम अलंकृता है. यह घटना तब की है जब मैं 12वीं कक्षा में थी. मेरे माँ-पिता जी का समय-समय पर गाँव जाना रहता था. मैं खुद अपने मुँह मियाँ-मिट्ठू तो नहीं होना चाहती, पर हकीकत यही है कि मैं दिखने में खूबसूरत हूँ, लड़के हमेशा से मेरे आशिक रहे हैं. मैंने काफी के साथ मज़े किए हैं, पर जो घटना मैं यहाँ आपके संग बाँट रही हूँ, वो उनमें से अलग है. मेरे घर के ठीक बगल में एक युवक रहता था. उनकी उम्र यही कोई 24-25 के आस-पास...

0

होने वाली दुल्हन के साथ रात बिताई

टाइटल पढ़ कर आपको लग रहा होगा कि इस में क्या बड़ी बात हैं, लेकिन दुल्हन जब किसी और की हो तो कहानी और मजेदार हो जाती है. हुआ यूँ कि बचपन से ही मैं अपने आस पड़ौस में एक शरीफ और हेल्पिंग नेचर वाला व्यक्ति माना जाता था. किसी के घर कोई फंक्शन हो या ग़मी मैं हमेशा अपनी सेवाएँ देने को तत्पर रहता था, मेरे पापा कभी कभी इस बात से नाराज़ हो कर कहते थे कि “ये लड़का तो मैंने समाज सेवा के लिए पैदा किया है”....