हॉस्टिल के पियोन ने तोड़ी मेरी सील
मई तब 18 साल की थी, मेरी मम्मी एक टीचर थे और पापा भागलपुर मे पहले से जॉब करते थे, सो मैं पटना मे अकेली रह गयी थी, मैं तब ब्का कर रही थी तो मैने कॉलेज का हॉस्टिल जाय्न कर लिया, हॉस्टिल मे बहुत स्ट्रिक्ट रूल्स थे, मोबाइल फोन भी अलोड नही था, बाहर जाना वीक मे एक बार पासिबल था, मैं तो वाहा न्यू थी, ना किसी को जादा अचकच्चे से जानती थी, ना ही कोई बॉय फ्रेंड था, ढेरे ढेरे मैने देखा की सब हॉस्टिल वाली लड़किया...