यौन क्षुधा
अकेलापन भी कितना अजीब होता है। कोई साथ हो ना हो, पुरानी यादें तो साथ रहती ही हैं। मैं छुट्टियों में गांव में दादा-दादी के पास आ गई थी। वो दोनों मुझे बहुत प्यार करते थे। मेरे आने से उन दोनों का अकेलापन भी दूर हो जाता था। पड़ोसी का जवान लड़का भूरा भी मेरी नींद उड़ाये रखता था। ऐसा नहीं था कि मैंने अपनी जिन्दगी में वो पहला लड़का देखा था। मैंने तो बहुतों के लण्ड का आनन्द पाया था। पर ये भूरा लाल, वो मुझे जरा भी लिफ़्ट...