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मालकिन का तगड़ा लंड

संजीव मेहरा सुबह का अखबार पढ़ रहे थे, सामने मेज़ पर गर्म चाय की प्याली रखी हुई थी, व चाय की चुस्की के साथ-साथ अखबार भी पढ़ रहे थे । तभी उनके कानों में आवाज आई- “सर, आपका फोन !” उन्होंने अखबार से नजर उठाई, सामने सफेद शर्ट, काली पैन्ट में उनका नौकर खड़ा था । “किसका फोन है सोहन?” “सर, सक्सेना सर का फोन है ।” “इस वक्त? इतनी सुबह?… हैलो, हां सक्सेना ! बोलो, इतनी सुबह-सुबह? क्या हो गया भई ?” मेहरा साहब बात करते हुए- “अच्छा अच्छा...

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कातिल जवानी

दोस्तो, मेरा नाम विजय है। मैं नाईटडिअर का पुराना पाठक हूँ, मैं अपनी पहली कहानी आप सबके सामने प्रस्तुत करने आया हूँ। यह कहानी मेरी और मेरे पड़ोस में रहने वाली भाभी की है। भाभी का नाम प्राची है वो बहुत ही गर्म माल लगती है, उसकी मस्त चूचियां.. उठे हुए चूतड़.. उफ्फ… उन्हें देख कर लौड़ा खड़ा हो जाता है। पड़ोस के सब लड़के उन पर फ़िदा थे, मैं भी उनमें से था।