तो ये बात 27 जुलाई की है जब मुझे नॉएडा से अपने घर कानपूर जाना था और कुछ ज्यादा भीड़ ना होने से मुझे संगम एक्सप्रेस में रिजर्वेशन खली मिला, तो मैंने अपना रिजर्वेशन करवा लिया जो खुर्जा से कानपूर का मिला और मैं 7 बजे के करीब स्टेशन पहुँच गया और ट्रेन का वेटिंग रूम में बैठ कर इंतज़ार कर रहा था.
फिर कुछ देर बाद वेटिंग रूम में एक लेडी आई और मेरे बगल में बैठ गयी और वो देखने में क्या गजब लग रही थी उसने लाइट पीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी और उसके बूब्स क्या कमाल लग रहे थे.
मैं तो कुछ देर तो उसे देखता ही रहा और फिर मैं ख्याल में ही उसके साथ सेक्स के बारे में सोचने लगा और मेरा 5 इंच का लंड भी खड़ा हो रहा था फिर अचानक से उस आंटी ने मुझे टच किया तो मैं डर गया.
तो मैंने पूछा क्या हुआ आंटी..
तो उन्होंने कहा कहाँ जाओगे..
तो मैंने कहा कानपूर..
तो उन्होंने कहा मुझे भी वही जाना है..
तो मैं मन ही मन खुश हुआ..
और मैंने कहा की कौन से कोच पर आपकी बर्थ है..
तो उन्होंने कहा वेटिंग टिकेट है, ये सुनकर मैं और खुश हुआ.
मैंने नाम पूछा तो उन्होंने बताया पूनम तो कुछ देर हम बात करते रहे, तो पूनम आंटी ने बताया की उनके पति घर से बाहर ही रहते है ज्यादातर..
फिर ट्रेन का अनाउंसमेंट हो गया.
तो मैंने पूनम आंटी से कहा अगर आपको मेरे साथ एक ही बर्थ पर प्रॉब्लम ना हो तो साथ ही चलते है तो कुछ देर में आंटी ने कहा ठीक है और हम अपनी बर्थ में आ गए..
और फिर उसी बर्थ में हम दोनों अपोजिट डायरेक्शन यानी आंटी के पैर की तरफ सर करके लेट गया और काफी रात होने की वजह से सभी लाइट्स भी ऑफ थी.
मैं तो वैसे ही आंटी को चोदने का प्लान सोच रहा था इस वजह से मेरा लंड खड़ा ही था लेकिन मुझे डर लग रहा था.
फिर अचानक आंटी ने एक चादर मेरे और अपने ऊपर डाल कर लेट गयी और आंटी सो गयी लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी.
फिर अचानक आंटी मेरे पेंट के अन्दर हाथ डाल कर मेरे मोटे लंड को सहला रही थी और मैं भी मजे ले रहा था और फिर मैंने भी हिम्मत करके उनके चूत में हाथ रख कर मसलने लगा और आंटी की चूत बिलकुल गीली हो चुकी थी.
और मैं भी झड गया था और हम पूरी रात ऐसे ही मजे लेते रहे और फिर सुबह हम कानपूर पहुंच गए..
तो ट्रेन से दोनों उतरे और मैं आंटी को बाय बोलकर चलने लगा तो आंटी ने मुझसे कहा रात को जो हुआ वो दोबारा और अच्छे से नहीं करना चाहोगे..
तो मैंने कहा क्यों नहीं पूनम आंटी..
तो आंटी ने कहा मेरे घर चलो अभी..
तो मैं उनके साथ ही उनके घर चलता गया और वहाँ थोडा फ्रेश हुआ और आंटी भी फ्रेश होने बाथरूम गयी और वहां से मेरे सामने पूरी नंगी आ गयी और मैं तो उनके बूब्स और क्लीन शेव चूत देख कर पागल ही हो गया और आंटी ने मेरे भी सारे कपडे उतार दिए.
और हम दोनों लिपट गए और वो मेरे लंड को चूसने जा रही थी और मैं आंटी के बूब्स और कुछ ही देर में हम दोनों गरम हो गए और आंटी बिलकुल मदहोश हो चुकी थी मैं उसकी क्लीन शेव चूत सूचक कर रहा था.
और वो मुझे दबाये जा रही थी और मैं चूत चूस रहा था और फिर आंटी ने पानी छोड़ दिया और मैंने सारा पानी पी लिया और फिर मैंने अपने मोटे लंड को आंटी की चूत पर रख झटके मारने लगा.
3-4 झटके में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में चलता गया और आंटी बार बार बोल रही थी चोदो और तेज़ और मैं पूरी स्पीड से चोदे जा रहा था.
आंटी अपनी गांड हिला हिला कर मेरा पूरा साथ दे रही थी और मुझे और जोश दिला रही थी ये बोल बोल कर अह्ह्ह ओह्ह्ह आह्ह्ह्ह फाड़ दे मेरी चूत चोद और चोद अह्ह्ह्ह.. अह्ह्ह.. ओह्ह्ह…
और फिर कुछ ही देर में आंटी अकड़ने लगी और आंटी दो बार झड चुकी थी और मैं अभी नहीं फिर मैं करता रहा.
कुछ देर बाद मैं भी उसकी चूत में ही झड गया और फिर मैं उसी पोजीशन में कुछ देर रुका और फिर मैंने अपने लंड को आंटी की चूत को फाड़ने के लिए तैयार किया और एक बार फिर मेरा लंड पूरी तरह से चुदाई के लिए तैयार हो चूका था.
और फिर मैंने चुदाई शुरू कर दी और इस तरह मैंने कई बार चुदाई की और फिर मेरा मन आंटी की गांड मारने का भी था.
तो मैंने आंटी को पीछे घुमने के लिए कहा और मैं अपना लंड आंटी की गांड में डालने लगा.
लेकिन गांड बहुत टाइट थी क्योंकि उसे पहले आंटी ने गांड नहीं मरवाई थी, फिर मैंने थोडा सा तेल आंटी की गांड और अपने लंड पे लगाया और तेज़ झटके मारे और मेरा पूरा लंड आंटी की गांड में घुस गया.
वो दर्द के वजह से रोने लगी और कह रही थी बाहर निकाल..
लेकिन मैंने नहीं निकाला और कुछ देर रुका और फिर जब आंटी कुछ नार्मल हो गयी तो मैं अपने लंड को आगे पीछे करने लगा.
अब आंटी भी मेरा साथ दे रही थी और फिर कुछ देर बाद में झड गया.
फिर मैं रेडी हुआ और हमने एक दुसरे के मोबाइल नंबर एक्सचेंज कर लिए और किस करके मैं वापस आ गया.