बीमार बहन की चूत के दर्शन हुए

मेरी बहन का नाम सोनिया है उसकी उम्र 23 साल है, मेरी दीदी मुझ से 4 साल बड़ी है।
दीदी का रंग सांवला है लेकिन दिखने में बहोत सुन्दर है, दीदी एम ए की पढाई कर रही है और मैं बी ए की हम दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ते है, हमारा घर इंदौर के पास एक छोटे से गांव में है। हम दोनों भाई बहन पढाई के लिए इंदौर शहर में किराये का मकान ले कर रहते है, मेरा नाम संजय है प्यार से सब संजू बुलाते है, मेरी उम्र 19 साल है।

कहानी की सुरुवात तब हुई जब मेरी बड़ी बहन सोनिया बीमार हो गयी, तेज बुखार और उलटी की वजह से दीदी कमजोर हो गयी थी, मैं पास के डॉक्टर को घर बुला कर दीदी को दिखाया डॉक्टर ने दवाई दिया और आराम करने के लिए कहा दीदी का बुखार और उलटी रुक गया लेकिन कमजोरी की वजह से दीदी को चक्कर आने लगे।

रात को मुझे दीदी ने आवाज दे कर उठाया और बोली उनको पेशाब जाना है लेकिन वो चक्कर आने की वजह उठ नहीं पा रही थी, मैं दीदी को बोला आप लेटी रहो मैं कुछ करता हु, मैं किचन गया और एक बड़ा कटोरा उठा कर ले आया और दीदी को बोला आप इसमें पेशाब कर दो मैं फेंक दूंगा।
दीदी मना करने लगी और बोली मुझे हाथ दे कर उठा और बाथरूम ले चल, मैं दीदी को गोद में उठा कर बाथरूम ले गया। दीदी ठीक से खड़ी नहीं हो रही थी, मैं उनको दीवाल पकड़ कर खड़ा होने को बोला दीदी बोली तू जा मैं पेशाब कर के तुझे बुला लुंगी लेकिन उनकी हालत ठीक नहीं थी मैं बोला,, मैं यही हूँ आप शर्माओ मत मैं उनकी सलवार का नाडा खोल कर निचे कर दिया और उनकी छोटी सी पेंटी को निचे कर दिया।

दीदी को धीरे से निचे बैठा दिया दीदी पेशाब करने लगी, मैं दीदी के के नंगे सरीरी को देखना नहीं चाहता था लेकिन पेशाब करने से सुरररररररर की आवाज आयी और मेरा ध्यान उनकी चुत की तरफ गया दीदी की चुत बिलकुल साफ़ थी चुत से पेशाब की धार निचे गिर रही थी। दीदी पानी देने को बोली मैं उनको पानी दिया वो अपनी चुत पानी से साफ़ कर ली, मैं उनको उठा कर पेंटी और सलवार पहना दिया। 
उनको उठा कर बेडपर लाया और दीदी सो गयी, आज मज़बूरी में मुझे दीदी की चुत दिख गयी लेकिन मेरे अंदर सेक्स और जोश जैसा कुछ भी महसूस नहीं हुआ। ऐसे 10 दिन निकल गए और दीदी ठीक हो गयी और कॉलेज जाना सुरु हो गया।

शाम को हम दोनों ने चाय पिया और बातें करने लगे दीदी बोली जब मैं बीमार थी तूने मेरा बहोत ख्याल रखा लेकिन मुझे नंगी भी देख लिया है तू ,, मैं बोला हा दीदी वो तो मज़बूरी थी अगर मैं बीमार होता तो आप भी यही करती। ऐसे ही कुछ दिन निकल गए एक दिन मेरी छुट्टी जल्दी हो गयी और मैं घर आया दरवाजे की 2 चाबी है एक मेरे पास और दूसरी दीदी के पास,, मैं दरवाजा खोल कर अंदर आया और मुझे हमारे कमरे से जहा मैं और दीदी सोते है कुछ आवाज सुनाई दी मैं डर गया मुझे लगा कोई चोर घर मे घुस गया है और मैं धीरे दबे पाओ दरवाजे के पास जा कर देखा,, अंदर एक लड़का पूरा नंगा बिस्तर पर लेता था और तभी मुझे मेरी दीदी दिखाई दी।

दीदी पूरी नंगी थी वो लड़का बेड पर नंगा लेटा था और दीदी सामने खड़ी नंगी नाच रही थी, मुझे मेरी आँखों पर भरोसा नहीं हुआ और मैं धीरे से वहा से निकल गया और दरवाजा लॉक कर के घर से बहार चला गया,, पास के गार्डन में बैठ गया। मेरे दिमाग में सिर्फ यही चल रहा था मेरी दीदी नंगी नाच रही है और वो लड़का नंगा लेटा है ये दोनों जरूर चुदाई करते होंगे। मुझे गुस्सा बहोत आया लेकिन थोड़ी देर बाद शांत हो गया और दीदी के नंगे बदन और की चुत को याद कर के आज पहली बार मेरा लंड उनके लिए खड़ा हुआ था।

मैं एक घंटे बाद घर वापस गया घर का दरवाजा लॉक नहीं था मैं समझ गया चुदाई पूरी हो गयी है और वो लड़का चला गया होगा। मैं अंदर गया दीदी कमरे में लेटी हुई थी, मैं कपडे चेंज करके किचन गया और बिस्कुट का पैकेट निकाल कर खाने लगा बिस्कुट का पैकेट फेंके के लिए डस्टबिन खोला और बिस्कुट का पैकेट उसमे फेंक दिया जैसे ही मैं डस्टबिन बंद कर रहा था मेरी नजर उसमे पड़े पैकेट पर पड़ी और वो पैकेट कंडोम का था मैं वो पैकेट उठा कर खोला उसके अंदर 3 कंडोम थे जिसमे वीर्य भरा हुआ था,, मैं समझ गया दीदी तीन बार उस लड़के से चोदवायी है। वापस वो पैकेट वही रख कर मैं कमरे में गया दीदी मोबाइल चला रही थी। 

मैं अब यही सोच रहा था दीदी उस लड़के के जगह मुझ से चुदवाती तो कितना अच्छा होता, मैं दीदी और उस लड़के की चुदाई देखने का प्लान बनाया और ये सोचने लगा दीदी को कैसे चोदू।

कहानी ने अगले भाग में मैं आप को बताऊंगा मैंने कैसे दीदी और उस लड़के की चुदाई देखा और दीदी को चोदने का मेरा सपना पूरा हुआ या नहीं।

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