मेरी सेक्स स्टोरी पढ़ने वाले, मेरे सभी पाठकों को मेरा और मेरे खड़े लण्ड का नमस्कार..
नये पाठकों को बता दूँ की मेरा नाम सुमित है, उम्र 20 और जाती से, शरीर से, क्रम से पहलवान हूँ..
इससे पहले भी मेरी दो कहनियों की श्रंखला “कुँवारी कली” (1 – 3) और “चूत में खून, दिल में सुकून” (1 – 5) प्रकाशित हो चुकी है..
दोस्तो, आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने मेरी दोनों कहनियों की श्रंखला को पसंद किया..
बस आप से एक नम्र निवेदन और है.. अगर आपको मेरी कहानी पसंद आती है तो बस कुछ पल दे कर, उसमें रेटिंग देना ना भूलें..
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कामिनी जी ने जो मुझे मेल फॉरवर्ड किये, उसमें मेरे एक मित्र ने मुझसे पूछा की क्या मुझे सब लड़कियाँ कुँवारी ही मिलती हैं..
मैं माफी चाहता हूँ दोस्तों अगर मैंने आपको एक के बाद एक कुंवारी लड़कियों की कहानी सुना कर बोर किया हो तो..
ऐसा नहीं है की मुझे हर बार ही “कुंवारी लड़की” मिलती है..
मुझे लगा कुँवारी लड़कियों के बारे में पढ़ने में, पाठकों को ज़्यादा उत्सुकता होगी इसलिए पहले अपने ऐसे तजुर्बे आपसे साझा किए..
इस बार, मैं एक “विधवा औरत” की कहानी लेकर आया हूँ और आशा करता हूँ, ये भी आपको पहले की श्रंखला की ही तरह पसंद आएगी..
तो अब आते हैं, कहानी पर.. ..
इस बार एक छोटे से शहर से, मेरे पास एक लेडी का कॉल आया..
वो 36 साल की, विधवा लेडी थी..
मैंने उससे मैसेंजर पर बात की और उसके बारे में पूछा तो उन्होंने बताया की वो विधवा हैं..
करीब 3 साल पहले, उसके पति का स्वर्गवास हो गया था..
उसके पति एक सरकारी नौकरी में अच्छे पद पर थे और अब उन्हें, उनकी जगह नौकरी मिल गई है..
उनके दो बच्चे भी हैं – एक बेटा और एक बेटी..
बेटा 7 साल का और बेटी 12 साल की..
दोनों स्कूल जाते हैं..
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उन्होंने मुझसे बोला की मैं आपकी सर्विस लेना चाहती हूँ… आप का रेट क्या है… ??
मैंने उन्हें अपना रेट बताया और वो फ़ौरन तैयार हो गईं..
दोस्तो, मैंने अपना रेट अब ऐसा कर लिया है जिससे किसी भी वर्ग की औरत को मेरी सेवा लेने में परेशानी ना आए..
खैर, उन्होंने काफ़ी सवालों के बाद, अपना फोन नंबर मुझे दिया और आने की तारीख बता दी..
मुझे उस दिन रात में 9 के बाद, उनके घर जाना था क्यूँ की उनके बच्चे 9 बजे रात की बस से, अपने मामा के घर जा रहे थे..
उसके बाद, वो घर पर बिल्कुल अकेली थीं..
मैं लगभग 6 बजे, उसकी सिटी में पहुँच गया..
एक होटल में कुछ देर आराम करने के बाद, मैंने उन्हें फोन लगाया..
उन्होंने अपने घर का पता मुझे नोट कराया और कहा की जगह काफ़ी लोकप्रिय है और किसी भी ऑटो वाले से बोलने पर, वो मुझे उनकी कॉलोनी तक छोड़ देगा… फिर मुझे उनका घर, आसानी से मिल जाएगा…
अब मैं, उनके घर के दरवाज़े पर था..
रात के लगभग 10 बज रहे थे..
बाहर, बिल्कुल सुनसान था..
मैंने डोर बेल दबाई..
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कुछ ही देर में, दरवाज़ा खुला तो सामने एक सीधी सादी, बड़ी सभय सी महिला खड़ी थी..
सफेद प्रिंटेड साड़ी पहने हुए, वो एकदम परी सी हसीन लग रही थी..
रंग थोड़ा सांवला तो था पर चहरे पर गजब की सादगी थी..
हाँ, बदन बहुत ही सेक्सी था..
मैंने बहुत सी विधवा औरतों को देखा है..
यूँही अचानक, उनका सेक्स करना बंद हो जाता है..
6 महीने या साल भर में तो उनको सेक्स की कोई ज़रूरत महसूस नहीं होती पर जैसे जैसे गम कम होता जाता है, वैसे वैसे “वासना” हावी होती जाती है..
चाहें रिश्ता कितना ही मजबूत क्यूँ ना रहा हो पर जाने वाला, अपने साथ अपने साथी की भावनाएँ तो नहीं ले जा पता..
ऐसी स्थिति, औरतों के लिए बड़ी मुश्किल होती है..
पर किसी से “अनैतिक सम्बन्ध” बनाने से तो बेहतर है मुझ जैसे की सेवाएँ लेना..
जिंदगी की इसी उडेढ़ बुन में उलझी हुई सी औरत थीं, रिया जी..
खैर, दरवाजा खुला और वो मुझे देख रही थीं..
वो कुछ बोल पातीं, इससे पहले मैं बोला – नमस्कार, मेरा नाम है सुमित…
फिर वो थोड़ा सा मुस्कुराई और बाहर की और देखने लगी की कोई देख तो नहीं रहा है..
इसके बाद, उन्होंने मुझे अंदर आने को कहा..
मैं अंदर गया और उन्होंने एक बार फिर बाहर देखते हुए, दरबाजा बंद कर दिया..
घर, एक सामान्य परिवार जैसा था..
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मैं सोफे पर जा कर बैठ गया पर रिया एक दम से दरवाजा बंद करके आई और उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर, मुझसे उठने को कहा..
मैं भी तुरंत उठ गया..
उन्होंने एक रूम की तरफ इशारा करके बोला – आप उस कमरे में आराम से बैठें… मैं बस कुछ देर में आती हूँ…
मैं उस रूम की तरफ चलने लगा की तभी रिया ने पहले रूम की लाइट बंद कर दी..
मैं समझ गया की पहले रूम की लाइट बाहर से दिखाई देती है इसलिए उन्होंने ऐसा किया होगा…