श्रद्धा सुमन new sex story

मैं अपने ऑफ़िस से घर के रास्ते में था तभी मेरा फ़ोन बजा और एक मेसेज ने मेरा मन व्याकुल कर दिया, श्रद्धा ने मेसेज में कहा था कि घर पे कोई नहीं है और उसके कमरे में दो चिमगादर घुस गए हैं जिनसे उसे डर लग रहा था। उसने कहा था कि अगर मैं आ सकूँ तो आ जाऊँ, मैंने गाड़ी उसके घर की तरफ़ घुमा दी। श्रद्धा की दो बहनें जिनके साथ वो रहती थी, बाज़ार गयी हुईं थीं, हल्की हल्की शाम हो रही थी, मैंने गाड़ी अपार्टमेंट की पार्किंग में जल्दी से बेतरतीब खड़ी कर दी और तीसरी मंज़िल की तरफ़ लपका। मैंने उसके दरवाज़े पर आहट की तो वो अंदर की तरफ़ खुल गया, मैं अंदर घुस गया सर श्रद्धा को आवाज़ दी। यूँ तो वो मेरे अंकल की लड़की थी पर मुझको अच्छी बहुत लगती थी, उनकी फ़ैमिली मेरठ में पिछले नौ साल से थी। मैंने घर के आख़िरी कमरे में झाँका तो वो ज़मीन पर गद्दे पर बैठी हुई हश हश करके चिमगादर को भगा रही थी। मैं अंदर गया और लाइट बंद कर दी जिससे वो घबरायी पर मैंने उसको इंतज़ार करने के लिए कहा। कुछ देर में लाइट खोली तो चिमगादर निकल चुके थे। मैंने श्रद्धा को कहा कि अब मैं चलता हूँ तो उसने कहा थोड़ी देर रुक जाइए। वो दौड़ कर मुझसे लिपट गयी, चूँकि वो थोड़ी मोटी थी तो उसने मुझे अपनी बाहों से ढक लिया। वज़न की वजह से उसके रिश्ते वापस हो रहे थे और उसकी शादी नहीं हो पा रही थी।मैंने उससे कहा की डरो नहीं अब कुछ नहीं है कमरा बंद करके आराम करो। उसकी गरम सांसें जैसे ही मेरी गर्दन पर पड़ीं, मैं मचल गया। मैंने उसकी कमर पर हाथ रखा और उसे अपनी तरफ़ घसीटा तो उसने कोई विरोध नहीं किया, मैं उसे भींचता चला गया वो मुझसे लिपटी रही और जैसे घुलने लगी थी मुझ में। मैंने हिम्मत की और उसकी मोटी गांड को हल्के से सहलाया। शायद उसको अच्छा लगा तभी मैंने उसकी शलवार में हाथ डाल दिया और उसकी गांड को अच्छे से सहलाया, वो मचलने लगी। मैंने उसकी शलवार के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाया वो तड़प गयी मगर कोई विरोध नहीं किया। मैंने हाथ अंदर डाल दिया और उसकी चूत में ऊँगली डाली, वो सिहर उठी। मैं समझ गया कि चिमगादर कहाँ था और क्यूँ था, मैंने एक झटके से श्रद्धा की शलवार का नाड़ा खींचा और शलवार नीचे गिरा दी। वो शर्माते हुए मुझमें समाने लगी, मैंने उसको उठाने की कोशिश की पर वो बहुत भारी थी। उसने मेरा हाथ पकड़ा और बग़ल वाले कमरे में ले गयी वहाँ एक दीवान पड़ा हुआ था, श्रद्धा उसी पर लेट गयी और मैं उसके ऊपर लेट गया।

मैं उसको चूमता रहा उसने ज़रा भी विरोध नहीं किया उसके होंठों को चूसता रहा वो गरम होती जा रही थी। तभी उसने कुछ इशारा किया जिसे मैं समझ नहीं पाया और मैं उसके स्तनों को ऊपर से ही मसलने लगा, उसने फिर इशारा किया तो मैंने समझा वो क्या चाह रही थी। मैं उसकी चूत पर पहुँच गया तो देखा उसमें से सफ़ेद सा कुछ निकल रहा था, जैसे कोई लोशन या क्रीम हो। मैंने ज़रा देर नहीं लगायी और उसकी चूत पर अपना मुँह रख दिया और उसको चाटने लगा उसने मेरे बाल पकड़ लिए जैसे रिमोट पकड़ लिया हो। अब उसके इशारे पर मैं अपनी ज़बान गहराता और उछलाता, उसको निसंदेह बहुत मज़ा आ रहा था। मैंने अपने हाथों में उसकी मोटी गांड थाम रखी थी और मेरा चेहरा लगभग उसकी चूत में समा चुका था, मैं चूसता गया और चाटता गया वो तड़पती रही उसके पैरों की उँगलियाँ बताती रहीं की वो स्वप्नलोक में पहुँच गयी थी। इस सबके बीच उसकी चूत से वो लोशन जैसा पदार्थ निकलता रहा और मैं उसकी नमी को चाट-चाट के सुखाता गया। अब मेरा लण्ड एकदम पागल हो चुका था इंतज़ार करते करते बौरा गया था, मैंने श्रद्धा को गाली देना शुरू कर दिया।वो ख़ुद ब ख़ुद कुतिया बन गयी और मुझको इशारा किया, मैंने झटपट अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत की कलियों के बीच रख दिया और हल्के से धकिया दिया। चूसने और चाटने के बाद श्रद्धा की चूत खिल सी गयी थी और गुलाबी रंग मुझे बहुत आकर्षित कर रहा था, मैंने अनुभव किया कि उसकी चूत कुछ सूज भी गयी थी। मैंने कुछ ना सोचा और अपने लण्ड को उसकी चूत में पेलता गया और बस पेलता गया। वो तड़पी,रोयी और रुकने को कहती रही पर मैंने कुछ नहीं सुना और कुछ देर में ऐसा लगा जैसे वही लोशन मेरे लण्ड पर गिरने लगा है उसकी चूत से निकलकर, अब श्रद्धा की सिसकियाँ मज़े से भर चुकी थीं और उसने मुझे और तेज़ चोदने के लिए कहा। मैंने स्पीड बढ़ायी तो मेरे लण्ड की टक्कर से उसकी चूत पर ठोकर लगती गयी और चुदाई का मधुर संगीत बजने लगा, क़रीब सत्रह मिनट उसको कुतिया बनाकर चोदने के बाद मिशनरी पोज़ीशन में कुछ देर उसको चोदा इस बीच ये संदेह दूर हो गया था की वो लोशन था, श्रद्धा की सील टूटने की वजह से ख़ून आया था। कुछ देर बाद मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में झाड़ दिया और वो मुस्कुरा दी, मैंने पूछा और करें? तो बोली कुछ नही सर हिला दिया ।

मैंने उसका कुर्ता उतारा और उसकी काली ब्रा के हुक जल्दी से खोले और उसके मम्मे भींचने लगा वो पागल हुई जा रही थी मैंने उसके मम्मे चूसना शुरू किया तो उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया और सहलाने लगी । अब मैंने उसको अपने ऊपर लेने की कोशिश की, चूँकि उसका वज़न ज़्यादा था तो उसको घुटनों को मोड़ के अपने ऊपर आने को कहा, उसने आज्ञाकारी शिष्या की तरह बात मानी और अपनी चूत को मेरे लण्ड पर टिका दिया। एक हल्के से झटके से वो मेरे लण्ड पर बैठती चली गयी और फिर शुरू हुआ अद्भुत चुदाई का रंगारंग कार्यक्रम। मुझे मोटी लड़कियाँ हमेशा से पसंद थीं और ये बात मुझे अब बेहतर पता थी , श्रद्धा के मम्मे हवा में उछालते हुए मैंने नीचे से भी ज़ोर दे रहा था, सब कुछ तालबद्ध तरीक़े से चल रहा था मैंने उसके मम्मों के उछाल पर अपने लण्ड को केंद्रित कर दिया और ज़ोर लगाने लगा, उसके हाथ मेरे हाथ में थे और वो सिहारते हुए झूम झूम के मेरे लण्ड का मज़ा ले रही थी, क़रीब बाइस मिनट इस तरह आनंद लेने के बाद हम दोनों ने कुर्सी और मेज़ का सहारा लेके प्रचण्ड चुदाई की और श्रद्धा के मन का बोझ हल्का होने लगा। मैंने उसे कहा की वो बहुत मज़ेदार है और अगर उसकी शादी ना हो तो मुझे बता दे मैं ही कर लूँगा, ख़ैर उसकी शादी हो गयी और वो ख़ुश है मगर जब कभी बात होती है तो यही कहती है की मेरी बात ही कुछ और है। बात सही भी है साढ़े सात इंच का भरा पूरा लण्ड जिसको मिलेगा वो और क्या कहेगा, उसके बाद से मैं जाने कितनी लड़कियों को चोद चुका हूँ पर श्रद्धा की बात ही कुछ और है । छह साल बाद उसने मुझे कल फ़ोन किया और कहा की वो मेरठ में है और कमरे में छिपकली आ गयी है, ये कहानी ख़त्म होते ही गाड़ी स्टार्ट करनी है।

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