नमस्कार दोस्तों, कैसे हो? मेरा नाम अर्चना है. मैं एक शादी शुदा औरत हूँ. शादी को 5 साल हुए हैं, लेकिन मेरे पति एक सेल्स की नौकरी करते हैं जिसके कारण उनका कारण उनका काम के सिलसिले में दूसरे शहरों में जाना काफी ज़्यादा होता है और मेरी चूत गरम की गरम पड़ी रहती है. मुझे चोदने के लिए कोई नहीं मिलता है।
दोस्तों, मैं एक बहुत चुदक्कड़ और लौड़े की हमेशा प्यासी लड़की हूँ और शादी के पहले से ही सेक्स की ज़बरदस्त खिलाड़ी रही हूँ. मेरे आज भी कई मर्दों से सम्बन्ध हैं और सेक्स मेरे लिए सब कुछ है. मेरी दुनिया है, सेक्स ही मेरा जीवन है और सेक्स के बिना मैं यूँ तड़पती हूँ जैसे पानी मछली फड़डाती है.
मुझे नए नए लंडो से चुदवाने का बड़ा शौक है मेरे पति जैसे ही शहर के बाहर जाते हैं, मेरी ऐयाशी शुरू हो जाती है. इसीलिए मैंने एक सुनसान एरिया में अपना फ्लैट लेकर रखा हुआ है. एक रात चुदने का बहुत तेज़ मूड हुआ मैं सोचने लगी क्या करूँ, किस यार को बुलाऊँ या कुछ नया किया जाए आज. मैंने एक स्कर्ट पहनी, ऊपर टॉप और एक शाल ले ली. मैंने न ब्रा पहनी और न ही चड्डी. कपड़ों के भीतर चूत, गांड और मम्मे बिलकुल नंगे थे. मैं नहीं चाहती थी कि कोई लौड़ा मिले तो वो चड्डी ब्रा खोलने में समय बर्बाद करे. घर से अपने पति की दारु के स्टॉक से एक पव्वा लिया और एक पैकेट सिगरेट उठाया और किसी लण्ड की तलाश में घर से निकल पड़ी.
घर के नज़दीक ही एक बाग़ है जो अँधेरे में सुनसान सा हो जाता है और सिर्फ कुछ बदमाश लोग वहां घूमते रहते हैं. सोचा कि चलो वहीं चलकर देखती हूँ कि किस्मत ने साथ दिया तो कोई न कोई लौड़ा ज़रूर मिलेगा तो वहीं के वहीं चुद लुंगी. बाग़ में पहुँच कर बड़ी निराशा हुई कि वहां कोई भी नहीं दिखा. चिड़चिड़ा कर मैं घास में बैठ गई, एक सिगरेट सुलगाई और मज़े से व्हिस्की के घूंट धीरे धीरे भरने लगी. कुछ देर के बाद जब दारु ने थोड़ा थोड़ा सुरूर दे दिया तो सोचा कि यहाँ बाग़ में वक़्त ज़ाया करने से अच्छा है कि सड़क पर ही एक चांस लिया जाए।
बस तो मैं बाग़ से बाहर आकर हाईवे की ओर चल दी. दारु का नशा हल्का हल्का चढ़ने लगा था. एक और सिगरेट सुलगा के मैं चली जा रही थी. हाईवे पर भी पहुँच गई जहाँ केवल ट्रक आ जा रहे थे. मैंने स्कर्ट ऊपर उठाई और चूतड़ सड़क की तरफ करके गांड खोल के बैठ गई. सिगरेट के कश लगते हुए मैंने सु सु करनी शुरू कर दी. मुझे मालूम था जाते हुए ट्रकों की लाइट मेरी गांड पर पड़ रही है और ट्रक वाले उसको देख लेंगे. सुर्र्र्र सुरर्र की आवाज़ के साथ मैं सु सु कर रही थी और सुट्टा मार रही थी. वाह क्या मजा आ रहा था !
तभी एक ट्रक थोड़ा रुका. उसको देख के मैं खड़ी हो गयी. ड्राइवर का हेल्पर उतर के मेरे पास आया मगर मैंने उसको ना देखने की एेक्टिंग की,और सुट्टा मारती रही. वो मेरे पास आके बोला कही छोड़ दूँ तुझे क्या? देखा तो वो बेहद गन्दा सा, पतला दुबला सा आदमी था. मैंने उसको कहा हाँ वो आगे ढाबे पे छोड़ दे मुझे. उसने कहा चल आगे गाडी में बैठ जा. मैं चलने लगी और वो मेरे पीछे पीछे आया. बीच बीच में कमीना मेरे चूतड़ों पे हाथ मार रहा था. मेरा नाम पूछा तो मैंने उसको बताया अर्चना. मैंने उसका नाम पूछा तो बोला पपू. आगे ड्राइवर है उसका नाम सुरेंदर है. मैं पहुँच कर बोली ऊपर कैसे जाऊं. वो बोला मैं पीछे से हाथ देता हूँ. उसने मुझे गांड पे हाथ लगा कर ज़ोर से दबाते हुए ऊपर चढ़ा दिया ,मैंने ड्राइवर को देखा. ड्राइवर मादरचोद हट्टा कट्टा सा सरदार था और साले के मूँह से देसी दारु की तेज़ महक आ रही थी. उसने मुझे घूरते हुआ पूछा कहाँ जायेगी तू?? मैं बोली आगे एक ढाबा है वहां तक जाना है. उसने लुंगी बांध रखी थी और वो साला बहुत ही काला कलूटा आदमी था हरामी.
मैंने पूछा कि सरदारजी सिगरेट पी लूँ क्या? ड्राइवर बोला पी पी ले साली क्या याद रखेगी किसी दिलवाले के ट्रक में बैठी थी. पीछे से पपु क्लीनर बोला कि एक सिगरेट मेरे को भी दे. मैंने एक सिगरेट उसको दी और एक अपने होंठों में लगाकर सुलगा ली . पपु ने अपनी सिगरेट खुद ही सुलगा ली.
थोड़ी ही देर में आगे एक ढाबा दिखाई पड़ा. सुरेंदर ने वहां ट्रक रोक दिया और सब नीचे उतर गए. मुझे उतारने के लिए इस बार सुरेंदर ने मेरी बाहें पकड़ के उतारा मगर उतारते हुए कमबख्त ने मेरे मम्मे हलके सा दबा दिए. ट्रक से उतर के हम सब ढाबे की तरफ बढे. सुरेंदर ढाबे के मालिक से कुछ बातें करने लगा. वो साला ढाबे का मालिक बात तो सुरेंदर से कर रहा था लेकिन बड़ी शैतानी मुस्कान देते हुए मुझे घूर रहा था. मुझे क्या घूर रहा था ये कह लो कि मेरे चूचियों पर नज़रें गड़ाए था माँ का लौड़ा.
मैंने भी सिगरेट का कश भरते हुए एक रंडियों वाली एक मस्ती भरी स्माइल दे दी साले को. वो मेरे पास आया और पूछने लगा कितने पैसे लेगी? मैंने कहा कुछ नहीं ये मेरा शौक है बस.
वो मुझे ढाबे के पीछे एक रूम में ले गए. छोटा सा गन्दा सन्दा सा रूम था जहाँ एक तख़्त पड़ा हुआ था जिस पर एक मैली कुचैली दरी बिछी थी. ढाबे के मालिक ने उस पर नैथन का इशारा किया. मैं बैठ गई. फिर वो और पपु बाहर गए और थोड़ी देर में जब लौट के आए तो उनके हाथों में एक दारू की बोतल, चार गिलास, थोड़ी बर्फ और कुछ खाने का सामान था. वो सामान एक छोटी सी टेबल या कह लो एक बड़े से स्टूल पर रख कर मुझे कहा कि चार पेग बना. मैंने चार ग्लास बना दिए और सब पीने बैठ गए.
हम चारों वो घटिया देसी दारू पीकर आपस में भद्दे भद्दे मज़ाक कर रहे थे. मुझे इन मैले कुचैले लोगों की गन्दी बातें इस गंदे कमरे में सुन के बड़ा आनंद आ रहा था और मेरी उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी. ये एक रिस्की कदम था जो मैंने चुदास में पागल होकर उठाया था और मैंने खूब मस्त थी. इसके रिस्क ने ही मेरा मज़ा बढ़ा दिया था और ऊपर से देसी दारू. सोने पर सुहागा.
फिर ढाबे के मालिक, जिसका नाम था रहीम, उसने अपनी लुंगी खोल के फेंक दी और कच्छा भी नीचे सरका के गिरा दिया. साले का लण्ड देखकर मेरी बांछें खिल गयीं. क्या मादरचोद ज़बरदस्त लौड़ा था. कम से कम नौ इंच का तो ज़रूर होगा और काफी मोटा भी. काला कलूटा अपने मालिक जैसा. मैंने मन ही मन लौड़े का नाम भी रहीम रख दिया. रहीम मेरे पास आ गया और अपना लोड मेरे मुंह से सटा के बोला कि चूस इसको भोसड़ी वाली. उसके लण्ड से पसीने और पेशाब की मिली जुली गंध आ रही थी. उस गंध से मेरी चुदास चौगुनी हो गई. मैंने पूरा मुंह खोल के रहीम को ले लिया लेकिन वो लण्ड इतना बड़ा था कि गले तक घुसने के बाद भी लौड़े का काफी हिस्सा मुंह से बाहर था. मोटा इतना कि बहुत ज़्यादा मुंह खोलने की वजह से जल्दी ही मेरे जबड़े में दर्द होने लग गया. लेकिन फिर भी मैंने उस महान लौड़े को ख़ुशी खुसी चूस रही थी. इतना तगड़ा लण्ड चूसना तो दूर मैंने कभी देखा भी न था. बहनचोद अर्चना आज तो तेरे मज़े लग गए. इतने ज़ोरदार लौड़े आज तेरी चूत और गांड की ऐसी खबर लेंगे कि दस दिन तक चुदाई भूल जाएगी. मुंह का क्या हाल होने वाला था वो तो इश्वर ही जाने. मुझे यकींहो चला था की आज मेरे मुंह तो चिरेगा ही गाला फटने से बच जाये तो बहुत खैर समझ.
तब तक सुरेन्द्र और पपु भी नंगे हो चुके थे. मैंने कनखियों से दोनों के लण्डों पर निगाह डाली. सुरेन्दर का लण्ड भी काफी बड़ा था. रहीम जितना लम्बा तो नहीं लेकिन मोटा कहीं ज़्यादा. था ये भी रहीम के समान काल भुजंग. ये लण्ड अगर मेरे मुंह में घुस गया तो पक्के से मेरा मुंह चिर जायेगा. चल कोई नहीं देखेंगे मैंने अपने आप से कहा. अब रहा पपु जिसका लण्ड यूँ तो अच्छा भला था परन्तु उन दो महालण्डों की तुलना में छोटा दिख रहा था. फिर भी सात इंच का तो होगा ही.
तब इन तीनों में बहस छिड़ गई कि पहले कौन मेरी चूत में लौड़ा देगा. फैसला ये हुआ कि सुरेन्द्र पहले चूत ठोकेगा, रहीम गांड मारेगा और पपु मेरा मुंह चोदेगा. फिर उन्होंने मुझे नंगा कर दिया और तख़्त पर पटक दिया. सुरेन्द्र ने झट से मेरी टाँगें चौड़ी करके अपना मोटा काला लौड़ा मेरी चूत में घुसेड़ दिया. तभी रहीम ने उसको गाली देते हुआ कहा कि बहनचोद पलट के इसको ऊपर ले तभी तो मैं रंडी की गांड मारूंगा. सुरेन्द्र पलट गया तो मैं ऊपर और वो मेरे नीचे हो गया. इसके पहले कि मैं कुछ समझ पाती गांड में एक तेज़ दर्द हुआ. रहीम का जंबो लौड़ा मेरी गांड फाड़ने की तैयारी में था. लण्ड बहुत मोटा था, घुस नहीं रहा था, लेकिन जब उसने मेरे बाल पकड़ के एक बड़े ज़ोर का शॉट ठोका तो पूरा का पूरा लण्ड मेरी गांड को छीलता हुआ भीतर जा घुसा. मेरे मुंह से दर्द के मारे एक चीख निकली. मैंने गुहार लगाई कि रहीम गांड से लण्ड निकाल ले बहुत दर्द है तू जितनी चाहे चूत मार लीजो पर प्लीज़ गांड बख्श दे. उस मादरचोद ने एक न सुनी और जवाब में दो तीन धक्के मार डाले. फिर बोलै पपु साले तू क्या माँ चुदवा रहा है दे इस रंडी के मुंह में लण्ड. पपु ने ऐसा ही किया. अब मेरे सभी छेद लौंडों से भरे हुए थे. गांड में दर्द भी अब घटने लगा था. उन तीनो के बदन से आती हुई स्मेल मुझे और गरम कर रही थी. न जाने कमीने कब से नहीं नहाए होंगे.
मैंने पपु का लण्ड चूसना शुरू किया जबकि कासिम और शेरे ने धक्के ठोक ठोक के मेरी चूत और गांड में मज़े की बहार ला दी. बस फिर तो यूँही सिलसिला चल पड़ा. बारी बारी से तीनों मादरचोदों ने रात भर मेरी चूत गांड और मुंह को चोदा. इतनी मस्त चुदाई का मैंने पहले कभी आनंद नहीं लिया था. मैं भी न जाने कितनी बार खलास हुई. न जाने कितना सारा तीनो का वीर्य मेरे मुंह में गिरा. चूत और गांड का भी वही हाल था. जब सब साले चोद चोद के पस्त हो गए और उनके लण्ड भी अकड़ने बंद हो गए तो मुझे छोड़ा. बड़ी मुश्किल से लडखडाते हुए मैं उठी और बाहर सु सु करने चल दी. वे तीनों भी मेरे पीछे पीछे आए. जैसे ही मैं चूत खोल के मूतने बैठी सुरेन्द्र ने अपना लण्ड मेरी तरफ करके मेरे मुंह पर मूतना शुरू कर दिया. ये देख के रहीम और पपु भला क्यों पीछे रहते. तीनो कमीनों ने मेरे मुंह पर मूत्र धारा मारी. काफी सारा गरम गरम मेरे मुंह में भी चला गया. मुझे भी बहुत टेस्टी लगा तो मैंने कोशिश की कि ज़्यादा से ज़्यादा मूत्र मुंह में ले लूँ.
जब सब निबट चुके तो मैंने एक एक करके तीनो का लौड़ा चूसा और उनका मक्खन खलास करके पी लिया. फिर सुरेन्द्र और पपु के ट्रक में बैठ के उन्होंने मुझे घर पर छोड़ दिया. मेरा नंबर ले लिया और फिर से चुदाई करने का वादा करके वो ट्रक लेकर चले गए.
इस ट्रिपल चुदाई का मज़ा इतना आया कि मैं समझा नहीं पाउंगी. बस मज़ा मज़ा और मज़ा ही मज़ा.
दोस्तों आपको कैसी लगी मेरी चुदाई की कहानी प्लीज लाइक और कमेंट करके रिप्लाई जरूर देना. में बड़ी ही चुदक्कड़ हूँ और बहुत बार यूँ ही अलग अलग मर्दों से चुदी हूँ. उसके बाद बाकी कहानी आगे लिखूंगी रिप्लाई का इंतज़ार कर रही हूँ.