छत पर चुद गई जवान साली

मेरी शादी को दो साल हो चुके है और जब मेरी पत्नी ने मुझे बताया ककी वह गर्भवती है तो मे उस दिन बहुत ही खुस हो गया, 5 किलो लड्डू ला के मैंने पुरे महोल्ले मे बाँट दिए. अब बीवी का ख़याल रखना था और उसे कम से कम कष्ट पड़े इस लिए मैंने अपने ससुराल फोन कर के अपनी साली कुसुम को यहाँ बुलवा लिया थोड़े दिन के बाद. कुसुम की पढाई पूरी हो चुकी थी और वह घर पे ही होती थी. कुसुम मेरे साथ बहुत हंसी मजाक करती थी और वह दिखने मैं भी बहुत सेक्सी थी, बड़े चुंचे, गोरे गाल, मस्त चाल और दो शब्दों में कहूँ तो टाईट माल. कुसुम के यहाँ आने के बाद एक रात को शराब के नशे में मैंने उसके साथ चुदाई कर डाली और उसकू चूत और गांड दोनों में अपना लंड डाल दिया था..आइए देखे यह सब कैसे हुआ.

उस दिन शनिवार था और मेरी पत्नी को बुखार आया था, मधु के लिए में डोक्टर ले के आया और उसने कहा कुछ नहीं मामूली बुखार ही है ठीक हो जाएंगा. उसने मधु, मेरी बीवी, को नींद की गोली दे दी और कहा की वूह आराम करे. शाम के खाने के बाद नींद की गोली असर दिखा गई और मधु सो गई. मैं और कुसुम बहार खंड में थे, शनिवार था इस लिए मैंने ठंडी बोतल बियर की खोल रखी थी और हम दोनों तास खेल रहे थे. बियर का ठंडा ठंडा नशा मुझे गर्म करने लगा था, कुसुम जब मुझसे मजाक करती थी तो मैं उसके नाचते हुए स्तन देख कर मदहोश हो रहा था, ऐसे भी मेरे लंड को बीवी के प्रेग्नंट होने की वजह से चूत या गांड की खोराक नहीं मिली थी. गांड और चूत के विटामिन ना मिलने से लंड की हालत पतली ही थी.कुसुम के दोनों स्तन जोर जोर से इधर उधर हो रहे थे इसका मतलब की उसने अंदर ब्रा नहीं डाली थी. मेरे लंड में खिंचाव आने लगा. मैंने भी बगेर अंडरवेर के ही अपना फेवरेट काला बरमुडा पहेना था जिस के आगे मेरा लंड ऊँचा होने से छोटी टेकरी बन गई थी.

मैंने गोर किया की कुसुम भी लंड के तरफ कभी कभी देख रही थी, 19 साल की कच्ची जवानी शायद लंड का अनुभव करना चाहती थी. कुसुम के हल्के टी-शर्ट और नन्हे बरमुडे की वजह से उसकी गोरी मांसल झांघे मुझे दिख रही थी और लौड़ा हेरान होने लगा था. मैंने कुसुम को कहाँ की यहाँ थोड़ी गर्मी है चलो छत पर चलते है, वोह मेरे साथ उपर आई. वोह प्लास्टिक की कुर्सी लेके मेरे आगे चल रही थी, उपर एक कुर्सी पहेले से थी इसलिए मैं केवल अपनी बोतल ले के चढ़ा. कुसुम मेरे आगे सीडियां चढ़ रही थी और मैं उसकी मटकती हुई गांड को देख रहा था. मन तो कर रहा था की उसकी गांड को अपने हाथ से छू लूँ, पर मैं रुक जा रहा था. तभी कुसुम का पाँव सीडियों में रखे कुछ सामान से टकराने से पिसल गया.

कुसुम गिरे उससे पहेले मैंने अपने बाजू में उसे पीछे से थाम लिया. मेरा लोड किया हुआ लंड ऐसा करने से उसकी गांड को छू बैठा, उसे भी मेरे लंड की गर्मी का अहेसास हो गया. वोह उठ के स्वस्थ हुई और हम दोनों उपर आ गए. छत पर हम दोनों आमने सामने कुर्सी डाल के बैठे हुए थे, अब उसकी नजरे मुझ से मिल नहीं रही थी. साइकोलोजी तो पढ़ी ही थी मैंने इसलिए मैं समझ गया थी उसके इरादे भी डगमगा गए है…..! मैंने भी आज इस साली की चूत और गांड ले लेने का मन बना ही लिया. दारु चढ़ी तो थी लेकिन फिर भी में होश में था. कुसुम भी बिच बिच में लंड की तरफ देख रही थी, मैंने अब धीमे से रोमेंटिक बातें चालू की बोयफ्रेंद वगेरह की. थोड़ी देर में ही वोह पूरी खुल गई और ओपनली बातें करने लगी मुझ से. कुसुम को मैंने भी बताया की मैं कैसे कोलेज मैं लोंदियों की चूत ली थी. मैंने धीमे से अपना पग कुसुम के पग से लगा दिया, वोह कुछ नहीं बोली….!

हम दोनों बातें करते गए और मैं अपना पाँव उसके पाँव पर सहेलाने लगा, मेरी हिम्मत अब खुल गई थी और मैंने धीमे से अपना हाथ कुसुम के स्तन पर रख दिया, वोह बोली…”जीजू यह क्या कर रहे हैं ” उसके आवाज में प्रश्न से ज्यादा खुशी छूपी थी मैंने दूसरा हाथ भी उसके स्तन पर रखा और हल्के से उसके चुंचे दबा दियें, कुसुम की आँखे बंध हो गई और वोह सिसकारी मार बैठी. दोस्तों सिसकारी का मतलब होता है मजा आना, तो कुसुम को गर्म देख मैंने भी हथोडा मार देने की थान ली. मैंने खड़े हो के पहेले दरवाजे को कड़ी लगा दी ताकि नींद की गोली के नशे में सोई मधु जागे तो भी हम पकडे तो ना जाएं. मैने वापस आके कुसुम की नीली टी-शर्ट खिंच ली. उसके मस्त गुलाबी निपलवाले चुंचे मेरे अंदाजे के मुताबिक बगेर ब्रा के ही थे. मैंने अपना मुहं इन देसी निपल पर रख दिया और कुसुम मेरे गांड के उपर हाथ फेरने लगी.

कुसुम के चुन्चो को दो मिनिट चूसने के बाद मैंने उसके बरमुडे का बटन खोल दिया आर उसे खिंच फेंका, ओह क्या जवान चूत थी यारो…बिना खुली और फूली हुई, छोटे छोटे बाल और चूत के होठ इसके लाल लाल. मैंने अब निपल चूसते चूसते चूत के उपर हाथ फेरना शरु कियां, कुसुम की चूत अब गीली होने लगी थी. मुझे यह देसी सेक्सी चूत चूसने की तलब जाग उठी और मैंने कुसुम के पाँव कुर्सी के हेंडल पर रख के उनको फेला दिया, अब चूत के उपर मैं अपना मुहं रख के उसके चूत के होंठो को हल्के हल्के दांत गड़ाने लगा, कुसुम की सिसकारियाँ बढ़ गई और एक तीव्र झटका लगा जब मेरी जीभ उसकी चूत के होंठो को पार कर के अन्दर घुसी. उसकी चूत का रस खारा खारा था और चूत के अंदर जीभ जाते ही कुसुम ने दोनों हाथो से कुर्सी के हेंडल कस के पकड लिए. पहेली बार की चूत चुसाई उसको बहुत उत्तेजित कर रही थी.

दो तिन मिनिट कुसुम की चूत चूस और चाट कर मैं खड़ा हुआ और मैंने अपनी बनियान निकाली, मेरी छाती के बालो को देख वोह छोटे बच्चो के जैसे उछल पड़ी और खड़ी होक उनमे उंगलिया घुमाने लगी. मैंने उसे निचे बैठाया और बरमुडा निकाला, लंड की लम्बाई देख के कुसुम डर सी गई…मैंने उसे कुर्सी में बिठाये रखा और अपना 9 इंच लम्बा लंड उसके मुहं में पेल दिया, कुसुम मुश्किल से आधा लंड चूस पा रही थी, मैंने लंड हिलाके उसको चुसाए रखा. सच कहूँ मुझे उसके लंड चूसने में बिलकुल मजा नहीं आया, शायद मधु लंड चूसने में सबसे बेस्ट थी. मैंने कुसुम के मुहं से अपना लंड और अपनी गांड से लिपटे उसके हाथ दूर किये. कुसुम चुदने जितनी गर्म तो हो ही चुकी थी. इस 19 साल की चूत का नशा मेरे बियर से भी भरी था, मैंने कुसुम के पाँव दुबारा हेंडल पर रखे और अपना लंड उसके बिन खुले चूत की पंखड़ियों पर रख दीया. कुसुम की चूत बहुत गर्म हो चुकी थी.

मैंने बिना जल्दबाजी किये धीमे धीमे पहले लंड को उसकी चूत के उपर रगड़ा साथ ही उसकी गांड को कुर्सी पर सही एडजस्ट किया और फिर ताव देख के एक धीमा झटका मारा, कुसुम चिल्ला पड़ी……ओह ओह्ह्ह्हह्ह. मैंने उसके मुहं में ही उसकी चिल्लाहट भरने के लिए उसके होंठो से अपने होंठ लगा दिए…मेरा नशा कब का उड़ चूका था लेकिन बियर की बदबू नहीं. जैसे ही मैंने अपने होंठ हटाये कुसुम नाक के आगे हाथ फेरने लगी. मेरा लंड आधा ही उसकी चूत के अंदर गया था, मैंने दो मिनिट आधे लंड को अंदर बहार किया और जैसे कुसुम गांड हिलाके चुदाई का बदला देने लगी मैंने और एक झटका मार के लंड को पूरा चूत के अंदर कर दिया. कुसुम अब चुदाई सिख गई थी क्यूंकि उसने मुझे कमर से मस्त पकड लिया और मेरे झटको का जवाब वोह अपने कुले उठा उठा के देने लगी.

उसकी चूत 5 मिनिट तक मारने के बाद मुझे गांड का मजा लेने का मन हुआ, मैंने कुसुम की चूत से अपना डंडा निकाला और उसे कुतिया बना दिया वही कुर्सी के उपर, पहेले मैंने डौगी स्टाइल में और एक बार चूत चोदी 1 मिनिट तक, लेकिन मेरा मन उसकी हिलती डुलती गांड पर ही था, मैं उसे स्वस्थ कर के गांडमें देना चाहता था, एक दम से गुदामैथुन का शायद वोह मना ही कर देती. मैंने अब लंड को चूत से बहार निकाला और उसे गांड के छेद पर रख दिया, कुसुम पलट कर मेरी तरफ देखने लगी. वोह समझ गई की मुझे क्या करना था, मैंने अपना लंड हाथ में लिया और मैं धीमे से उसके गुदा छेद में लंड डालने लगा. लंड को इस सख्त गुदा में प्रवेश में बहुत ही दिक्कत हुई लेकिन कसम से जब पूरा घुसा तो एक असीम आनंद आया, और कुसुम की हालत तो खराब हुई पड़ी थी. मैंने फिर एक बार लंड के झटके शरू क्र दिए और अब की मुझे यह झटके मारने में दिक्कत सी हो रही थी, गांड सच में बहुत टाईट थी यारो.

गुदा की सख्ताई की वजह से मैं एक मिनिट में ही कुसुम की गांड में झड गया और पता नहीं कुसुम तो 2-3 बार झड़ चुकी थी.मैंने कुसुम के स्तन दबाये और वोह हंस रही थी, उसने खड़े होकर मुझे होंठो पर किस किया. हम दोनों कपडे पहन कर निचे आ गए…..! मैंने दुसरे ही दिन ससुराल फोन कर के बता दिया की कुसुम मधु के डिलीवरी के एक माह बाद ही आएगी…..और कुछ महीने में इस जोशीली चूत और गांड के मजे यूं ही मस्ती से लेता रहा……!

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