हैलो दोस्तो, कैसे हो आप सब…
मैं संतोष चौधरी.. आगरा से हूँ..
मेरा रंग गोरा है.. मेरा कद 170 सेंटीमीटर है.. जिस्म दुबला-पतला है।
मेरा लण्ड 7 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा है जो कि खड़ा होने पर पैन्ट में अलग ही दिखता है।
यह मेरी पहली स्टोरी है और उम्मीद करता हूँ कि आप सबको पसन्द आएगी।
अगर कोई ग़लती हो तो माफ़ कीजिएगा।
ये कहानी आज से 4 साल पहले की है.. जब मेरी उम्र 22 वर्ष थी।
उन दिनों मैं अपने गाँव गया हुआ था। मेरा गाँव आगरा से 40 किलोमीटर की दूरी पर है। उन दिनों सर्दियों का मौसम था।
अब मैं आपको अपने पड़ोस वाली आंटी के बारे में बताता हूँ। वो मेरे गाँव के पड़ोस में रहती थीं।
उनकी उसी साल शादी हई थी.. उनको कोई बच्चा नहीं हुआ था।
उनका रंग एकदम साफ दूध जैसा था कद 165 सेमी और जिस्म का कटाव 34-30-34 का था।
जब वो मेकअप करके निकलती थीं तो क़यामत लगती थीं।
उनकी ठुमकती हुई बड़ी मस्त चाल और बड़ी मस्त चूचियाँ और बहुत ही मस्त गाण्ड थी।
आंटी का नाम बबिता था.. प्यार से सब उनको बेबो कह कर बुलाते थे।
उनका घर मेरे चाचू के घर के पीछे की तरफ था। हमारी छत से उनकी छत साफ दिखती थी और वो आंटी छत पर ही बने एक कमरे में रहती थीं।
मैं गाँव जाने के दूसरे दिन ही काफ़ी सर्दी होने की वजह से करीब 9 बजे सुबह छत पर धूप में बैठा था.. तो अचानक मेरी नज़र उनकी छत पर गई।
मैंने पहली बार उनको नहा कर कपड़े बदलते हुए देखा। उनको इस हालत में देखते ही मेरे होश उड़ गए और मैं उनको देखता ही रह गया।
मैंने आज तक इतना सुंदर और सेक्सी माल कभी नहीं देखा था.. वो मानो जन्नत से आई अप्सरा हो… मेरा मन उन पर डोल गया.. उनकी एक बार चुदाई के बदले कोई जान भी दे दे.. आप सब मेरी बात को झूठ माँनेंगे.. लेकिन ये सच है।
उनके बाथरूम में दरवाजा नहीं था.. तो वो खटिया लगा कर नहा रही थीं। जैसे ही वो बाथरूम से बाहर आईं.. तो उन्होंने मुझे उनको देखते हुए देख लिया और बिना कोई प्रतिक्रिया दिए, जल्दी से चली गईं।
फिर मैं भी उठा और नीचे बाथरूम में जाकर उनके नंगे बदन को याद करके दो बार मुठ मारी।
अब तो मैं बस एक बार उनको चोदने की सोचने लगा। बस यही बात बार-बार दिमाग में घूम रही थी और उनको देखने के बाद मेरा लण्ड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।
उनके घर हमारा आना-जाना अच्छा था। तो मैं अब तो बस उनके घर किसी न किसी बहाने से जाता और उनसे बात करने की कोशिश करता.. लेकिन बात नहीं हो पाती थी।
तो एक दिन क्या हुआ मानो मेरी तो किस्मत ही खुल गई हो.. जैसे कि अंधे को आँखें मिल गई हों।
आंटी ने मुझे बुलाया तो मैं उनके पास गया.. उन्होंने एक सादा लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी.. वो उस साड़ी में भी क़यामत ढा रही थीं।
तो मैंने उनके घर जाकर देखा तो कोई नहीं था।
फिर तो मेरे मन में उसी वक्त उसे चोदने की इच्छा होने लगी, मुझे अपना लण्ड संभालना बड़ा मुश्किल हो रहा था।
जैसा कि मैंने आप सभी को बताया था कि मेरा लण्ड 7 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा है जो कि खड़ा होने पर पैन्ट में अलग ही दिखता है.. वो उस दिन भी दिख रहा था।
मैंने उनके पास जाकर उनसे पूछा- आंटी क्या काम है?
उन्होंने मुझे अंकल को फ़ोन करने के लिए बुलाया था।
मैंने फ़ोन उन्हें दे दिया और उन्होंने फ़ोन किया.. तब तक मैं उनके कमरे में पड़े पलंग पर बैठ गया और उनको देख-देख कर अपने लण्ड को सहलाने लगा।
आंटी मुझे अपना लण्ड सहलाते हुए देख रही थीं।
उनका फ़ोन कट जाने के बाद मैंने उनसे कहा- आंटी आप बहुत ही सुंदर हो.. आप के लिए तो कोई भी अपनी जान दे सकता है।
वो यह सुनकर वो थोड़ा सा मुस्कुराईं और ‘चल हट..’ कह कर चुप हो गईं।
उन्होंने अपने पर्स से पैसे निकाले और मुझे फ़ोन के बदले देने लगीं।
मैंने मना कर दिया।
आंटी बोली- क्यूँ नहीं ले रहे हो?
तो मैं बोला- मुझे पैसे नहीं कुछ और चाहिए…
वो बोली- क्या चाहिए बोलो? वो ही मिलेगा।
अब तो मुझे अन्दर ही अन्दर डर लगने लगा।
तो मैंने कहा आप नहीं दोगी.. झूठ बोल रही हो.. पहले वादा करो कि जो मैं माँगूगा.. वो आप दे दोगी।
तो फिर उन्होंने प्रोमिस कर दिया और पूछने लगीं- क्या लोगे बताओ?
अब मुझे बताने में बहुत डर लगने लगा कि कहीं चोदने की कहूँ तो ये अपने घर पर न कह दे.. इसी डर से मैं कुछ नहीं बोला और ‘फिर किसी दिन मांग लूँगा..’ की कह कर घर आ गया।
घर आते ही फिर बाथरूम में गया और बेबो आंटी के नाम से 2 बार मुठ मारी।
उस दिन से रोजाना सुबह के वक्त मुझे छत पर बैठना और उनको नहाते हुए ही देखना और इसके बाद मुठ्ठ मारना.. यही काम चालू हो गया।
ऐसा कई दिन तक चलता रहा।
फिर मैंने थोड़ी हिम्मत जुटाई और उनसे बात करने की मन में ठान ली कि मैं आज अपनी बात बता कर ही रहूँगा कि मैं आपको चोदना चाहता हूँ।
तो उस दिन शाम को जब मुझे लगा कि उनके घर पर कोई नहीं है.. तो मैं उनके पति का नम्बर लेने के बहाने से उनके पास गया और मैंने जाकर देखा कि वो अपने बिस्तर पर लेटी थीं और टीवी पर कुछ देख रही थीं और अपनी चूत को सहला रही थीं।
तो मुझे उनको देख कर चुदाई का भूत सवार हो गया।
अब मेरे लिए रुकना मुश्किल था और मैं अन्दर कमरे में चला गया।
तो वो मुझे देख कर एकदम से डर गईं और अपने कपड़े सही करती हुई खड़ी हुईं।
तो मैंने कहा- अरे आंटी आप बैठी रहो न…
उनका मुँह ऊपर नहीं हो रहा था.. शर्म के मारे मेरे वो चुपचाप खड़ी रहीं।
फिर मैंने उनका हाथ पकड़ा और बिस्तर पर बैठने को कहा और उनका हाथ पकड़ते ही मेरे शरीर में 11000 वोल्ट का करेंट सा दौड़ गया और मेरा लण्ड खड़ा होने लगा।
फिर मैं उनको देखते हुए बोला- आंटी मैं आपसे कुछ लेने आया हूँ।
बोली- बताओ क्या लेना है?
मैंने कहा- आप मना तो नहीं करोगी.. आपने वादा किया था।
उन्होंने कहा- ठीक है बताओ…
तो मैंने कहा- आंटी… आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो.. मैं आपके साथ एक रात सोना चाहता हूँ।
यह सुनकर वो चिल्ला उठी और बोली- तुमको पता है.. तुम क्या कह रहे हो?
मैंने धीरे से कहा- आपने वादा किया था कि आप मना नहीं करोगी…
वो बोली- मैंने इसके नहीं कहा था और अब तुम जाओ।
फिर उनसे धीरे से बोला- आंटी ये ग़लत बात है.. आप अपने वादा तोड़ रही हो प्लीज़ एक रात…
कुछ देर तक हिम्मत करके मैं उन्हें एक रात के लिए मनाता रहा तो आंटी ने काफ़ी देर तक चुप रहने के बाद कहा- ठीक है.. मैं सोच कर बताऊँगी।
यह सुनते ही मैं मन ही मन में बहुत खुश होने लगा और उनको अपना नम्बर देकर उनसे जल्दी जबाब देने की कह कर चला आया।
अब तो मेरी जिन्दगी में बस दो ही काम बचे थे.. उनको हर वक्त देखने की कोशिश करते रहना और हर दो या तीन घन्टे बाद मुट्ठ मारना।
फिर एक दिन सुबह 8 बजे मेरा फ़ोन बजा.. मैं अब तक सोया हुआ ही था तो मैं फोन उठाया और देखा कि फोन पर आंटी थीं.. उनकी आवाज़ सुनते मेरा रोम-रोम खुश हो गया और ऐसा लगने लगा जैसे कि मुझे खजाना मिल गया हो…
फिर मैंने उनसे पूछा- बताओ.. क्या बात है?
तो उन्होंने कहा- मेरे सभी घर वाले सभी एक रात के लिए बाहर जा रहे हैं और तुम आज रात को ही आ जाना…
यह कह कर उन्होंने फ़ोन रख दिया.. ये सुनते ही मुझे पता नहीं क्या हो गया और उसी पल से मुझे एक-एक सेकेंड बहुत बड़ा लगने लगा और रात के बारे में सोचने लगा।
मेरा दिन गुजारना बहुत मुश्किल हो गया.. बस ऐसा लग रहा था कि कब रात हो और मैं उसे चोदूँ…
फिर दोस्तों मैं रात होने का इन्तजार करने लगा और सोच-सोच कर मुठ मारने लगा।
उस दिन मैंने दिन में करीब 4 बार मुठ मारी थी।
फिर आखिरकार वो रात आ ही गई.. जब मैं पहली बार चूत के दर्शन करूँगा और किसी को चोदूँगा।
फिर मैंने शाम का खाना खाया बस खाया ही था भूख किसे थी.. अब तो बस चूत की भूख थी।
मैं और मेरे चाचू का लड़का छत पर ही सोते थे।
मेरे चाचा का लड़का मुझसे काफी छोटा था, उसकी उम्र लगभग 10 साल थी।
और फिर सबने खाना खाया और सब सोने चले गए।
गाँव में सब जल्दी सो जाते हैं.. क्यूँकि सुबह जल्दी जाग जाते हैं।
मैं भी जाकर खटिया पर लेट गया.. मुझे नींद कहाँ आने वाली थी।
जब 10 बजे और मैंने देखा कि घर वाले सभी सो चुके हैं तो बाहर छत पर शाल ओढ़ कर आंटी के घर की तरफ मुँह करके बैठ गया और उनके बुलाने का इन्तजार करने लगा।
दोस्तो, जनवरी का महीना था.. बहुत कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी और मैं सर्दी लगने की वजह से काँप रहा था।
फिर करीब आधा घंटे बाद आंटी ने टॉर्च जला कर मेरी तरफ इशारा करके बुलाया और फिर क्या था.. मैंने चुपके से अपना दरवाजा खोला ओर निकल गया।
आंटी के पास पहुँचा तो जाकर देखा कि गेट के पास उनके ससुर सोए हुए थे.. तो आंटी ने मुझे टॉर्च जला कर घर के पीछे आने को कहा।
उनके घर के पीछे से भी अन्दर जाने का रास्ता था।
मैं पहुँचा फिर उन्होंने दीवार पर होकर ऊपर आने को कहा और मैं दीवार पर होकर ऊपर चढ़ गया।
दीवार पर चढ़ते ही आंटी ने मेरा हाथ पकड़ा और धीरे से नीचे उतार कर अपने कमरे में ले गईं।
अब तो दोस्तो, मुझे अजीब सी बेचैनी हो रही थी क्योंकि मैं किसी से इस प्रकार पहली बार मिल रहा था।
कमरे में अन्दर जाकर आंटी ने दरवाजा बंद किया और दीवार से लग कर खड़ी हो गईं और बोली- जो चाहते हो.. वो ले लो…
ये सुनते ही मैं पागल सा हो गया और अब मेरा सपना साकार होने वाला था।
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ तो मैंने धीरे से उनका हाथ पकड़ा और दबाने लगा।
हाथ पकड़ते ही मेरा लण्ड फुंफकार मारने लगा।