मेरी पहली कहानी ‘भैया से सील भी नहीं टूटी‘ आप सभी ने पसंद की, मेरे पास बहुत मेल पुरुषों एवं महिलाओं के आए… बहुत बहुत धन्यवाद। अब मैं सीधे कहानी पर आता हूँ..
जब अंजलि भाभी के साथ सेक्स किया तो अंजलि ने कहा- रिकी अब तुम मुझे माँ भी बना देना.. इनसे तो सील भी नहीं टूटी.. तो माँ क्या बनाएंगे..
मैंने कहा- ठीक है.. अब मैं अंजलि के घर कभी भी पहुँच जाता और उसके साथ सेक्स करता.. एक दिन अन्जलि भाभी का फ़ोन आया।
‘रिकी तुम घर आओ..’
मैंने कहा- मैं एक घंटे बाद आता हूँ।
मैं जब अंजलि के घर पहुँचा तो एक बहुत ही सुन्दर महिला ने दरवाजा खोला, उसने गुलाबी रंग का सलवार पहना हुआ था।
मैंने नमस्ते किया और पूछा- अंजलि भाभी हैं?
तो उन्होंने कहा- हाँ हैं.. आप अन्दर आइए.. मैं बुलाती हूँ।
मैं अन्दर जा कर ड्राइंग रूम में बैठा इतने में मेरी स्वप्न सुंदरी आई।
अंजलि- आ गये रिक्की.. ये मेरी रश्मि दीदी हैं.. दीदी, यह रिक्की है.. जहाँ हम पहले रहते थे.. ये वहीं अपने पड़ोसी थे।
रश्मि- नमस्ते..
मैं- नमस्ते..
मेरी निगाह ने रश्मि के बदन को बहुत ही ध्यान से देखा.. वो भी अंजलि से कम नहीं थी।
झील सी आँखें.. गुलाब की पंखुड़ियों जैसे पतले-पतले होंठ.. मम्मों का साइज 32 होगा.. और सबसे मस्त उसके चूतड़ थे.. उसको देखकर मेरे लण्ड में हलचल होने लगी।
रश्मि- आप अंजलि से बात कीजिए.. मैं आपके लिए चाय लाती हूँ।
मैं धीरे से बोला- अंजलि ये कबाब में हड्डी कहाँ से आ गई?
अंजलि- ये सब छोड़ो.. मैंने तुम्हें खुशखबरी सुनाने बुलाया है रिक्की.. तुम पिता बनने वाले हो..
मैं खुश हो गया और अंजलि को एक किस कर दिया। अंजलि ने जल्दी से मुझसे अलग होते हुए कहा- अरे रिक्की.. क्या करते हो.. घर में दीदी हैं..
मैं- सॉरी..
तभी रश्मि अन्दर आई..
रश्मि- रिक्की चाय लो..
मैं- थैंक्स दी.. चाय बहुत ही बढ़िया बनाई है।
रश्मि- थैंक्स..
मैं- भाभी.. आज भैया नहीं आए.. शाम के 7 बज गए..
अंजलि- तुम्हारे भइया आज सुबह ही ऑफिस के काम से दिल्ली गए हैं अब वे 2-3 दिन में आयेंगे।
मैं- अच्छा भाभी.. मैं चलता हूँ.. बहुत देर हो गई।
अंजलि ने इशारा करते हुए कहा- रिक्की आज तुम खाना खाकर यहीं सो जाना.. बहुत लेट हो गए हो.. मैं घर पर फ़ोन कर देती हूँ।
मैं- नहीं भाभी.. अभी निकल जाता हूँ।
रश्मि- रिक्की रुक जाओ.. गप्पें लगाएंगे..
मैं- ठीक है..
हमने खाना खाया और हाल में बैठकर बातें करते रहे।
मैं- दी.. आप, भाभी से कितनी बड़ी हैं?
रश्मि- 5 मिनट..
मैं- मतलब आप जुड़वाँ हैं.. तभी आप दोनों की शक्ल बहुत मिलती है।
रश्मि- हाँ..
मैं अपनी किस्मत पर रो रहा था कि काश आज अंजलि की दीदी नहीं आती तो अब तक मैं अंजलि को दो बार चोद देता। मैंने मन ही मन विचार किया कि चाहे कुछ भी हो जाए.. आज तो मैं अंजलि को चोद कर ही रहूँगा.. क्योंकि आज तो मेरे लिए बहुत ख़ुशी का दिन था कि अंजलि मेरे बच्चे की माँ बनने जा रही है।
इतने में अंजलि बोली- रिक्की.. तुम उस बेडरूम में सो जाना.. दीदी आप मेरे बेडरूम में.. और मैं हाल में सो जाऊँगी।
मैं समझ गया था कि अंजलि को भी चुदने की बेकरारी है।
मैं- ठीक है.. चलो मैं तो सोने जा रहा हूँ।
इतना कह कर मैं सोने चला गया.. किन्तु मेरी आँखों में नींद नहीं थी। मैं करवट बदलता रहा। करीब एक घंटे बाद मैं बिस्तर से उठा और कमरे से निकल कर हाल में आया.. तो देखा कि हाल में बिलकुल अँधेरा है। मैं हिम्मत करके आगे बढ़ा.. मैंने सोचा कि अंजलि के दिमाग की भी दाद देना पड़ेगी कि कितनी बढ़िया प्लानिंग की है।
मैं धीरे-धीरे अनुमान के आधार पर हाल में रखे दीवान के पास पहुंच गया और हाथ चलाया.. तो मुझे अहसास हो गया कि अंजलि ही सो रही है।
मैंने अपना लोवर उतारा और दीवान पर लेट गया और किस करने लगा।
मैंने एहसास किया कि अंजलि की नाइटी के आगे के बटन भी खुले हैं। मैं धीरे से उसके मम्मों को दबाने लगा और फिर मम्मों को मुँह में लेकर चूसने लगा।
मैं कभी दायाँ मम्मा चूसता.. कभी बायाँ चूसता। साथ ही मैं उसके मम्मों को जोर-जोर से दबाता भी रहा।
फिर पेट को चूमते हुए जन्नत के द्वार के करीब पहुंच गया और जन्नत के द्वार की आखरी बाधा.. पैन्टी को भी उतार कर फेंक दिया। अब मैंने उसकी दोनों टाँगें चौड़ी करके अपना मुँह उसकी चूत पर लगा दिया।
चूत बिलकुल चिकनी थी.. मैं चूत के छेद में अपनी जीभ डालकर चूसने लगा। चूत से पानी की धार निकल पड़ी और मैं सारा पानी पी गया।
फिर मैं उसकी दोनों टांगों के बीच बैठ गया.. मैंने लन्ड चुसाने का भी रिस्क नहीं लिया। मैंने सोचा कही दीदी न उठ आएं.. और मैंने अपना 8 इंच का लौड़ा चूत पर टिका दिया.. तो चूत बिलकुल भट्टी की तरह गरम हो रही थी।
अब मैंने उसके होंठों पर किस करते हुए जो एक शॉट दिया.. तो समझो उसकी चीख ही निकल जाती.. किन्तु मैंने होंठ उसके मुँह पर ढक्कन की तरह लगा रखे थे.. और मेरे मुँह के होने से सिर्फ उसके हलक से सिर्फ गूं-गूं की आवाज आई।
मगर मुझे बहुत ताज्जुब हुआ कि आज अंजलि की चूत इतनी टाइट कैसे हो गई है.. पर मेरे ऊपर तो उस वक्त सिर्फ अंजलि की चूत चोदने का भूत सवार था।
इतने में मैंने एक शॉट और लगा दिया और पूरा लण्ड चूत के अन्दर कर दिया।
मेरा लण्ड उसकी बच्चेदानी तक पहुँच गया और मैं दोनों हाथों से उसके बोबे दबा रहा था।
इसी के साथ मेरे होंठ उसके होंठ से मानो चिपक से गए थे।
फिर मैंने आधा लण्ड बाहर निकाला और फिर ठोक दिया।
मैंने अंजलि से धीरे से पूछा- मजा आया रानी..
तो उसने मेरे कानों में बहुत धीरे से घरघराती सी आवाज में कहा- चुपचाप काम करो.. बहुत मजा आ रहा है.. दी जाग जाएगी।
फिर क्या था.. मैं दनादन शॉट पर शॉट मारता रहा और उसकी चूत से कामरस की धारा बहने लगी।
मैं कम से कम 25 मिनट तक उसको चोदता रहा, इतनी देर में वो तीन बार पानी छोड़ चुकी थी..
अब उसकी चूत की पकड़ भी ढीली हो गई थी और तभी मैंने भी अपना सारा वीर्य उसकी चूत के अन्दर ही छोड़ दिया और उसके ऊपर ही गिर गया।
थोड़ी देर बाद मैं उठा.. अंजलि को किस किया.. कपड़े पहन कर अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गया और नींद के आगोश में चला गया।
सुबह जब अंजलि ने मुझे किस किया तो मैं एकदम उठकर बैठ गया।
अंजलि- गुड मॉर्निंग..
मैं- गुड मॉर्निंग..
अंजलि- सॉरी रिक्की कल रात मैं नहीं आ सकी.. क्योंकि कल रात तुम्हारे जाने के बाद दीदी हाल में ही टीवी देखते देखते सो गईं.. तो मैंने उनको उठाना उचित नहीं समझा और मैं अपने बेडरूम में जाकर सो गई और ऐसी आँख लगी कि मेरी सुबह ही नींद खुली..
मेरी खोपड़ी भक्क से खुल गई मैं मुँह बाए अंजली को देख रहा था.. मेरी समझ में सारी बात आ गई कि कल रात मैंने जिसे अंजलि समझ कर चोदा.. दरअसल वो रश्मि थी, तभी उसकी चूत इतनी टाइट लग रही थी।
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इतने में अंजलि मुझे हिलाते हुए कहने लगी- जनाब क्या सोच रहे हो?
मैं- कुछ नहीं.. कोई बात नहीं.. फिर कभी चोद लेंगे.. दीदी यहाँ हमेशा थोड़ी ही रुकेगी.. अभी दीदी जाग गईं क्या?
अंजलि- नहीं दीदी अभी सो रही हैं.. रिक्की मैं डेरी से दूध लेकर आती हूँ.. तुम गेट लगा लो। फिर मैं सबको बढ़िया चाय पिलाती हूँ।
अंजलि दूध लेने चली गई और मैं गेट लगाकर रश्मि के पास आया.. तो वो मुझे इतनी सुन्दर लग रही थी कि मैंने उसको एक किस कर लिया.. तो वो एकदम से हड़बड़ाकर उठ कर बैठ गई।
रश्मि- क्या कर रहे हो.. अंजलि नहीं आ जाए?
मैं- वो दूध लेने डेरी गई.. कम से कम 20 मिनट लगेंगे.. कल रात तुमने इतने मजे लिए और मैं तुम्हें अंजलि समझ कर चोदता रहा और तुमने उस समय बीच में कहा था कि दीदी जाग जाएगी..
रश्मि साफ़-साफ़ बताओ कि तुम इतनी कॉन्फिडेंस में कैसे थीं कि मैं अंजलि के साथ ये सब करूँगा।
मैंने देखा कि अभी भी उसकी ब्रा खुली हुई थी और नाइटी के सामने के बटन भी खुले थे। उसके मदमस्त दूध देख कर मेरा लौड़ा एकदम से खड़ा हो गया।
रश्मि- जब मैं चाय बनाने गई थी.. तब चाय गैस पर रखकर मैंने गेट के पीछे खड़े होकर तुम्हारी सारी बातें सुन ली थीं। मुझे ये भी पता चल गया कि अंजलि की कोख में तुम्हारा बीज है। रिक्की तुम दोनों मुझे बेवकूफ समझते हो जब तुम आए थे और दोनों बात कर रहे थे.. तो मैंने देखते ही सारी बात समझ ली थी कि तुम दोनों के बीच कोई चक्कर है.. तभी तो मैंने सोने की जगह बदलने के लिए सोने का नाटक किया.. क्योंकि अंजलि ने जब कहा था कि दीदी तुम मेरे बेडरूम में सो जाओ.. तभी मुझे पक्का यकीन हो गया था कि तुम्हारे और अंजलि के बीच कुछ चक्कर है।
मैं- जब मैं तुम्हारे पास आया तो फिर तुमने मुझसे चुदवाया क्यों?
रश्मि- रिक्की जब तुम आए और तुम मेरे ऊपर आकर किस करने लगे तो तुम्हारा लण्ड मेरी चूत पर टच हो रहा था.। तो मुझे तुम्हारे लन्ड का साइज का एहसास हो गया था.. इतने बड़े लन्ड से चुदने की बहुत दिनों की मेरी इच्छा पूरी हो गई। वाकयी में रिक्की तुम्हारे लण्ड में दम है।
रश्मि की बात सुनकर मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया और मैं रश्मि के ऊपर चढ़ गया।
रश्मि- रिक्की नहीं.. अंजलि आ जाएगी.. बाद में चोद लेना।
मैं- नहीं रश्मि.. कल रात तुम्हें अंजलि समझ कर चोदा था.. अभी तो मैं तुमको पक्का चोदूँगा।
रश्मि मना करती रही.. पर मैंने जबरदस्ती अपन खड़ा लण्ड उसके मुँह में दे दिया.. वो भी मजे में आकर चूसने लगी। मैं उसकी पैन्टी निकालकर उसकी चूत चाटने लगा, फिर उसके मुँह से लण्ड निकाल कर मैंने उसकी चूत में पेल दिया, वो भी गांड उठा-उठा कर मजे लेने लगी ‘रिक्की.. आह्ह.. फक मी.. मी.. आह.. आहह..’
मैं भी शॉट पर शॉट लगाता रहा और 15 मिनट बाद मैंने सारा वीर्य उसकी चूत में डाल दिया। अब मैं उसे चोद-चाद कर जल्दी से खड़े होकर कपड़े पहनने लगा क्योंकि अंजलि के आने का समय हो गया था।
रश्मि अपनी चूत की तरफ देखकर बोली- रिक्की देखो.. तुमने क्या हाल किया.. सारी चूत सुजा दी..
मैं हँसने लगा तो मुझे किस करके बोलती हैं रिक्की आई लव यू.. मजा आ गया।