मैं शादी के दिन के बाद काफी थक गई थी तो इसलिए मेरी आँख जल्दी लग गई और मैं नींद की आगोश में चली गई. और नींद में ही मुझे अचानक कुछ महसूस हुआ. मैं जब चौंक कर उठी तो मेरे पति मेरे पास बैठे थे और उसका हाथ मेरी पीठ को सहला रहा था. उनकी आँखों में देखने की मेरी हिम्मत नहीं थी. मुझे बहुत ही शर्म आ रही थी. और शायद वो भी मेरी हालत को समझ रहे थे.
अब उन्होंने मेरी थुड़ी को अपनी उँगलियों से पकड़ा और ऊपर उठाया और वो मेरी आँखों म देखने लगे. मैंने भी हिम्मत कर के उनकी आँखों म देखा तो उन्होंने एक पल वेस्ट किये बिना अपने होंठो को मेरे होंठो पर लगा दिया. वो मेरे गुलाबी और रस से भरे हुए होंठो को चूसने लगे.
उनकी किस में कुछ ज्यादा ही दम था. वो मुझे ऐसे चूस रह थे जैसे आज वो सब रस को चूस चूस के खाली कर देंगे. तभी वो किस करते करते मेरे ऊपर आने लगे तो मैं भी अपनी बाहों को खोल के उनके गले में दाल की उन्हें खिंच बैठी. मैं मस्तिया के उनका साथ देने लगी थी.
कुछ ही पलों में वो मेरे ऊपर थे और मैं उनके निचे चित्त लेटी हुई थी. अब मेरे पति ने एक हाथ से मेरे पल्लू को साइड में कर दिया और अगले ही पल मेरी एक चुन्ची को दबा दिया. मैं तो जैसे सिसक उठी. मुझे एकदम से अजीब सा मजा आने लगा और देखते ही देखते मेरी चुन्ची ब्लाउस के ऊपर से ही पति के हाथ में समा गई और वो जोर जोर से मुझे किस करते हुए बूब्स को मसलने लगे.
तभी मैंने किस तोडा और शर्माते हुए बोली, धीरे कीजिए न प्लीज़ मुझे दर्द हो रहा हे!
वो भी धीमी आवाज से बोले, मेरी जान दर्द का अपना अलग ही मजा होता हे सेक्स के अंदर.
ये कह के वो हलके से मुस्कुराए और अगले ही पल उन्होंने मेरा ब्लाउज और ब्रा को मेरी छाती से अलग कर दिया और मेरी छोटी छोटी चुन्चियों को देख के उनके चहरे पर किल्ला फतह करने वाली स्माइल आ गई.
मैं तो जैसे शर्म से लाल हो गई और मैंने साइड से चद्दर उठा कर अपने ऊपर ओढ़नी चाहि पर इसका कोई फायदा नहीं हुआ. मेरे पति ने एक ही झटके में चद्दर दूर फेंक दी और मरी चुन्ची को अपनी उंगलियों में फंसा कर नोंच लिया.
उनके ऐसा करते ही मुझे एक झटका लगा और मैं उनकी छाती से लिपट गई. पति ने मुझे अपने सिने से अलग किया और वो नीची खिसक के मेरी एक चुन्ची को मुह में लेकर चूसने लगे और दूसरी को अपनी उँगलियों से नोंचने लगे.
मुझे एक तरफ मजा भी आ रहा था और दूसरी तरफ दर्द भी हो रहा था. पर पति को बचे की तरह मेरी चुंचियां चूसते हुए देख के मेरे अन्दर की गर्मी बढ़ रही थी और मेरे निपल्स अपनेआप ही हार्ड होते जा रहे थे.
हरीश के मुह से अपनी निपल्स को महसूस कर के मैं सिसक रही थी. और इसी गर्मागर्मी में मैंने हरीश की पेंट पार हाथ डाल दिया. एक ही झटके में मैंने उनकी पेंट खोल दी. हरीश ने भी मेरी चुन्ची चूसते चूसते पेंट निकाल फेंकी और अगले ही पल जब मैंने उनके अंडरवेर में हाथ डाला तो मैं दंग रह गई और अपना हाथ मैंने बहार खिंच लिया.
हरीश ने जैसे ही मेरी इस हरकत को देखा तो वो तुरंत अपने घुटनों की बल आ गए और उन्होंने अपनी चड्डी को नीचे खिसका दिया. ऐसा करते ही उनका लगभग ९ इंच का लम्बा लंड मेरी आँखों के सामने आ गया. उनका लंड लम्बा तो था ही पर वो थोडा टेढ़ा भी था जिसके कारण वो बहुत ही डरावना सा लग रहा था.
तभी हरीश ने मेरा एक हाथ पकड़ा और उसे अपने लंड पर रख दिया. और उसे आगे पीछे करने लगे. थोड़ी ही देर में मैं खुद ही पूरी तेजी के साथ उनके लंड की चमड़ी को पकड़ के आगे पीछे करने लगी थी.
अब हरीश ने मुझे लंड मुह में लेने का इशारा किया. पर मैंने ब्लोव्जोब के लिए मना कर दिया. और फिर एक मिनिट मी जब वही इशारा फिर से हुआ तो मैं मना नहीं कर सकी और मैंने उनके बड़े लंड को अपने मुहं में भर लिया.
उनके लंड से एक अलग ही सुगंध सी आ रही थी. और ये सुगंध मुझे उतावला सा कर रही थी. मैं अच्छे से उनके लंड को चूस रही थी. उनका लंड वैसे तो आधा ही मेरे मुहं में आ रहा था पर फिर भी वो बिच बिच में मेरा सर पकड के मेरे मुहं की चुदाई करने लगते और उनका आधे से ज्यादा लंड मेरे मुहं मी चला जाता था.
मुझे इसमें बहुत मजा आने लगा था. पर तभी उन्होंने मुझे पीछे किया और एक ही झटके में मेरी साडी, पेटीकोट और पेंटी मेरे बदन से अलग कर दी और मेरी टांगो को खोल के मेरी चूत के दर्शन करने लगे.
मुझे बहोत ही शर्म आ रही थी पर तभी उन्होंने अपनी एक ऊँगली को मेरी चूत में घुसा दी और मैं तो जैसे तिलमिला उठी. तभी उन्होंने मेरी चूत चाटना शरु कर दिया और मेरा मजा चार गुना हो गया.
देखते ही देखते वो मजे लेकर मेरी चूत चाटने लगे और उनका मजा मेरे मजे से डबल हो गया था. मैं बेड पर मस्ती से सिसक रही थी और चद्दर को नोंच रही थी और वो मेरी चूत के छेद से बहता हुआ पानी लगातार चाट रहे थे.
मैं मस्ती में आह आह बड़ा मजा आ रहा हे, आह आः ओह ओह ऐसे आवाज निकाल रही थी. और मैं साथ ही में उन्हें चूत को अन्दर तक चाटने के लिए भी प्रोत्साहित कर रही थी. हरीश को चूत चाटने का सही ढंग पता था.
अब वो थोडा पीछे हटे और अपनी बाहों में किसी गुडिया की तरह मुझे उठा लिया. मैंने भी अपनी दोनों टांगो को उनके बदन की चारोतरफ लोक कर दिया. उन्होंने मुझे निचे बेड पर डाला और मेरे ऊपर आ गए. उनके वो टेढ़े लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के ढक्कन के एकदम सामने था और उसे टच हो रहा था.
इस से पहले की मैं कुक करती उन्होने निचे से एक धक्का लगाया और फ्क्कक्क्क से उनका आधा लंड मरी कोमल प्यारी चूत के अन्दर दरवाजे को तोड़ता हुआ घुस आया. मैं तो तिलमिला उठी — आह्ह्ह्ह हाई भग्वान्न्न्नन्न्न्न अआः मेरी माया हरीश आःह्ह्ह मर गई बाप रे, कितना दर्द हूऊऊओ रह्ह्ह्हह्ह हे, प्लीज़ निकल्लल्ल्ल्ल लो इसे.
हरीश बोले, मेरी रानी ये दर्द तो थोड़ी देर का हे तेरी सिल टूटी हे इसलिए और अब तुझे असली मजा आएगा मेरी जान.
मुझे इतना दर्द हो रहा था की मैंने हरीश की गोद से उतरने की कोशिश की और मैं उछल पड़ी. पर मेरी नाकामी मुझे बहोत महंगी पड़ी. मेरी पकड़ ढीली हो गई और मैं फिर से हरीश की गोदी में ही गिर पड़ी अब उनका पूरा लंड मेरी चूत में घुस चूका था. अं तो जैसे बेहोश ही हो गई.
अगले ही पल हरीश ने मुझे बेड पर लिटाया और मेरी एक टांग अपने कंधे पर रख कर लंड एकदम टोपे तक बहार निकाला और एक जोरदार धक्के के साथ अन्दर घुसा दिया. मेरी तो मानो चूत फट ही गई इस धक्के से. मैं दर्द से तिलमिला उठी आह्ह्ह्ह मर गेई बाप रीईईईईई अह्ह्ह्हह्ह ऊऊऊउ ईईईईइ, प्लीज़ धीरे से हरीश आआआअ दर्द हो रहा हे.
पर हरीश एक बेदर्द की तरह मेरी चूत धनाधन बजने लगे और फच फच फच की साउंड के साथ चुदाई करते गए. मेरी चीेखे जैसे कमरे की दीवारों इ समा रही थी.
मेरा दर्द भी ज्यादा देर तक नहीं टिका और हरीश के दर्द भरे धक्के कब मुझे मजा देने लगे पता ही नहीं चला. और अब मैं उन्हें पूरा सपोर्ट कर रही थी और जोर जोर से चुदवाने के लिए अपनी गांड को हिला रही थी. अब मैं उनका पूरा लंड चूत में घुस्वाना चाहती थी.
मुझे सपोर्ट करते हुए देख के हरीश का जोश भी डबल हो गया और वो पूरी तेजी से मेरी चूत बजाने लगे और चुदाई की आवाजें कमरे में एक मजेदार माहोल बनाने लगी.
मैं सिसक सिसक कर अपनी चूत मरवा रही थी और हरीश का लंड कभी अन्दर तो कभी बहार हो रहा था. ये मजा मुझे आज से पहले कभी नहीं मिला था इस से पहले मेरे दो बॉयफ्रेंड रह चुके थे पर ये ऐसा मुझे किसी ने नहीं चोदा था.
तभी मेरी चूत में पानी बहना शरु हो गया और हरीश सिसकियाँ लेते हुए मेरी चूत में ही झड़ गए. उनके लंड से निकल रही गरम गरम कामरस की पिचकारियाँ मुझे साफ़ महसूस हो रही थी.
हरीश ने मेरे अन्दर अपना बिज गिरा दिया और उसके बाद भी वो अगले मिनिट तक मुझे चोदते गए. और बाद में जब वो मेरे ऊपर से हेट तो मेरी चूत खून से सनी हुई थी. मैं वर्जिन तो नहीं थी पर फिर भी हरीश के मुसल लंड ने मेरी चूत का बाजा बजा दिया था.