इंडियन लड़की की चुदाई हुई झाड़ियो में

मैं आज मैं आपको इंडियन लड़की की चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूँ जिसकी चुदाई मैंने अपने शहर को वापस जाते समय झाड में रूककर ही की थी | दोस्तों वो मेरे रिश्ते में कतई भी न लगती थी मेरी मुलकात तो उसे केवल अपने शहर में वापस जाते समय दूर की सफर तय करने वाली बस में हुई थी | किस्मत से हम दोनों का सिट नंबर अगल – बगल ही था जिसपर अब हम हमारी भी चल पड़ी | मैंने सुए सफर के आधे सफर में ही अपने काबू में कर लिया था | अब जब भी उसे नीद आती तो वो अपना सर मेरे कंधे पर रख लेतो ओत मैं उसके टॉप के अंदर ही हाथ डालने लगता | उसे पता था की मैं उसके स्तन को अंदर से ही अदबा रहा हूँ पर तभी भी वो नींद में होने का ढोंग रखती |

मैं उसके स्तन को दबाता हुआ दूसरे अत्रफ से अपने लंड को भी सहला लेता और क्यूंकि हमारी सीट सबसे ही पीछे थी इसीलिए हमें की और नहीं देख सकता था | हमने अपना आधे सफर इसी तरह तय किया और बीच में एक सुनसान से इलाके में बस जाके रुकी गयी और हम सभी को १ घंटा हल्का हो जाने और कुछ आर्म करने के लिए दिया गया जिसके बाद आगे का पूरा सफर बस में तय करने वाला था | मैं मौके की तलाश में उसके पीछे इधर – उधर ही मंडरा रह था जिसपर मुझे आखिरकार एक मौका भी मिल गया | मैंने उसे एक झाड के बाद अपने उप्पर के टॉप को उतारते हुए मुतते हुए देख और मैं देखा की जब वो मूतते हुए पिचकारी छोड़ रही थी तो उप्पर की तरफ से अपने चुचों को भी दबा रही थी |

मैं पीछे को खड़े सब देखा रहा था और जैसे ही वो उठी मैं उसके सामने को ही आ गया |मैंने उसे देखकर कामुक मुस्कान दी जिसपर पहले वो शं गयी फिर वो भी मुझसे हंसकर खुल गयी | मैंने अभी ही सुके चुचों को छूकर अपनी उँगलियों को फिराने और उसकी नीले रंग की स्कर्ट को भी उतार दिया | मैंने अब उसके होंठों को चूसते हुए उसकी चुत पर उंगलियां फिरान शुर कर दिया फिर झुककर अपनी जीभ को उसकी चुत पर रखकर चूसने लगा | मैं साथ ही उसके चुचों को मसलते हुए दबा – दबा के पि रहा था | मैं वहीँ खड़े हुए ही उसकी एक तरंग को अपने एक हाथ से पकड़ लिया और अपने लंड को उसकी चुत के उप्पर रगड़ने लगा जिससे मेरे लंड ने भी भी खड़ा और चूका था |

मैं अब झटके से अपने लंड को उसकी चुत में डाल आगे – पीछे करने लगा साथ ही उसकी चुत पर थूक गिराते हुए वहाँ लिटाकर जमकर चोदे जा रहा था | मेरे झटकों की गति बढ़ी दी तो वो भी गन्दी तरह से चींखें भर रही थी जिससे मैं उसकी गुदगुदी चुत में ऊँगली भी किये जा रहा था | मैं वहीँ काफी देर अपने लंड को आगे – पीछे किये और बाद में अचनक ही उसकी चिकनी भरी चुत में अपने लंड को झड़ता हुआ देखा | मेरा सार गाढ़ा मुठ उसकी चुत पर बह निकला था | जिससे देख मैं उसकी चुत में और तेज़ी से अपनी ऊँगली को डालने लगा और उसकी चुत का रस भी निकल गया | मैं बस गए और पुरे सफर कभी एक दूसरे के होंठों चूसते तो कभी एक दूसरे के अंगों को दबाते हुए सहलाने लगते |

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