कमरा नम्बर 109 की चूत चुदाई

मैं अपने ऑफिस का काम अपने लैपटॉप पर कर रहा था तभी मेरे पास मेरी पत्नी आई और वह कहने लगी कि अमन मुझे आपसे कुछ बात करनी थी। मैंने नीतू से कहा हां नीतू कहो क्या बात करनी है वह कहने लगी मुझे आपसे यह कहना था कि मैं सोच रही थी बच्चों का दूसरे स्कूल में एडमिशन करवा देते हैं। मैंने नीतू से कहा लेकिन तुम ऐसा क्यों सोच रही हो नीतू मुझे कहने लगी कि आपको मालूम है यहां पर बिल्कुल भी पढ़ाई नहीं होती है और मुझे लगता है कि हमें उन लोगों को दूसरे स्कूल में ही रखवा देना चाहिए। मैंने नीतू से कहा ठीक है तुम देख लो जैसा तुम्हें उचित लगता है नीतू कहने लगी मैंने दूसरे स्कूल में बात भी कर ली है और वह लोग एडमिशन करवाने के लिए भी तैयार हैं यदि आप कहें तो हम वहां चल लेते हैं आप एक बार स्कूल के प्रिंसिपल से मिल लीजिएगा। मैंने नीतू से कहा ठीक है कल मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगा लेकिन मैं ज्यादा समय तक नहीं रुक पाऊंगा नीतू कहने लगी हां कोई बात नहीं आप थोड़ी देर बाद चले जाइएगा।

मैंने नीतू से कहा ठीक है मैं तुम्हारे साथ चलूंगा और मैं अगले दिन नीतू के साथ चला गया मैं जब प्रिंसिपल से मिला तो मुझे उनसे मिलकर अच्छा लगा और उन्होंने मुझसे काफी देर तक बात की। जब उन्होंने मुझे कहा कि आपके बच्चों को यहां पर कोई भी परेशानी नहीं होगी और हम लोगों का स्कूल नंबर वन है तो मैं मन ही मन सोचने लगा जिस स्कूल में मैंने पहले एडमिशन करवाया था वहां पर भी उन्होंने यही कहा था परंतु नीतू की बात को मैं टाल ना सका और मुझे अपने बच्चों का दाखिला दूसरे स्कूल में ही करवाना पड़ा। पता नहीं नीतू को क्यों ऐसा लगता था कि बच्चे वहां बिल्कुल भी नहीं पड़ रहे हैं बच्चे अब हर रोज सुबह स्कूल चले जाया करते थे और उन्हें छोड़ने के लिए कभी कबार मैं अभी चले जाया करता था। मैं ज्यादातर अपने काम के सिलसिले में बाहर ही रहता था मैं जब भी अपने काम के सिलसिले में कहीं बाहर जाता तो मैं नीतू को कह दिया करता कि तुम बच्चों का ध्यान रखना क्योंकि आजकल माहौल भी कुछ ठीक नहीं है। नीतू मुझे हमेशा कहती हां मैं बच्चों का ध्यान रख लूंगी आप चिंता ना करें कुछ समय के लिए मुझे चेन्नई जाना था और वहां पर मुझे करीब एक महीने तक रुकना था मैंने नीतू से कहा तुम बच्चों का ख्याल तो रख लोगी ना।

वह कहने लगी हां मैं बच्चों का ध्यान रख लूंगी आप चिंता ना करें आप आराम से अपने काम पर जाए। मैंने नीतू से कहा तुम मेरा सामान पैक कर दोगी वह कहने लगी ठीक है मैं आपका सामान पैक कर देती हूं उसने मेरा सामान पैक करने में मेरी मदद की और जब मेरा सामान पैक हो चुका था तो उसके बाद वह मुझसे कहने लगी कि आप अपना ध्यान रखिएगा। मैंने उसे कहा हां मैं अपना ध्यान रख लूंगा उसे मेरे खाने को लेकर बड़ी चिंता रहती थी वह हमेशा ही कहती कि जब आप काम करते हैं तो आप खाने के बारे में बिल्कुल भूल जाते हैं तो आप अपने खाने का ध्यान रखिएगा। मैंने उसे कहा ठीक है बाबा और यह कहते ही उसने मुझे कहा कि आपने अपनी दवाई तो रख ली है ना मैंने नीतू से कहा हां मैंने अपनी दवाई रख ली है। वह मुझे कहने लगी है कि अब भी आप देख लीजिए कहीं कोई सामान भूले तो नहीं है मैंने उसे कहा नहीं मैंने सारा सामान रख लिया है आखिरकार तुमने मेरी जो मदद की थी इसीलिए तो मैंने सामान रख दिया है। नीतू जोर से हंसने लगी और उसके चेहरे पर खुशी देख कर मुझे भी बहुत अच्छा लगा हम लोग एक दूसरे को काफी वर्षों से जानते हैं। नीतू के पिताजी और मेरे पिताजी एक ही विभाग में नौकरी किया करते थे इसीलिए तो नीतू और मेरा रिश्ता हो पाया था जब हम लोगों का रिश्ता हो गया था तो उसके कुछ सालों बाद पापा भी रिटायर हो गए और अब वह लोग लखनऊ में ही रहते हैं और मैं अपनी नौकरी के सिलसिले में दिल्ली रहता हूं। हम लोग अक्सर उनसे मिलने के लिए जाते रहते हैं वह दिल्ली आना बिल्कुल भी पसंद नहीं करते उन्हें लखनऊ में ही अच्छा लगता है इसलिए वह लोग लखनऊ में ही रहते हैं।

मेरी फ्लाइट रात को थी तो मैंने नीतू से कहा अब मैं निकलता हूं लगता है मुझे निकलना चाहिए मैंने टैक्सी बुक कर ली क्योंकि मेरी फ्लाइट के लिए मुझे एयरपोर्ट जाना था और मैंने टैक्सी बुक कर ली। जब टैक्सी वाला आया तो वह मुझसे कहने लगा साहब आपका सामान मैं रख देता हूं तो मैंने उसे कहा नहीं कोई बात नहीं मैं रख देता हूं। थोड़ी बहुत उसने भी मेरी मदद की मैंने भी सामान रख दिया था मैं जब कार में बैठा तो मैंने उससे कहा हम लोग कितनी देर में पहुंच जाएंगे वह कहने लगा सर हम लोगों को पहुंचने में टाइम तो लगेगा लेकिन अभी शायद ट्रैफिक ना मिले इसलिए हम लोग जल्दी पहुंच जाएंगे। अब उसने अपनी गाड़ी में धीमी सी आवाज में गाने लगा दिए थे और मैं गाने सुनते सुनते पता नहीं कब एयरपोर्ट पहुंच गया कुछ मालूम ही नहीं पड़ा। मैं अपनी फ्लाइट में बैठ चुका था और वहां से चेन्नई के लिए निकल पड़ा चेन्नई पहुंचते ही मुझे हमारे ऑफिस की कार रिसीव करने के लिए आ चुकी थी और वह मुझे मेरे होटल में ले गई जहां पर मैं रुकने वाला था। उस दिन तो मैं काफी थक चुका था इसलिए मैं आराम करने वाला था और मैंने उस दिन आराम किया मैंने नीतू को भी सूचित कर दिया था कि मैं चेन्नई पहुंच चुका हूं वह मुझे कहने लगी आप अपना ध्यान रखिएगा और खाना याद से खा लीजिएगा। मैंने उसे कहा हां बाबा ठीक है खाना खा लूंगा और उसके बाद जब मैं अपने काम के सिलसिले में गया तो वहां पर मेरी मुलाकात चंदन से हुई चंदन वहां का काम संभाला करते थे और उन्होंने मुझे कहा कि सर आपका सफर कैसा रहा।

मैंने उन्हें बताया मेरा सफर तो अच्छा रहा लेकिन आप बताइए आप कैसे हैं, हम लोग कुछ देर तक एक दूसरे से आपस में बात करते रहे उसके बाद उन्होंने मुझे ऑफिस के स्टाफ से मिलवाया और मैंने उन लोगों को अपने नए प्रोडक्ट के बारे में बताया। मैं उन लोगों को उसके लिए जानकारी देने के लिए आया हुआ था और वह लोग मुझसे मशीन के बारे में सब कुछ पूछ रहे थे मैंने उन्हें सारी जानकारी दी हालांकि मुझे एक महीने तक रहना था और यह तो मेरा पहला ही दिन था लेकिन मेरा मन पता नहीं क्यों नहीं लग रहा था। जब मैंने नीतू से बात की तो नीतू कहने लगी आपने खाना तो खा लिया था और आप ठीक है ना, मैंने नीतू से कहा हां मैं ठीक हूं और मैंने खाना भी खा लिया था। मैंने उस दिन नीतू से एक घंटे तक बात की और मुझे पता नहीं कब नींद आई मालूम ही नहीं पड़ा। अगले दिन दोबारा से मैं ऑफिस में गया वहां से जब मैं लौटा तो मैंने टीवी ऑन कर दी और मैं टीवी पर मूवी देखने लगा। मैं मूवी देखने में इतना खो गया था कि मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था लेकिन जैसे ही किसी ने जब दरवाजे की डोर बेल बजाई तो मैंने देखा बैल बजा रहा है। मैं जब दरवाजे की तरफ बढ़ा तो सामने काले सूट में एक लड़की खड़ी थी उसका गोरा रंग देखकर मैं तो उसे ऊपर से लेकर नीचे तक देखने लगा उसने जैसे ही अपनी मधुर आवाज में कहा क्या यह रूम नंबर 109 है? मैंने उसे कहा नहीं यह तो रूम नंबर 106 है वह मेरी तरफ देखने लगी उसकी आंखों की मस्त अदाओं में जैसे मैं खो गया था मुझे उसका नंबर तो पता चल चुका था लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि वह एक कॉल गर्ल है।

वह मेरी तरफ ध्यान से देखने लगी मैंने उसका हाथ पकड़ते हुए अंदर खिच लिया जब मैंने उसके बदन को अपनी बाहों में लिया तो वह उत्तेजित होने लगी और उसे बड़ा मजा आने लगा उसकी गर्मी बढने लगी थी मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था। मैंने जब अपने लंड को बाहर निकाला तो वह मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर लेने लगी और उसे बड़ा अच्छा लग रहा था। उसने मेरे लंड को ऐसे चूसा जैसे कि उसे लंड चूसने में महारत हासिल हो मुझे भी बड़ा अच्छा लग रहा था और उसे भी आनंद आ रहा था काफी देर तक उसने मेरे लंड के मजे लिए। मैंने भी उसके सूट को उतारते हुए उसकी योनि के अंदर अपनी उंगली को डालना शुरू किया तो उसे भी मजा आने लगा वह पूरी तरीके से मचलने लगी थी। उसके उत्तेजना को मैं समझ सकता था वह इतनी ज्यादा बेचैन हो गई कि मुझे कहने लगी आप मुझे और ना तड़पाईए। मैंने भी उसकी योनि के अंदर अपने लंड को घुसा दिया जैसे ही मेरा मोटा लंड उसकी योनि के अंदर घुसा तो वह पूरी तरीके से बेचैन हो गई। वह अपने मुंह से चिल्लाते हुए कहने लगी कि आप मुझे और तेजी से धक्के दीजिए मैंने उसे और भी तेजी से धक्के देने शुरू कर दिए। मेरे धक्को में अब और भी तेजी आने लगी मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था और उसे भी बहुत आनंद आ रहा था।

मैंने काफी देर तक उसकी टाइट चूत के मजे लिए जिस प्रकार से मैं उसे धक्का मार रहा था उसे मैंने अपना बना लिया था। उसकी कमर को मैंने कस कर पकड़ लिया उसने अपने पैरों को चौडा कर लिया जिससे कि मेरा लंड आसानी से उसकी योनि के अंदर बाहर हो रहा था। मैंने उससे कहा तुम्हारा नाम क्या है? वह कहने लगी मेरा नाम आशा है आशा कि योनि के अंदर बाहर मेरा लंड हो रहा था। जब मैंने उसे घोड़ी बनाकर चोदा तो उसकी बड़ी चूतडे मेरे लंड से टकरा रही थी मुझे और भी ज्यादा मजा आ रहा था। मुझे उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करने में बड़ा मजा आता वह भी मुझसे अपनी चूतडो को मिला रही थी उसकी चूत से पानी बहुत ही ज्यादा मात्रा में बाहर निकलने लगा था। जब मैंने अपने लंड को बाहर निकालते हुए अपने वीर्य को गिरा दिया तो वह खुश हो गई और मुझे कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने उसे कहा तुम्हें इसके बदले क्या दूं तो वह कहने लगी आप रहने दीजिए आपसे मैं पैसे नहीं लूंगी।

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