मेरा नाम राहुल है और जो मुझे प्यारे लगते हैं.. वो मुझे आदी बुलाते हैं. मेरा कद 6 फ़ीट है और मुझे जिम का बहुत शौक़ है इसलिए मेरा बदन गठीला है.
कहानी मेरी गर्लफ्रेंड की है, वो बहुत ही खूबसूरत है, उसका साइज़ 34-30-36 का है. उसके चूचे तो बस पूछो ही मत.. जब वो चलती है, तो ऐसे हिलते हैं मानो अभी गिर ही पड़ेंगे.. और उसकी गांड.. हाय राम, दिमाग ही ख़राब कर देती है.
वो मुझे पहली बार बस में मिली थी, मेरे साथ ही बैठी थी, पानी के बहाने बातें होने लगीं. बातों-बातों में मैंने उसका नंबर ले लिया और बातें शुरू हो गईं.
कुछ ही दिनों में हम दोनों एक-दूसरे के इतने करीब आ गए थे कि एक-दूसरे की कोई भी बात आपस में छुपी नहीं थी.
एक दिन दोनों ने एक साथ मिल कर प्यार जाहिर कर दिया. उस टाइम मानो जैसे समय रुक ही गया हो.
फिर एक दिन मैंने उसे मिलने के लिए बुलाया. हम लोग पार्क में गए.. थोड़ी देर बातें करने के बाद हम किस करने लगे. हम दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा.
कुछ दिन यूं ही चलते रहे मुझे पता लगा कि यहाँ एक ‘सीसीएन कैफ़े’ नामक कॉफ़ी नाईट क्लब है.. जिसमें केबिन भी हैं. हम वहाँ चले गए.
सच में काफी देर बाद नंबर आया, क्योंकि वहाँ बहुत भीड़ थी. अन्दर जाते ही हम शुरू हो गए.. होंठों में होंठ लगा कर चुम्बन करने लग गए. उस टाइम तो समझो हम लोग पागल ही हो गए थे. एकदम पागलों की तरह चुम्बन कर रहे थे.. जैसे इस दुनिया के ये लास्ट चुम्बन हैं.
फिर मेरे हाथ उसके मम्मों पर चलने लगे. उसकी आँखें बंद हो रही थीं. उसे सेक्स का नशा चढ़ने लगा था. ये बात मुझे बाद में पता चली कि उसमें मुझे से ज्यादा सेक्स भरा है.
मैं उसके टॉप के नीचे से हाथ डाल कर उसके मम्मों को दबाने लगा, वो सिस्कारियां लेने लगी, उसका टॉप बार-बार बीच में आ रहा था.. तो मैंने उसका टॉप उतार दिया.
अब मैं उसकी क्रीम रंग की ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचों को दबा रहा था.. पर खास मजा नहीं आ रहा था तो मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी.
वाह क्या मस्त नजारा था.. मैं तो दीवाना हो रहा था और पागलों की ही तरह उसके मम्मों को दबा भी रहा था, वो जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी. वैसे वहाँ दूसरे केबिन से भी सिसकारियों की आवाजें आ रही थीं इससे हम दोनों को भी कोई टेन्शन नहीं हो रही थी.
मैं अपने काम में मस्त था और वो अपने चूचे मसलवाने में मस्त थी.
काफी देर के बाद मैंने उसके चूचे छोड़े और नीचे की ओर आ गया. मैं उसकी चूत पर हाथ फिराने लगा. उसकी आँखें न जाने कब से बंद थीं.. वो तो बस मजा ले रही थी.
फिर मैंने उसकी जीन्स का बटन खोला और उसकी जीन्स नीचे कर दी. अब मैं उसकी पैंटी के ऊपर से फूली हुई चूत को सहलाने लगा. मैं धीरे-धीरे पैंटी के अन्दर हाथ डालने लगा और उसकी चूत में उंगली करने लगा.
उसने अपने आप ही पैंटी नीचे कर दी. मैं उसकी चूत में उंगली किए जा रहा था वो मादक सिसकारियां लिए जा रही थी, उसके हाथ मेरे लंड पर चल रहे थे.
मैंने भी अपनी जीन्स नीचे कर दी, उसने एकदम आँखें बंद कर लीं.
जब मैंने कहा- आँखें खोलो.
वो धीरे-धीरे आँखें खोलने लगी और लंड देखते ही डर गई, बोली- इतना बड़ा.
उसने शायद पहले कभी लंड नहीं देखा था.
मैंने कहा- लम्बा है क्या?
तो बोली- मैंने तो बच्चों के बिल्कुल छोटे-छोटे से देखे हैं.
मैंने कहा- ब्लू-फिल्म नहीं देखी क्या.. इससे भी बड़े-बड़े होते हैं.
वो हैरान होते हुए बोली- मैंने ब्लू-फिल्म नहीं देखी.
फिर मैंने कहा- हाथ में लो.
उसने धीरे से हाथ में लंड को ले लिया और मेरे कहने पर लंड ऊपर-नीचे करने लगी.
मुझे बड़ा चैन मिल रहा था, मैंने कहा- जरा तेज-तेज करो.
कुछ मिनट के बाद वो थक गई. फिर मैंने उसे कुर्सी से उठाया और उसकी जीन्स उतार दी. उसकी टांगें खोल दीं और अपने होंठ उसकी चूत के छेद पर लगा दिए.
चूत पर गुदगुदा सा अहसास होते ही वो उछल पड़ी और बोली- आह्ह.. नहीं करो, मुझे गुदगुदी हो रही है.
मैंने कहा- मजा नहीं आया?
तो बोली- बहुत आ रहा है.
मैंने फिर से उसकी चूत पर होंठ लगाए, तो वो आँखें बंद करके मेरे बालों में हाथ फिराने लगी.
मैं लगातार उसकी चूत चाट रहा था. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. उसका तो पूछो मत.. बस ‘आह.. आह्ह..’ करे जा रही थी.
फिर अचानक से उसने मेरा सिर अपनी चूत में दबा लिया और छोड़ दिया. उसकी चूत का रस मेरे मुँह में आया, इसका स्वाद नमकीन सा था.. पर था बढ़िया.
मैंने कहा- अब मेरा करो.
तो वो हाथ में लेकर हिलाने लगी.
मैंने कहा- हाथ में लेकर तो मैं भी अपना लंड हिला लेता हूँ.
तो बोली- फिर क्या करूँ?
मैंने कहा- मुँह में लो.
तो वो मना करने लगी.. पर मेरे जोर देने पर उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.
अब मैं सातवें आसमान में उड़ रहा था. कुछ मिनट के बाद मेरा होने वाला था. मैंने उसको नहीं बताया, नहीं तो वो मेरा लंड मुँह से निकाल देती. मैंने उसका सर पकड़ा और जोर से धक्के मारने लगा और माल छोड़ दिया. मेरे लंड का सारा रस उसके मुँह में चला गया.
मैंने उसका सर पकड़े रखा.. ताकि वो लंड के माल बाहर ना गिरा दे.
मैं उसके सर को जब तक पकड़े रहा.. जब तक उसने सारा माल पी नहीं लिया.
फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला.. तो उसने अजीब सा मुँह बना लिया.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने कुछ नहीं बोला.
फिर हम दोनों हँसने लगे.
वो बोली- मुझे इसके स्वाद का पता नहीं लग पाया.
मैंने पूछा- क्यों?
तो बोली- तेरा टूल मेरे हलक तक सारा का सारा तो घुसा था.. रस सीधा अन्दर चला गया.
मैंने कहा- कोई नहीं.. दुबारा करूँ क्या?
बोली- नहीं.. फिर कभी सही.
हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और चल दिए.. बाहर आकर पता चला कि हमें आए हुए 3 घंटे से ज्यादा टाइम हो गया है.