बात आज से करीबन 130 साल पुरानी हे. राजस्थान में एक राजघराना था. वैसे तो वो राजवाडा काफी छोटा सा था पर पैसे की जाहोजलाली और रंग हर चीज में दीखता था. अरब और अंग्रेज व्यापारी लोग इस रजवाड़े की शान और पैसे की चमक देख के यहाँ आते थे. वो लोग इस रजवाड़े से व्यापारी ताल्लुकात रखना चाहते थे क्यूंकि इस रियासत का हरेक आदमी पैसेवाला था.
खेर ये तो बात हुई रियासत की, अब चलते हे सेक्स की तरफ. रियासत में दो चचेरी बहने थी मीनादेवी और जयश्रिया. दोनों उन्निंस बीस साल की उम्र की थी. और वो दोनों बचपन से ही साथ में पली बड़ी थी. जयश्रिया मुख्य राजा हरदेव की बेटी थी और मीनादेवी उसके छोटे भाई कुलदीपसिंह की. दोनों में गहरी दोस्ती थी. और उन दोनों ने कितने ही नोकारों के साथ में एक कक्ष में लंड लिए थे. मीनादेवी उम्र में और तजुर्बे दोनों में बड़ी थी. उसने ही जयश्रिया को बिगाड़ा हुआ था.
एक दिन वो दोनों राज्य के अस्तबल में घुडसवारी की ट्रेनिंग के लिए गई हुई थी. उनका जो ट्रेनर था वो राज्य का नम्बर वन घुडसवार बलदेव सिंह था. ऊँची नस्ल के अरबी घोड़े लाये गए थे इन दोनों राजकुमारियों के लिए.
बलदेव इन दोनों को ले के पहाड़ी के बिच में बने हुए मैंदान पर ले गया. एक घोड़े को बाँध के उसने पहले अपनेवाले घोड़े पर जयश्रिया को बिठाया. और बोला, राजकुमारी जी इससे लगाम कहते हे यही अश्व को काबू में रखता हे और दिशासूचन भी इसी से करते हे.
और फिर उसनेजयश्रिया को बजिक नोलेज दिया घुड़सवारी का. फिर उसने जयश्रिया को कहा आप धीरे से लगाम को ढीली करें और अश्व चलने लगेगा.
जयश्रिया: तुम साथ में रहो ताकि अश्व हमें गिराए नहीं.
बलदेव बोला; जी राजकुमारी.
बलदेव घोड़े को ले के चलने लगा. उसने घोड़े को मुहं के पास से पकड़ा हुआ था और जयश्रिया के हाथ में लगाम थी. थोड़ी देर चलने के बाद घोडा थोडा उछला और उसने दोनों टाँगे ऊपर की. बलदेव ने तुरंत उसकी लगाम अपने हाथ में लिए और घोड़े को काबू में किया. लेकिन तब तक उसका हाथ राजकुमारी की जांघ को टच हो गया. बहुत दिनों से इन दोनों बहनों ने भी नए लंड का शिकार नहीं किया था. और अपने इस दास का हाथ लगते ही राजकुमारी की अन्तर्वासना सुलग उठी!
जयश्रिया ने बलदेव को फिर से एक नजर भर के देखा. और उसने दूर दूर तक नजर की. घोड़ो की टांगो से उडती हुई धुल थी और बस वो तीनों इन अबोल जानवरों के साथ इस मैदान में थे.
जयश्रिया ने बलदेव को उसे उतारने के लिए कहा घोड़े से. और फिर वो अपनी बहन मीनादेवी के पास गई. दोनों ने एक दुसरे के साथ अकेले में बातें की और फिर जयश्रिया वापस आई और बोली, तुम अपने कपडे खोल दो दास.
बलदेव बोला, मैं कुछ समझा नहीं राजकुमारी!
अपने कपडे खोल दो और नंगे हो जाओ, जयश्रिया ने बात को पूरा स्पष्ट किया!
क्यूँ? बलदेव ने पूछा.
जयश्रिया: अगर अपनी जान की सलामती चाहते हो तो ऐसा करो!
बलदेव: मेरी जान को भला कैसे खतरा?
जयश्रिया: अगर हम दोनों बहनें महल चल के कहेंगी की तुमने हमारी इज्जत लुटने की कोशिश की तो फिर चाचा और बापू तुम्हारी गर्दन मार देंगे. और अगर तुम चाहते हो की ऐसा न हो तो जल्दी से अपने कपडे खोल दी.
बलदेव के दिमाग में अब जा के बात उतरी की ये दोनों सेक्सी राजकुमारियाँ आखिर क्या कहना चाहती थी. उसने कहा: मालकिन मेरी नोकरी पर तो कोई आंच नहीं आएगी ना?
जयश्रिया ने कहा, हम तुम्हे मालामाल कर देंगे, बशर्त हे की तूम हम दोनों बहनों को आज थका दो.
बलदेव अपनी धोती जैसे कपडे के ऊपर बंधे हुए रस्से को खोलते हुए बोला, आज मैं आप दोनों को अश्व के ऊपर कामसूत्र का मजा करवाऊंगा!
अश्व यानी की घोड़े के ऊपर लोडे लेने की बात से ही जयश्रिया और मीनादेवी दोनों के मन एकदम बाग़ बाग़ से हो गए. बलदेव के नंगे होते ही उसके ८ इंच के लंड को देख के ये दोनों बहनें एकदम चुदासी हो गई. वो बलदेव के पास आ गई और उसके बदन के ऊपर अपने गोरें हाथो को घुमाने लगी. मीनादेवी ने अपने हाथ में बलदेव के लंड को पकड़ा और बोली, ऐसा शिश्न हमने पूरी जिन्दगी में नहीं देखा हे.
जयश्रिया बोली: हां बहन ये शिश्न काफी मोटा और लम्बा हे.
मीनादेवी: बहन हम इसे अपने मुहं में लेना चाहते हे.
जयश्रिया: ले लीजिये फिर इस दास को कुछ पूछना थोड़ी हे.
मीनादेवी अपने घुटनों के बल बैठी और अपने महंगे जेवर खोलने लगी. एक मिनिट में उसने सब जेवर खोले और फिर बलदेव के लंड को उसने अपने मुहं में भर लिया. बलदेव की आँखे बंद हो गई. उसके लंड को आजतक किसी ने भी ऐसे सेक्सी ढंग से चूसा जो नहीं था. मीनादेवी ने पुरे लोडे को अपने मुहं में भर लिया और जोर जोर से सक करने लगी. और बिच बिच में वो लंड को मुहं से बहार निकाल के अपने हाथ से हिला भी रही थी. बलदेव बस आह अह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्ह कर रहा था.
इतने में जयश्रिया के बदन में भी चुदास का लावा फुट निकला. वो खड़ी हुई और अपने कपडे खोल के बलदेव के पास आ गई. उसका सुडोल गोरा बदन और कडक बुब्स को देख के बलदेव ने अपने हाथ छाती पर रख दिए. वो निपल्स को पिंच करते हुए बूब्स को मसल रहा था. जयश्रिया ने मीनादेवी के माथे को पीछे से दबाया और लंड चूसने में जैसे उसकी मदद करने लगी.
तभी मीनादेवी ने लंड बहार निकाला अपने मुहं से और बोली, बहन आओ इस शिश्न को मिल बाँट के चुसे.
जयश्रिया भी अपने घुटनों पर जा बैठी और फिर दोनों राजकुमारियां बलदेव के तगड़े लंड को वन बाय वैन चूस रही थी. कामसूत्र के पाठ बचपन में पढ़े थे इन दोनों ने और इसलिए उन्हें बॉल्स को लिक करना और हाथ से लंड को हिलाने के दाव भी पता ही थे. बलदेव का पूरा बदन करंट जैसा हो गया था. वो वासना की आग में सुलग चूका था.
५ मिनिट लंड को और चूस चूस के दोनों राजकुमारियों ने लंड का पानी निकलवा दिया. और फिर बलदेव को बोली, अब तुम हमारी योनियों को चाटो.
दोनों राजकुमारियां अपने भोसड़े खोल के लेट गई. मीनादेवी की चूत में जबान डाल के बलदेव ने अपनी ऊँगली जयश्रिया की योनी में डाली. वो दोनों को चूत चाटने का मजा देने लगा था. मीनादेवी के मुहं से सिसकियों पर सिसकियाँ निकल रही थी. जयश्रिया की हालत भी कम बुरी नहीं थी. वो भी अह्ह्ह अह्ह्ह्ह ईईइ करती गई.
फिर बलदेव ने जगह बदली, मीनादेवी की चूत में ऊँगली और जयश्रिया की चूत को चाटने लगा वो. कुछ ही देर में दोनों राजकुमारियां भी एक एक बार झड़ गई.
जयश्रिया खड़े होते हुए बोली: कौन से घोड़े के ऊपर चढ़ना हे?
बलदेव बोला: आ जाओ.
जयश्रिया ने इशारा किया इसलिए मीनादेवी बलदेव के पीछे चली. बलदेव एक अरबी घोड़े के ऊपर नंगा ही चढ़ गया. और उसने मीनादेवी को बोला, आप अपनी योनी को मेरे शिश्न की तरफ रख के घोड़े पर चढ़े.
जयश्रिया ने मीनादेवी की घोड़े पर चढ़ने में मदद की. मीनादेवी की चूत में बलदेव ने अपने लंड का सुपारा रखा. उसका लंड फिर से कडक हो चूका था धीरे धीरे. लंड को योनी में मिला के उसने हल्का धक्का मारा और सिर्फ सुपाड़ा अंदर किया. फिर उसने कहा, राजकुमारी जी आप मुझे लिपट जाओ, अश्व जैसे जैसे चलेगा वैसे वैसे शिश्न अंदर धक्के लगाएगा आप की योनी में.
मीनादेवी ने ऐसा ही किया. बलदेव ने घोड़े की पेट में लात मारी हलकी सी. और घोड़े के धक्के से लंड सच में मीनादेवी की चूत में घुसने लगा. जयश्रिया वही खडी थी और अपनी बहन को घोड़े पर लोडे को लेते हुए देख रही थी. वो खुद भी काफी रोमांचित थी इस नए प्रकार के सेक्स को ले के!
बलदेव ने सच में आज इन दोनों राजकुमारियों को चुदाई का असली हुनर दिखा दिया. मीनादेवी जब वापस चक्कर लगा के आई तो उसका पूरा बदन दुःख रहा था. एक तो घुड़सवारी और फिर लंड की भी सवारी. लेकिन उसे आज की चुदाई में तृप्ति भी ऐसी ही मिली थी. बलदेव के लंड से वीर्य निकल के आधा मीनादेवी की चूत में और आधा घोड़े के ऊपर गिरा था. मीनादेवी को उतार के बलदेव ने जयश्रिया को अपना लंड चटाया. लंड कडक हुआ तो उसने जयश्रिया को भी घोड़े और लोडे के ऊपर बिठा लिया चुदाई के लिए.
बलदेव के साथ इस चुदाई का ऐसा चस्का लगा दोनों राजकुमारियों को की वो अब रोज घुड़सवारी सिखने के लिए आना चाहती हे! ?
दोस्तों ये काल्पनिक कथा का किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई लेना देना नहीं हे. ये कहानी हमें अनुराग पटेल ने भेजी हे. यदि आप भी अपनी कहानी हमें भेजना चाहते हो तो आप