मेरे बॉस ने फिर चोद डाला

बॉस सेक्स की कहानी में पढ़ें कि मैं एक महीने से काम में लगी थी। इस बीच मैं एक बार भी नहीं चुदी। एक दिन बॉस ने घर बुलाया तो लगा कि अब चुदाई हो जायेगी.

एक दिन मुझे मेरे सुपरवाईज़र ने बताया कि बॉस ने मुझे घर बुलाया है। मुझे उम्मीद जगी शायद चोदने के लिए ही बुलाया होगा।
आगे क्या हुआ? पढ़ लीजिए।

नमस्कार मित्रो! मैं लता फिर हाज़िर हूँ लोंडों के लंड से और लोंडियों की चूत से पानी निकाल देने वाली एक कहानी लेकर!
इस कहानी को मेरी पिछली बॉस सेक्स की कहानी
मैं बॉस से चुद गई
का ही अगला भाग समझ लीजिए।

चलिए अब ज्यादा कुछ न कहते हुए मैं सीधे बॉस सेक्स की कहानी पर आती हूँ।

में आपने पढ़ा कि पूरन ने फैक्ट्री में ही मेरी गांड मार ली और फिर वो एक महीने के लिए कहीं बाहर चला गया।

फिर मैं नियमित रूप से फैक्ट्री जाने लगी, काम समझने लगी।

सुपरवाईज़र मेरी पूरी सहायता पर रहा था और पूरन भी मुझे फ़ोन करके मेरा हालचाल और काम के बारे में पूछता।

इस बीच मास्टर और प्रिंसिपल दोनों ने ही मुझे चोदने के लिए बुलाया लेकिन मैंने ये कहकर नकार दिया कि मैं काम छोड़कर नहीं निकल पाउंगी।
वो भी तब मान गए।

ऐसे ही एक महीना बीत गया मुझे चुदे हुए।
मेरी चूत अब लंड की फरमाईश करने लगी थी। चूत में आग लगी हुई थी।

ऐसे दो दिन और बीत गए।
तीसरे दिन मैं फैक्ट्री पहुंच कर अपने कैबिन में काम करने लगी।

थोड़ी ही देर बाद सुपरवाईज़र सर आए और कहा कि पूरन ने मुझे अपने घर बुलाया है, कुछ काम है।
तब मैं मन ही मन खुश हो गई कि उसके घर जाऊँगी तो वो मुझे चोदे बिना तो शायद ही जाने देगा.

पर साथ ही ये ख़्याल भी थी कि अगर घर में उसकी पत्नी हुई तो फिर मेरी ख्वाईश कैसे पूरी होगी।
यही सोचते-सोचते मैं फैक्ट्री से निकल गई।

मैं ऑटो करके पूरन के घर पहुँच गई।
गार्ड ने मुझे बिना रोके अंदर जाने दिया।

मैंने पूरन के घर का दरवाज़ा खटखटाया।
पूरन खुद दरवाज़ा खोला और मुस्कुराकर मेरा स्वागत किया।
मैं सोफे पर जाकर बैठ गई।

और वो जूस ले आया।
वो मेरे साथ सटकर बैठ गया.

हमने साथ में जूस पिया और फिर मैंने उसे कामुक नज़र से देखते हुए पूछा- क्या हुआ, मुझे आज किस लिए बुलाया?
उसने सामने मेज़ पर रखे एक पर्चे को उठाकर मेरे हाथ में पकड़ा दिया।

मैं उस पर्चे को खोलकर पढ़ने लगी।
तब वो बोल पड़ा- तुम्हारा प्रमोशन हो गया है, अब से तुम फैक्ट्री की सुपरवाईज़र हो। तुम्हारी सैलेरी भी बढ़ा दी है मैंने!

मैं खुश हो गई और मुस्कुराकर उसकी ओर देखने लगी.

तभी उसने मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिए और एक डीप किस किया।
मैंने भी उसका पूरा साथ दिया।
हम दोनों ने एक-दूसरे के होठों के रस का सेवन किया।

उसने मुझसे कहा- चलो, सेलिब्रेट करते हैं।
मैंने कहा- कैसे?
तो उसने कहा- घर में कोई नहीं हैं।

मैं और भी ज्यादा खुश हो गई कि एक महीने बाद अब मेरी चूत में लंड जाने वाला था।
मैंने अब खुद बढ़कर उसके होठों पर एक छोटा किस किया और मैंने कहा- तो अब देर किस बात की, चलो शुरु हो जाओ।

यह कहकर मैंने अपनी बांहें फैला दी. उसने भी देर न करते हुए मुझे अपनी बांहों में भर लिया।
वो मेरे चेहरे पर हर जगह किस करने लगा, फिर गर्दन पर होंठ चुभोने लगा।

करीब 3-4 मिनट तक उसने मुझे चूमा और चाटा।
फिर उसने कहा- चलो बैडरुम में, आज वहां मज़े करेंगे।

यह कहकर उसने मुझे गोद में उठा लिया और अपने रुम में ले जाकर बैड पर पटक दिया।

मैं मुस्कुराकर उसे देखने लगी और वो मुझे देख अपने शर्ट के बटन खोलने लगा।
उसने शर्ट खोलकर फेंक दी और मेरे ऊपर चढ़ गया।

मेरे ऊपर चढ़ कर पहले मेरे होठों को चूमा, मेरे गालों को किस किया और फिर मेरे गर्दन को चूमने-चाटने लगा।

इस बीच वो लगातार अपने बायें हाथ मेरी चूची को दबाये जा रहा था।
इससे मैं काफी गर्म हो रही थी।

वैसे भी एक महीने न चुदने के कारण मेरी चूत तब भट्टी की तरह तप रही थी।
उसे भी मेरी जिस्म की गर्मी पता चल रही थी शायद!

और ज्यादा देर न करते हुए उसने मेरी साड़ी का पल्लू हटा दिया और मेरी ब्लाउज के सारे हुक देखते-ही-देखते खोल दिए।
उसने मेरा ब्लाउज निकलना चाहा तो मैंने हाथ ऊपर उठाकर ब्लाउज निकालने में उसकी मदद की।

ब्लाउज निकालते ही मेरे मम्में मेरी ब्रा से निकलते के लिए उतावले होने लगा।
तब मैंने एक पतली डोरी वाली व कपड़े की ब्रा पहन रखी थी जिसमें से मेरे कड़क हो चुके निप्पल साफ नज़र आ रहे थे।

ब्लाउज निकालने के बाद हम दोनों ने एक दूसरे को मुस्कुराकर देखा.
मेरी गर्दन से होते हुए मेरी साफ बगल को सहलाते हुए वह अपने हाथ मेरी चूचियों पर ले गया और उन्हें धीरे-धीरे दबाने लगा।

मेरे मुँह से ‘आहह’ निकल गयी।
वो मेरे मम्मों को दबाते हुए फिर मुझे चूमने लगा।
मैं उत्तेजना में उसका पीठ सहलाने लगी।

फिर धीरे-धीरे वो मुझे चूमते हुए नीचे को गया और मेरी चूचियों पर टूट पड़ा।
मेरी ब्रा को नीचे करके वह ज़ोर-ज़ोर से मेरे मम्मों को दबाने लगा।
मैं आहह आहह करके सिसकारियाँ भरने लगी।

वो भी जोश में मेरी चूचियों को भींचने लगा।
मुझे दर्द होने लगा तो मैं और ज़ोर से कामुक आवाज़े निकालने लगी।

फिर वह अपना मुँह लगाकर मेरी चूची को चूसने लगा, ऐसे मानो कोई बच्चा दूध पी रहा हो।
मैं उत्तेजनावश उसका सिर पकड़कर अपनी चूचियों पर दबाने लगी।

मम्मों को चूसते-चूसते वो अपने दांत भी गड़ाने लगा और मेरे निप्पल को भी काटने लगा।
तो मैंने कहा- आहह काटो मत, उहह … आहह प्यार से करो न आहहह …

फिर उसने जवाब दिया- क्या करुँ लता मेरी जान, तुम्हारा गोरा और गदराया हुआ जिस्म देख सब्र नहीं होता मुझसे!
मैंने कहा- फिर भी, आराम से करो, मैंने तुम्हें किसी चीज के लिए थोड़ी ही रोका है। मैंने तो तुम्हें गांड मारने से भी नहीं रोका। फिर क्यों इतने बेसब्र हो?
वो मुस्कुराया और बोला- ठीक है, आराम से करता हूँ।

उसके बाद वो आराम से मेरे मम्मों को सहलाने व चूसने लगा।
कुछ देर तक मेरी चूचियों से खेलने के बाद वो नीचे की ओर बढ़ने लगा और मेरे पेट को सहलाने लगा व मेरी नाभि को छेड़ने लगा। मेरी नाभि में अपनी जीभ घुमाकर उसने मेरी नाभी गीली कर दी।

फिर उसने मुझे बैड से उठाया और मुझे किस करने लगा, साथ ही वो नीचे से मेरी साड़ी भी खोलने लगा।

देखते-ही-देखते उसने मेरी साड़ी खोल दी और फिर मेरी पेटीकोट का नाड़ा खींचकर खोल दिया।

पेटीकोट नीचे गिर गई और मेरी पतले कपड़े वाली जालीदार पैंटी उसके सामने थी जो ठीक से मेरी चूत को छिपा भी नहीं रही थी।

वो मुझे किस करता रहा और अपने हाथ पीछे ले जाकर मेरे नितम्ब को सहलाने व दबाने लगा।
मैं उसका पूरा साथ देकर उसे किस कर रही थी।

किस करते-करते ही उसने मेरी ब्रा की डोरी खींचकर उसे भी खोलकर फेंक दिया।
अब मैं उसके सामने ऊपर से नंगी थी और मेरे शरीर में केवल मेरी पैंटी ही रह गई थी जो मेरी चूत को अच्छे से ढक भी नहीं रही थी।
ब्रा हटाने के बाद उसने हाथों से मेरी पीठ सहलाने लगा और मेरे मम्मों को मुँह में भरकर उनका सेवन करना शुरु कर दिया।

मेरे निप्पल को भी होठों में लेकर चूसने लगा।

थोड़ी देर बाद मैं बैड पर बैठ गई और उसका पैंट उतारने लगी।

पैंट निकलते ही उसका लंड फ्रैंची के ऊपर से ही फुंफकारने लगा।

मैंने उसकी फ्रैंची के ऊपर से ही उसके लंड को सहलाया और उसकी ओर देख मुस्कुराई।
वो तब अपनी बनियान उतारने लगा।

फिर मैंने उसकी फ्रैंची भी निकाल दी जिसमें उसने खुद भी मदद की।
फ्रैंची उतरते ही उसका लंड मेरी आंखों के सामने था।

एक महीने बाद मैंने उसका लम्बा, मोटा और तगड़ा लंड देखा था।
मैं बहुत खुश हो गई कि आज उसका तगड़ा लंड मेरी चूत को तबीयत से बजाने वाला था।

उसके लंड को मैं ऊपर से सहलाने लगी।

तभी अचानक उसने मेरा सिर पकड़ लिया और लंड को सीधा मेरे मुँह में, गले तक घुसा दिया।
उसके इस वार से मैं सकपका गई।
मैं उससे छुटने की कोशिश करने लगी लेकिन उसने मेरे सिर को जकड़ रखा था।

फिर उसने अपनी पकड़ थोड़ी ढीली की तो मैंने एक लम्बी साँस ली और उसके लंड को चूसने लगी।

उसके लंड को मैं मुँह में अंदर तक लेकर चूस रही थी। वो ‘आहह … ओह … आह …’ करके सिसकरियाँ भर रहा था।
साथ ही वो मेरे कभी-कभी मेरे स्तन को भी दबा देता।

मैं काफी देर तक उसका लंड चूसती रही, बीच-बीच में ऊपर से नीचे तक उसके लंड को और गोटियों को चाट भी लेती।

फिर उसने मेरे सिर को पकड़ लिया और मेरे मुँह में धक्के लगाना शुरु कर दिया।
हर धक्के के साथ उसका लंड मेरे होठों को छू रहा था, साथ ही उसके लंड का टोपा मेरे जीभ से लग रहा था।

फिर उसने लंड की दिशा बदल दी और मुँह के अंदर मेरे गालों की ओर धक्के लगाने लगा।
ऐसा मैं पोर्न मूवी में देख चुकी थी लेकिन इसका अनुभव मैं पहली बार कर रही थी।

कुछ देर तक वो ऐसे ही मेरे मुँह को चोदता रहा, मुँह के हर कोने को अच्छे से चोदा उसने फिर मेरे मुँह मैं ही झड़ गया।
मैं उसका सारा वीर्य गटक गई।
उसका वीर्य मुझे बहुत स्वादिष्ट लगा।

फिर उसने लंड बाहर निकाला और मैंने उसका लंड चाटकर साफ कर दिया।

वीर्य निकलने के बाद वो बैड पर मेरे बगल में गिर कर लेट गया।
मैं भी अपने मुँह में लगे उसके वीर्य को चाटते हुए लेट गई।

मैं लेटी ही थी कि उसने मुझे मेरी कमर से पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और मैं उसके सीने से जा चिपकी।
उसने मुझे फिर किस किया।
मैं अपने हाथ से उसका सीना सहलाने लगी और वो मेरे मम्मों को दबाने लगा, सहलाने लगा।

कुछ देर साँस लेने के बाद वो उठा।
वो बोला- अब मुझे तुम्हारा चूसना है।
मैं बोली- चूस लो, आज तो चूस-चूसकर लाल कर दो इसे!
ये कहकर मैंने पैर उठाकर मेरी पैंटी उतार फेंकी।

फिर उसने मुझे उठाया और खुद बैड पर सीधा लेट गया।
उसने मुझे अपने ऊपर लिटा दिया, हम 69 के पोज़ में हो गए।

इस पोज़ में आते ही उसने मेरी चूत पर पहले तो ऊपर से जीभ फिरायी और फिर मेरी चूत में जीभ घुसा दी।
उसके अचानक से जीभ घुसाने से मैं सहम गई।

मैं फिर से उसका लंड मुँह में लेकर चूसने लगी।

इस बार मैं आराम-आराम से उसके लंड को पूरे मज़े से चूस रही थी, उसकी गोटियों को चाट भी रही थी साथ ही बीच-बीच में उसके लंड को धीरे से काट भी देती।

वो भी मेरी चूत में पूरा जीभ घुसाकर चोद रहा था। उसका नाक भी मेरी चूत से रगड़ खा रहा था।

ऐसे ही लगभग 8 मिनट उसने मेरी चूत चूसा और फिर मैं उसके मुँह में ही झड़ गई।
वो माहिर खिलाड़ी तो था ही, मेरे माल का एक बूँद भी गिरने नहीं दिया।

चाट-चाट कर मैंने उसका लंड तैयार कर दिया था, लोहे-सा कड़क हो गया था।

मेरा माल चाटने के बाद उसने मुझे अपने ऊपर से हटा कर बैड पर पटक दिया और अब वो मेरे ऊपर आ गया।

मेरे ऊपर आते ही उसने अपना लंड मेरी चूत पर लगा दिया और मेरे ऊपर झुक कर मेरे मम्मों को चूसते हुए धीरे-धीरे अपना मूसल लौड़ा मेरी चूत में डालने लगा।

आधे से ज्यादा लंड मेरी चूत में जा ही चुका था कि उसने एक धक्का मेरा और लंड मेरी बच्चेदानी से जा टकराया।
मुझे तेज़ दर्द हुआ, मेरी आँखें चौड़ी हो गई और ‘आहहह’ बोलते हुए मेरा मुँह खुल गया।

वो मेरे चेहरे को देख मुस्कुराया और मेरे होंठ से अपने होंठ मिला दिए।

हम एक-दूसरे को होठों को रस पीने लगे, तब तक उसने अपना मुसल लंड मेरी चूत के अंदर तक डाले रखा।

थोड़ी देर बाद मेरा दर्द दूर हो गया और मैं मज़े लेने के लिए तैयार हो गई।
मैंने अपनी गांड उठाकर उसे चोदने का इशारा दिया और इसके साथ ही वो मेरी चूत में लंड अंदर-बाहर करने लगा।

पहले तो धीरे-धीरे उसने चोदता रहा और मेरे जिस्म से खेलता रहा।
मेरे मम्मों को दबाता, कभी चूसता तो कभी मुझे किस कर लेता।

ऐसे ही वो मुझे कुछ देर तक चोदता रहा।

फिर उसने चूत से लंड निकाल लिया और फिर बैड पर लेट गया।
मैं उसके ऊपर जाकर बैठ गई और चूत पर लंड सैट करके उछलने लगी।

मेरे मुँह से लगातार सिसकारियाँ निकल रही थी और तो और मेरी चूत से भी फच-फच की आवाज़ आ रही थी।

इन आवाज़ों से पूरा कमरा गूँज रहा था। इन आवाज़ों से हम दोनों को और अधिक उत्तेजक हो रहे थे और चुदाई अधिक ज़ोरदार होती जा रही थी।

उछलते हुए मुझे ज्यादा देर नहीं हुई होगी कि मैं ‘आहह … उम्ह … ओहह … आहह … आहहह’ करते हुए झड़ गई।
मेरी चूत से निकले रस से उसका लंड पूरा भीग गया।

मैंने उसके सीने पर हाथ रख कर सपोर्ट ले रखा था और उसने भी मेरी कमर से मुझे पकड़ रखा था।
इसलिए मैं जब तक पूरी झड़ी नही, उसके ऊपर ज़ोर-ज़ोर से उछलती रही।

जब मैं पूरी झड़ गई तो मेरे पैरों से तो जैसे जान ही चली गई हो। मैं थक कर उसके सीने पर ही गिर गई।

फिर उसने मेरे नितम्ब पकड़े और उन्हें थोड़ा उठाकर नीचे से धक्के लगाने लगा।
तब मेरे मम्मे उसके सीने से रगड़ खाने लगे और साथ में चूत चुदाई से मुझे मज़ा आने लगा और शरीर में नई उर्जा आने लगी।

चुदाई करते हुए उसे 15 मिनट से ज्यादा हो चुके थे लेकिन वो झड़ा नहीं था।

तो उसने मुझे फिर पोज़ बदलने को कहा और घोड़ी बनने को बोला।
वैसे तो मैं अब तक दो बार झड़ चुकी थी फिर भी मेरी कामवासना कम नहीं हुई थी सो मैं झट से घोड़ी बन गई।

वो मेरे पीछे आ गया और फिर मेरी चूत को ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा।

कुछ ही मिनट हुए होंगे कि उसका लंड मुझे फूलता महसूस हुआ और फिर उसके लंड ने मेरी चूत में बाढ़ ला दी।

उसने मेरी चूत से लंड निकाल लिया और उसका सफ़ेद मर्दाना माल मेरी चूत से बहकर मेरे जांघ पर आने लगा।

हम दोनों बैड पर एक-दूसरे के नंगे जिस्म से चिपक कर लेट गए।

पूरन मेरे जिस्म पर हाथ फिराने लगा और मैं अपनी चूत पर उसका माल रगड़ने लगी।

थोड़ी देर तक आराम करने के बाद हम दोनों दूसरे राउंड के लिए भी तैयार हो गए।
क्योंकि अंत में मेरी चूत से पानी नहीं निकला था और पूरन अपना माल खाली करके लेट गया इसलिए मेरी वासना अब तक पूरी शांत नहीं हो पाई थी सो मैं झट से दूरे राउंड के लिए तैयार हो गई।

पूरन के कहा कि दूसरे राउंड में वो पहले गांड मारना चाहता है।
मैंने उसे ना नहीं कहा और गांड मारने की इजाजत दे दी। hindi sexy story, sexsy kahani, hindi sexey kahani

हम हम फिर 69 के पोज़ीशन में आ गए। मैं उसके लंड को कड़क करने लगी तो वो अब मेरे गांड के छेद को जीभ से चाटकर और उंगली ढीला करने लगा।

थोड़ी ही देर बाद हम तैयार हो गए।
मैं घोड़ी बन गई और उसने मेरे गांड के छेद पर लंड टिकाकर धक्का मारा और लंड गांड में घुस गया।
दर्द तो हुआ मगर मैंने सह लिया और मेरी गांड की चुदाई शुरु हो गई।

ऐसे ही दूसरा राउंड भी आधे घंटे से ज्यादा देर तक चला और इस बीच भी मैं दो बार झड़ गई।

दूसरे राउंड में उसने पहले गांड फिर मेरी चूत की भी अच्छे से ठुकाई की।
एक महीने बाद मैं उस दिन पूरा संतुष्ट हो गई।

चुदाई होने के बाद पूरन मुझे घर तक छोड़ भी आया।
फिर अगले दिन वो मुझे ले कर फैक्ट्री गया और मुझे सुपरवाईज़र बनाने की बात सबको बताई।

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