जेठ के साथ मजे

हेलो दोस्तों मेरा नाम कमला है और मेरी शादी उम्र के थोड़े से जल्दी पड़ाव में हो गयी थी. मैने अभी अपनी कामुक जवानीमें कदम रखा ही था और मेरे माँ-बाप ने मेरे हाथ पीले कर दिए. मै विदा होकर अपनी ससुराल आ गयी. मुझे नहीं पता था, कि मेरे पति गावं के बाहर काम करते है और शादी के एक हफ्ते बाद ही वो अपने काम पर वापस चले गए. उन्होंने मुझे ठीक से देखा या चोदा भी नहीं. शादी के कुछ दिनों बाद, मै अपने घर वापस आ गयी और अपनी शादीशुदा सहेलियों से मिली. जब उन्होंने मुझे छेड़ा और मेरी सुहागरात, पति और उसके लंड और पहली चुदाई के बारे में पूछा, तब मुझे पता लगा, कि मेरे पति को जाने से पहले क्या करना चाहिए था और अब मुझे आने तक अपने बदन की कामुक आग में तड़पना था? मै इसी उधेड़बुन में वापस ससुराल आ गयी और अपने आप को काम में बिजी कर लिया. घर में, मेरे सास-ससुर के अलावा मेरे जेठ और उनका ३ साल का बेटा भी था और उनकी पत्नी २ साल पहले ही मर चुकी थी. वैसे तो मैने अपने आप को काम में बिजी कर लिया था.

शादी के बाद लड़की लंड ही तो ढूंढती हैं

लेकिन सहेलियों की बातें रह-रहकर मन को गुदगुदा जाती और तब मेरे शरीर के आग मुझे बैचेन कर देती. एक रात, मै कुछ ज्यादा ही बैचेन हो गयी थी और बाथरूम में नहाने आ गयी, मुझे लगा कि नहाने से मेरे तन की आग कुछ काबू में आ जाएगी. बाथरूम बाहर आँगन में था और मेरे जेठ जी वही चारपाई डालकर सोते थे. सेक्स की हवस मेरे सर पर हावी हो चुकी थी और मेरे सोचने और समझने की शक्ति खत्म. मैने शरारत में बाथरूम का दरवाजा खोल दिया और अपने पुरे कपड़े उतार कर नहाने लगी. मै चाहती थी, कि जेठ जी मुझे देखे और मेरे कामुक और गरम बदन को छूकर और मेरी चूत की मस्त चुदाई करके मेरी हवस को शांत करे.

जेठ जी ने कुछ भी नहीं देखा. ४-५ दिन तक ऐसे ही चलते रहा और फिर एक दिन वो दारू पीकर घर आये और वही सो गए. जैसे ही रात को बाथरूम में घुसी और कपडे उतार कर नंगी हुई. जेठ जी बाथरूम में गुस गए और दरवाजा बंद कर दिया और बोले कामिनी इतने दिनों से मुझे जो ललचा रही है, आज उसका पूरा हिसाब लूंगा. मै तो यही चाहती थी और फिर जेठ जी मेरे पास आये और उन्होंने मेरे मुँह को अपने मुँह के बीच में भींच लिया. मेरी नाक में देसी दारु का भपका आया, लेकिन मेरे बदन की आग के आगे वो एक झटके में खत्म हो गया. मैने जेठ जी कसकर पकड़ लिया और उनके कपडे उतारकर पूरा नंगा कर दिया. जेठ जी हंसने लगे और बोले, बड़े चौकस माल मिलो है छोटे को! मैने भी मुस्कुराकर जवाब में कह दिया. छोटे माल हजम ना कर पायो है, खालो अभी कच्चा है. जेठ जी को मेरी बात सुनकर जोश आ गया और उन्होंने मुझे जमीन पर लिटा कर मेरे चुचो को मसलना शुरू कर दिया. वो मस्ती में मेरे चुचे मसल रहे थे और मेरे निप्पल को खीच रहे थे और मै मस्ती में मचल रही थी और अपने पैरो को एक दूसरे से रगड़ रही थी. मेरे मुँह से मस्ती भरी कामुक और गरम आहें निकल रही थी. सारा बाथरूम मेरी साँसों की गरमी से गरम हो चूका था. मैने जेठ जी लंड पकड़ लिया और उसको मस्ती में खीचने लगी. मेरे हाथ में लेते ही, जेठ जी लंड ने बड़ा होना और फुंकारना शुरू कर दिया. एकदम काला और मोटा था और उसका मुँह किसी कील की भांति नुकीला और लाल था. उनके लंड को देखकर मेरी आँखों में चमक आ गयी.

जेठ चुदाई का पक्का खिलाडी था

जेठ जी ने मेरे मन के भावों को पढ़ लिया और मेरे पैरो की तरफ आ गए और अपनी जीभ से मेरी जांघो को चाटने लगे. मै तड़प रही थी और जेठ जी ने मेरे पैरो को कसकर पकडे हुआ था और उनकी जीभ मस्ती में मेरे शरीर को चाट रही थी. अब मेरे मुँह से निकलने वाली आवाज़ो तेज होने लगी थी. जेठ जी को मेरी आवाज़ो से सबके उठने का डर लगने लगा, तो उन्होंने मेरे मुँह को अपने हाथो से बंद दिया और अपने एक हाथ में अपना लंड पकड़कर उसे मेरी चूत पर रगड़ने लगे. मैने थोड़ा जोर लगाकर जेठ जी के हाथ को अपने मुँह से हटा दिया और मस्ती भरी आहें भरने लगी. जेठ जी को मुझे तड़पता हुआ देखकर बड़ा मज़ा आ रहा था और अब वो और भी तेजी से अपनी लंड को मेरी चूत पर रगड़ रहे थे और फिर उन्होंने एक ही झटके में अपने लंड को मेरी चूत में उतार दिया. उसका बड़ा मोटा लंड मेरी चूत को फाड़ता हुआ, पूरी तरह से अंदर समा गया.

एक मिनट के लिए तो, मै अपने होश खो बैठी और और मेरी आँखे बंद गयी और नज़रो के सामने अँधेरा छा गया. ऐसा लगा रहा था, कि किसी ने गरम कोयला मेरी पेशाब वाली जगह पर घुसा दिया हो. जब आँखे खुली, तो जेठ जी मेरे चुचो पर अपना वजन डाले हुए, अपनी गांड को हिलाकर अपने लंड को मेरी चूत में ठेल रहे थे और उनके धक्के मेरी चूत का पूरी तरह से कबाड़ा कर चुके थे. मेरे मुँह से निकलने वाली आवाज़े अब केवल कामुक और गरम ही नहीं थी, अब उनमे एक दर्द और एक तड़प भी शामिल हो चूका था. जेठ जी का एक -एक धक्का मेरी चूत में हथोड़े के सामान लग रहा था. मेरी मेरी चूत से खून और मेरा सफ़ेद रास जेठ जी के लंड के साथ रिसकर बाहर आने लगा था और अब जेठ जी धक्के भी तेज हो चुके थे और एक जोरदार वार में, उन्होंने अपने लंड की पिचकारी से अपना गरम वीर्य मेरी चूत में उतार दिया. बहुत मस्त था और मेरी चूत उनके रस से भीग चुकी थी और मेरी हवस अब शांत हो चुकी थी. जेठ जी मुझे चोदकर अपनी चारपाई पर सोने चले गए थे और मेँ नहाकर वापस अपने कमरे में आ गयी. अब जेठ जी रोज़ रात को सबके सोने का बाद मेरे कमरे से आ जाते और मेरी मस्त चुदाई करते.

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