मै १८ साल ही हुआ था, कि मुझे सेक्स का लाइसेंस मिल गया था. लेकिन, गाडी का नहीं पता था, कि कब, कौन और कहाँ मिलेगी? लेकिन, मेरी किस्मत बहुत अच्छी थी, कि मुझे कुँवारी चूत मेरे ही घर में मिली और मेने अपना और उसने अपना कौमोर्य् खोया. निशा, निशा मेरी टूशन टीचर थी और २१-२२ साल की रही होगी. कोई खास गोरी या आकर्षक तो नहीं थी, लेकिन बहुत पढ़ाकू थी. उसकी मम्मी और मेरी मम्मी दोनों साथ में ही काम करती थी और मेरी मम्मी ने आंटी को बोलकर निशा को मुझे पढ़ाने के लिए बोला. पहले-पहले तो मेरी निशा से नहीं पटी; लेकिन, बाद में मुझे उसके साथ मज़ा आने लगा. बिलकुल भी बोरिंग नहीं थी वो. बस आज के ज़माने की नहीं थी. मै कॉलेज में नया-नया था और कुछ बिगड़े हुए दोस्त भी मिल गए थे. उनके साथ मैने काफी ब्लूफिल्म भी देख ली थी. मुझे निशा को परेशान करने में मज़ा आता था और निशा को मालूम था, कि मै सेक्सी और नंगी तस्वीरो वाली किताबे देखता हु और पढता हु. उसको ये भी मालूम था, कि मैने घर से छुपकर काफी बार ब्लूफिल्म देखी है. इस राज़ को राज़ रखने के लिए निशा मुझसे कभी-कभार पैसे ले लेती थी.

एक बार उसे काफी ज्यादा पैसे की जरूरत थी और उसने मुझसे पैसे मांगे. मैने उसे पैसे देने को वायदा कर दिया, लेकिन बदले में उसे उसके चुचे, चूत और उसका नंगा बदन दिखाने को कहां. पहले तो वो नहीं मानी, लेकिन अपनी जरूरत के सामने उसने हार मान ली. उस दिन घर में कोई नहीं था और काफी समय तक कोई आने वाला भी नहीं था. निशा आई और हमने कमरा बंद कर लिया. मेँ सोफे पर बैठा उसको घूर रहा था और वो शर्मा रही थी. मैने उसको जल्दी करने के लिए बोला, तो वो गुस्सा हो गयी और वापस जाने लगी. मौका हाथ से जाता देखकर, मैने उससे माफ़ी मांगी. फिर, निशा ने एक-एक करके अपने कपडे उतारने शुरू किये; पहले टॉप और फिर अपनी ब्र. जैसे ही उसने ब्रा खोली, उसके बड़े चिकने चुचे बाहर लटक गए और उनपर भूरे निप्पल मुझे अपने पास चूसने के लिए बुला रहे थे. मै अपने होठो पर जीभ फेर रहा था और अपने होठो को काट रहा था. वो जैसे-जैसे कपडे खोल रही थी, मेरी बैचनी बड़ रही थी और मेरा लंड एक दम कड़ा और खड़ा हो चूका था. मैने अपनी पेंट की ज़िप खोलकर अपने लंड को निकाल लिया और उसका मुठ मारने लगा. निशा अपनी जींस उतार चुकी थी और सिर्फ पेंटी में थी.

मेरे लंड को बाहर देखकर और मुझे मुठ मारता देखकर निशा थोड़ा डर गयी और पेंटी खोलने में ना-नुकर करने लगी. मेरी रिक्वेस्ट पर उसने अपनी पेंटी खोल दी. उसके नंगे बदन को देखकर मेरा लंड मुठ छोड़ने को बेताब था और मैने भी अपने कपडे उतार दिया और पूरा नंगा होकर सोफे पर लेट गया. निशा ने अपने कपडे उठाने शुरू कर दिए और बोली, जो बोला था वो कर दिया. मेरे सर पर बहुत चढ़ चूका था और अब मुझे किसी भी हालत में निशा की चूत मारनी थी. मैने निशा को थोड़ा लालच दिया और निशा मान गयी. मैने निशा को मोबाइल में पड़ी हुई एक ब्लूफिल्म की क्लिप दिखाई और उसको बिलकुल वैसा ही करने को कहा, लेकिन उससे पहले निशा के बदन की आग को भड़काना जरुरी था. मैने निशा को पलंग पर बिठाया और उसकी टांगो को खोल दिया और उसको पलंग पर धक्का मार दिया. अपने दोनों हाथो से उसकी टांगो को पकड़कर खोल दिया और उसकी चूत पर अपनी जीभ को टिका दिया. सिस्त्कार उठी निशा और उसके मुँह से सीसी सीसी सीसी सीसीसीसी करके आवाज़ निकलने लगी और वो बोली, क्या कर रहे हो तुम? मैने निशा को कहा, बस तेरी चूत को आज जन्नत की सैर करवा रहा हु और मैने अपनी चूत के अंदर अपनी जीभ डालकर उसको चोदना शुरू कर दिया.

निशा पिंजरे में फसे पंक्षी की तरह तड़प रही थी और उसका बदन मस्ती में नाच रहा था. मै अब निशा के ऊपर चढ़कर बैठ गया और अपने लंड को उसको मुँह पर टिका दिया. उसने अपने हाथो से मेरे लंड को हटाने की कोशिश की, लेकिन मैने उसके दोनों हाथो को अपनी टांगो के नीचे दबा दिया और अपने हाथो से उसके मुँह को खोलकर अपने लंड को उसके मुँह में घुसा दिया. वो मुझसे छूटने की नाकाम कोशिश कर रही थी और मै किसी कुत्ते की तरह उसके मुँह को चोद रहा था. अब निशा हार मान चुकी थी और अपने हाथ से मेरे लंड को चूसकर मेरा मुठ मार रही थी और अपने हाथ से उसकी चूत को रगड़ रहा था. वो मस्ती में मचल रही थी और उसके मुँह से मस्ती निकलती मस्ती भरी आवाज़े हेहेहेहे. .ऒऒओ मेरा जोश बड़ा रही थी. अब मुझसे नहीं रुका जा रहा था. मैने अपने को निशा के मुँह की तरफ किया और उसकी चूत पर अपने लंड को लगाकर धक्का मार दिया. निशा की चूत टाइट थी और मै भी पहली बार किसी को चोद रहा था. मेरा लंड कुछ ही इंच तक निशा की चुत में घुस पाया. मैने कुछ और धक्के मारे लेकिन साड़ी कोशिश बेकार हो गयी. फिर मैने अपने थूक से अपने लंड को और निशा की चूत को गीला किया और फिर से कोशिश की. पूरा तो नहीं, लेकिन कुछ और दूर तक मेरा लंड निशा की चूत में घुस गया. ऐसी ही मैने कुछ झटके मारे और निशा की चूत के ऊपर अपने वीर्य को गिरा किया. निशा भी झड़ गयी थी. मेरा पहला सेक्स कोई प्रीफेक्ट सेक्स तो नहीं था, लेकिन इस बात की संतुष्टि थी, कि मुझसे एक कुँवारी चूत मिली और मैने कुछ हद तक उसका मज़ा लिया. अब तो जब भी निशा को पैसे की जरूरत होती, वो मुझसे चुदकर पैसे ले जाती. मुझे भी फायदा था, कि चूत घर में ही मिल जाती थी और पढ़ाई के साथ-साथ मस्ती भी हो जाती थी. कुछ सालो बाद निशा की शादी हो गयी और मेरी भी. लेकिन, हम दोनों ने अपना कौमोर्य् एक साथ खोया.

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