मेरा नाम विजय है, मैं राजस्थान का रहने वाला हूँ।
मेरी कहानी 2010 जनवरी से शुरू होती है, जब मेरी पुलिस में सिपाही की नौकरी लगी और मैं ट्रेनिंग करने के लिए ट्रेनिंग सेण्टर आया।
शुरू में ट्रेनिंग सेण्टर में मन ही नहीं लगता था, दिन भर की ट्रेनिंग के बाद को बिस्तर पर जाते ही नींद आ जाती थी।
पर धीरे-धीरे ट्रेनिंग की आदत हो गई और अब थकान कम होती थी।

एक रात खाना खाने के बाद अपने साथियों के साथ बैठा था, तभी मेरे एक दोस्त ने मेरा फ़ोन माँगा और उसने कहीं कॉल किया।

उसके बाद हम सो गए मैंने उस दिन उस बात पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन दो-तीन दिन बाद रात में जब मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैं अपने दोस्तों को कुछ मैसेज जो मेरे फ़ोन के इनबॉक्स में पड़े थे, फॉरवर्ड करने लग गया।

मेरे दिमाग में पता नहीं क्या सूझा और मैंने एक मैसेज उस नम्बर पर भी फॉरवर्ड कर दिया जिस पर दोस्त ने कॉल किया था।

मुझे उन नम्बर पर मैसेज करने के बाद लगा कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था, इसलिए मेरे मन में अजीब सा डर उत्पन्न हो गया।
थोड़ी देर बाद उस नम्बर से कॉल आया, पर मैंने कॉल रिसीव नहीं की क्योंकि मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैसेज के बारे में पूछने पर क्या जवाब दूँगा।

उसने तीन बार कॉल किया पर मैंने सोच लिया था कि मैं फ़ोन रिसीव नहीं करूँगा, जब उसने चौथी बार कॉल किया तो मैंने फ़ोन काट दिया ताकि वो दोबारा कॉल न करे।

उस रात उसका कॉल फिर नहीं आया और मैंने राहत की सांस ली।

अगली रात उसका फिर फ़ोन आया पर मैंने फिर वो फ़ोन काट दिया।

इसके बाद उस नम्बर से मैसेज आया, जिसमें लिखा था- ‘एक बार फ़ोन उठा लो।’

उसने फिर कॉल किया और मैंने उठा लिया।
उधर से लड़की की आवाज़ आई जिसके कारण मैं फिर से डर सा गया। परन्तु फिर भी मैंने कहा- हाँ जी, बोलिए।

उसने पूछा- कौन बोल रहे हो?

मैंने अपना नाम बता दिया, उसने पूछा- कहाँ से बोल रहे हो?

मैंने कहा- दिल्ली से बोल रहा हूँ।

उसने फिर पूछा- क्या करते हो?

मैंने कहा- मजदूरी करता हूँ जी।

फिर उसने कहा- मेरा नम्बर कहाँ से मिला तुमको।

मैंने कहा- आपका नम्बर मेरे दोस्त के नम्बर से मिलता-जुलता है, बस एक अंक की गलती की वजह से वो मैसेज आपके पास आ गया था।

इतनी बात करने से मेरी झिझक भी कम हुई और मैंने भी उससे पूछ ही लिया- आप कौन बोल रहे हो जी?

उसने अपना नाम बताया और कहा- अब मेरे नम्बर पर दुबारा मैसेज मत करना।

मैंने कहा- ठीक है जी, पर ये तो बता दो.. आप क्या करती हो जी?

इस पर उसका भी जवाब था ‘वो भी मजदूरी करती है।’

फिर मैंने उस रात तो फ़ोन काट दिया।

अगली रात फिर मैंने उसके पास मैसेज कर दिया। उसने फिर फ़ोन किया और थोड़ी देर हमने बात की, फिर उसने मुझे बताया कि वो भी राजस्थान से है और यहाँ पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज में ट्रेनिंग कर रही है।

उसने कहा- मेरे गाँव का एक लड़का भी ट्रेनिंग कर रहा है।
और उसने मेरे साथी का नाम लिया।
तब मैंने उसको अपने बारे में भी ठीक-ठीक बता दिया।
इस तरह से अब हमारी रोज़ बात होने लगी।
मेरे मन में उसके बारे में अभी तक कोई ऐसी बात नहीं थी। हम सिर्फ दोस्तों की तरह बात करते थे और एक-दूसरे के दिन के बारे में पूछते थे कि आज ट्रेनिंग में क्या-क्या हुआ।
लड़कियों को ट्रेनिंग से बाहर आने की इजाजत नहीं थी, पर उसे एक बार कुछ सामान की जरुरत पड़ी और उसने मुझे सामान लाने के लिए कहा।

इस पर मैं शाम को बाहर गया और उसने जो सामान मंगाया था उसके पास लेकर गया।
वो ट्रेनिंग सेण्टर के गेट पर आई।

मैं उसको पहचानता नहीं था, फिर मैंने गेट पर से उसको फ़ोन करके अपने बारे में बताया और वो मेरे पास आई और अपना सामान लेकर चली गई।

मैं लड़कियों से बात करते वक़्त थोड़ा सा चूतिया टाइप का हो जाता हूँ, इसलिए मैंने वहाँ ज्यादा बात नहीं की और उसको सामान देकर वापस आ गया।

मैं उससे खुल कर बात नहीं कर, पर मैं फ़ोन पर उससे ठीक से बात कर लेता था। इसलिए मैंने फिर फ़ोन किया और पूछा- जो सामान मंगाया था, वो ठीक है या नहीं?

अब हम एक-दूसरे से काफी घुल-मिल गए थे और अच्छे दोस्तों की तरह हम अपनी हर बातें शेयर करने लगे थे।
फिर अचानक मुझे ट्रेनिंग में बीच में ही पीलिया हो गया और मुझे ट्रेनिंग के बीच में ही घर के लिए भेज दिया गया।

उसको मैंने अपनी बीमारी के बारे में पहले नहीं बताया, पर घर जाते वक़्त बताया तो वो बहुत चिंतित हुई।
मैं फिर घर चला गया।
लगभग 15 दिन के बाद मेरी हालत में सुधार हुआ।
इस बीच उसका फ़ोन रोज आता था और वो मुझसे मेरी तबियत के बारे में पूछती और हम काफी देर तक बात करते थे।

अब मेरे दिल में उसके लिए प्यार जागने लग गया था।

27 दिन बाद मैंने वापस ट्रेनिंग ज्वाइन की। ट्रेनिंग ज्वाइन करने के बाद मैंने एक रात उसको फ़ोन पर ‘आई लव यू’ कहा और उससे पूछा- क्या तुम भी मुझे चाहती हो?

तो उसका जवाब ‘हाँ’ में था।

फिर हम काफी देर तक बातें किया करते थे। बीच-बीच में हम एक-दूसरे से मिलते भी रहते थे। ट्रेनिंग सेण्टर से लड़कियां बाहर नहीं आ सकती थीं, पर लड़के लड़कियों वाले ट्रेनिंग सेण्टर में जा सकते थे।
वहाँ हम कुछ देर मिल लेते थे।
फिर हमारी ट्रेनिंग खत्म हो गई और हम अब आराम से मिल लेते थे।

एक दिन मैं उसके कमरे पर गया और वहाँ पहले उसने मुझे खाना खिलाया। इसके बाद हमने कुछ बातें की।
आज पहली बार मैंने उसको ध्यान से देखा, वो लाल सूट में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। वो गुलाबी होंठ, सूट में से भी ऊपर उठी हुई चूचियां और पीछे देखने पर गांड भी बहुत मस्त उठी हुई थी।

अब मैंने उसको ‘आई लव यू’ बोला और उसके होंठों को चूम लिया। मैं होंठों को चूसता रहा और हाथों से उसकी चूचियों को दबाने लगा।
वो शुरू-शुरू में तो अपने हाथों से मुझे दूर करने का प्रयास करती रही, पर धीरे-धीरे वो मेरा साथ देने लगी।

अब वो भी गर्म होने लगी थी, मैंने अब उसका नाड़ा खोल दिया।

वो फिर कहने लगी- ऐसा मत करो।’

मैंने फिर उसे समझाया और तैयार किया। अब मैंने उसका टॉप भी उतारा और वो अब पूरी तरह से नंगी थी।

क्या बताऊँ मित्रों.. क्या लग रही थी वो।

मैंने वक़्त जाया न करते हुए अपने कपड़े उतारे और लंड निकल कर उसकी गीली हो चुकी चूत पर रख दिया।
मैंने धीरे से धक्का लगाया, पर चूत कसी होने के कारण अन्दर नहीं जा पाया।
मैंने अब लंड पर थूक लगाया और जोर से अन्दर धक्का लगाया।

लंड का मोटा भाग अन्दर गया, पर उसकी आँखों से आँसू निकल आए, वो चिल्लाने वाली थी.. पर उसके होंठों पर मैंने अपने होंठ रख दिए।
थोड़ी देर बाद वो सामान्य सी हुई तो मैंने एक जोर का धक्का मारा, इस बार मेरा आधा लंड अन्दर जा चुका था। वो फिर चिल्लाने को हुई, पर मैंने इस बार पहले से ही उसके होंठ दबा रखे थे।

मैंने फिर थोड़ा इंतजार किया और फिर से जोरदार धक्का मारा, इस बार मेरा पूरा लंड अन्दर जा चुका था।
उसकी आँखों से आँसू बह निकले।
मैंने थोड़ी देर रुक कर फिर धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किए।
अब वो मेरा साथ देने लगी।
मुझे भी अब जोश आ गया था, मैंने जोर-जोर से धक्के मारना चालू कर दिया था।

कुछ देर बाद उसका सारा शरीर अकड़ने लगा, उसने मुझे जोर से पकड़ लिया।
मैंने धक्के मारना चालू रखा, उसके कुछ देर बाद मैं भी झड़ गया।

यह था मेरा पहला सेक्स अनुभव दोस्तो, मुझे मेल जरूर करना।

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