नमस्कार दोस्तो, मैं अरुण कपूर, पटना का हूँ। मैं अपनी एक कहानी लिख रहा हूँ।  बात एक साल पहले की है, जब मैंने कॉलेज से मुम्बई प्रोजेक्ट के लिए जाना था।
मैंने अपनी परीक्षायें समाप्त कर दिल्ली से मुम्बई की राजधानी ट्रेन पकड़नी थी। शाम के साढ़े चार बजे थे, मैं स्टेशन पहुँचा, मेरी सीट नीचे वाली थी।


मैं ट्रेन में बैठा सोच रहा था यदि कोई औरत आ जाए तो मजा आ जाए। वैसे ट्रेन में कोई अधिक भीड़ नहीं थी।
जैसे ही ट्रेन चली, मैंने देखा कि एक औरत आई, जो लगभग 30-32 साल की थी।
उसने आकर मुझसे पूछा- यह आपकी सीट है..!
मैंने बोला- हाँ..!
उसने अपनी टिकट देखी, उसकी सीट ऊपर की थी। मैंने फ़िर उसे सामान रखने में सहायता करने लगा और सारा सामान सही-सही रख दिया।
वह ऊपर जाकर बैठ गई।
ट्रेन चलने लगी, मैंने अपना लैपटॉप निकाला और नाईटडिअर की कहानियां पढ़ने लगा ।
ट्रेन चलती गई, थोड़ी देर बाद कोई स्टेशन आया, तो मैंने चाय ली और उनके लिए भी एक चाय ली। फ़िर उन्होंने ‘धन्यवाद’ बोला और चाय पीने लगीं।
“आप कहाँ जा रही हैं…?” चाय पीते-पीते ही मैंने उससे पूछा।
“मुम्बई..!” उसने बताया।
“आप मुम्बई में ही रहती हो…!”
तो उसने बताया कि मुम्बई 15 दिनों के लिए अपने पति के पास जा रही है।
कुछ देर की चुप्पी के बाद उसने मुझसे पूछा- आप क्या करते हैं?
मैंने अपने बारे में बताया कि मै मुम्बई प्रोजेक्ट के लिए जा रहा हूँ।
थोड़ी देर बाद मैंने खाना खाना शुरू किया तो मैंने उन्हें भी बोला, तो पहले मना करने के बाद मैंने फ़िर बोला तो आ गईं।
थोड़ी देर बाद ट्रेन तेज चलने के कारण खाना खाते समय पानी गिर गया, जिसे उसकी साड़ी भीग गई। इस हड़बड़ाहट में मैं अपने हाथ से पानी को हटाने लगा जिससे मेरा हाथ उसकी जाँघ को छूने लगा। जो शायद भी अच्छा लग रहा था। सो मैं जानबूझ कर उसे दुबारा छूने लगा।
फिर हम दोनों के बीच काफी बातें हुईं। उसने मुझसे पूछा- क्या तुम्हारी कोई गर्ल-फ्रेण्ड है..!
तो मैंने कहा- नहीं मैं गर्ल-फ्रेण्ड नहीं बनाता।
उसने पूछा- ऐसा क्यों..!
तो मैंने कहा- कोई आपकी तरह मिली ही नहीं..!
और यह लाइन काम कर गई और अब खुल कर बात होने लगी।
थोड़ी देर बाद लाइट बन्द हो गई, जिससे हमें कोई देख नहीं पा रहा था। एक तो ठन्ड की रात और साथ में अन्धेरा। अब हम काफी आराम से बातें कर रहे थे। कुछ देर के बाद हम दोनों ने अपने पैर फैला लिए, जिससे मेरा पाँव उसकी तरफ़ हो गया और उसका पाँव मेरी तरफ़।
अब मेरा पाँव उसकी जाँघ से रगड़ने लगा। उस समय थोड़ी-थोड़ी ठंड लग रही थी, तो मैंने शॉल ओढ़ ली। अब उसने अपनी गाण्ड मेरे पाँव की तरफ़ कर दी, जिससे मेरा पाँव उसकी गाण्ड को छू रहा था।
थोड़ी देर में वो बात करते-करते मेरे लन्ड को अपने पाँव से दबाने लगी। जिससे मैं उत्तेजित हो गया। मेरा लंड खड़ा हो गया।
फिर मैं थोड़ी और आज़ादी से अपने पैरों से उसकी गान्ड को दबाने लगा, पर वह कुछ भी नहीं बोली। मैं भी समझ चुका था कि वह चुदने को तैयार है। अब वह भी मुझे ठीक से छूने लगी थी और पूरी लेट गई थी और मैं भी।
ट्रेन में सभी शायद यही समझ रहे होंगे कि हम साथ-साथ हैं।
कुछ देर के बाद उसने फिर से गर्ल-फ्रेण्ड की बात छेड़ दी। अब वह भी उत्तेजित लग रही थी अब वो मेरी तरफ़ आकर लेट गई जिससे मैं उसकी गाण्ड के पास अपने लंड से छू रहा था। मेरा 8 इंच का लण्ड खड़ा हो गया।
मैंने लंड को रोकने के लिए हाथ बढ़ाया तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और खुद मेरे लन्ड को अपने हाथों से गाण्ड की दरार पर लगा लिया। मैं खुशी से पागल होने लगा और समझ गया कि वह पूरी तरह से तैयार है।
अब मैंने उसके पेटीकोट में नीचे से हाथ डालकर उसकी जाँघों तक भी सहलाना शुरु किया और फ़िर धीरे-धीरे उसकी चूत को सहलाता और हाथ हटा लेता, जिससे वो तड़पने लगी।

हमने कम्बल ढंग से ओढ़ लिया, क्योंकि एक तो ठन्ड ऊपर से एसी की कूलिंग कुछ अधिक थी।
अब उसने सामने का परदा गिरा दिया, अब हम खुल कर एक-दूसरे का बदन सहलाने लगे। मैंने उसे चूमा और उसकी चूचियों को ब्लाऊज़ के ऊपर से ही दबाने लगा। उसने मेरा लंड पकड़ लिया और हिलाने लगी।
फ़िर मैंने उसकी चूचियाँ जोर से दबा दीं, जिससे सुनीता हल्के से चीख उठी, पर उसे बहुत मजा आया था। वह भी मेरे लंड पैन्ट के ऊपर से दबा रही थी। मैंने उसके ब्लाऊज़ को निकाल दिया, उसकी मलाई जैसी चूचियाँ देख कर मेरा लन्ड फ़नफ़नाने लगा।
अब मैंने उसकी चूचियाँ अपने मुँह में ले लीं और जोर-जोर से चूसने लगा, वो मेरे सर को दबा कर चुसवाने लगी।
अब मैं उसे चोदना चाहता था। मैंने उसकी साड़ी निकाली और उसे पूरी नंगी कर दिया और उसकी उसकी चूचियों को चूसने लगा।
वह फिर से उत्तेजित हो रही थी। मैंने देखा, उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। उसकी क्लीन-शेव चूत को देखकर मैं उसकी चूत रगड़ने लगा।
उसने भी मुझे नंगा कर दिया और मेरी अंडरवियर को फ़ाड़ दिया, जो मुझे काफी अच्छा लगा। अब सुनीता एक भूखी शेरनी की तरह मेरे लंड को हिलाने लगी।
थोड़ी देर बाद वह झुकी और लंड को गप्प से अपने मुँह में डाल लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। मैं उसकी चूत पर हाथ रगड़ रहा था, जिससे उसकी चूत ने रस छोड़ना शुरु कर दिया। फ़िर मैं नीचे झुका और उसकी चूत चाटने लगा।
जिससे उसके मुँह से आह…आह की सिसकारियाँ निकलने लगीं। मैं भी मज़े ले-लेकर उसकी चूत को चाट रहा था और दूसरे हाथ की ऊँगली से उसकी गान्ड चोद रहा था और दबा भी रहा था। इतना सब होने के बाद अब उससे रहा नहीं जा रहा था।
उसने मुझसे कहा- अब मत तड़पाओ…!
उसके ऐसा कह कर अपनी चूत फैला दी। फ़िर मैंने अपना लंड एक ही बार में पूरा का पूरा उसकी चूत में डाल दिया।
वह हल्का कराह उठी। मैंने तुरन्त उसे अपने होंठों से चुप किया और धीरे-धीरे अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगा। वह सिसकारियाँ ले रही थी।
फ़िर हमने करीब 20 मिनटों तक जम कर जोरदार चुदाई की, जिसमें सुनीता दो बार झड़ चुकी थी और साथ में उत्तेजना के मारे उम्ह…उम्ह… किये जा रही थी।
मैं अब लम्बे-लम्बे मगर सम्भल के झटके देने लगा, जो उसकी चूत को फ़ाड़ रहे थे और चूत की जड़ तक पहुँच रहे थे। उस ठन्ड की रात में भी हम दोनों पसीने से नहा चुके थे और फ़िर करीब 5 मिनट बाद हम दोनों एक ही साथ झड़ गए।
आखिर तब जाकर मजेदार चुदाई के बाद हम अपनी सीट पर बैठ गए और एक-दूसरे को चूमने लगे।
वह धीरे-धीरे मेरे लंड को सहला रही थी और मैं उसकी चूचियाँ भी दबा रहा था। पूरी रात मैंने उसे एक बार और चोदा।
सुबह हमने एक-दूसरे को चूमा और अलविदा कह चल पड़े।
तो यह था मेरा शानदार अनुभव, आप लोगों को कैसा लगा। कृपया अपनी टिप्पणी मुझे अवश्य मेल करें।

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