दीदी और पड़ोस वाला आदमी

हेल्लो मेरा नाम विनय है में जयपुर का रहने वाला हूँ. मैने इस साइट की सारी कहानी पढ़ी है. में इस साइट का डेली रीडर हूँ. मुझे सारी कहानी बहुत ही अच्छी लगी है. आज में अपनी दीदी की कहानी सुनाने जा रहा हूँ. जिसे मैने अपने आंखो के सामने देखा था. इससे पहले की में अपनी कहानी शुरू करू सबसे पहले में आपसे उन दोनो लोगो का परिचय करा दूँ. में जिसके बारे मे आपको बताने जा रहा हूँ उनमे से एक मेरी दीदी है और दूसरा मेरे पड़ोस मे रहने वाला एक ठेकेदार है. उसका नाम नदीम है मेरी दीदी एक सुंदर और जवान लड़की है. दीदी को देख कर सबके लंड खड़े हो जाते है।

अब में अपनी कहानी की तरफ चलता हूँ. मैने दीदी से कहा कि में शहर जाने वाला हूँ. दीदी ने कहा आज नदीम पैसे मांगने आएगा तो में पैसे कहाँ से दूँगी… मैने दीदी को बोला की नदीम को परसो आने के लिए बोलना… में उस दिन अपने किसी काम से शहर मे जाने वाला था. मुझे किसी के साथ अपने काम से जाना था. जब में उसके घर गया तो वो उस वक्त घर मे नही था. तो में वापस अपने घर आ गया। में जब वापस रूम पर आने लगा. जैसे ही में रूम पर पहुचा तो मैने अपने रूम के अंदर से कुछ आवाज़ सुनी. मुझे कुछ अजीब सा लगा।

 

 
मैने धीरे से जब रूम मे देखा तो पाया की दीदी किचन की तरफ जा रही थी. और नदीम मेरे रूम मे बैठा हुआ था. नदीम एक काला 40साल का मुस्लिम है. उसे देखकर लगता था की वो अभी अभी आया था. वो अपने पैसे की बात कर रहा था. दीदी से पूछा की बताओ कैसे अपने पैसे वसूल करू… तो दीदी ने बोला की अब आप बताइए की कैसे होगा… अब उसने बताया की मेरे पास तो एक उपाय है जिसके द्वारा इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है… दीदी बोली क्या है… तो वो वहा से उठा और दीदी के पास चला गया और दीदी की गांड पर अपने हाथ को फेरते हुए बोला की इसके द्वारा… तो दीदी बोली किसी ने देख लिया तो प्रोब्लम हो जाएगी… उसने बोला तुम्हारा भाई तो शहर गया है कोई प्रोब्लम नही होगी… अब उसने दीदी के सलवार के नाडे को खोल दिया और उसे नीचे उतार दिया।
 अब वो अपने आप को दीदी के पीछे खड़ा कर लिया. दीदी ने अपनी गोरी गांड का रास्ता दिखाया उसका काला लंड लगबग 10इंच लंबा और 3 इंच मोटा था. मुझे डर लग रहा था क्योंकि दीदी की गांड फटने वाली थी. फिर उसने दीदी के कमर को पकड़ के अपने लंड को निकाल के दीदी के गांड मे सटा के एक ज़ोर से झटका मारा तो दीदी पूरी तरह से कांप गयी. में समझ गया की दीदी के गांड मे उसका टोपा चला गया था. अब दीदी उसके लिए चाय बनाने लगी और वो अपने कमर को हिलाने लगा. दीदी के मुहं से उफफफफ्फ़ की आज निकल रही थी. दीदी के मुहं से कभी कभी ज़ोर ज़ोर से सिसकी निकल रही थी. अब मैने देखा की दीदी जब चीनी लेने के लिए थोड़ा सा घूमी तो मैने देखा की उसका मोटा लंड दीदी के गांड मे अंदर बाहर अंदर बाहर हो रहा था
 
कुछ देर के बाद उसने दीदी के अंदर अपने लंड को पूरी तरह से डालने के लिए जब ज़ोर का झटका मारा तो दीदी ज़ोर से चिल्ला उठी और पूछा कि और है क्या तो बोला की नही… और दीदी के गांड को इस तरह से तब तक मारता रहा जब तक की दीदी ने चाय नही बना ली. थोड़ी देर बाद हाफने लगा में समझ गया की उसका बीज दीदी की गांड मे गिरने वाला है. जैसे ही दीदी ने चाय बनाने के बाद गेस को बंद किया तो वो अपने सर को दीदी के कंधे पर रख के चुप चाप खड़ा हो गया। 
 
में समझ गया की दीदी के गांड मे उसका वीर्य गिर गया था. अब दीदी ने अपने कमर को खींच के उसके लंड को निकाला और उसे चाय पीने के लिए देते हुए बाथरूम के लिए चली गयी. वो चाय पीते हुए मेरे रूम मे चला गया. जब दीदी पेशाब करके बाथरूम से बाहर आई. अब वो बाथरूम मे गया और जब वापस बाहर आया तो उसने अपने लंड को दीदी के मुहं मे दे दिया. दीदी उसका लंड चूसने लगी. उसके लंड को चूस कर दीदी ने और बड़ा कर दिया। 
फिर उसने दीदी के हाथ को पकड़ के दीदी को वापस उसी कमरे मे ले जाने लगा दीदी ने पूछा अब क्या है… तो वो बोला की अभी तो वो सूत था. अभी ब्याज तो बाकी है… अब वो दीदी को लेकर कमरे मे जाने के बाद दीदी को बेड पर लेटने के लिए कहा तो दीदी बेड पर लेट गयी. अब उसने दीदी के सारे कपड़े एक एक करके उतार दिया. दीदी के सारे कपड़े उतारने के बाद उसने दीदी को कुछ देर तक देखता रहा. अब उसने अपने कपड़े उतारने लगा तो दीदी उसके 10 इंच लंबे काले लंड को देखने लगी।  
जब उसने अपने कपड़े उतार दिये तो अब वो दीदी के जांग पर बैठ गया और दीदी की चूत को फैलाकर देखने लगा. फिर उसने दीदी की चूत की पप्पी ली दीदी ने अपने आखे बंद कर ली. में यह देख कर जोश मे आ गया क्योंकि मेरे दीदी की गोरी चूत एक काले लंड से फटने वाली थी. अब वो दीदी के चूत मे तेल लगाने के लिए पास पड़े डिब्बे से तेल निकाला और दीदी के चूत मे लगाने लगा तो दीदी के मुहं से आवाज़ निकली और सिसकी निकलने लगी।  दीदी के चूत मे तेल लगाने के बाद उसने अपने लंड मे जो की 10 इंच लंबा और काफ़ी मोटा था उसको तेल को डिब्बे मे डाल दिया और अब जब उसने दीदी के चूत के उपर अपना लंड रखा तो दीदी ने अपने दोनो हाथो से अपने चूत को फैला दिया और अपने चूत मे उसके लंड को डालने का इंतजार करने लगी. उसने अपने लंड को दीदी के चूत मे डालने के लिए एक ज़ोर का झटका मारा तो दीदी की ज़ोर से सिसकी निकल उठी. दीदी पूरी तरह से कांप उठी।
 
फिर उसने दीदी से पूछा अंदर गया क्या… दीदी ने हाँ कहा. दीदी की चूत मे उसका टोपा जा चुका था. अब वो दीदी के चूत के अंदर अपने लंड को ले जाने के लिए ज़ोर ज़ोर से झटके मारने लगा कुछ देर के बाद मैने देखा की दीदी की चूत मे उसका आधा लंड चला गया था. दीदी ने उससे पूछा की कितना बाहर है तो वो मुस्कुराया और बोला की बस दो इंच बाहर है. फिर उसने एक जोर से झटका मारा. दीदी की मुहं से आवाज़ निकली हा…उफफफ्फ़… दीदी की चूत मे उसका पूरा लंड जा चुका था दीदी अपने पैसे का ब्याज अपनी चूत से दे रही थी। 
 
दीदी की चुदाई को देख के मेरे मन भी अजीब सा होने लगा. अब वो दीदी की दोनो चुचियो को मसलने लगा. दीदी मस्ती मे आ गई और उस से धीरे धीरे से झटके लगाने के लिए बोली. वो दीदी को बुरी तरह से चोद रहा था. दीदी दो तीन बार झड़ चुकी थी लेकिन वो 30 मिनिट के बाद भी झड़ने का नाम नही ले रहा था. दीदी सोच रही होगी की किस जानवर से पाला पड़ा है. दीदी ने नदीम से बोला अब बर्दास्त नही होता… अब जल्दी से गिरा दीजिए कुछ देर तक दीदी की चूत मे इसी तरह से झटके मारने के बाद वो दीदी के होंठो को चूसने लगा तो में समझ गया की अब उसका पानी दीदी के चूत मे गिरने वाला था. दीदी ने उससे बोला की अपना पानी चूत के अंदर मत गिराना में प्रेग्नेंट हो जाउंगी… उसने कहा कुछ नही होगा… कुछ देर के बाद मैने देखा की दीदी भी उसका साथ देने लगी। 
 
कुछ देर के बाद उसने अपना पानी दीदी की चूत मे गिरा दिया कुछ देर तक वो दीदी के उपर लेटा रहा. कुछ देर के बाद उसने अपने लंड को दीदी के चूत से निकाल दिया और दीदी के उपर से हट गया. उसने दीदी से पूछा मजा आया क्या… दीदी शरमा गयी और दीदी ने दोनो हाथो से शर्म के मारे अपने मुहं को ढक लिया. अब उसने अपने कपड़े को ठीक किया।  
मैने जब दीदी के चूत को देखा तो लगा की दीदी के चूत को किसी ने मूसल से रौंदा है. अब दीदी भी कुछ देर के बाद उठ कर अपने कपड़े को पहना. दीदी ठीक से चल नही पा रही थी.. अब जब वो जाने के लिए तैयार हुआ तो में वहा से हट गया. और में कर भी क्या सकता था।…

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