हैलो फ्रेंड्स मैं डी के.. आपको अपनी सारी कहानियों से अवगत कराऊँगा। ये कहानी तब की है.. जब मैं पोस्ट ग्रेजुयेशन कर रहा था.. वहाँ मेरी एक दोस्त थी, उसका नाम प्रियंका है और उसका फिगर 32-30-36 का एकदम मस्त है। उसका रंग भी गोरा है.. कॉलेज के शुरुआत से ही वो मुझे पसंद करती थी।

एक दिन हम दोनों क्लास में अकेले थे.. तो अचानक वो बोली- डीके मेरे लैपटॉप में कुछ प्राब्लम है.. तू जरा देख ले।
तो मैंने ‘हाँ’ बोल दिया और उसका लैपटॉप देखने लगा। वो मेरे पास ही बैठी हुई थी।
अचानक से उसने बिना कुछ बोले मेरे सिर पर चूमा.. तो मैंने भी मज़ाक में चुम्मा ले लिया और उसको देख कर स्माइल पास कर दी।

इतना करने पर उसने मुझे एक बार फिर मेरे होंठों पर चूमा.. क्योंकि मुझे भी मज़ा आने लगा.. तो मैंने भी उसको चूम लिया।
फिर क्या था.. हम दोनों एक-दूसरे को बाँहों में भर लिया और काफ़ी समय तक चूमते रहे।
फिर क्लास का टाइम हो गया तो हम लोग दूर होकर बैठ गए।

मगर मेरे दिमाग़ में वही सब चलता रहा कि उसने मुझे एकदम से कैसे चूम लिया। मेरे दिमाग़ में कभी इस बात का ख़याल नहीं आया था कि कोई लड़की आगे बढ़कर मुझे चूम सकती है।
जबकि उसके पास खुद एक बॉयफ्रेंड है.. मगर अब मुझे उन सब चीजों से क्या मतलब.. मुझे तो बस वो चाहिए थी।

रात को उसके बारे में सोच-सोच कर काफ़ी वक्त अपने लिंग को सहलाने और मुठियाने में निकाल देता था।
एक-दूसरे के फोन नंबर तो हम दोनों के पास थे.. लेकिन मेरी इतनी हिम्मत नहीं होती थी कि मैं उसको कुछ बोल पाऊँ। उसको देख कर ही बस अपना काम चला लेता था।

मैं कॉलेज कैम्पस से बाहर रहता था और मेरा एक क्लासमेट मेरा रूममेट था। होली का टाइम नजदीक आ गया था.. सब लोग अपने घर जा रहे थे। मैंने भी सोचा अपने घर चला जाऊँ.. मगर मालूम हुआ कि घर वाले पहले से ही घर पर नहीं है.. क्योंकि वे सब कुछ काम से दिल्ली चले गए थे.. तो मैंने सोचा चलो अबकी बार यहीं रुक ही जाते हैं।

प्रियंका एक क्रिस्चियन लड़की थी.. तो उसका इस त्योहार से कोई मतलब नहीं था।
जब उससे मेरी बात हुई तो उसने बोला- मैं इन छुट्टियों में घर नहीं जाऊँगी.. यहीं हम सब लोग होली मनाएँगे।
मैंने भी सोचा.. चलो ये भी ठीक है.. होली के बहाने ही सही उसको छूने का मौका तो मिलेगा।

होली से एक रात पहले ही उसका कॉल आया.. और उसने बोला- मैं नाइट आउट पर बाहर जा रही हूँ..
‘ओके..’
वो मुझसे मिलने के लिए कहने लगी।

यह सब सुनकर मैं एकदम दंग रह गया।
मैंने उसको बोला- तुम दस बजे मुझे चौराहे पर मिलना.. मैं लेने आ जाऊँगा।
वो खुश हो गई और बोली- ठीक है।

मैं दस बजने का वेट करने लगा और मैं कुछ खाने-पीने की चीजें भी लेकर आ गया।
वो ठीक दस बजे आ गई.. मैं उसको लेकर रूम पर आ गया।
वो आते ही मुझसे लिपट गई और उसने मेरे सिर.. होंठ.. सब जगह चूमा और बोली- कब से इस दिन का इंतज़ार था मुझको.. और तुम हो कि मुझे ना बुलाते हो.. ना कॉल करते हो।

मैंने बोला- यार तुम्हारे पास पहले से ही बॉयफ्रेंड है.. तो मैं किसी रिलेशन में इन्वॉल्व नहीं होना चाहता था।
तो वो चुप हो गई और बोली- मुझे उसके बारे में कोई बात नहीं करनी.. बस आज हम दोनों एक हो जाएं।

 

मैं भी खुशी से उससे लिपट गया और उसके कपड़े उतारने लगा, उसने ब्लैक कलर की ब्रा और पैन्टी पहनी हुई थी।
उसे देख कर मेरा सोया हुआ नाग जाग गया।
उसने मुझे पहले नंगा किया और मेरा लण्ड मुँह में लेकर पागलों की तरह चूसने लगी।
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ओह गॉड.. क्या मज़ा आ रहा था मुझे.. मैं तो बेचैन होने लगा। मैं उसको 69 की अवस्था में ले आया.. उसकी चूत एकदम साफ और लाल थी.. चाटने में कोई दिक्कत नहीं हो रही थी।
उसको भी मज़ा आने लगा.. मैंने उसको बोला- बस अब मुझे करना है।
उसने बोला- इंतज़ार किस बात का है.. कर दो न..

मैंने उसको उठाया और पीठ के बल लेटा दिया और पूरी ज़ोर से अपना 6 इंच का लण्ड अन्दर डाल दिया। एकदम चिकनी चूत में लण्ड जाते ही वो मज़े में आ गई और धक्कों का मज़ा लेने लगी।
फिर उसको घोड़ी बना कर चुदाई की.. तो उसने बोला- यार वो लेटी हुई पोजीशन बहुत अच्छी थी.. फिर उसमें ही करो..

तो मैं उसको वापस उसी पोजीशन में उसको चोदने लगा।
बीस मिनट की चुदाई के बाद मैंने वीर्य उसकी चूत में ही डाल दिया। उसको कोई प्राब्लम नहीं थी।
उसने बोला- तुमसे सेक्स करके मज़ा आ गया।

मैंने उस रात में दो बार और उसको चोद दिया.. वो बेहद खुश थी, मुझे भी उसके साथ ये पल बिता कर अच्छा लगा।
इसके बाद जब भी हम लोगों को मौका मिलता.. मैं और वो खूब सारा मज़ा करते.. लेकिन मेरी वो गर्ल-फ्रेण्ड नहीं थी। बस एक-दूसरे के जिस्म की प्यास बुझाने जैसी कहानी ही थी।

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