दोस्तों, मेरा नाम राज है और यह सेक्स स्टोरी आज से २ साल पहले की है. मेरी नौकरी एक प्राइवेट कंपनी में लगी थी. मुझे टीम लीडर की पोजीशन मिली थी.  यु तो मैं लडकियों पर जयादा ध्यान नहीं देता था परवह एक लड़की नयी नयी जॉब पर आने लगी थी. उसका नाम था अर्चना, काफी सुंदर थी वो, मोटे मोटे चुचे मस्त गांड, देखने में बिलकू कटरीना. कंपनी के सारे लड़के उस पर मरते थे.

अब इसे संयोग कहो या मेरी किस्मत कंपनी के मेनेजर ने उसे मेरे विभाग में ट्रान्सफर कर दिया. और वो मेरे विभाग में काम करने लगी.

हलाकि मुझे तो काम से ही मतलब था तो मैं उसे एक कर्मचारी की नज़र से ही देखता था…. लेकिन उसके आ जाने से मेरे विभाग के काफी कर्मचारी बहकने लगे और लडको में आपस में लडाईया होने लगी, जो मुझे पसंद नहीं आई.

मैंने उसे यु ही बातो बातो में कहा देखो- अर्चना , तुम काफी सुंदर हो मगर तुम्हारे होने से मेरे ऑफिस का माहोल बिगड़ रहा है, जो मुझे पसंद नहीं है. मुझे अच्छा तो नहीं लगेगा पर मैं बस तुमसे येही कहना चाहता हूँ कि तुम्हे यहाँ नौकरी नहीं करनी चाहिए. यह मेरी निजी राय है. यहाँ के लड़के तुम्हे गलत निगाहों से देखते है और ना जाने टॉयलेट में जाकर क्या क्या करते है. मैंने यह सब सुना है.

उसने मेरी और गुस्से से देखा और कहा – आप टॉयलेट में कुछ नहीं करते मेरे बारे में सोच कर?

मैंने कहा- क्या????

तो वो मुस्कुरा कर बोली- मैं यहाँ जॉब करने आई हूँ, मुझे किसी से क्या मतलब है.

यह सुनकर मैं चुप हो गया और अपने काम में लग गया.

इस बात को दो दिन हो गए थे, हम सब ऑफिस में ही थे की अचानक तेज़ बारिश होने लगी, शाम हो गयी पर बारिश नहीं रुकी. ऑफिस से छुट्टी होने के बाद सब की तरह मैं भी अपनी बाइक लेकर घर जाने लगा की अर्चना मेरे पास आई.

बारिश में भीगी हुई वो क्या लग रही थी, उसका कमीज़ भीग कर उसके शरीर से चिपक गया था और ब्रा में कैद चुचे साफ़ दिखाई दे रहे थे और ऊपर से टाइट जीन्स. मैं उसे देखता ही रह गया और वो अपने बारिश में भीगे हुए होठो से बोली- राज सर, क्या आप मुझे आज मेरे घर छोड़ देंगे. तेज़ बारिश हो रही है और इस समय बस भी नहीं मिलेगी.

मैंने कहा- और लड़के भी तो तुम्हारे घर की तरफ जा रहे है, तुम उनके साथ चली जायो.

वो बोली- नहीं, मुझे उन् पर विश्वास नहीं है, घर की जगह कही और ले गए तो…

मैंने कहा- ठीक है.

और उसे घर छोड़ने के ल्लिये मैंने लिफ्ट दे दी… वो मुझ से चिपक कर बैठ गयी और मेरी धड़कने तेज़ होने लगी. मैं सोचने लगा- काश, मौका मिल जाये तो इसे चोद दूंगा.

मैंने उसे घर छोड़ा तो वो बोली- सर, ठण्ड बहुत हो रही है, आप कॉफ़ी पी कर जाना…

ठण्ड जयादा थी तो मैं भी मना नहीं कर पाया..

उसने घर का दरवाज़ा खोला, मैंने कहा- क्या तुम अकेली रहती हो?

वो बोली- नहीं दीदी और मम्मी दिल्ली गए हुए है, एक दो दिन में आएँगी.

मैंने कहा- तो मैं चलता हूँ, ऐसे तुम्हारे साथ अकेले घर में आना ठीक नहीं.

वो बोली- क्यों? क्या मैं आपका बलात्कार कर लुंगी?

मैंने कहा- लेकिन???

उसने कहा- लेकिन वेकिन कुछ नहीं, चलो अंदर.

और मैं अंदर आ गया.

उसने कहा- मैं कपडे बदल कर आपके लिए कॉफ़ी लेकर आती हूँ., आप बैठिये

मैं सोफे पर बैठ गया और सोचने लगा की काश आज इसकी चूत मिल जाए.

मैं चुप के से उठा और उसके कमरे में झांकना शुरू कर दिया. देखा तो वो अपने कपडे बदलने जा रही थी. उसने दरवाज़ा खुला छोड़ दिया था.

उसने जैसे ही अपनी कमीज उतारी, तो उसकी ब्रा मेरे आँखों के सामने थी. और उसकी ब्रा को देख कर तो मैं मदहोश हो गया. क्या मस्त चुचिया थी ३४” रही होगी. उसे देखते ही मेरे मुह में पानी आ गया. दिमाग गरम हो गया और लुंड खड़ा हो गया.

 

मैंने झट से दरवाज़ा खोल दिया और जाकर उसका हाथ पकड़ लिया और बोला- आज तो तुम बिलकुल जन्नत की हूर लग रही हो.

इतना कहते ही मैंने उसे अपनी बाहों में भींच लिया.

वो बोली- क्या कर रहे हो? यह गलत है, मैं शोर मचा दूंगी.

मैंने कहा- कुछ गलत नहीं होता, सब सही है.

और उसकी चुचिया दबाने लगा और कस कर चूमने लगा. कुछ देर बाद तक वो न- नुकुर करती रही पर फिर उसे भी मज़ा आने लगा और उसकी साँसे तेज़ होने लगी. मैं चुचियो को तेज़ी से मसल रहा था और वो गरम हो रही थी.

अब उसने भी अपना हाथ मेरी पेंट में डाल दिया. जैसे ही उसने मेरे लंड को छुआ, मुझे करंट सा लगा और मज़ा आने लगा, मेरा ४ इंच का सिकुड़ा लंड ७ इंच का हो गया था और पेंट के अंदर ही फडफड़ा रहा था.

मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और चुचियो को ब्रा के कैद से आज़ाद कर दिया. वो अब काफी बड़ी हो गयी थी और कासी हुई थी. मैंने अपनी ज़िन्दगी में अब तक इतनी मस्ती चुचिया नहीं देखि थी.

और अब वो सही समय आ गया था की मैं उसे वो सुख दू जिसके लिए वो इस हद पार गयी थी.

मैंने एक चूची को मुह में ले लिया और वो सिसकने लगी, उसे पूरा मज़ा आ रहा था. फिर मैंने उसे अब बिस्टर पर लिटा दिया और उसकी पेंटी भी उतार दी और एक उंगली उसकी चूत में डाल दी, इसे वो और जादा मस्त हो गयी और उफ्फ्फ… उफ्फ्फ…. अह्ह्ह्हह…. कर रही थी.

वो पुरे चरम पर थी पर मैं धीरज से काम ले रहा था. उसकी चुचिया एक दम तन गयी थी और चुचक खड़े हो गए थे.

अब उससे रहा नहीं जा रहा था और वो कह रही थी- प्लीज प्लीज….

मैंने अपना ७इन्च लुम्बा लंड धीरे से उसकी चूत पर रखा और हल्का सा जोर दिया. वो उछल पड़ी और बोली- निकालो बाहर… मैं मर जयुंगी… और उसने रोना शुरू कर दिया.

फिर मैं वही रुक गया और उसकी चुचिया जोर जोर से दबाने लगा जिससे उसका दर्द कम हो जाए और अगले ही पल उसका दर्द कम हुआ और फिर मैंने एक झटका जोर से दिया और लंड अन्दर जा घुसा.

वो चीख पड़ी…. उईइ….. अह्ह्ह्ह….. मार डाला…

उसका खून बहना शुरू हो गया था पर मैंने अपना लंड बाहर नहीं निकला, २ मिनट के बाद दर्द चला गया, अब उसे मज़ा आने लगा था. वो मदहोश थी. अब मैं ऊपर निचे कर रहा था.

धीरे धीरे उसने भी साथ देना शुरू कर दिया और हिल हिल कर अह्ह्ह…. आह्ह्ह…. करने लगी, उसकी चीखो से पूरा कमरा गूँज रहा था.

करीब १० मिनट के बाद मैं उसके अंदर ही झड गया और उसके ऊपर ही पड़ा रहा.

यह थी मेरी सेक्स स्टोरी आप लोगो कैसे लगी बताइयेगा जरुर….

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