फटा चूत निकला खून

नमस्कार, मेरा नाम अमित गौर है और मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर का रहने वाला हूँ और एक सरकारी नौकरी कर रहा हूँ।

ये मेरी असली कहानी है… …

बात उन दिनों की है, जब मैं कॉलेज में पढ़ रहा था। मैं दिल्ली से इंजिनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था और वहाँ पर हॉस्टल में रहता था।

क्यूंकी मैं एक छोटे से शहर से था इसलिए मैं कुँवारा था और मैंने कभी कोई लड़की नहीं चोदी थी। बस मूठ मारा था।

एक ग़रीब परिवार से होने के वजह से कभी लड़कियों से दोस्ती के बारे में सोचा ही नहीं था और पढ़ाई में व्यस्त रहता था। पढ़ाई के आख़िरी साल में ही मेरी नौकरी लग गई और जाय्निंग डेट भी आ गई थी।

जाय्निंग से पहले मेडिकल टेस्ट कराना था जो की सरकारी अस्पताल से ही कराना था। उस समय पढ़ाई ज़ोरो पर थी इसलिए टाइम भी नहीं मिल पा रहा था।

किसी तरह मैं एक दिन का समय निकाल कर घर आ गया क्यूंकि घर के अस्पताल में मेरा परिचय था।

यहाँ पर एक पर्ची लेकर सारे विभाग में जाना पड़ता था और हर जगह टेस्ट करके डॉक्टर साइन कर देता था।

आँख, नाक, कान और बाकी सारे विभाग से मैंने चेकप करा लिया और सिर्फ़ एक विभाग बाकी था। मुझे जल्दी थी क्यूंकी उसी दिन शाम को मेरी ट्रेन भी थी, वापसी की।

जब मैं आख़िरी विभाग में गया तो देखा की वो बिल्कुल खाली था। मुझे बहुत अजीब लगा क्यूंकि बाकी सारे विभाग में ज़बरदस्त भीड़ थी।

वहाँ पर एक लड़की बैठी थी, कोई 22 साल की रही होगी। बहुत ज़्यादा ही सुंदर थी – बड़ी बड़ी आंखें, लाल होंठ और काला सूट पहने हुई थी।

उसके पास जाकर पता चला की वो इंटेर्नशिप पर आई है और डॉक्टर अभी बाहर गया है। मैं वहीं बैठ कर डॉक्टर का इंतेज़ार करने लगा।

आधा घंटा हो गया पर डॉक्टर नहीं आया। मुझे लेट हो रहा था इसलिए मैं उसके पास गया और उससे बोला कि वो ही जो टेस्ट करना है कर ले और साइन कर दे पर्ची पर।

उसने बोला की उसे कोई प्राब्लम नहीं है पर प्राब्लम मुझे होगी उसके टेस्ट कराने में।

मुझे लेट हो रहा था तो मैंने कहा – मुझे कोई प्राब्लम नहीं है और वो ही मेरा टेस्ट कर दे। वो खड़ी हुई और मुझे एक पर्दे के पीछे ले गई।

मुझे थोड़ा अजीब लगा पर मैं चला गया। वहां पहुँच कर उसने मुझे अपनी जीन्स निकालने के लिए कहा।

मुझे लगा शायद पैरों का कोई टेस्ट होगा, इसलिए मैंने निकाल दिया। फिर उसने मुझसे मेरा अंडरवियर निकालने के लिए कहा।

मुझे कुछ समझ में नहीं आया और मैं उसकी तरफ देखने लगा। उसने बोला कि यहाँ पर लिंग टेस्ट होता है ये कन्फर्म करने के लिए की मैं एक पुरुष हूँ।

मैं बहुत दुविधा में था और क्यूंकि वो मेरे सामने बैठी हुई थी तो मेरा लण्ड भी खड़ा होने लगा जो को अंडरवियर के ऊपर से साफ पता चल रहा था।

मेरे पास कोई और चारा भी नहीं था क्यूंकि मुझे देर हो रहा था। मैंने उसकी तरफ देखते हुए अपना अंडरवियर घुटने तक कर दिया।

अंडरवियर नीचे होते ही मेरा लण्ड झटके के साथ खड़ा हो गया। एक दिन पहले ही मैंने अपनी झांट शेव की थी।

मेरे खड़े लण्ड को देख के वो मुस्कुरई और पकड़ के देखने लगी। मैंने पूछा – वो इस तरह से गौर से क्या देख रही है? तो उसने बोला कि उसने असली में कभी लण्ड नहीं देखा था, किताबों में ही देखा था।

इससे पहले की मैं कुछ और बोलता, उसने अचानक से मेरा लण्ड मुँह में ले लिया और मेरे शरीर में जैसे एक बिजली सी दौड़ गई।

मैंने उससे बोला – मैंने भी आज तक किसी लड़की को नंगा नहीं देखा है।

वो मुझसे अलग हुई और थोड़ा पीछे को हटी। फिर उसने मुस्कुराते हुए अपनी कुरती उतार दी।

काले रंग की ब्रा उसके गोरे शरीर पर और ज़्यादा सेक्सी लग रहा था।

मैं उसके पास पहुँचा और उसके होंठो को चूमने लगा और उसकी चुचियों को दबाते हुए उसकी सलवार का नाडा खोल दिया। सलवार सरक के नीचे गिर गई।

फिर मैंने उसकी ब्रा की हुक खोल के उसको अलग कर दिया। उफ़!! क्या चुचियाँ थीं, उसकी… बिल्कुल गोल और भरी हुई।

मैं उसकी चुचियों को ऐसे चूसने लगा की मानो उस में से दूध निकलेगा।

वो सिसकारियाँ लेने लगी।

फिर मैं नीचे घुटनों के बल बैठा और उसकी पैंटी नीचे कर दी। उसकी चूत कितनी चिकनी और सुंदर थी, मैं बयान नहीं कर सकता।

लग रहा था जैसे झांट अभी उगी ही ना हो, उसकी चूत पर।

पूछने पर उसने बताया कि वो रोज़ नहाते हुए अपनी झांट शेव करती है और हफ्ते में एक बार वैक्स करती है।

मैंने उसको वहीं टेबल पर लिटाया और उसकी टाँगों को फैला दिया। फिर अपनी उंगलियों से उसकी चूत की पंखुड़ियों को फैलाया और उनके बीच अपनी जीभ रख दी।

उसने अपने हाथों से मेरा सिर पकड़ कर और अंदर घुसा दिया। मैं पागलो की तरह उसकी चूत का स्वाद चखने लगा।

कुछ खट्टा सा स्वाद लग रहा था और उसकी महक मुझे पागल कर रही थी।

पाँच मिनट तक चाटने के बाद मैंने उसे उठा के पीछे घुमा दिया और अपने लण्ड को उसके चूत पर रगड़ने लगा।

उसके चूत के पानी से मेरा पूरा लण्ड गीला हो गया। उसने अपने हाथ से मेरा लण्ड पकड़ के अपने चूत पर रख दिया और अपने चूतड़ को पीछे करने लगी।

मैं समझ गया की वो पूरी गरम हो गई है और एक झटके के साथ पूरा लण्ड अंदर डाल दिया। उसकी तो मानो जान निकल गई और आँखों से आँसू निकल आए पर ऐसा लगा की उसने अपना दर्द पी लिया हो।

मैंने थोड़ा रुक के झटके लगाना शुरू किए और वो भी अपना चूतड़ आगे पीछे कर के मेरा साथ देने लगी।

दस मिनट तक झटके मारने के बाद जब मैं झड़ने वाला था तो मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और वो घुटनों के बल बैठ के मेरा लण्ड चूसने लगी और मैंने अपना पूरा वीर्य उसके मूह मे छोड़ दिया जिसे उसने बगल में पड़े डस्टबिन मे थूक दिया।

क्यूंकी मेरे पास टाइम नहीं था इसलिए मैंने जल्दी अपने कपड़े पहने और पर्दे से बाहर आकर कुर्सी पर बैठ गया। कुछ देर बाद वो भी अपने कपड़े पहन के बाहर आ गई और मेरे पर्ची पर साइन कर दिया।

वो ऐसे प्रतीत कर रही थी, जैसे हमारे बीच कुछ हुआ ही ना हो।

मैं उठा और उसकी ओर एक आख़िरी बार देखा और बाहर निकल गया।

ये मेरी पहली चुदाई थी

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