बहन की नंगी बूर

ये कहानी तब की है जब मैं ग्यारहवीं में पढता था और मेरी बहन दसवीं में पढ़ती थी।

एक रात बहुत बारिश हो रही थी, अचानक जोरों की बिजली कडकी और मेरी नींद खुल गई। मैं उठा और बाहर जाकर देखा तो जोरों की बारिश हो रही थी।

फिर मैं अन्दर आ गया अन्दर देखा तो सब सो रहे थे, मैं अपने कमरे में चले गया।

मेरे कमरे में मैं और मेरी बहन सोते थे।

कमरे के अन्दर हल्की रोशनी थी, छोटे बल्ब की वजह से अचानक मेरी नज़र मेरी बहन पर पड़ी, वो सो रही थी…

नींद में करवट बदलने की वजह से उसका स्कर्ट ऊपर हो गया था, वो खुबसूरत तो थी ही पर इस रूप में तो वो और भी अच्छी लग रही थी।

उसे देखते ही मेरी नींद उड़ गई…

मन कर रहा था जा कर उसके पूरे कपडे उतार दूँ और उससे लिपट जाऊँ।

मैं जा कर अपने बिस्तर पर लेट गया जो की उसके बगल में ही था और उसे देखने लगा।

मुझसे रहा नहीं जा रहा था, उसका अर्ध-नग्न जिस्म मुझे अपनी और खींच रहा था। मैं उठा और उसके बिस्तर पर लेट गया।

मैंने धीरे से उसकी स्कर्ट को और ऊपर उठा दिया और उससे चिपक गया। फिर मैंने अपना टी-शर्ट और पैजामा उतार दिया और अपने एक पैर को उसके पैर पर चढ़ा दिया और एक हाथ से उसके पैर को सहलाने लगा।

मेरा पूरा शरीर कांप रहा था और मेरा लण्ड खड़ा हो गया था। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है।

ये मेरा एकदम ही नया एहसास और अनुभव था पर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मैंने कभी किसी जवान लड़की को नंगा नहीं देखा था। मेरा पूरा शरीर काँप रहा था।

मैं धीरे-धीरे उसके कपड़े सरका रहा था, जिससे की उसके शरीर का एक-एक अंग देख सकूँ, वो भी बिना कपड़े उतारे क्योंकि मुझे डर था कहीं वो उठ ना जाये।

मैं उसके इतना करीब था कि उसकी गरम साँसें महसूस हो रही थीं।

मैं कभी उसके गाल को चूम रहा था, कभी होंठ को, कभी जांघ को और साथ ही अपने हाथ को उसके हर एक अंग पर फेर रहा था।

हाथ फेरते-फेरते अचानक मेरा हाथ जब उसकी बूर पर गया तो मेरी सांस तेज चलने लगी।

उसकी बूर एकदम पाव जैसी फूली हुई थी। उसके स्पर्श से मैं रोमांचित हो गया और मैंने नीचे जा कर चड्डी के ऊपर से ही उसके बूर को जीभ से चाट लिया और उसे सूंघने लगा।

उसकी बूर की खुश्बू सूंघते ही मेरे अन्दर नशा सा छा गया। उसके बाद मेरी नज़र उसके टॉप पर गई, जिसमें उभार थे।

मैंने ऊपर से ही उसे धीरे से दबाया, उसकी चुचियाँ बेहद सॉफ्ट थीं। मैंने उसके टॉप को धीरे-धीरे ऊपर करना शुरू किया।

कुछ ही देर में मैंने उसे ऊपर से भी नंगा कर दिया, उसकी नंगी चूचियों को देखते ही मैंने उसकी एक चूची को मुँह में ले लिया।

मेरा लण्ड तन गया, चूची मुँह में लेते ही वो हिली और उसने करवट ले ली। मैं डर गया और तुरंत उसके बगल में लेट गया।

थोड़ी देर बाद मैंने उसे हिला-डुला कर देखा, वो अभी भी नींद में थी। उसका स्कर्ट अभी भी ऊपर ही था।

मैं उसकी नंगी गाण्ड को देख कर फिर पागल हो गया और मैंने अपनी चड्डी नीचे सरका दी और पीछे से जा कर चिपक गया और मेरा लण्ड उसकी नंगी गाण्ड से चिपक गया।

अब मैं उसके बालों को सूंघने लगा, उसके बालों से भीनी-भीनी खुश्बू आ रही थी, जो मुझे और मदहोश कर रही थी।

मैंने उसकी चड्डी को एक साइड किया और अपने लण्ड को उसकी नंगी गाण्ड पर घुमाने लगा। ऐसा करने से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, जो मैं व्यक्त नहीं कर सकता।

उसकी चड्डी को मैंने पूरी तरह से एक साइड कर दिया था, जिससे की एक साइड का पूरा भाग नंगा हो गया था।

अब मैंने एक हाथ को उसके टॉप में घुसा दिया और उसकी चूचियों को मसलने लगा। इधर मैं अपना लण्ड उसके गाण्ड पर रगड़ रहा था और उधर उसकी चूचियों को मसल रहा था।

अचानक उसने फिर करवट ली और मैं फिर उससे दूर हो गया, इस बार उसने करवट ली तो वो पूरी तरह से सपाट हो गई और उसकी दोनों टाँगे फैली हुई थी। स्कर्ट ऊपर थी, चड्डी एक साइड होने से से उसका बूर पूरी तरह से नंगी हो गई थी।

उसका टॉप भी लगभग आधा चढ़ा हुआ था, जिसकी वजह से उसकी उसकी चूची भी दिख रही थी। मैं ऐसा ही उसे देखना भी चाहता था।

मुझसे रहा नहीं गया और मैंने बिना कुछ सोचे जल्दी से अपनी चड्डी उतार कर फेंक दी और उसके दोनों पैरों के बीच जाकर बैठ गया और उसके बूर को निहारने लगा।

उसकी बूर एकदम फूली हुई थी और उसपर छोटे-छोटे भूरे-भूरे बाल थे। मैंने उसकी बूर को सूंघा, फिर चाटा और फैलाया।

बूर का छेद एकदम छोटा था, अब मैने एक हाथ से बूर को फैलाया और एक हाथ से लण्ड में थूक लगाया और अपने लण्ड को उसकी बूर में ठूसना चाहा।

पर उसकी बूर का छेद इतना छोटा था कि उंगली भी ठीक से ना घुसे, मैंने जैसे ही अपने लण्ड के सुपाड़े को उसकी बूर के छेद पर रख कर पेला वो उठ कर बैठ गई।

मैं हक्का-बक्का रह गया उसने कुछ नहीं कहा, बस अपने स्कर्ट को नीचे किया और सो गई।

वो मेरी तरफ पीठ करके सो गई।

ना जाने मुझे क्या हुआ, इस बार मैंने लोक-लाज सब का भय छोड़ दिया।

मैंने कुछ नहीं देखा, वो सोई है या जागी है। उसके टॉप को ऊपर किया और उसके स्कर्ट को भी एक झटके में ऊपर कर दिया।

उसकी चड्डी को एक तरफ सरका दिया और पूरी तरह से उससे चिपक गया।

फिर मैने उसकी टाँग को ऊपर करके अपने लण्ड को उसकी दोनों टांगों की दरार में पेल दिया और ऊपर ही ऊपर उसके बूर पर रगड़ने लगा और एक हाथ से उसकी चूची मसलने लगा।

मैं पूरे जोश के साथ अपने लण्ड को उसके बूर पर पीछे से रगड़ने लगा। रगड़ते-रगड़ते जोश में मैंने उसे पीछे से अपनी बाँहों में भर लिया और अपने ऊपर उठा लिया।

अब मैं आसानी से अपने लण्ड को उसकी बूर पर रगड़ पा रहा था। कुछ ही देर में मेरे लण्ड से वीर्य का फुवरा फूट गया।

कुछ उसकी बूर पर गिरा, कुछ बिस्तर पर और कुछ उसकी चड्डी पर गिर गया।

कुछ देर मैं उससे चिपका रहा, फिर मैंने अपनी चड्डी से जितना हो सके वीर्य को साफ़ किया और उसके कपडे ठीक किए।

अपने कपडे पहने और जा कर सो गया।

बारिश अब तक हो रही थी कभी-कभी बादल भी गरज रहे थे…

यह कहानी आप लोगों को कैसी लगी मुझे जरुर बताइए…

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