दोस्तो, मेरा नाम अल्तमश है… और मैं बरेली का रहने वाला हूँ। मैं बारहवीं कक्षा मैं पढ़ रहा हूँ और मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, मेरी उम्र 18 साल है।

यह मेरी सच्ची कहानी है, बात तब की है जब मैं अपने मामा के यहाँ गर्मी की छुट्टियाँ मनाने के लिए गया था। मेरे मामा का ट्रांसपोर्ट का काम है इसलिए वो अक्सर घर से बाहर ही रहते हैं।

मेरे मामा के तीन बच्चे हैं, एक लड़की और दो लड़के हैं, लड़की का नाम सायमा और लड़कों के नाम अयान और राशिद हैं।
मामा के दोनों लड़के स्कूल जाया करते हैं।
लेकिन सायमा स्कूल नहीं जाती है.. उसे घर पर ही मौलवी साहब पढ़ाने आते थे। तो घर पर सायमा और मुमानी रहते थे।

जब मैं अपने मामा के गांव पहुँचा तो घर पर सायमा और मुमानी ही थे।
उन्होंने मेरा स्वागत किया और मेरे घर के बारे पूछा।

जब मैंने सायमा को देखा तो देखता ही रह गया। वाह.. क्या जिस्म था उसका.. मेरा तो लण्ड नेकर में ही खड़ा हो गया.. इतने मोटे दूध देखकर मेरा मन उसे चोदने का करने लगा।

उसने मुझसे कहा- कैसा है अल्तमश?
मैंने कहा- ठीक हूँ सायमा।
वो मुझे नाम लेकर ही बुलाती है.. वो मुझसे दो साल बड़ी है।

शाम को सब घर आ गए और तब ही मुमानी आईं और कहने लगीं- सब लोग खाना खा लो।
सबने एक साथ खाना खाया और सोने चले गए।

गर्मी होने के कारण सब बाहर सोने लगे, सबने अपनी चारपाई आगंन में डाल ली।
इत्तफाक से सायमा ने चारपाई मेरे बाजू में डाल ली, मेरे एक तरफ सायमा और एक तरफ मुमानी थीं।

सब सो गए लेकिन मुझे नींद कहाँ आ रही थी, मेरा मन तो बस सायमा को चोदने का हो रहा था, रात के बारह बज गए थे.. अब मुझसे काबू नहीं हो रहा था।

मैंने अपना फोन निकाला और ईयरफोन लगा कर उस पर ब्लू-फिल्म देखने लगा। फिल्म देखने के बाद मैंने मुठ्ठ मारी.. लेकिन अब भी मेरा मन शांत नहीं हुआ।

मैंने देखा कि चांद की रोशनी में सायमा के दूध उसके कुर्ते से बाहर आ रहे हैं और कातिल लग रहे हैं।
अब मुझसे सब्र नहीं हुआ.. मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी चारपाई पर रख दिया।

मैं धीरे-धीरे हाथ को उसके पास लेकर गया और उसके दूध पर हाथ रख दिया और हल्के-हल्के से उसके दूध को सहलाने लगा।
अब मैंने उसके कुर्ते में हल्के से हाथ डाल दिया और उसके दोनों दूधों को थोड़ी जोर से मसलने लगा।
उस वक्त वो जाग रही थी या सो रही थी मुझे नहीं पता था।
वो इसी तरह सोती रही।

अब मैं धीरे-धीरे उसके बदन पर हाथ फिराते हुए उसकी सलवार तक पहुँच गया।
मैंने सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ रख दिया, उसकी चूत गीली हो गई थी, मैं चूत को सहलाने लगा।
मुझे ऐसा लग रहा था.. जैसे वो जाग रही है।

मैंने धीरे से उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार को फैलाकर थोड़ा नीचे कर दिया। अब मैं अपनी उंगली उसकी चूत पर रख कर सहलाने लगा।
उसकी चूत से पानी निकल रहा था जिससे मेरी उंगली गीली हो गई थी।

मैंने धीरे से चूत में उंगली डाली, उसके मुँह से सिसकारी निकली.. मैं समझ गया कि सायमा जाग रही है।
मैं डर के मारे अपनी चारपाई पर लेट गया और सो गया।

सुबह हुई मुमानी आईं और बोलीं- सब लोग नाश्ता कर लो।
नाश्ता करके राशिद और अयान स्कूल चले गए।
मैंने नाश्ता किया और कमरे में जाकर टेलिविजन देखने लगा।

कुछ देर बाद मुमानी आईं और कहने लगीं- मैं अपनी अम्मी के घर जा रही हूँ।
मैंने पूछा- क्यों जा रही हो?
तो वो बोलीं- अम्मी की तबियत ठीक नहीं है।
उन्होंने सायमा से पूछा- तू चल रही है क्या?
मगर ना जाने क्यों सायमा ने मना कर दिया।

मुमानी चली गईं.. अब मैं और सायमा घर पर अकेले थे। कुछ देर बाद सायमा कमरे में आई और कहने लगी- रात तू मेरे साथ क्या कर रहा था?
मैं डर गया और बोला- कुछ नहीं.. मैं तो सो रहा था।
उसने कहा- इतना भोला मत बन.. मैं सब जानती हूँ।
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मैंने शर्म के मारे नजरें नीची कर लीं।
वो बोली- इसकी सजा तो मिलेगी।
मैंने कहा- गलती हो गई सायमा प्लीज़.. तू मुमानी से मत कहना।

वो बोली- ठीक है नहीं कहूँगी.. लेकिन तुझे मेरा एक काम करना पड़ेगा।
मैंने कहा- क्या काम?
तो वो बोली- तुझे मेरी चुदाई करनी होगी।

यह सुनकर मैं खुशी के मारे पागल हो गया और झट से मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए।
मैंने अपना एक हाथ उसके दूध पर रख दिया और एक हाथ से उसके बाल पकड़ लिए और उसे चूसना आरम्भ किया।

दस मिनट की चुसाई के बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया।
वो बोली- जरा प्यार से करना.. पहली बार है।
मैंने उसके दूध दबाने शुरू किए, वो सिसकारियाँ लेने लगी ‘आह सीआहह हहहह..’

मैंने उसका जम्फर उतारा उसने लाल कलर की पैन्टी पहन रखी थी। लाल पैन्टी में वो गजब ढा रही थी। मैंने उसकी पैन्टी उतार दी।
खुदा कसम.. क्या भरे हुए दूध थे उसके..
मैंने दोनों दूधों को हाथों में लेकर मसलना शुरू किया जिससे वो सिसकारियाँ लेने लगी ‘आहहहह मरररर गई..’

अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा था, मैंने झट से उसकी सलवार उतार दी।
अब वो मेरे सामने सिर्फ पैन्टी में थी, मैंने उसकी पैन्टी भी उतार दी।

वाह क्या कहूँ.. क्या मस्त जन्नत का नजारा था.. उस हूर की गुलाबी रंग की चूत देखकर मेरा लण्ड पैन्ट में ही खड़ा हो गया।
मैंने उनकी चूत पर उंगली रखी और चूत पर फेरने लगा।
वो सिसकारी भरने लगी- मर गई.. अल्तमश.. अब और मत तड़पाओे.. जल्दी से अपना लण्ड तो दिखाओे..

मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतारे.. मेरे नेकर मैं मेरा लण्ड सांप की तरह खड़ा था।
वो जल्दी से उठी और उसने मेरा नेकर उतार दिया।
लौड़ा देखा कर वो चौंक कर बोली- तेरा लण्ड तो बहुत बड़ा है मेरे भाई..

वो मेरे लण्ड को चूसने लगी, फिर बोली- चल अब जल्दी से मुझे चोद डाल!
मैं अपना लण्ड उसकी चूत पर रख कर मसलने लगा।

वो तड़पती हुई बोली- चल अब जल्दी से अन्दर डाल दे.. आहहहहह अई अम्मी.. मर गई।
मुझे उसे तड़पाने में मजा आ रहा था।

अब मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत के मुहाने पर रख दिया, एक झटका मारा.. लेकिन मेरे लण्ड का सुपारा ही चूत में जा पाया।
दर्द के मारे उसकी चीख निकल गई, मैं डर गया और लौड़ा हटा लिया।

वो उठी और रसोई से जा कर सरसों का तेल ले आई।
मैंने तेल से अपने लण्ड और उसकी चूत को तर कर दिया, फिर मैंने लण्ड को सैट किया और एक जोरदार झटके के साथ चूत में पेल दिया।

वो दर्द के मारे करहाने लगी और उसकी चूत से खून भी निकल आया था।
वो कराहते हुए बोली- कुछ देर रूक जाओ.. बहुत दर्द हो रहा है।
मैं कुछ देर रूक गया।
फिर मैंने उससे कहा- अब ठीक है?
तो वो बोली- हाँ..

मैंने लण्ड को उसकी चूत में अन्दर तक डाल दिया और धीरे-धीरे उसे चोदने लगा।
वो सिसकारियाँ ले रही थी- आह आह.. सी आह आह मर गई।
मैंने अपने झटके तेज किए.. अब वो भी मेरा साथ दे रही थी।
पूरे कमरे में ‘फच फच’ की आवाजें आ रही थीं।

वो सिसकारियाँ लेकर चुदाई का मजा ले रही थी ‘चोद मेरे भाई और जोर से चोद..’
यह सुनकर मैंने अपनी गति और तेज कर दी।
उसका पानी निकलने वाला था।

बीस मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों ढेर हो गए, मैं उसके ऊपर ही लेट गया।

और फिर कुछ देर बाद मैंने उससे कहा- अब तुम घोड़ी बनो।
वो मना करने लगी.. लेकिन मेरे ज्यादा कहने पर मान गई।
मैंने लण्ड उसकी गांड में डाला और चोदने लगा, वो दर्द के मारे सिसकारियाँ भरने लगी, कुछ पलों के बाद वो मजे लेने लगी ‘आह आह.. आह चोदो.. चोदो फाड़ डालो मेरी गांड को… आह चोदो।’

फिर 15 मिनट के बाद मैं और वो झड़ गए।
इस तरह मैंने चार बार उसे चोदा और अब फिर अगली छुट्टियों में वहाँ जाकर चोदने का प्लान बना रहा हूँ।

दोस्तो, यह थी मेरी कहानी.. आपको कैसी लगी.. जरूर बताना।

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