मेरी आंटी से शादी और सुहागरात की कहानी

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम आदित्य है और मेरी उम्र 23 साल है और में तिरुपति में रहता हूँ। मेरी फेमिली में मम्मी, पापा, एक भाई और में हूँ। ये 5 साल पहले की बात है, मेरे घर के सामने घर में एक नई फेमिली शिफ्ट हुई। उनकी फेमिली में अंकल-आंटी और उनके 2 बच्चे थे, अंकल की उम्र 46 साल और आंटी 42 साल की थी। उनकी लड़की की उम्र 17 साल और लड़के की उम्र 14 साल थी।

आंटी दिखने में बहुत सुंदर थी और अब में तो उनको देखते ही उनका दीवाना हो गया था। आंटी का नाम नीतू था, वो बहुत गोरी थी और उनकी हाईट भी अच्छी थी, शरीर हल्का भरा हुआ, लेकिन उसको मोटी नहीं कह सकते, उनके बूब्स का साईज़ लगभग 38 था, जो थोड़े लटके हुए थे, लेकिन उनके शरीर पर मस्त नज़र आते थे।

आंटी की कमर का साईज़ लगभग 36 था और सबसे खूबसूरत उनकी गांड थी, उनकी गांड का साईज़ 40 था, जिससे उनका फिगर कमाल का लगता था। आस पास के मर्दों का लंड उनको देखते ही खड़ा हो जाता था और हो भी क्यों ना? आंटी थी ही इतनी खूबसूरत।

में उन दिनों ग्रेजुयेशन फाइनल ईयर में था और में रोज़ अपनी बालकनी में शाम को ठहलता था। आंटी भी अक्सर अपनी बालकनी पर आती थी, अब में चुपके-चुपके उनको देखता था। अब हमारी नज़रे कई बार मिल चुकी थी, वो मेरी मम्मी की अच्छी दोस्त बन चुकी थी और अब आंटी का मेरे घर आना जाना शुरू हो चुका था।

अब में भी आंटी और उनके बच्चों से घुल मिल चुका था, आंटी के पति अक्सर जॉब के सिलसिले में बाहर ही रहते थे। एक दिन आंटी शॉपिंग करके घर जा रही थी और रास्ते में मुझे मिल गयी तो मैंने अपनी बाइक रोकी और आंटी को बैठा लिया। अब रास्ते में जब भी ब्रेक लगता तो आंटी के बूब्स मेरी पीठ पर दब जाते थे। अब मुझे बड़ा मज़ा आने लगा था, अब हम पूरे रास्ते बातें करते आए।

फिर उनको घर ड्रॉप करके में भी अपने घर आ गया, उस रात मैंने बाइक वाला सीन याद करके मुठ मारा और काफ़ी सारा वीर्य निकाला और सो गया। अब में उनके बच्चों के साथ खेलने के बहाने से आंटी के यहाँ जाने लगा था। अब में आंटी को खेलते-खेलते देखता रहता था और आंटी ने भी ये बात नोटीस कर ली थी।

अब आंटी भी स्माइल कर देती थी। एक दिन खबर आई कि अंकल की एक्सिडेंट में मौत हो गयी। फिर उसके बाद उनके घर में अंतिम संस्कार की रस्म हुई और अंकल की पेन्शन से उनका घर चलने लगा। फिर धीरे धीरे आंटी भी नॉर्मल हो गयी और वो अपने बच्चों के साथ उदयपुर शिफ्ट हो गयी। फिर संयोग से मेरी नौकरी भी उदयपुर में लगी और अब में बहुत खुश हो गया था, फिर में भी उदयपुर आ गया। अब आंटी से मेरा मिलना जुलना फिर से शुरू हो गया था, अब मुझे आंटी भी खुश लगने लगी थी।

एक दिन मैंने हिम्मत करके आंटी को फोन किया और उनको अपने प्यार का इज़हार कर दिया और उनको शादी का प्रस्ताव दिया, तो आंटी ये सुनकर हैरान हो गयी और मुझे फोन पर डांटने लगी, तो मैंने आंटी से कहा कि अगर आप मुझे नहीं मिली तो में ज़हर खा लूँगा। फिर आंटी मुझे समझाने लगी कि ये ग़लत है, में तुम्हारी आंटी हूँ और ये नहीं हो सकता और उन्होंने फोन रख दिया।

उसके बाद मैंने भी उनको कॉल नहीं किया, लेकिन फिर 4 दिन के बाद उनका फोन आया और वो पूछने लगी कि अब तुम घर क्यों नही आते? तो मैंने बिना जवाब दिए फोन काट दिया। फिर उन्होंने मुझे कई बार फोन किया, लेकिन मैंने नहीं उठाया। फिर अगले दिन आंटी मेरे घर आई और फिर मैंने जैसे ही दरवाजा खोला तो वो मेरे गले से लिपट गयी और रोने लगी और कहने लगी कि मुझ पर मेरे बच्चों की ज़िम्मेदारी है, में तुमसे कैसे शादी कर सकती हूँ?

तो मैंने कहा कि में तुम्हें अपनी पत्नी बनाऊंगा तो तुम्हारे बच्चे तो मेरे भी हो गये और में उनकी ज़िम्मेदारी संभाल लूँगा, उनको पिता का प्यार दूँगा। अब नीतू आंटी मेरे गले लग गयी और मुझे आई लव यू बोला।

फिर एक महीने के बाद हम दोनों और दोनों बच्चे मंदिर पहुँचे, नीतू लाल रंग की साड़ी में कमाल लग रही थी। फिर पंडित ने फैरे करवाये और हमारी शादी हो गयी। फिर हम सब घर पहुँचे मैंने अपने घर में एक रूम बच्चों के लिए ठीक कर दिया था और नीचे वाला अपना बेडरूम फूलों से सज़ा दिया था। अब रात काफ़ी हो चुकी थी तो बच्चे अपने रूम में सोने चले गये थे और में नीतू को लेकर अपने बेडरूम में आ गया था।

फिर मैंने नीतू को आई लव यू कहा, तो उसने भी मुझे रिप्लाई दिया। फिर उसने मेरे पैर छुए तो मैंने उसको अपने गले से लगा लिया। फिर उसने कहा कि आज से हमारा सब कुछ आपका है, में आपकी हर इच्छा पूरी करूँगी। फिर मैंने उसे कमर से पकड़ा और अपनी और खींचा, तो उसने भी अपनी बाहें मेरे कंधो पर रख ली। फिर मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए तो उसने 5-6 सेकेंड में ही शर्माकर अपने होंठ पीछे कर लिए, लेकिन आज में कहाँ मानने वाला था।

फिर मैंने उसको कमर से और टाईट पकड़ा और हमारे होंठ फिर मिल गये। फिर हमने करीब 10 मिनिट तक एक दूसरे के होंठो को चूसा और उसके बाद में उसके पीछे आ गया और उसकी गर्दन को चूमते हुए उसके पीछे से उसके बड़े बूब्स को दबाने लगा। अब उसकी सिसकी निकलने लगी थी और उधर मेरा लंड भी पजामे में खड़ा हो चुका था और उसकी गांड में घुसने की कोशिश कर रहा था।

फिर मैंने धीरे-धीरे उसकी साड़ी उतार दी और अब उसके बड़े बूब्स का साईज़ उसके ब्लाउज से मस्त नज़र आ रहा था। फिर मैंने नीतू को अपनी बाँहों में उठाया और उसे बेड पर बैठाया और उसको किस करने लगा। फिर मैंने धीरे-धीरे नीतू के ब्लाउज के हुक खोल दिए और उसका ब्लाउज उतार दिया। अब ब्रा में वो कमाल की लग रही थी, अब में ज़ोर-ज़ोर से उसके बूब्स दबाने लगा था। फिर मैंने अपने कपड़े उतारे और नंगा हो गया। अब मेरे बड़े लंड को देखकर वो घबरा गयी थी। दोस्तों ये कहानी आप मस्ताराम.नेट पर पड़ रहे है।

फिर मैंने देर ना करते हुए उसका पेटीकोट भी उतार दिया और मैंने उसकी ब्रा और पेंटी भी उतार दी, उसके बूब्स बहुत खूबसूरत थे, उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। फिर मैंने उसके मुँह में अपना लंड देना चाहा तो उसने मुझे रोक दिया और वो मुँह में लेने को मना करने लगी।

फिर जब वो नहीं मानी तो मैंने ज़बरदस्ती उसके मुँह में अपना लंड डाल दिया। फिर धीरे-धीरे उसने भी चूसना शुरू कर दिया और मैंने उसके मुँह में अपना ढेर सारा गाढ़ा वीर्य डाल दिया और वो मेरा सारा वीर्य पी गयी। फिर मैंने उसको बेड पर लेटाया और उसकी चूत में अपनी जीभ डाल दी।

अब उसको भी मज़ा आने लगा था और वो सिसकारियां लेने लगी आहहाहहाहह और फिर वो 2 मिनट में ही झड़ गयी। फिर मैंने उसकी दोनों टांगो को चौड़ा किया और अपना बड़ा लंड उसकी चूत पर सहलाने लगा, तो नीतू ने कहा कि आराम डालना जी, मैंने 2 साल से सेक्स नहीं किया है। फिर मैंने कहा कि तू चिंता मत कर नीतू, आज से रोज़ तेरी चुदाई होगी।

फिर मैंने उसकी दोनों टांगो को अपने कंधे पर रखा और अपने लंड को उसकी चूत पर रखकर सेट किया और जोरदार झटका लगा दिया, तो मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर जा घुसा। अब नीतू की चीख निकल गयी थी, अब उसकी आँखों से आँसू आ गये थे। फिर उसने मुझे रोकने की कोशिश की, लेकिन में नहीं माना। अब में जोरदार झटके लगाने लगा था और अब पूरे कमरे में फ़च-फ़च की आवाज़े आने लगी थी।

फिर नीतू धीरे-धीरे नॉर्मल हुई, लेकिन मेरी स्पीड लगातार बढ़ने लगी थी। इस बीच नीतू ने अपना पानी छोड़ दिया, लेकिन मेरा लंड अभी रुकने वाला नहीं था। अब उसकी चूत के पानी से मिलकर फ़च-फ़च की आवाज़ बढ़ गयी थी। अब हर झटके पर नीतू की आअहह निकल रही थी, अब वो लगातार सिसकारी भर रही थी अया अया आआहह। फिर मैंने भी अपने झटको की स्पीड बढ़ा दी और नीतू और मैंने एक साथ अपना पानी छोड़ दिया। अब में नीतू के ऊपर ही लेटा रहा, अब हम दोनों थक चुके थे, अब हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में ही लेटे रहे।

फिर थोड़ी देर के बाद मेरा लंड फिर से फंनफनाने लगा तो मैंने नीतू की गांड मारनी चाही, तो नीतू ने मुझे मना कर दिया। फिर मैंने थोड़ी ज़िद की, तो वो मान गयी और मैंने उसको उल्टा किया और अपना लंड उसके छेद पर रखा और जोरदार धक्का लगा दिया, तो वो चिल्ला पड़ी और मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी। फिर मैंने उसके कंधो के नीचे से हाथ निकालते हुए उसकी गर्दन पर फंसा लिया, वो अब कहीं नहीं भाग सकती थी।

फिर ज्यादा देर ना करते हुए में जोरदार धक्के लगाने लगा। अब कमरे में फिर से फ़च-फ़च की आवाज़े आने लगी थी। अब नीतू की चीख के साथ-साथ उसके आँसू भी गिर रहे थे। फिर करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद मैंने नीतू की गांड में ही अपना पानी छोड़ दिया। अब हम दोनों काफ़ी थक चुके थे और हम सो गये। फिर सुबह 9 बजे मेरी आँख खुली तो नीतू मेरे लिए चाय लेकर आई, अब वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी और फिर में नीतू को रोजना चोदने लगा ।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

|