मेरी चुदाई की प्यास देख मुझे कोई भी चोद दे

दोस्तो मैं पिंकी अपनी कहानी लेकर हाजिर हूँ दोस्तो मैं अब 22 साल की हूँ और मैंने अभी (इस घटना से पहले) अपनी चूत चुदवाई नहीं की है, कभी असली में लंड भी नहीं देखा। मेरे मम्मे ज्यादा बड़े नहीं हैं.. और रंग भी इतना गोरा नहीं है.. पर नैन-नक्श सुन्दर हैं, लड़के मुझे भाव नहीं देते थे क्योंकि मेरी सहेलियाँ ज्यादा सुन्दर हैं और मेरे घर वाले भी मुझ पर ज्यादा नज़र टिकाए रखते हैं।

मुझे कुछ लड़कों के ऑफर भी आए.. पर वो शकल-सूरत और डील-डौल से कुछ भी नहीं थे। इसलिए मैंने ‘ना’ कह दी।मुझे मालूम है कि चुदाई में दमदार लड़के के साथ ही मजा आता है। मेरी सारी सहेलियाँ अपने बॉयफ्रेंड से कई बार सेक्स कर चुकी है.. पर मैं अभी तक कुंवारी वर्जिन हूँ। मुझे भी उनकी बातें सुन-सुन कर चुदने का मन करता था। पर मुझे इज्ज़त का और सील टूटने के दर्द से डर लगता था।

एक दिन किस्मत ने साथ दिया और घर वालों को शादी पर जाना था, शादी में मम्मी-पापा जा रहे थे, मैं और दादी घर रहने वाले थे। दादी की तबियत अब ठीक नहीं रहती और वो बिस्तर में और अपने कमरे में ही रहती हैं।

दिसम्बर के दिन थे और धुंध भी बहुत पड़ती है.. ठण्ड भी बहुत होती है। घर और हमारी देखभाल के लिए पापा ने मेरे बड़े पापा के बेटे को फोन कर दिया कि जब तक हम नहीं आ जाते.. तब तक तुम इधर ही रहना।

भगत भैया जॉब करते हैं। मैं उनसे बहुत दिन बाद मिल रही थी। जैसे ही भगत घर आया, मैं रसोई में थी।
मैं हॉल में आई.. वो दादी से मिल कर हॉल में आकर खड़ा था। मैं उसे देखते ही खुश हो गई.. मैं उसके गले जा लगी और उसके साथ चिपक गई, मैंने अपने मम्मों को उसके साथ दबा दिए और मैं अपने पेट पर उसका ‘सामान’ महसूस कर रही थी।

मुझे किसी लड़के के साथ लग कर बहुत मजा आया।
मैंने कहा- भैया आप मुझे भूल गए.. मेरी याद भी नहीं आती.. कभी मुझसे मिलने भी नहीं आते?
भगत- अब मैं आया तो हूँ तुझसे मिलने.. मैं 5-6 दिन अब कहीं नहीं जाऊँगा। मैंने ऑफिस से भी 7 दिन की छुट्टियाँ भी ले ली हैं।

उसके बाद मैंने भगत के लिए कॉफी बनाई और हम बातें करने लगे। बातें करते-करते रात हो गई और हमने रात का खाना बनाया और खाया। मैंने भगत से कह दिया कि आप मेरे कमरे में ही सोयेंगे।

मैं और भगत पहले तो भगत के फोन पर फिल्म देखते रहे.. फिर सोने के लिए बेड पर आ गए। मैंने शाम को ही बेड पर बड़ी रजाई रख दी थी। भगत कमरे में जा कर रजाई में घुस कर लेट गया और फोन चलाने लगा।

मैं बाथरूम चली गई और मन ही मन सोच रही थी कि आज रात चूत का काम बन जाए। मैं सोचने लगी कि भगत को कैसे बताऊँ कि मैं उससे चुदना चाहती हूँ।आप ये कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

मैं फिर कमरे में चली गई और कमरे को कुण्डी लगाई। मैंने अपनी स्वेट शर्ट और जींस उतार कर कीली पर लटका दी। मैंने नीचे मैंने सफ़ेद रंग का बॉडी वार्मर इनर डाला हुआ था और स्लेटी रंग की स्लेक्स डाल रखी थी। ये दोनों कपड़े मेरे बदन से चिपके हुए थे।

भगत मुझे देखता रह गया.. अब मेरी पीठ भगत की तरफ थी। मैं उसे अपने गोल-गोल चूतड़ों को दिखा कर मोहित करना चाहती थी। आखिर वो भी जवान लड़का है और मुझे इस हाल में देख कर उसका मन भी बदल गया।

अब मैं भी रजाई में आ गई और लेट गई।

भगत सीधी-साधी बातें कर रहा था.. फिर मैं मुद्दे पर बोलने लगी- भैया तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
भगत- नहीं है।
मैं- आप तो इतने स्मार्ट हो.. लड़कियां तो जान छिडकती होंगीं आप पर..!
भगत- हाँ.. पर इतना भी नहीं.. मेरी गर्लफ्रेंड थी.. अब हमारा ब्रेकअप हो गया है।

मैं- क्यूँ.. क्या हुआ था?
भगत- वो लड़की चालबाज़ थी.. उसने किसी और लड़के के साथ भी सैटिंग कर रखी थी.. और फिजिकल रिलेशन बनाए हुए थे.. मुझे पता चल गया और मैंने उसे छोड़ दिया।
मैं- कभी आपने फिजिकल रिलेशन बनाए हैं.. किसी लड़की के साथ?
भगत- नहीं बनाये..

अब मेरी बात बन चुकी थी.. बस कुछ पल की देरी और इस बात का इन्तजार था.. कि अब पहल कौन करता है। बस इसी की शर्म मुझे भी थी और उसे भी।

और पहल भगत ने ही कर दी.. आखिर लड़का है.. कब तक रोकता खुद को..
वो बोला- पिंकी.. एक बात पूछूं.. सच बताना.. तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है?
मैंने कहा- नहीं है।
फिर भगत ने कहा- तुमने कभी किया वो काम?
मैंने कहा- नहीं किया.. जब बॉयफ्रेंड ही नहीं है.. तो मैं कैसे करती?
और भगत बोला- आज तुम भी अकेली हो और मैं भी अकेला हूँ.. क्यूँ ना हम एक हो जाएं..

मैं यह सुन कर बहुत खुश थी जैसे कि मेरी सारी इच्छाएँ पूरी हो गई हों। मैं खुशी से इतनी भर गई और मेरे मुँह से खुशी को भगत ने देख लिया।
मैं मुस्कुराने लगी थी और घबराने लगी थी।

फिर भगत मेरी टांगों के बीच में आ गया और मुझे झटके लगाने लगा और हम दोनों होंठों में होंठ डाल कर चूमने लगे। सच में लड़के की बाँहों में बहुत मज़ा आता है।

भगत मेरा नाम पुकारने लगा- पिंकी आई लव यू डार्लिंग.. यू आर सो स्वीट..

मेरा एक हाथ भगत की कमर पर था और दूसरे से मैंने उसका सिर पकड़ा और उसे अपनी गर्दन चूमने पर लगा दिया, उसके गीले होंठ मेरे बदन में करंट लगा रहे थे।
मैंने भी भगत से कहा- डार्लिंग आज से मैं आपकी बीवी और आप मेरे पति..

भगत का जोश बढ़ गया था और उसने मेरे कपड़े उतार दिए और मेरे मम्मों को दबा-दबा कर चूसने लगा। जब मेरा मुम्मा.. उसके मुँह में जाता था.. तो मुझे बहुत मजा आता था.. मेरी चूत में चुनचुनी होने लगती थी।

अब हम दोनों नंगे हो गए थे.. हम दोनों की साँसें फूल रही थीं।आप ये कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

दोनों ही कामुकतावश ‘आह्हह.. स्श्श्श्शाः स्स्श्श्शा आआआ.. साआहह्हा..’ करके साँसें ले रहे थे, हम दोनों इतनी सर्दी के बाद भी पसीने में भीग गए थे।

भगत ने मेरी चूत पर जैसे ही जीभ फिराई.. मेरे शरीर में सनसनी दौड़ उठी.. मैं अब और सह नहीं कर सकती थी, मैं मचलने लगी थी। मैं अब जल्दी से जल्दी लौड़ा लेना चाहती थी।

भगत ने बहुत देर मेरी चूत को चाटा उसने मेरे बदन पर हर जगह चूमा-चाटा उसने मुझे तरसा दिया। फिर भगत ने जब अपना गरम लौड़ा मेरी चूत पर टिकाया.. तो मैं घबरा गई। मैंने उसका लौड़ा देखा वो तीन इंच मोटा और आठ इंच लंबा रहा होगा। भगत ने मेरी टांगों को पकड़ लिया और खींच कर झटका मारा.. और मेरे ऊपर गिर गया।

मेरी दर्द से जान निकल गई.. उसने मेरे मम्मों को जोर-जोर से दबाया.. जैसे उखाड़ ही डालेगा और हम होंठ चूसने लगे।

फिर भगत ने झटके लगाने शुरू किए.. कुछ मिनट मुझे दर्द हुआ.. उसके बाद मजा ही मजा था। कॉफी देर झटके लगाने के बाद भगत ने अपना माल मेरी चूत में छोड़ दिया। उसके गरम-गरम माल मेरी चूत में छूटने पर जो मजा मुझे आया.. इतना तो भगत को भी नहीं आया होगा।

जब चूत में माल छूटता है.. तो सच में बड़ा मजा आता है। उस रात भगत ने दो बार और मेरी चूत में अपना माल छोड़ा और हम पति पत्नी की तरह सो गए।

हम दोनों बहुत खुश थे.. अगली सुबह हमने फिर चुदाई की।
मैंने भगत से कहा- और छुट्टी ले लो..

उसने पूरा हफ्ते की छुट्टियाँ ले लीं और भगत मेरे लिए आई-पिल की गोलियाँ ले आया।

मैं भगत से सारा दिन चिपकी रहती थी कभी नंगी.. तो कभी कपड़ों में.. हम सारा दिन सारी रात चुदाई करते थे, हमने पूरा हफ्ता बहुत सेक्स किया।

उसके अगले दिन जब मैं कॉलेज गई.. तो मेरी सहेलियाँ मुझे देख कर हैरान थीं कहने लगीं- तुम तो बहुत सेक्सी लग रही हो।

मैंने गौर किया तो पाया कि मेरे मम्मे पहले से मोटे और गोल हो गए हैं और चूतड़ भारी हो गए हैं। अब लड़के मुझे ऑफर करने लगे हैं, मुझे भी भाव देने लगे हैं.. चुदाई ने मेरे हुस्न को मेरे जोबन को.. निखार दिया है।

अब हम दोनों हफ्ते में एक-दो बार सेक्स कर ही लेते हैं।

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