मेरी प्यारी रसीली नानी Indian Sex Kahani

हेलो यारो, मैं सुमित हूँ| आज मैं आपको एक ऐसी desi kahani सुनाऊंगा की आपका निकल जायेगा और लड़कियों तुम तो पक्का गीली हो जाओगी| ये Hindi Sex Kahani है मेरी और मेरी एक नानी (चाची की माँ) की जिसमे मैं नानी की धुआंधार चुदाई करता हूँ| अब मैं अपनी granny sex story शुरू करता हूँ|

मैं घर से दूर जॉब करता था और अकेला रहता था| एक दिन मेरे पिता जी आये और एक रात के लिए मेरे पास रुके। रात को उन्होंने जब वो खाना खाया तो बहुत दुखी हुए। अगले दिन पिता जी के जाने के बाद रात को घर से फोन आया और मुझे घर पर बुलाया। मैं छुट्टी लेकर गाँव चला गया। सबने मिल कर फैसला किया कि या तो घर से कोई मेरा खाना बनाने और घर के काम के लिए मेरे साथ चला जाए या फिर कोई अच्छा इंतजाम किया जाए। पर इंतजाम क्या किया जाए?
सुबह मेरी समस्या का कुछ हल निकलता महसूस हुआ। मेरी एक चाची ने मेरी माँ को कहा कि उसकी माँ बहादुरगढ़ में अकेली रहती हैं, अगर मैं उसके पास रहने लगूँ तो उसकी माँ का भी अकेलापन खत्म हो जाएगा और मेरी रोटी का भी इंतजाम हो जाएगा। नांगलोई से बहादुरगढ़ ज्यादा दूर भी नहीं था। यह सोच कर कि बुढ़िया के साथ रहना पड़ेगा मैंने मना कर दिया।
पर फिर भी चाची ने जोर देकर एक बार मिलने को कहा तो मैंने चाची को कहा- आप एक बार साथ चलो, अगर पसंद आया तो रह लूँगा।
चाची मेरी माँ के कहने पर तैयार हो गई। अगले ही दिन हम बहादुरगढ़ के लिए निकल लिए। पूरे रास्ते चाची अपनी माँ के बारे में ही बात करती रही।
आखिर हम दोनों बहादुरगढ़ पहुँच गए। रिक्शा में बैठ कर हम दोनों चाची के घर की तरफ चल दिए। छोटी सी रिक्शा और खड्डों से भरी सड़क पर मैं चाची से बिल्कुल चिपक कर बैठा था और चाची भी हर खड्डे पर मेरी बाँह पकड़ कर मुझसे चिपक जाती। मेरे एक दोस्त पवन की माँ को चोदने के बाद मुझे भी अधेड़ उम्र की औरतें बहुत पसंद आने लगी थी। चाची की उम्र भी यही कोई तीस बत्तीस साल होगी। दो बच्चों की माँ थी वो पर उसके बदन के स्पर्श से मेरी पैंट के अंदर हलचल होनी शुरू हो गई थी।
मैं अब अंदर ही अंदर उत्तेजित होने लगा था और मैं जानबूझ कर अपनी कोहनी से चाची की चूची को सहलाने लगा था। चाची की बड़ी बड़ी चूचियों को कोहनी से सहलाने में बहुत आनन्द आ रहा था। रिक्शा वाला मस्ती में चला जा रहा था।
तभी मेरी नज़र चाची की नज़र से मिली तो चाची ने एक मादक मुस्कान देते हुए मेरी तरफ देखा। मुझे मामला पटता हुआ लगा।
लगभग दस मिनट के बाद हम दोनों चाची की माँ के घर पहुँच गए। नानी (चाची की माँ) को देखते ही मेरे तो होश उड़ गए। नानी एक पैंतालीस-पचास साल की बेहद खूबसूरत बदन की मालिक थी। जिसे मैं बुढ़िया समझ कर ना कर रहा था वो तो पवन की माँ शोभा से भी ज्यादा मस्त माल थी। मेरा तो लण्ड सलामी देने लगा था उसको देखते ही। सही कहूँ तो चाची की गदराई जवानी फीकी लगने लगी थी नानी को देख कर।
जल्दबाजी करने की जरुरत नहीं थी। क्यूंकि चाची भी आधी तो पट ही चुकी थी। मैं आगे बढ़ा और झुक कर नानी के पाँव छुए तो उसने मुझे अपनी छाती से लगा लिया। उनकी चूचियों का कड़ापन मुझे महसूस हुआ तो दिल किया अभी पकड़ कर मसल दूँ।
नानी का नाम गंगा था। हमें बैठा कर वो चाय के साथ देने के लिए नाश्ता लेने चली गई।
उसके जाते ही मैं चाची के पास जाकर बैठ गया और बोला- चाची, तुम्हारी माँ तो नहीं लगती ये?
चाची हँस पड़ी।
“क्यों कुछ ज्यादा ही पसंद आ गई लगता है।” चाची की बात सुन कर मेरी भी हँसी छूट गई।
चाची अब भी मेरी तरफ ही देखे जा रही थी कि मैंने भी जोश में आकर अपने होंठ चाची के होंठों पर रख दिए। चाची एक बारगी तो अवाक् रह गई पर फिर एकदम से मुझसे लिपट गई और मेरे होंठ चूसने लगी। मैंने भी मस्ती में चाची की चूचियाँ मसल डाली।
चाची सिसकारियाँ भरने लगी थी। अभी और कुछ करने का इरादा बना ही था कि दरवाजे पर आवाज हुई और हम दोनों अलग हो गए।
नानी समोसे लेकर आई थी। फिर चाय के साथ सबने समोसे खाए और फिर इधर उधर की बातें करते रहे पर मेरा दिल अब बेचैन हो गया था। मेरे पास बस आज आज का ही दिन था क्यूंकि अगले दिन तो मुझे ड्यूटी पर जाना था। मैंने चाची को अपना इरादा बता दिया था की मैं चाची को चोदना चाहता हूँ। वो भी तैयार हो गई थी।
चाची ने मुझे कुछ देर इन्तजार करने को कहा। ऐसे ही बातें करते करते दोपहर हो गई। तब तक नानी भी मेरे साथ नांगलोई रहने को तैयार हो गई थी।
दोपहर को मैं चाची और उसकी माँ को लेकर नांगलोई अपने कमरे पर आ गया। कमरा ज्यादा बड़ा नहीं था बस एक बेड लगा था और एक मेज कुर्सी।
तभी मेरे फोन पर चाचा का फोन आया और उसने चाची को तुरंत वापिस आने को कहा। मेरे दिल के अरमान चकनाचूर हो गए थे। क्यूंकि चाची को चोदने का सपना टूट गया था।
मैं बुझे दिल से चाची को वापसी की बस में बैठा कर आया। चाची का मन भी बहुत दुखी था पर फिर वो बोली- अब तो माँ तुम्हारे ही साथ रहती हैं तो जल्दी ही दुबारा आऊँगी।
मैं चाची को छोड़ कर वापिस अपने कमरे पर पहुँचा तो कमरे का नक्शा ही बदला हुआ था। मेरे नए रूम पार्टनर ने कमरे को चमका दिया था। जो रसोई मैंने पिछले एक महीने से खोली भी नहीं थी वो भी अब चकाचक चमक रही थी। उसने मुझे एक लिस्ट बना कर दी सामान की। मैं कुछ ही देर में लेकर आ गया। ऐसे ही कब रात हो गई पता ही नहीं चला।
अब बात आई सोने की। मेरे कमरे में तो सिर्फ एक ही बेड था। नानी ने अपना बिस्तर जमीन पर लगा लिया। मैं बेड पर लेट गया। हम दोनों ऐसे ही लेटे लेटे ही बाते करते रहे। तभी मेरे मन में एक ख्याल आया और मैंने अपना बेड एक तरफ़ खड़ा करके अपना बिस्तर नानी के बराबर में लगा लिया।
“अरे क्या कर रहा है? ऊपर ही सो जाओ ना !”
“नहीं नानी… अभी तो तुमसे बहुत बातें करनी है और ऊपर से लेटे लेटे बातें करने में मज़ा नहीं आ रहा और गर्दन भी दुखने लगी है।”
वो हँस पड़ी। मैं अब उसके पास ही बिस्तर लगा कर लेट गया था। बातें करते करते कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।
रात को करीब तीन बजे मुझे पेशाब का जोर हुआ तो नींद खुली। मैं उठ कर पेशाब कर आया। जब मैं अपने बिस्तर पर लेटने वाला था तभी मेरी नज़र उस पर पड़ी जो बेसुध होकर सो रही थी, साड़ी अस्त-व्यस्त हो रही थी। पल्लू छाती से सरक चुका था और ब्लाउज में कसी चूचियाँ साँस के साथ ऊपर नीचे हो रही थी। नानी का नंगा पेट देख कर मेरा लण्ड फुंकारे मारने लगा।
मुझे पवन की माँ की याद आ गई। मेरा मन अब चुदाई करने को तड़पने लगा था। पर नानी के साथ यह सब करने की हिम्मत नहीं हो रही थी। मैं बिना लाइट बंद किये बिस्तर पर लेट गया और सोचने लगा कि नानी की चूत कैसे मारी जाए। एक बार तो मन में आया कि पकड़ कर चोद डालूँ, पर फिर सोचा कि जल्दबाजी में काम खराब हो सकता है और फिर अब तो ये मेरे ही साथ रहने वाली है, मौका मिलता ही रहेगा।
मैं उसके बदन को अपनी नज़रों से चोदता चोदता कब सो गया पता ही नहीं चला।
सुबह मेरी आँख तब खुली जब नानी ने चाय बना कर मुझे जगाया। चाय पीते पीते भी मेरी नज़रें उसके बदन को टटोल रही थी।
चाय पीकर मैं नहाने चला गया और फिर तैयार हो कर अपने ऑफिस।
ऑफिस में बैठे बैठे बस यही सोचता रहा कि नानी को कैसे पटाया जाए। आखिर में यह सोचा कि एक बार नानी को अपने लण्ड के दर्शन करवाकर देखता हूँ फिर आगे की सोचूंगा।
दिन काटना मेरे लिए मुश्किल हो रहा था। छुट्टी होते ही मैं घर की तरफ भागा। जब कमरे पर पहुँचा तो वो सो रही थी। मैंने उसको नहीं उठाया और वही कमरे में कपड़े बदलने लगा। कमीज बनियान उतारने के बाद मैंने अपनी पैंट भी उतार दी और सिर्फ अंडरवियर में खड़ा था कि उसकी आँख खुल गई। नानी के बदन को देख कर मेरा लण्ड पूरे शबाब पर था और अंडरवियर में तम्बू बन गया था। मैंने देखा कि वो मेरे लण्ड को गौर से देख रही थी। पर जब मुझ से नज़र मिली तो वो हड़बड़ा गई और उठ कर मेरे लिए चाय बनाने के लिए चली गई। खाना खा कर हम लोग फिर से बातें करने लगे।
मुझे तो नींद नहीं आ रही थी। बस नानी का बदन आँखों में घूम रहा था और नानी को चोदने का ख्याल बार बार मन और बदन में हलचल मचा रहा था। कुछ देर बातें करने के बाद मैंने सोने का नाटक किया। नानी ने प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरा और फिर मेरे बगल में ही अपने बिस्तर पर लेट गई। मैंने देखा कि वो एकटक मेरी तरफ देख रही थी। कुछ देर बाद उसने भी आँखें बंद कर ली और दूसरी तरफ मुँह करके लेट गई। मैंने करीब आधा घंटा इन्तजार किया और फिर सरक कर उसके बिल्कुल करीब चला गया और अपना हाथ नानी के ऊपर रख दिया। नानी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं की तो मैंने सोचा कि वो सो चुकी है और मैं थोड़ी ज्यादा हिम्मत करके बिल्कुल उससे चिपक गया।
अब नानी थोड़ा हिली पर मैं वैसे ही लेटा रहा। नानी ने करवट बदली तो मेरा जो हाथ पहले नानी के कंधे पर था वो एकदम से नानी की चूची पर गिर गया। मैं सोने का नाटक करता रहा और नानी ने भी मेरा हाथ नहीं हटाया। मेरे हाथ के नीचे माखन-मलाई का गोला था। मुझसे अब सब्र नहीं हो रहा था। मैंने नानी की चूची पर थोड़ा सा दबाव बनाया और धीरे धीरे चूची को सहलाने लगा।
कुछ देर बाद उसने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया और एक बार जोर का दबाव देकर फिर मेरे हाथ को अपनी चूची पर से हटा दिया।
वो अब सीधी होकर लेट गई थी और उसकी चूचियाँ नाईट बल्ब की रोशनी में बहुत मादक लग रही थी। मैंने कुछ देर बाद ही अपना हाथ दुबारा से उसकी चूची पर रखा और इस बार हाथ रखते ही चूची को सहलाना शुरू कर दिया। उसने गर्दन घुमा कर मेरी तरफ देखा पर बोली कुछ नहीं।
उसकी चुप्पी का मतलब उसकी सहमति थी। और वो भी शायद यही चाहती थी। मैंने चूचियों को थोड़ा और जोर से मसलना शुरू कर दिया। नानी अब भी कुछ नहीं बोल रही थी।
मेरा हाथ अब नानी के ब्लाउज के हुक खोलने के लिए बेचैन हो रहा था। मैंने जैसे ही हुक खोलने शुरू किये तो नानी ने हाथ पकड़ लिया।
“सुमित, यह क्या कर रहा है बेटा..”
मैं कुछ नहीं बोला और चुपचाप लेटा रहा। नानी ने मुझे थोड़ा हिलाया और फिर से मुझे आवाज दी,”सुमित… !”
मैं फिर भी कुछ नहीं बोला। वो फिर से मेरे पास लेट गई। मैं कुछ देर ऐसे ही पड़ा रहा और फिर से मैंने अपना हाथ उसकी चूची पर रख दिया। इस बार वो चुपचाप पड़ी रही। मैंने थोड़ी सी आँख खोल कर देखा तो वो जाग रही थी और मेरी ही तरफ देख रही थी।उसको चुपचाप पड़े देख कर मेरी हिम्मत और बढ़ गई और मैंने भी चुपचाप ब्लाउज के हुक खोलने शुरू कर दिए। इस बार उसने मुझे नहीं रोका और मैं भी पूरे हुक खोलने के बाद ही रुका। ब्लाउज के खुलते ही उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ नंगी हो गई जिन्हें देखते ही मेरे लण्ड ने फुंकारे मारने शुरू कर दिए। अब मैं उसकी नंगी चूची को सहला और मसल रहा था। उसकी आँखें बंद हो गई थी और वो होंठ दांतों में दबा दबा कर अपनी सिसकारी को रोकने की कोशिश कर रही थी।
मैंने जानबूझ कर चूची के निप्पल के पकड़ कर जोर से मसल दिया तो उसकी सीत्कार निकल गई और वो फुसफुसाई.. “सुमित… थोड़ा आराम से कर बेटा..”
उसके मुँह से इतना सुनते ही मैंने दोनों चूचियों को अपने हाथों में ले लिया और मसलने लगा। नानी ने मेरी तरफ करवट ली और अपनी एक चूची अपने हाथ से पकड़ कर मेरे होंठों से लगा दी। मैंने भी देर न करते हुए चूची को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा। बीच बीच में मैं निप्पल को अपने दांतों से काट रहा था जिस कारण नानी की सीत्कारें निकल रही थी।
नानी की साँसें अब तेज-तेज चल रही थी। मैं अब उसकी एक चूची को चूस रहा था और दूसरी को अपने हाथ से पकड़ कर मसल रहा था। उसकी साड़ी अस्त-व्यस्त हो गई थी और अब उसकी आधी से ज्यादा टाँगे नंगी नज़र आ रही थी।
मेरे लिए अब अपने पर काबू रखना मुश्किल था।
मैं अब उसके ऊपर छा गया और उसके कपड़े उतारने लगा। कुछ ही देर बाद नानी का नंगा बदन मेरी बाहों में झूल रहा था।
उसके हाथ भी अब कुछ ढूँढ रहे थे। मेरे बदन पर अब कपड़े नहीं थे। उसने मुझे नीचे लेटा लिया और मेरे बदन को चूमने लगी। चूमते-चूमते उसने जब अपने होंठ मेरे लण्ड पर रखे तो मैं तो निहाल हो गया। उसका अनुभव साफ़ दिख रहा था। उसकी हरकतों से मेरे बदन में खून उबलने लगा था। वो मस्ती में मेरे लण्ड को चूस रही थी। लण्ड पूरा कड़क हो चुका था। मैंने उसकी टाँगें फैला कर जब चूत देखी तो चूत पूरी गीली हो चुकी थी और लण्ड लेने को लपलपा रही थी।
मेरे लिए अब सब्र करना मुश्किल था। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा और एक जबरदस्त धक्के के साथ पूरा लण्ड एक बार में ही उसकी चूत में उतार दिया। चूत पूरी गीली थी पर धक्का इतना जबरदस्त था कि उसकी चीख निकल गई।
मैंने चूची को चूसते हुए धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए। थोड़ी ही देर में वो भी चूतड़ उठा उठा कर लण्ड लेने लगी और फिर तो जोरदार चुदाई शुरू हो गई।
मैं भी पूरा लण्ड डाल डाल कर चुदाई कर रहा था। ऐसे ही करीब आधा घंटे तक हम दोनों एक दूसरे से उलझे रहे। इस दौरान मैंने उसको अलग अलग तरीके से चोदा। कुछ देर तो वो भी मेरे ऊपर चढ़ गई और उछल उछल कर लण्ड लेने लगी।
जोरदार चुदाई के दौरान वो तीन-चार बार झड़ चुकी थी। फिर मेरे लण्ड ने भी फव्वारा चला कर नानी की चूत वीर्य से भर दी।
उस रात हमने तीन बार चुदाई की और फिर अगले चार महीने जब तक मेरा तबादला नहीं हो गया, मैंने उसको बहुत चोदा और मज़ा लिया।
इस चुदाई से मुझे यह तो पता लग गया कि पुरानी शराब में नशा ज्यादा होता है और मज़ा भी ज्यादा आता है।

इस दमदार चुदाई के बाद अब मैं ऐसे मौके ढूंढता ही रहता हूँ| तो कैसी लगी मेरी granny sex story? ऐसी और भी कहानियों के लिए My Hindi Sex Stories से अच्छा कुछ भी नहीं है!!

One thought on “मेरी प्यारी रसीली नानी Indian Sex Kahani

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