मौसी की चूत चुदाई दिल्ली की सर्दी में

हैलो दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी है जो मैं आप को बताने जा रहा हूँ।
मेरा नाम साहिल है। मैं जब स्कूल में था तो काफ़ी शर्मीला हुआ करता था लेकिन जब मैं कॉलेज पहुंचा तो वहां पर जो दोस्त मिले उनके साथ मैंने एक चालू औरत की उसके घर पर उसके पियक्कड़ पति के सामने चुदाई की और तब से यह सिलसिला आज तक चल रहा है।
वैसे तो मैंने अपनी ज़िंदगी में कई लड़कियों, कई आंटियों और भाभियों को चोदा है लेकिन आज जो घटना मैं आप लोगों को बताने जा रहा हूँ वो मेरी ज़िंदगी में बिल्कुल अचानक घटी थी जब मैंने अपनी मौसी को ही चोद डाला।

मैं आप लोगों को अपनी मौसी के बारे में बता दूँ, वो 32 साल की, गोरा रंग, कसा बदन, बड़ी बड़ी चूचियाँ, ऐसा कि जो भी देखे, देखता ही रह जाये।
वो दिल्ली में रहती हैं, उसके दो बच्चे हैं, एक दस और दूसरा सात साल के।

मैं मुम्बई में जॉब करता हूँ, मेरा काम ऐसा है कि पूरा हिंदुस्तान घूमना पड़ता है। पिछले दिसम्बर में मैं दिल्ली गया था ऑफ़िस के काम से, तो मैं अपनी मौसी के घर पर ठहरा था.

दिल्ली में दिसम्बर के महीने में काफ़ी ठंड होती है। अंकल नाइट शिफ़्ट की ड्युटी करने चले गये।
घर छोटा होने के कारण हम एक ही रूम में सोये थे। मैं बेड पर सोया था और मौसी बच्चों के साथ नीचे लेटी थी।
ठंड काफ़ी थी इसलिये बेड पर सोते ही मुझे नींद आ गयी।

रात के दो बजे पेशाब करने के लिये अचानक मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि मौसी एक पतली सी चादर ओढ़े हुए हैं और बुरी तरह से कांप रही थी और बच्चे एक कम्बल में सो रहे थे।
शायद घर में दो ही कम्बल थे, एक उन्होंने मुझे दिया था और दूसरा बच्चों को उढ़ाया था।

मैंने लाइट जलाई तो मौसी उठ कर बैठ गई लेकिन वो बुरी तरह से कांप रही थी।
मैंने कहा- आप ऊपर बेड पर चली जायें, मैं नीचे सो जाता हूँ।
तो उन्होंने कहा- ठंड बहुत है, तुम्हें ठंड लग जायेगी।
मैंने कहा- आप तो बुरी तरह से कांप रही हैं, ठीक से बोल भी नहीं पा रही हैं, आप ऊपर बेड पे सो जाओ।
और इतना कह कर मैंने उनका हाथ पकड़ कर ऊपर बेड पे बैठा कर पेशाब करने चला गया।

वापस आकर देखा तब भी वो कम्बल के अन्दर बुरी तरह से कांप रही थी। तभी उन्होंने कांपते हुए कहा- साहिल, लाइट बंद करके तुम भी बेड पर सो जाओ।
मैंने लाइट बंद की और उनके पास आ कर सो गया।

बेड छोटा होने के कारण हम एक दूसरे से बिल्कुल सटे हुए थे। तभी उनका हाथ मैंने छुआ तो वो काफ़ी ठंडा था और वो अब भी कांप रही थी ठंड से।
मौसी ने मुझसे कहा- मुझे ज़ोर से पकड़ो, मुझे बहुत ठंड लग रही है।
मैंने उनको कहा- आप घूम कर सो जाओ!

और उनके सर को मैंने अपने एक हाथ के नीचे रखा और दूसरा उनके पेट पर रखा। अब हम दोनों की पोजिशन कुछ इस तरह थी
कि उनकी गांड मेरे लंड पे पूरी तरह से चिपकी हुई थी और मैं पूरी तरह से उन्हें दोनो हाथों से जकड़े हुआ था।
मेरा लंड मौसी की गांड की दरार के बीच में घुस कर टाइट होने लगा था। मैं अपनी कमर को पीछे ले जाने लगा और अपनी पकड़ को भी ढीला करने लगा लेकिन मौसी बहुत बुरी तरह से कांप रही थी और मेरे हाथ को अपने हाथ से ज़ोर से पकड़े हुई थी।

मैं मौसी के साथ कुछ गलत सोच भी नहीं सकता था लेकिन मेरा लंड मेरी बस में नहीं था। मेरा लंड अब बेकाबू हो रहा था और वो पूरी तरह से मौसी की चूत में घुसने को तैयार था।

तभी मौसी ने मेरे हाथ को अपनी कमीज़ के नीचे घुसा कर अपने पेट पर रख दिया उनका पेट बर्फ़ की तरह ठंडा हो रहा था। मेरा गर्म हाथ रखने से उनको काफ़ी अच्छा लग रहा था।
मौसी मेरे हाथ को पकड़ कर अपने पेट पेर और ज़ोर से रगड़ने लगी। मैं धीरे धीरे उसके पेट को सहलाने लगा। सहलाने के कारण कई बार मेरा हाथ उनकी चूचियों से टकराया लेकिन उन्होने कुछ नहीं कहा।

मैं हिम्मत करके उसके एक दूध को पकड़ कर सहलाने लगा। उसकी दूध का निप्पल बिल्कुल टाइट होकर बाहर निकल गया था।
मैं उनके निप्पल को उंगलियों के बीच रख कर धीरे धीरे घुमाने लगा। अब उसके मुंह से सिसकारियां निकलनी शुरू हो गई थी।

फिर मैंने उनकी कमीज़ पीछे से पूरी उठा कर उसके गर्दन तक कर दिया और उनकी ब्रा के हुक भी खोल दिये फिर मैंने भी अपना बनियान उतार कर अपने पेट और सीने को उसकी नंगी पीठ पर सटा कर पूरी तरह से चिपक गया।

मौसी को मेरे जिस्म की गरमी अच्छी लग रही थी, वो भी मुझसे पूरी तरह से चिपक गई थी। अब मेरे लंड को और रोक पाना मेरे लिये मुश्किल हो रहा था, मैं उनके पायजामे को धीरे धीरे नीचे करने लगा तो वो थोड़ी थोड़ी कमर उठाने लगी।

मैं समझ गया कि मौसी को अब लंड की गरमी की ज़रूरत है, वो अब पूरी तरह से तैयार थी।
मैंने अब उसे पायजामे को पूरा उतार दिया और अपनी लुंगी को भी उतार दिया। फिर मैंने अपने लंड को उसकी चूत पे रख कर धीरे से एक धक्का मारा और लंड पूरा का पूरा चूत में घुस गया।
मैं अब उसकी चूचियों को अपने हाथों से ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था।

थोड़ी देर के बाद वो मेरी तरफ़ घूम गई। मैं अब उनके दोनों पैरों को खोल कर बीच में बैठ गया और उसकी चूचियों को मुंह से चूसने
लगा।
तभी उसने मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत की तरफ़ खींचने लगी। मैं समझ गया कि उसकी चूत चुदवाने के लिये बेताब हो रही है।
मैंने अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर रख कर एक जोर का झटका मारा और पूरा का पूरा लंड उसकी बुर में घुस गया।

वो पूरी मस्ती में आ चुकी थी, उनके मुंह से ‘ऊह आह.’ की आवाज़ निकल रही थी, मैं पूरी स्पीड में अपने लंड को पूरा बाहर कर के अंदर डाल रहा था, लंड और बुर के टकराने से ‘थप थप’ की आवाज़ आ रही थी।

मौसी भी अपनी कमर को उठा उठा कर पूरा साथ दे रही थी। फिर अचानक वो मेरे कमर को पकड़ का ज़ोर ज़ोर से खींचने लगी, मैं भी ज़ोर ज़ोर से उसे चोदने लगा और फिर अचानक मेरे लंड ने 8-10 झटके में पिचकारी मारी और अपनी पूरी गरमी मौसी की फ़ुद्दी में भर दी, मौसी भी पूरी ताकत से मेरे सीने से चिपक गई।

हम दोनो आधे घंटे तक वैसे ही पड़े रहे। आधे घंटे के बाद मेरे लंड में फिर से जोश आने लगा। मैंने मौसी को उल्टा लिटा दिया और पीछे से उनकी चूत को चोदने लगा। पीछे से चोदने में मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी कुंवारी लड़की की चुदाई कर रहा था, उनके गोल गोल चूतड़ मेरे लंड के दोनों तरफ़ इस तरह से फ़िट हो रहे थी मानो मेरे लिये ही वो बने हों।

मैं फ़ुल स्पीड में अपनी मौसी की चुदाई करने लगा और इस बार भी लंड ने सब गरमी बाहर निकाली तो मौसी की बुर मेरे वीर्य से भर गई।
अब वो पूरी तरह से शान्त हो चुकी थी, फिर हम सो गये।

सुबह जब मुझे मौसी ने जगाया तो मैं उनसे नज़र नहीं मिला पा रहा था लेकिन वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी। बच्चे भी स्कूल जा चुके थे।

तभी अचानक दरवाजे पर किसी ने खटखटाया, मैं समझा कि अंकल आ गये।
दरवाज़ा खुला तो एक खूबसूरत लड़की, बिल्कुल टाइट जीन्स और टी-शर्ट में अन्दर आई और मौसी से कहा कि अंकल ने फोन किया था अभी और कहा है कि वो ओवरटाइम पर हैं।
मैं खुश हो गया।
फिर वो लड़की चली गई।

मैंने मौसी से पूछा- यह लड़की कौन है?
तो उन्होंने कहा- मकान मालिक की बेटी है।

मैंने मौसी को मुस्कुराते हुए देखा और कहा- मौसी, मुझे इसे चोदना है। तुम कुछ करो ना प्लीज़!
मौसी बोली- नहीं नहीं मैं कुछ नहीं कर सकती।

इतना सुनते ही मैंने मौसी को बेड पर पटक दिया और उसकी चूचियों को ब्रा से निकाल कर चूसने लगा और कहा- बोलो अब उसे मुझसे चुदवाने के लिये तैयार करोगी या नहीं?

मौसी हंसते हुए बोली- अच्छा बाबा, मैं उसे तुम्हारे लिये तैयार करती हूँ।
मैंने कहा- ये हुई न बात!
और फिर मौसी के सारे कपड़े उतार कर फिर से उसकी चुदाई करने के लिये उन्हें गर्म करने लगा।
दिन के उजाले मैं मौसी के नंगे बदन की खूबसूरती बिल्कुल साफ़ साफ़ दिख रही थी।

नंगे जिस्म को देखते ही मेरा लंड लुंगी से बाहर आने को बेताब होने लगा, मैंने अपनी लुंगी निकाली और मौसी की ऐसी चुदाई की कि वो मेरी दीवानी हो गई।

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