हैल्लो दोस्तों, ये बात बहुत पुरानी है. मेरे साथ मेरी क्लास में एक लड़की पढ़ती थी, उसका नाम अनुश्री था, वो मेरे आगे बैठती थी. अब मुझे कई बार उसकी मस्त गोरी-गोरी टाँगे दिखाया करती थी. वो बिल्कुल गोरी थी, आवाज़ थोड़ी सी कर्कश, लेकिन वो बहुत सेक्सी थी, वो चश्मा लगाती थी और अनुश्री के बूब्स भरे हुए थे. उसके नितंब भी सही थे, वो थोड़ी ही मोटी थी, लेकिन ज्यादा मोटी नहीं थी. एक बार ड्रॉइंग की क्लास में वो मॉनिटर बनकर इधर उधर घूम रही थी और हम सब नीचे कार्पेट पर बैठे थे, तो मैंने उस दिन उसकी सारी टाँगे देखी, उसने सफ़ेद कलर की पेंटी पहनी थी. एक बार कंप्यूटर रूम में सर कुछ समझा रहे थे और स्टूडेंट्स का पूरा एक झुंड सा बन गया था और में अनुश्री के पीछे था, तो मैंने अपने लंड से अनुश्री के नितंबों पर टच किया. अब मेरा लंड सीधा अनुश्री के नितंबों के बीच में लगा हुआ था.

अब उसे सब कुछ महसूस हो रहा था और अब अनुश्री हल्के-हल्के से ऊपर नीचे होने लगी और वापस से नॉर्मल होने लगी थी. अब मुझे लगा कि या तो ये मज़े ले रही है या फिर इसे प्रोब्लम है, तो में थोड़ा पीछे हट गया. फिर अनुश्री ने मेरी तरफ मूव किया और मेरे लंड पर अपने नितंब टच करने लगी. फिर एक दिन उससे दूसरे लड़के पंगे ले रहे थे और मज़ाक-मज़ाक में किसी ने उसके ऊपर पानी डाल दिया था. उस दिन उसके बूब्स सफ़ेद शर्ट और सफ़ेद ब्रा की वजह से साफ-साफ दिखाई दे रहे थे. अब मुझे मज़ा आ गया था. में उससे पंगे लेता रहता था, कभी उसकी चोटी खोल देता था तो कभी उसके कंधे पर हाथ रखकर खड़ा हो जाता था और कभी चलते हुए उसकी जांघो पर हल्का सा मुक्का सा मार देता था.

फिर एक दिन मेडम ने लड़का लड़की को सीट पार्टनर बनाया और अनुश्री को मेरी पार्टनर बनाया. अब अनुश्री अपने आप ही मुझसे बहुत चिपक कर बैठती थी, अब मुझे उसके साथ बहुत मज़ा आता था. फिर धीरे-धीरे हम दोनों ज्यादा बातें करने लगे और थोड़ी बहुत गंदी बातें भी करते थे. फिर उसने मुझसे पूछा कि पेरिस की फुल फॉर्म क्या होती है?

मैंने कहा कि पता नहीं, तो वो बोली कि प्लीज़ बताओ, तो हमारे आगे वाले स्टूडेंट्स और हम दोनों हँसने लगे. ऐसे ही में कभी उसकी जेब में कुछ रखते हुए उसके बूब्स पर हाथ लगा देता तो कभी उसके कूल्हों पर स्केल से मार देता था. एक दिन में और अनुश्री स्कूल में जल्दी आ गये थे, अब वो और में अपनी सीट पर बैठे थे और हम गंदी बातें तो करते ही थे, अब में उसके कंधो पर अपना सिर रख देता था तो वो भी ऐसे ही करती थी. अब उस दिन में उसके कंधे पर अपना सिर रखकर बैठा था और मैंने उसकी जांघो पर हाथ रख दिया तो वो कुछ नहीं बोली और बस मुझे देखने लगी.

फिर मैंने अनुश्री की स्कर्ट ऊपर की और उसकी नंगी जांघों पर अपना हाथ फैरने लगा. अब उसे भी मज़े आ रहे थे, फिर मैंने अपनी बेल्ट को खोला और अपनी पेंट का एक हुक भी खोल दिया और आगे वाला हुक पीछे वाले में लगा दिया, जिससे मेरी पेंट ढीली हो गयी. फिर मैंने अनुश्री का हाथ पकड़ा और मेरी अंडरवियर में डाल दिया. अब मेरा लंड एकदम तना हुआ था और अब मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ने से अनुश्री की साँसे चढ़ने लगी थी.

फिर मैंने अपना हाथ अनुश्री की पेंटी में डाल दिया और मेरी एक उंगली से उसकी चूत को छेड़ने लगा. अब अनुश्री की आँखे चढ़ने लगी और वो पागल सी हो गयी थी. फिर मैंने अनुश्री की पेंटी में से अपना हाथ बाहर निकालकर उसकी शर्ट का एक बटन खोलकर अपना हाथ उसकी ब्रा में डाल दिया और उसका हाथ मेरी अंडरवेयर में ही रहा. अब मैंने उसका बूब्स खूब दबाया, फिर मैंने उसका हाथ हटाया और अनुश्री के होंठो पर किस किया और चूसने लगा.

फिर मैंने उसके होंठो को थोड़ा सा चूसा और फिर उससे कहा कि चल आ जा टायलेट में चलते है. फिर अनुश्री और में हम दोनों ही गर्ल्स टायलेट में घुस गये और अंदर से कुण्डी लगा दी. फिर मैंने अनुश्री के होठों को बहुत चूसा और फटाफट से अनुश्री की शर्ट उतार दी. अब उसके बूब्स बहुत मस्त लग रहे थे, इतने गोरे, थोड़े बड़े और एकदम तने हुए. फिर मैंने उसकी ब्रा उतारी और उसकी स्कर्ट और फिर पेंटी भी उतार दी. अब अनुश्री मेरे सामने पूरी नंगी थी, बस उसने सैंडल पहने थे.

फिर मैंने पूरी नंगी अनुश्री के बदन के हर हिस्से को छुआ और चूमा. फिर अनुश्री ने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए और फिर मैंने अनुश्री से कहा कि तुझे चोदना है, तो उसने कहा कि नहीं, तो फिर मैंने दुबारा कहा, लेकिन वो नहीं मानी. फिर मैंने उससे कहा कि फिर लंड ही चूस ले, तो अनुश्री ने मेरा लंड अपने मुँह में लिया. अब हम दोनों खूब इन्जॉय कर रहे थे और डर भी लग रहा था. फिर मेरा पानी अनुश्री के मुँह पर ही बहुत जल्दी निकल गया और फिर हम बाहर आ गये. अब हम बैठते तो साथ ही थे. फिर अनुश्री ने मुझसे आई लव यू कहा तो मैंने भी उसे आई लव यू टू कहा.

फिर मैंने उससे कहा कि मुझे तुझे प्यार करना है तो अनुश्री ने कहा कि कहाँ? तो फिर में अनुश्री के घर पढ़ने के बहाने चला गया. फिर हमने खूब पढ़ाई की, अब उसकी मम्मी हमें देखने बार-बार आ रही थी. फिर ऐसे कई बार होने लगा, अब हम किस वगेरा करके पढ़ भी लेते थे, अब पढाई में हमारे नंबर ठीक आने से आंटी का शक थोड़ा कम हो गया था, अब अंकल तो होते नहीं थे. फिर एक दिन आंटी गुरुद्वारे चली गयी और अनुश्री की बहन कोंचिग गयी थी, अब हमें एक घंटे का मौका मिला था.

फिर मैंने अनुश्री को 1 मिनट में पूरी नंगी कर दिया और खुद भी पूरा नंगा हो गया. फिर मैंने अनुश्री के बूब्स को बहुत चूसा और उसके होठों को भी बहुत चूसा और मैंने अनुश्री को हर जगह चूमा. फिर मैंने उसकी टांगे फैलाई और उसकी चूत में अपना लंड हल्का सा घुसाया तो वो थोड़ी सी चिल्लाई. फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया.

फिर में दुबारा उससे चिपका और उसे स्मूच की और 1 मिनट के बाद फिर से कोशिश की, तो इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत के अंदर चला गया. उसने कहा कि बहुत दर्द हो रहा है, फिर हम दोनों 5-10 मिनट तक नंगे ही चिपके रहे और स्मूच करते रहे. फिर अनुश्री ने कहा कि अब डाल दो, अब में अनुश्री के ऊपर था. फिर मैंने उसकी थोड़ी टांगे हटाई और अपने लंड को फिर से अनुश्री की चूत में डाल दिया और इस बार मैंने अनुश्री के साथ 5 मिनट तक संभोग किया. अब मेरा पानी निकलने लगा था तो मैंने मेरा सारा पानी बाहर निकाल लिया और फिर दुबारा से संभोग किया.

फिर मैंने अनुश्री को पूरी नंगी हालत में ही कहा कि वो मैगी बना ले. अब वो किचन में पूरी नंगी हो कर मैगी बना रही थी और में उसके हर अंग को चूम रहा था और खेल रहा था. फिर मैंने उसके दोनों बूब्स को बहुत चूसा, अब वो दोनों लाल हो चुके थे. फिर मैंने किचन में ही अनुश्री के पीछे से उसके नंगे नितंबों के बीच में अपना लंड टच किया और कहा कि अब डाल दूँ. तो उसने मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत में डाल दिया. फिर मैंने दुबारा से उसके साथ सेक्स किया. अब मेरा मन ही नहीं कर रहा था कि अनुश्री कपड़े पहने, मुझे वो पूरी नंगी इतनी अच्छी लग रही थी. फिर ऐसे ही कई बार हमारा सीन बन जाता था और मैंने 1 साल तक अनुश्री के साथ बहुत संभोग किया.

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