मैं नया नया जवान हुआ था और दोस्तों में बँटते नम्बर्स पर मैं भी बकचोदी का मज़ा लेता था लेकिन सिर्फ फ़ोन पर चुदाई की बातें सुन कर मुठ मारना मेरे लिए अब कठिन होता जा रहा था क्यूंकि मुझे सच में कोई सेक्स पार्टनर चाहिए था ना की मेरा अपना हाथ. मेरे दोस्त बब्बू नए मुझे एक नम्बर दिया जो की सुनीता का था, सुनीता भी कमाल का फ़ोन सेक्स करती थी और इतना उत्तेजित कर देती थी की इकसठ बासठ तक पहुचने से पहले ही मेरा मुठ निकल आता था. मैंने एक दिन सुनीता से कहा कि मैं उसे सच में चोदना चाहता हूँ तो उसने साफ़ इनकार कर दिया, मैं हालाँकि दुखी तो हुआ लेकिन मैंने हार नहीं मानी.

मैं आए दिन उसे फोन सेक्स के अलावा भी कहीं मिलने के लिए कहता और वो मुकर जाती, लगभग एक महिना ऐसे ही चला और आखिर वो दिन आया जब सुनीता नए मुझसे परेशान हो कर मुझसे मिलने के लिए हाँ कर दी. अब मुद्दा यहीं खत्म नहीं हुआ क्यूंकि मिलने के लिए जगह का जुगाड़ और मेरे लिए पहला सचमुच का सेक्स अनुभव दोनों ही मेरे लिए प्रोब्लेमाटिक थे, मैंने अपने कजिन दीपू को बताया तो उसने अपने दोस्त  के रूम पर जुगाड़ लगवा दिया पर सुनीता को सचमुच में चोद्न्ना अब भी एक चैलेंज ही था. मैं दुनिया भर की किताबें और वेबसाइट पढ़ डाली ताकि मैं उसे पहली अबर में ही इम्प्रेस कर पाऊं.

आखिर सुनीता मिलने आई और मैं उसे ले कर अपने कजिन के दोस्त के रूम पर गया, पहली बार में तो मुझे लगा ही नहीं की यही वो सुनीता है क्यूंकि इतना कमाल फ़ोन सेक्स करने वाली लड़की इतनी सिंपल और घरेलु लग रही थी. अन्दर जाकर मैंने उसे बिठाया और पानी वगेरह पिलाया फिर मैं भी सुनीता के पास ही बैठ गया, मैंने उस से चिपकना छह रहा था लेकिन एक्सपीरियंस ना होने के कारण घबरा रहा था तो वो हंस पड़ी और उसी नए मुझे गले से लगा लिया, मेरी भी हंसी छूट गयी थी और अब  हम दोनों कम्फ़र्टेबल हो गए थे. सुनीता नए जैसे ही अपने होठों से मेरे होठों को छुआ मेरे लंड से पानी छूट गया और मैं शर्म से पानी पानी हो गया लेकिन सुनीता ने  कहा “कोई बात नहीं लगता है तुम्हारा पहली बार है”.

मैं अब भी शरमाया हुआ था और सुनीता बड़े ही प्यार से मेरे जिस्म को चूम रही थी, उसने मेरा हाथ अपने चूचों पर रख कर दबाने का इशारा किया और मैंने वही किया मैं उसे और वो मुझे लगातार चूम रहे थे लेकिन अब इमरा लंड खड़ा होने का नाम ही नहीं ले रहा था. मैं उसे सूंघ भी रहा था और उसके जिस्म को चूम भी रहा था कि अचनक सुनीता का फ़ोन बजा मैंने इशारा किया कि उठा लो तो उसने फ़ोन उठाया और ये फ़ोन उसके किसी और फ़ोन सेक्स आशिक कर था. सुनीता उसे टालने वाली थी कि मैंने उसे बातें कंटिन्यू रखने का इशारा किया क्यूंकि सुनीता जिस ढंग से फ़ोन पर बात करती थी उसी से मेरा लंड वापस जाग गया था.

अब सुनीता अपने फ़ोन सेक्स वाले आशिक से चुदासी भरी बातें कर रही थी और मैं यहाँ उसके जिस्म से खेल रहा था, सुनीता नए उस आशिक से बातें जारी रखी और मेरी पेंट की ज़िप खोल कर मेरे लंड को मसलना शुरू किया. वो जैसे जैसे सिस्कारियां भर भर के मेरे लंड को मसल और चूम रही थी निश्चित रूप से मेरा अगले एक मिनट में झड़ने वाला था पर नहीं झड़ा, अब सुनीता ने उस फ़ोन वाले आशिक़ को कहा “इमेजिन करो की मैंने तुम्हारा लंड मुंह में ले लिया है और मैं उसे चूस रही हूँ” ये कह कर सुनीता ने मेरा लंड अपने मुंह में भरा और अपनी लार से गीला कर कर के चूसने लगी. वो जो जो मेरे साथ कर रही थी उसकी कमेंटरी अपने फ़ोन वाले आशिक को भी दे रही थी.

सुनीता नए खूब हिला हिला कर मेरे लंड को चूसा और जैसे ही मेरे लंड से वीर्य का पहला शॉट निकला उधर से फ़ोन डिसकनेक्ट हो गया, शायद उस फ़ोन वले आशिक का भी पानी छूट गया होगा. सुनीता पूरे मज़े ले लेकर अब भी मेरे लंड को चाट रही थी वीर्य तो वो पहले ही चाट चुकी थी लेकिन वो वीर्य चाटने की इतनी शौक़ीन थी की उसने कहीं से भी कुछ नहीं छोड़ा और सब चाट गयी. सुनीता नए मेरे लंड को मेहनत कर कर के फिर से खड़ा किया और मेरे कहने पर अपने एक और फ़ोन सेक्स वाले आशिक को मिस कॉल दिया, जैसे ही उसका फ़ोन आया इधर हमने अपनी क्रिया चालू कर दी और वही ह्हमारी सेक्स क्रिया की कमेंट्री उस आशिक को सुनाई जा रही थी. इस नए तरीके से सेक्स में मुझे मज़ा आरहा था, सुनीता ने बड़ी देर तक मेरे लंड से खेला और मैंने उसकी चूत और चूचों का मज़ा लिया.

अब सुनीता नए कमेंट्री के साथ ही म्मुझे अपनी चूत में लंड फ़साने के लिए कहा मैंने भी आव देखा न ताव और तुरंत ही उसकी चूत में अपना लंड फसा कर हिचकोले देने लगा, सुनीता की सिस्कारियों से फ़ोन वाला आशिक भी बावला हो रहा था क्यूंकि उसकी आवाज़ मुझे साफ़ फ़ोन पर सुनाई दे रही थी. इधर सुनीता सिस्कारियां भर रही थी उधर वो आदमी और मैं बस चुप चाप चोद रहा था. आखिर मैंनए वो कर दिखाया जिसकी मुझे उम्मीद नहीं थी, सुनीता झड़ गयी और मेरा लंड खड़ा था और इस से सुनीता काफी खुश थी उसने मुझे चोदना जारी रखने को कहा. मैंने सुनीता को पंद्रह मिनट और चोदा और फिर से एक बार उसके झड़ने के बाद मैं भी झड़ गया लेकिन पट्ठी बड़ी तेज़ निकली उसने तुरंत ही मेरे लंड पर अपना मुंह लगाया और अपना फेवरेट काम किया यानि मेरे लंड से वीर्य चाट चाट कर साफ किया.

मैं और सुनीता जब भी चुदाई करते तो मैंने उसके आशिको को फ़ोन लगवाता और उसकी चुदाई सब को सुनाता, ये खेल मज़ेदार भी था और बड़ा ही कारगर भी क्यूंकि इस से सुनीता नए फ़ोन सेक्स करने का बिज़नस शुरू कर लिया था और हम दोनों नए इस में काफी कमाया भी. सुनीता जब तक मेरे साथ रही हम दोनों काफी खुश थे फिर उसने मुझसे शादी के लिए पूछा तो मैंने अपनी पढाई का हवाला दिया और फलस्वरूप उसने अपने ही एक कस्टमर से शादी कर ली, हालाँकि उसका पति उस से पंद्रह सत्रह साल बड़ा है लेकिन मेरी दोस्ती के कारण अब सुनीता के दो बच्चे हैं. वो अब भी कभी कभार मुझसे चुदती है और अपने पति को भी खुश रखती है.

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