दोस्तों इस साईट की मैंने सभी कहानिया पढ़ी है रोज एक कहानी नयी नयी पढ़ कर चुत में उंगली कर रगड़ती हूँ आज मै जो कहानी आप सभी के सामने पेश करने जा रही हूँ वो मेरी पहली कहानी ही हे इस वेबसाइट पर. ये लगभग दो महीने पहले की बात हे. दोस्तों मेरा नाम स्वराली हे और मैं मिर्जापुर से हु. मेरे सिवा मेरे घर में मेरे बड़े भाई. दीदी और मेरे पेरेंट्स हे.
मैं दिखने में सामान्य हूँ और मेरी हाईट 5 फिट 5 इंच और रंग मीडियम हे मेरा. मैं जब छोटी थी तब से ही मुझे सेक्स के वीडियो देखने का शौक हे. मेरा पहला सेक्स जब मैं 19 साल की थी तब हुआ था और मुझे पहली बार मेरे बॉयफ्रेंड ने चोदा था. मेरे पापा फ़ौज में थे जो अब निवृत हे. वो बहुत बड़े शराबी हे और अक्सर ड्रिंक कर के वो मेरी मम्मी के साथ लड़ते हे.
अक्सर पापा के दोस्त लोग भी पापा के साथ ड्रिंक करने के लिए हमारे घर पर जमा होते थे. और मम्मी को उनके लिए बर्फ लाना, पकोड़े बनाना, नमकीन लाना, पानी देना वो सब काम करने पड़ते थे. मुझे इस शराब सभा के ऊपर बड़ा गुस्सा चढ़ता था. लेकिन पापा का डर भी बहुत था. वो बड़े ही गुस्से वाले आदमी जो हे!
पिछले महीने की ये बात हे. मेरे कोलज में एक्साम्स थे इसलिए मैं पढाई में लगी हुई थी. मेरी माँ, भैया और दीदी वो लोग मेरी नानी के घर गए थे. दोपहर को मैं अपने पेपर को खत्म कर के घर पर आई. मैं अपने और पापा के लिए खाना बनाने लगी. खाने के बाद पापा बाइक पर मार्किट में चल दिए और मैं निचे हॉल में टीवी देखने लगे.
शाम के करीब 6 बजे के बाद पापा घर पर आये तब वो नशे में पुरे धुत्त से थे. और फिर कुछ देर में उनके नशेड़ी दोस्त लोग भी आ गए. वो लोगों ने बहार के कमरे ही अपने ग्लास लगा लिए. ड्रिंक करते करते वो लोग एकदम ओपन गन्दी गालियाँ बोल रहे थे. मैं लेटी हुई अपने मोबाइल के उपर सेक्स क्लिप देख रही थी. और मूवी देखते ही मेरी आंख भी लग गई.
जब मैं उठी तो रात हो गई थी. मैं बहार गई तो देखा की वो लोग वही सोये हुए थे और सब नशे में लग रहे थे. मैं बाथरूम में घुसी अपनी चूत में साबुन लगा के ऊँगली डाली और मजे कर के फ्रेश हो के बहार आ गई.
पापा बहार से खाने का पार्सल लाये हुए थे जो किचन में पड़ा हुआ था. मैं खा लिया और वापस सो गई. रात एके दो बजे के करीब मुझे पैर में गुदगुदी सी होने लगी. मैं एकदम से चौंक के उठ गई. मैंने देखा की जानू अंकल थे वहां पर. वो मेरे बूब्स को हाथ से और होंठो से टच कर रहे थे. और निचे अनिल अंकल मेरी गांड के पास बैठे हुए थे. वो नशे से भरी हुई आँखों से मेरी गांड को देख रहे थे.
तीसरे अंकल जिनका नाम गजेन्द्र था वो मेरे मुहं के पास अपने लंड को रख के खड़े हुए थे. मैं लंड चुसना जरा भी पसंद नहीं करती हूँ तो मैं उसे मुह में लेने से एकदम मना ही कर दिया. तीनो अंकल एकदम मुड में थे. वो लोग मेरे कपडे फाड़ने लगे जैसे मेरा रेप करना हो! मेरी पेंटी के भी वो लोगो ने टुकड़े कर दिए. सब से बड़ा टुकड़ा गजेन्द्र अंकल के हाथ में आया जिसे उन्होंने अपने लंड पर लपेट लिया!
वो लोग मुझे बेड से उठा के निचे फर्श पर ले गए. और फिर भूखे कुत्तो की तरह मेरे ऊपर टूट पड़े. वो मुझे पुरे बदन के ऊपर दांतों से काट रहे थे. दोस्तों आप ये कहानी न्यू हिंदी सेक्स कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है ।
जानू अंकल ने मेरे बूब्स को ऐसे मस्त चुसे के वो एकदम लाल हो गए थे. और मुझे निपल्स के अंदर दर्द भी हो रहा था. लेकिन मुझे मजा भी आया रहा था इसलिए मैं विरोध नहीं कर रही थी. तीनो एकदम नशे में थे और मुझे छेड़ते और छुते हुए मुझे वेश्या, रंडी, छिनाल जैसे शब्द से पुकार रहे थे.
अनिल अंकल जो मेरी चूत के पास थे उन्होंने मेरी दोनों टांगो को खोल दिया. जानू अंकल अभी भी मेरी चूचियां चूस रही थी. और गजेन्द्र अंकल ने अपना साड़े सात इंच का लंड मेरे हाथ में पकडवा दिया. मैं उसे सहला रही थी. अनिल अंकल ने मेरी चूत को अपनी जबान से चाटना चालू कर दिया.
फिर उन्होंने जीभ को बुर के छेद में घुसा दिया और चूसने लगे मेरे चूत के दाने को! सच में इतना मजा आ रहा था की क्या कहूँ! जानू अंकल अब मेरी चूत के पास आ गए और उन्होंने अनिल अंकल को हटने के लिए कह दिया. वो लोगों से भी चला भी नहीं रहा था इतनी ड्रिंक कर रखी थी. जानू अंकल ने अब अपना लौड़ा बहार निकाला और मेरे बुर के ऊपर लगा दिया. बाकि के दोनों अंकल उस वक्त मेरे चुन्चो को चूस रहे थे और मेरे बदन को टच कर के उत्तेजित कर रहे थे. मैं आह आह कर के सिसकिया रही थी.
कुछ देर तक जानू अंकल ने लंड को घिसा और फिर धीरे से उसे अन्दर डाला. आसानी से लंड घुसा नहीं तो उन्होंने मेरी चूत के ऊपर थूंक लगा दीया और बोले, साली रंडी बड़ी कडक चूत हे तेरी तो! और अब की उन्होंने धक्का लगाया तो लंड घुस गया. वो मुझे और गालियाँ देते हुए चोदने लगे. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. जानू अंकल ने जोर जोर से चुदाई पहले से ही चालु कर दी. और एक मिनिट के अन्दर ही 10-12 धक्के लगाने के बाद उनका वीर्य मेरी योनी में ही चूत भी गया.
गजेन्द्र अंकल ने अब जानू अंकल को कहा, चल हट अब मैं इस छिनाल को पेलता हूँ. जानू अंकल का लंड सिकुड़ के मेरी योनी से बहार आ गया. गजेन्द्र अंकल ने अब अपना लौड़ा मेरी चूत में लगाया और अन्दर धकेल दिया. वो लंड बड़ा था और मुझे और भी मजा आ गया अन्दर ले के. गजेन्द्र अंकल का लौड़ा सीधे मेरी बच्चेदानी में टकरा रहा था और मुझे चूत में जलन भी होने लगी थी. ऐसे लग रहा था की जैसे लोहे की सलाख को किसी ने गरम कर के चूत में घुसेड दिया हो मेरी! लेकिन उन्हें मेरी जरा भी दया नहीं आ रही थी. वो मुझे रंडी छिनाल कहते हुए चोदते गए.
तभी अनिल अंकल पीछे आ गए और पीछे गांड के दरवाजे पर उन्होंने अपना लंड रख दिया. गांड टाईट थी और लंड अन्दर जा नहीं रहा था.
वो बोले, साली की गांड मार के ही रहूँगा. और उन्होंने मुझे कहा अपने हाथ से गांड को खोल रंडी. मैंने अपने कुल्हे को साइड में दबाया और अनिल अंकल को गांड मारने के लिए थोड़ी जगह दे दी. उन्होंने लंड को पीछे पेल के चोदना चालू कर दिया.
पीछे और आगे दो लंड मेरे बुर और गांड में डाले गए थे. दोनों छेद जैसे छिल गए थे और जलन हो रही थी. जानू अंकल साइड में खड़े हुए कपडे पहन रहे थे. वो बोले, जल्दी करो इसका बाप उठ गया तो पंगे हो जायेंगे.
अनिल अंकल बोले, इसकी माँ भी बड़ी कमाल की चीज हे, लेकिन बेटी तो माँ से भी बड़ी छिनाल निकली! साले मेरी माँ को भी चोदने ही आते थे ये लोग. और आज माँ नहीं थी तो मेरी पुंगी बजा ली इन्होने. जब वो तीनो कपडे पहन के मेरे कमरे से गए तो मेरे सब छेद में वीर्य था और सब छेद में दर्द भी हो रहा था!