मेरा नाम विशू कपूर है और मैं आगरा से एक 23 साल का एक युवक हूँ।
मेरे परिवार में मेरे माताजी, पिताजी, ताऊजी, ताईजी, भैया (ताऊजी के बेटे) और भाभी हैं।
सभी लोग पास के एक गाँव में रहते हैं लेकिन पढ़ाई की वजह से मैं केवल ही आगरा वाले मकान पर रहता हूँ।
शुरुआत में कभी कभार दो चार दिन के लिए माताजी मेरे पास आ जाती थी लेकिन अब उनकी तबीयत ख़राब होने के कारण मेरे पास नहीं आ पाती हैं।
बात आज से करीब दो साल पहले की है जब मेरे भैया, भाभी को लेकर अपनी ससुराल गए तो वहाँ भाभी के चाचा-चाची अपनी बेटी शालू की पढ़ाई को लेकर परेशान थे मगर कहने से घबरा रहे थे कि कहीं भतीजी और दामाद भी परेशान न हो जायें।
जब भैया भाभी ने काफी जोर देकर पूछा तो उन्होंने बताया कि हमारी चिंता का विषय यह है कि शालू ने इस साल बारहवीं पास कर ली है और वह आगरा से बी. एस. सी. करना चाहती है लेकिन वह आगरा में कैसे और कहाँ रहेगी? आप तो जानते ही हैं कि हमारी इतनी हैसियत नहीं कि हम हॉस्टल का भारी खर्चा उठा सकें।
तो भैया ने तपाक से जवाब दिया- चाचाजी, आपको जरा भी परेशान होने की जरूरत नहीं है, आगरा में अपना मकान है, शालू वहाँ रहकर अपनी पढ़ाई कर सकती है।
यह सुनकर चाचाजी बहुत खुश हुए मगर चाचीजी की चिता खत्म नहीं हुई बल्कि और बढ़ गई कि वहाँ पर बिटिया अकेली कैसे रहेगी?
तो शालू ने कहा- मोनिका, शिखा और शांति भी बी.ऐस.सी. करना चाहती हैं तो पापा, क्यों न हम चारों ही एक साथ रहकर पढ़ाई कर सकती हैं।
तो उन्होंने कहा- हाँ यह ठीक रहेगा।
कुछ दिन बाद शालू अपने पिताजी व तीनों सहेलियों के साथ सुबह के करीब 11 बजे आ धमकीं।
चूँकि मैंने इन लोगों को पहले कभी देखा नहीं था क्योंकि मैं भैया की शादी के बाद से ही उनकी ससुराल नहीं गया था इसलिए शायद उन लोगों को पहचान नहीं पाया।
लेकिन जब उन लोगों ने अपना परिचय दिया तो मैं उन लोगों को पहचानने की कोशिश करने लगा क्योंकि मैं भैया की शादी पर बहुत छोटा था।
खैर कुछ समय के बाद मैंने अपने भैया से फ़ोन पर बात की तो उन्होंने बताया- हाँ विशु, मैं तुम्हें यह बताना भूल गया कि ये चारों लड़कियाँ भी तुम्हारे साथ ही रहेंगी, इनके लिए अंदर वाला कमरा दे देना।
मैंने भी अपने भैया की बात मानते हुए अंदर वाला कमरा खोल दिया।
वो कमरा काफी समय से बंद होने के कारण बहुत गंदा था। उन चारों लड़कियों ने कमरे की सफाई करके अपना सामान सेट कर लिया।
इस दौरान शाम का अँधेरा हो चला था तो मेरी भाभी के चाचाजी गाँव को चलने लगे तो मैंने उनसे कहा- आपको गाँव पहुँचने में काफी रात हो जायेगी इसलिए आप सुबह चले जाना, रात को यहीं रुक लो।
तो वो बोले- मेरी भैंस मेरे बिना किसी को दूध नहीं देती है, इसलिए मुझे अभी जाना होगा।
तो मैंने भी ज्यादा जिद न करते हुए उन्हें जाने दिया।
उन लड़कियों के रहने से मेरे खाने पीने का इंतजाम हो गया था क्योंकि मुझे खाना बनाना नहीं आता था। वे खूब सारा सामान खाना बनाने का साथ लाई थी।
कुछ देर के बाद हम पाँचों ने खाना खाया और हँसी मजाक करते हुए अपने अपने कमरों में सो गए।
मैं आप लोगों को यह बताना भूल गया कि मैं कभी भी अंडरवियर नहीं पहनता था और अकेला रहने के कारण सुबह नंगा होकर ही नहाता था।
परंतु अब इन लड़कियों के आने से मैं नंगा होकर नहीं नहा सकता था क्योंकि पूरे घर में एक ही बाथरूम था और उसका दरवाज़ा टूट चुका था इसलिए मुझे नहाने में बड़ी ही दिक्कत होती थी।
इसलिए मैं तौलिया पहन कर नहाने लगा था।
कुछ दिनों के बाद मैंने बढ़ई को बुलाकर बाथरूम का दरवाजा सही करवा लिया।
15-20 दिन ऐसे ही गुजर गए।
एक दिन की बात है, जैसा मैंने आपको बताया की मैं अंडरवियर नहीं पहनता हूँ और रात को सिर्फ लुंगी पहन कर सोता हूँ, रोज़ उसी तरह उस रात को भी सो गया।
सुबह के पहर में मैंने सपना देखा कि मैं पड़ोस में रहने वाली लड़की मोहिनी की चुदाई कर रहा हूँ इसलिए मेरा लंड शायद लुंगी में हिचकोले खा रहा था।
कुछ देर पश्चात वह लोहे की गरम छड़ की तरह तन गया।
सपने में मोहिनी को चोदने की वजह से मेरी लुंगी पता नहीं कब खुल गई।
उसी दौरान शालू मेरे लिए चाय बना कर लेकर आई तब उसने मेरा 7.5″ लंबा और खूब मोटा खड़ा लंड देखा तो वह मुझे चाय देकर जगाना भूल गई और वहाँ खड़े होकर एकटक मेरा खड़ा लंड देखने लगी।
कुछ देर बाद मेरी पिचकारी छूट पड़ी।
उस पिचकारी ने इतनी धार छोड़ीं कि मेरे आस पास का सारा बिस्तर ख़राब हो गया।
जब मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी छूट रही थी उसी दौरान शालू ने अपनी सहेलियों को भी बुलाकर मेरे लंड को झड़ते हुए दिखाया।
बताते हैं कि उन चारों ने मेरे लंड को खड़े होकर नज़दीक से भी देखा जो झड़ने के बाद भी टाइट और गरम था।
लेकिन मुझे कुछ होश ही नहीं था।
जब मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि मैं नीचे से बिल्कुल नंगा हूँ और मेरी लुंगी खुली हुई एक ओर पड़ी हुई थी।
मैं एकदम बिस्तर से खड़ा हुआ सीधे लुंगी बाँधने लगा।
मुझे इतना भी नहीं पता था मेरा वीर्यपात हो चुका है और ज्यादातर गाढ़ा गाढ़ा वीर्य मेरी लुंगी पर लगा था।
मैं तो यह समझ रहा था मेरी लुंगी खुल गई है और घर में समझदार लड़कियाँ हैं कहीं वो सब मुझे नंगा देखकर गलत फील न करें इसलिए जल्दबाज़ी में मैंने लुंगी उठाकर पहन ली।
जब मैं लुंगी बाँध रहा था तभी शालू ने मुझे चाय के लिए आवाज़ दी।
लुंगी बांधते हुए मैं चाय पीने उनके कमरे में पहुँचा तो शिखा, शांती और मोनिका ने मेरा स्वागत हँसते हुए किया।
साथ साथ शालू भी हँस रही थी।
पर मैं समझ नहीं पाया कि ये चारों लड़कियाँ मुझे देखकर क्यों हँस रहीं हैं?
मैं आपको उनका फिगर बताना तो भूल ही गया।
वो सभी मॉडल की तरह लंबी और दुबली पतली सी थी उनका साइज़ होगा 34-24-36, हाँ मोहिनी जो मेरे घर के पीछे रहती थी, वो थोड़ी मस्त और गदराए बदन की मलिका थी, उसके चूचे एकदम गोल और तने हुए थे, जांघें मोटी और भरी हुई थी।
वो वास्तव में काम की देवी लगती थी जिस किसी की शादी उसके साथ होगी उसकी तो किस्मत ही खुल जायेगी और तो और दोनों मोटी जांघों के बीच एक छोटी सी एक अनछुई चूत जिस पर अभी तक झांटे भी नहीं उगी थी।
और हाइट करीब 5′ 6” की है।
सच में एक ऐसा बम थी की 80-90 साल का बुड्ढे का भी लंड झटके मारकर खड़ा हो ही जायेगा।
यह सोच ही रहा था कि मोनिका ने लुंगी में लगे वीर्य की ओर इशारा करके कहा- विशू, यह क्या है?
मैंने उसके कहने के अनुसार जब अपनी लुंगी देखी तो हड़बड़ी में मेरा लंड बाहर आ गया और मैं शर्म के मारे अपने कमरे में भाग गया।
कुछ देर के बाद सब कुछ सामान्य हो गया पर मैं उन चारों से नज़रें नहीं मिला पा रहा था।
वो चारों घर का काम खत्म करके नहा धोकर कॉलेज चलीं गई और मैं भी अपने कॉलेज चला गया।
सब कुछ सामान्य हो चुका था कि एक दिन उनके कमरे में मोहिनी के साथ शिखा, शान्ति और मोनिका को मैंने बात करते हुए सुना।
वो चारों मेरे लंड के बारे में बात कर रही थी कि विशु का लंड कितना बड़ा है।
तभी शिखा बोली- जब भी विशु के लंड की घटना याद आती है तो पता नहीं मेरी चूत में से सफ़ेद गाढ़ा सा पानी सा रिसने लगता है। ऐसा मन करता है कि विशु को नंगा करके उनके लंड से खूब जी भरके खेलूँ और उनका मस्त लंड अपनी चूत में लेकर खूब चुदाई करूँ। मगर समझ नहीं आता कि कैसे पहल करें क्योंकि विशु तो बहुत ही शर्मीला है।
तो सभी पाँचों ने मेरा लंड लेने की प्लानिंग की कि आज कुछ भी हो विशु के लंड से अपनी अपनी चूत का उद्घाटन करवा कर ही रहेंगी।
इसलिए मोहिनी ने भी पढ़ाई के बहाने आज रात को मेरे घर आने की बात कही और मेरा बलात्कार करने की करने की प्लानिंग करके वो अपने घर चली गई।
प्लान के मुताबिक वो शाम को मेरे घर आई और चुदाई के बारे में मूक बातें होने लगी।
शाम को खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे में आकर कपड़े बदलकर जैसे ही पढ़ने के लिए बैठा तभी शालू, शिखा, मोनिका, शांति और मोहिनी मेरे कमरे में आईं और मुझसे पूछा- विशु हमें ज़ूलॉजी समझ नहीं आ रही है, तुम हमें समझा सकते हैं।
मैंने कहा- हाँ, समझा सकता हूँ।
कुछ देर तक ऐसे ही बातें होती रहीं उसके बाद मैंने पूछा- जूलोजी के कौन से चैप्टर में प्रॉब्लम है?
तो शिखा ने कहा- ह्यूमन रिप्रोडक्शन समझ नहीं आ रहा है, वो समझा दीजिये।
मेरी तो शर्म के कारण हवा टाइट होने लगी लेकिन लड़कियाँ पूरी तैयारी के साथ मुझसे चुदाई चाहती थी।
पर पाँचों ही ऐसी अनजान बन रही थी की जैसे कुछ जानती ही नहीं… लेकिन मेरा लंड लुंगी में खड़ा हो गया था और बाहर झाँकने लगा था।
उसके बाद सबसे पहले अंगों की चर्चा हुई। अंगो की चर्चा में मेल ऑर्गन यानि की लंड की बात हुई तो मोनिका ने पूछा- विशु, शिश्न किसे कहते हैं और यह काम कैसे करता है?
मैंने कहा- समझाता हूँ…
और मैं उन्हें किताब की भाषा में समझाने लगा तो सभी ने कहा- हमें समझ नहीं आ रहा है।
इधर मेरा लंड खड़ा होकर मुझे परेशान कर रहा था।
मैंने कहा- प्रैक्टिकल करके बताता हूँ यदि आप सभी तैयार हो तो?
सभी ने कहा- यह ठीक रहेगा।
जैसे ही उन सभी ने कहा, तभी मैंने शिखा को पूछा- आप प्रैक्टिकल के लिए तैयार हो? सोच लो !
तो शिखा ने हाँ में सर हिला दिया।
फिर मैंने अपनी लुंगी में से अपने लंड को निकाला जो अब तक लोहे की रॉड बन चुका था, उसको शिखा के हाथ में पकड़ा दिया और बताया- इसे शिश्न, लिंग या लंड कहते हैं, इसको लड़की की चूत में डालने को चुदाई कहते हैं और चुदाई के अंत में लंड में से जो रस निकलता है, उसे वीर्य कहते हैं।
तो मोनिका बोली- विशु, तुम क्या कह रहे हो, समझ नहीं आ रहा है?
फिर मैंने सबका ध्यान अपनी ओर करके शिखा को लंड आगे पीछे करके हिलाने को कहा और मोनिका को एक रसोई से छोटी कटोरी लाने को कहा और उस कटोरी को अपने लंड के सामने लगाने को कहा।
करीब 10 मिनट के बाद मेरे लंड ने बहुत ही तेज रफ़्तार से वीर्य की तेज धार के साथ पिचकारी छोड़ी जो सीधी कटोरी में गिरी और कुछ बूंदें जमीन पर गिरी।
वीर्य निकलने के बाद भी मोनिका ने जब तक लंड नहीं छोड़ा जब तक वीर्य की एक एक बून्द नहीं निचुड़ गई।
जब मैंने कटोरी की और देखा तो लगभग एक चौथाई कटोरी भर चुकी थी।
मुझसे शांति ने पूछा- विशु, ये क्या है?
तो मैंने बताया- यह रस ही वीर्य कहलाता है। जो लड़की की चूत में जाने से बच्चा पैदा करता है। लेकिन यह तभी संभव है जब लड़की को महीना यानि की एम. सी. न हो। यदि महीना आने के बाद लड़की की चुदाई होती है और चुदाई के दौरान वीर्य चूत में गिर जाता है तो लड़की माँ बनेगी अन्यथा नहीं। लड़की का माँ बनना ही ह्यूमन रिप्रोडक्शन कहलाता है। तो बताओ आप में से कौन कौन महीने से होके चुकी हो या हो रही हो?
तो सभी ने कहा- हम में से कोई नहीं है जिसे महीना आ रहा है या आने वाला है और न ही आ के चुका है।
फिर मैंने सभी से कहा- जल्दी से अपने अपने सारे कपड़े उतारो, आपके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं होना चाहिए।
पाँच मिनट में ही सभी लड़कियाँ नंगी हो गई।
मैंने सबसे पहले मोहिनी को अपने पास बुलाया तो मोहिनी ने मुझसे पूछा- मेरी छोटी सी चूत में तुम्हारा इतना बड़ा और मोटा लण्ड कैसे घुसेगा?
तो मैंने उसे समझाया कि लड़की की चूत फ्लेक्सिबल होती है, इसमें छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा लंड भी घुस जाता है। हाँ यदि चूत बिना चुदी हो तो शुरू में बड़े लंड से थोड़ा दर्द होता है और बाद में बहुत मज़ा आता है।
यह कहकर मैं उसे चूम चाट कर गरम करने लगा।
सबसे पहले मैंने उसे कान के पीछे किस किया, उसके बाद गाल, होंठ पर किस किया, उसके बाद मैं उसकी चूचियों पर किस करने लगा और अपने एक हाथ से उन्हें दबाने लगा।
फिर उसके पेट पर होते हुए मैं उसकी चूत पर आ गया और मैंने उसकी अनछुई चूत पर एक चुम्बन जड़ दिया, जैसे ही मैंने उसकी चूत पर चुम्बन किया तो वो एकदम से सिहर गई।
उसके बाद मैं उसकी चूत के दाने को अपनी जीभ से सहलाता रहा और तब तक सहलाता रहा जब तक उसकी चूत ने पानी नहीं उगल दिया।
फिर मैंने मोहिनी को अपना लंड चूसने को कहा पर उसने मना कर दिया लेकिन शिखा बिना कहे ही तैयार हो गई और उसने अपने होठों से एक जोरदार चुंबन मेरे लंड के सुपाड़े पर कर लिया।
उसके बाद वो मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने की कोशिश करने लगी लेकिन मेरा लंड उसके मुँह में जा नहीं पा रहा था।
फिर भी वो कोशिश करके मेरे लंड को चूसने लगी।
इधर मैं मोहिनी की चूत को अपनी जीभ से चाट रहा था।
कुछ देर के बाद मोहिनी ने कहा- विशु जी, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है, तुम मेरी चूत में अपना लंड डाल भी दो… ज्यादा मत तड़पाओ।
मैं भी मौके की नज़ाकत देखते हुए तुरंत ही मोहिनी की टांगों के बीच आ गया, मेरे लंड का सुपाड़ा शिखा के चूसने से एक बड़े से मशरूम की तरह फूल गया।
फिर मैं अपना लंड मोहिनी की चूत पर रखकर रगड़ने लगा लेकिन लंड चूत में घुसने के बजाय फिसल कर इधर उधर हो जाता।
कुछ देर बाद मोहिनी ने अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर रखा और मैंने अपने होठों को मोहिनी के होठों पर रखकर पूरी ताक़त के साथ एक जोरदार धक्का लगा दिया, जिससे मोहिनी की एक जोरदार चीख निकलती लेकिन उसके होंठ मेरे होठों में दबे होने के कारण वो चीख नहीं पाई और उसके साथ ही मेरा लंड करीब 3″ उसकी चूत में घुस गया था।
लेकिन मैंने देखा कि मोहिनी की आँखों में मोटे मोटे आँसू थे जो शायद मेरे से कह रहे थे कि विशु अपना लौड़ा मेरी चूत से बाहर निकल ले लेकिन मैंने उसके आँसुओं पर कोई ध्यान नहीं दिया और फिर करीब पूरा लंड चूत से बिना बाहर निकाले खींचा और वापस दुगनी ताक़त से जोरदार धक्के के साथ दुबारा घुसेड़ दिया।
इस बार तो मोहिनी की दर्द के मारे आँखें ही बाहर की ओर निकल आई लेकिन मैंने कोई रहम न करते हुए आखरी और तीसरा जोरदार धक्का लगा दिया।
जिससे मेरा पूरा लंड मोहिनी की चूत में जड़ तक घुस गया।
फिर मैं कुछ देर के लिए रुक गया।
उसके बाद धीरे धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करता रहा।
कुछ देर के जब मोहिनी का दर्द कम हुआ तो मोहिनी भी नीचे से अपने कूल्हे उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी और साथ साथ मदहोशी में बड़बड़ा भी रही थी- विशु, जोर से… और जोर से… हाँ, ऐसे ही चोदो मुझे।
उसके बड़बड़ाने से मुझे भी जोश आ गया, मैंने भी अपनी स्पीड तेज कर दी।
कुछ देर के बाद मोहिनी का बदन अकड़ने लगा और वो तुरंत ही झड़ गई।
मैं बहुत ही तेजी के साथ धक्के मार रहा था।
लगभग 10 मिनट बाद वो फिर झड़ गई।
हमें चुदाई करते हुए करीब 25 मिनट हो चुके थे।
कुछ देर बाद जब मैंने उसके कान में कहा- मोहिनी, अब मैं झड़ने वाला हूँ।
तो उसने कहा- विशु जी, अभी कोई खतरा नहीं है, तुम मेरी चूत में ही झड़ जाओ।
इसके साथ ही मैं बहुत तेज धक्के मारने लगा, करीब 8-10 धक्कों के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।
कसम से इस बार मेरा बहुत बड़ी मात्रा में वीर्य निकला।
हमारी सांसे बहुत तेजी से चल रही थी और मैं हाँफते हुए मोहिनी के ऊपर ही गिर गया।
मुझे उसके ऊपर गिरते ही मोहिनी ने मुझे प्यार से चूमना शुरू कर दिया।
इसी तरह से मैंने शांति, शिखा, मोनिका और शालू की भी सील तोड़ी।
उसके बाद तो हमें जब भी मौका मिलता मैं लोगों को चोद लेता था।
फिर एक दिन सभी ने निर्णय लिया कि घर के अंदर हम पाँचों में से कोई भी एक कपड़ा भी नहीं पहनेगा, यदि कोई भी कपड़े पहने हुए दिख गया तो उसे 500/- का फाइन भरना पड़ेगा।
एक दिन शांति और शिखा ने मुझसे पूछा- विशु, हमारी एक सहेली और उसकी भाभी को तुम्हारा लंड चाहिए… तो क्या तुम उन दोनों को चोदना चाहोगे?
क्योंकि तुम्हारे महाबली लंबे और मोटे लंड के बारे में बताया कि तुम्हारे लंड में बहुत ताक़त है और तुम्हारा वीर्य भी बहुत स्वादिष्ट है इसलिए हमने तुम्हारे बारे में अपनी सहेली और उसकी भाभी को बता दिया तब से उन दोनों की चूत खुजा रही है।
मैंने कहा- ठीक है।
शिखा, शांति, मोनिका और शालू के साथ क्लास में कई लड़कियाँ पढ़ती थी जो चारों की सहेलियाँ भी थी, उन्ही में से एक थी काजल। एक दिन मैं सुबह के समय जब सोकर उठा तो मेरे फ़ोन पर एक कॉल आई और मैंने बात की उधर से एक लड़की की आवाज आई- मैं काजल बोल रही हूँ कमला नगर से।
मैंने कहा- जी कहिये, मैं क्या कर सकता हूँ आपके लिए?
तो उसने कहा- मैं आपसे मिलना चाहती हूँ।
मैंने कहा- बताइये कहाँ मिलना है?
तो वो बोली- आज, अभी, 10 बजे तक आ जाओ !
और अपना पता मुझे नोट करवा दिया।
मैंने अपनी बाइक उठाई और सीधा उसके दिये हुए पते पर पहुँच गया।
मैंने कॉलबेल जब बजाई तो गेट खोलने के लिए एक छोटी सी बच्ची आई तो मैंने उससे पूछा- मुझे काजल जी से मिलना है।
तो उसने कहा- आप यहाँ बैठिये, मैं उन्हें अभी बुलाती हूँ।
करीब 5 मिनट इंतज़ार करने के बाद काजल आई।
उसने मुझसे बैठने के लिए कहा और चाय कॉफी के लिए पूछा।
मैंने कहा- आप मुझसे क्या बात करना चाहती थी जिसके लिए आपने मुझे यहाँ बुलाया है?
तो उसने तुरंत अपनी भाभी ऋतंभरा को आवाज दी।
थोड़ी देर बाद ऋतंभरा भी आ गई तो काज़ल ने मेरा परिचय ऋतंभरा से शालू के जीजू के रूप में करवाया और मुझे बताया- मेरी भाभी महिला मंडल व्यापार प्रकोष्ठ की सदस्या हैं।
मैंने उनसे पूछा- घर के बाक़ी सदस्य कहाँ हैं?
तो काजल ने बताया- भैया बिजनेस के सिलसिले में एक महीने के लिए अमेरिका और गए हैं।
मैंने पूछा- आपके यहाँ किस चीज़ का बिजनेस होता है?
तो बताया- हमारी 10-12 कंपनियों का ग्रुप है जिनमें से कुछ आगरा में हैं और कुछ फरीदाबाद में हैं। जिनमें से आगरा वाली फॅक्टरियों को भैया-भाभी देखते हैं और फरीदाबाद वाली फॅक्टरियों को पापा सँभालते हैं।
ऋतंभरा ने मुझसे पूछा- विशु जी, जैसा कि मुझे आपके घर में रहने वाली चार लड़कियों ने बताया कि आपका हथियार बहुत लंबा और मोटा है और काफी देर बाद ढेर सारा बीज उगलता है? और हम दोनों मिलकर आपके लंड का प्रचार करें तो हमने उन चारों से यही कहा कि हम कैसे मानें कि उनके लंड में बहुत दम है। अगर वाकई उनके लंड में दम है तो वो हमें एक बार अपने लंड का डेमो दें। यदि पसंद आया तो आगे तो रेफर करुँगी अन्यथा नहीं।
मैंने मन ही मन सोचा कि ये लड़कियाँ मेरा कितना खयाल रखती हैं, मेरे लंड के लिए क्लायेंट ढूंढ रही हैं और मुझे पता भी नहीं।
खैर मैंने ऋतंभरा से पूछा- आपको कैसा डेमो चाहिए?
तो उसने मुझसे सीधे कहा- पहले हमें अपना लंड दिखाओ।
मैंने भी देर न करते हुए तुरंत अपनी पेंट की ज़िप खोलकर अपना लंड खोलकर ऋतंभरा के हाथ में पकड़ा दिया कुछ देर में ही फीमेल के हाथ का स्पर्श पाकर वो जल्दी ही लोहे की रॉड की भान्ति तन गया और उसका सुपाड़ा फूल के बहुत मोटा हो गया।
जब लंड अपनी असली रंगत पर आया तो ऋतंभरा और काजल की आँखों में गुलाबी सी चमक आ गई।
कुछ देर वो मेरे लंड के ऊपरी खाल को दो उंगली और एक अंगूठे के सहारे से आगे पीछे करने लागी।
करीब 20 मिनट तक जोर जोर से हिलाने पर भी बीज नहीं निकला बल्कि उसका हाथ हिलाते हिलाते थक गया और दर्द करने लगा तो उसने मुझसे पूछ लिया- तुम्हारा बीज कितनी देर बाद निकलेगा?
तो मैंने कहा- अभी आप और 20 मिनट तक भी हिलाओगी तो भी मेरा बीज नहीं निकलेगा, यह मेरा वादा है आपसे!
तो ऋतंभरा को कहना ही पड़ा- विशु जी, वाकई आपके लंड में बहुत दम है, यह तो चूत या गाँड के परखच्चे उड़ा सकता है लेकिन विशु जी, एक बात का विशेष ध्यान रखने की है कि अभी आप जवान हो इसलिए आपके लंड में बहुत जान है लेकिन जब रोज़ाना लड़की को चोदोगे तो तुम्हारा लण्ड कमज़ोर हो जायेगा और एक समय वो आएगा कि तुम्हें तुम्हारी घरवाली भी तुम्हें घास नहीं डालेगी। क्योंकि लड़की या औरत उस लड़के या आदमी से खुश रहती है जो उसकी चूत का भुर्ता बना दे। इसलिए सोच लो कि तुम्हें खुद से ज्यादा इसका ध्यान रखना पड़ेगा।
मैंने कहा- बात तो सही है, मैं इसका हमेशा ध्यान रखूँगा।
मैं ऋतंभरा और काजल से बात कर ही रहा था कि दरवाजे की घंटी बजी।
मेरी तो डर के मारे गाँड फट गई, मैंने झट से अपना लंड पैंट के अंदर किया पर वह बैठने के बजाय और ज्यादा फूल गया।
देखा तो पता चला कि कोई शरारती बालक था जो घंटी बजाकर भाग गया था।
ऋतंभरा ने कहा- विशु जी क्या मैं आपके लंड को प्यार कर सकती हूँ? वैसे तो मैंने आज तक किसी का भी, यहाँ तक कि अपने पति तक का लंड मैंने नहीं चूमा है क्योंकि मेरे पति का लंड मुश्किल से 4.5 – 5″ का पतला सा है लेकिन आपका तो मुझे दूना लग रहा है।
मैंने कहा- ठीक है!
और अपना लंड पैंट से दुबारा निकाल लिया तो काजल ने ऋतंभरा से कहा- भाभी जब हमें कीमत ही देनी है तो इनको पूरा नंगा करो।
ऋतंभरा काजल की बात मानते हुए मुझसे बोली- विशु जी, यदि आप बुरा न मानें तो हम आपका पूरा शरीर नंगा देखना चाहते हैं।
मैंने कहा- ठीक है, देख लो!
कहकर मैंने अपने सभी कपड़े उतार दिये।
काजल एकदम चिल्लाकर बोली- भाभी, इनके लंड के साथ साथ टट्टे भी कितने बड़े हैं।
और मेरे टट्टे टटोलने लगी जो बीज से भरे थे।
ऋतंभरा ने मेरा लंड झट से मुँह में ले लिया और काजल ने टट्टे।
दोनों ही ऐसे ही चूस रही थीं जैसे जन्म ज्न्म की प्यासी हो।
मैंने ऋतंभरा के मुँह से तुरंत ही लंड बाहर निकाला और कहा- अगर आपको मेरा लंड चूसना है तो आप लोगों को भी कपड़े उतारने होंगे।
ऋतंभरा ने झट से कहा- हम क्यों उतारें? आपको जरूरत है, आप उतारिये।
मैंने भी फुर्ती से दोनों को नंगी कर दिया।
आय हाय… क्या बदन था ऋतंभरा का !
उसके सामने कुंवारियाँ लड़कियाँ फेल नज़र आ रही थी क्योंकि उसके चूचे एकदम तने हुए गोल और उसकी कमर एकदम स्टाइलिश सुराही के समान, उसकी चूत जिस पर हल्के हल्के भूरे रंग के रोंये थे।
मैं तो सकते में आ गया कि पता नहीं यह शादीशुदा है या अब तक अनचुदी कुँवारी है।
मैंने यह जानने के लिए उसकी चूत में उंगली डाली तो मेरी पूरी उंगली चली गई फिर मैंने दो उंगलियाँ डाली तो दो भी चली गई।
उसके बाद जैसे ही मैंने तीन उंगलियाँ डाली तो ऋतंभरा की हल्कि सी चीख निकल गई।
मैं समझ गया कि इसने बहुत ही छोटे लंड से चुदवाया है।
उसके बाद मैं उसे गोद में उठाकर बिस्तर पर ले गया।
फिर मैंने उसे बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया।
सबसे पहले मैंने उसके होंठ, गाल, गर्दन और पेट को बारी बारी से चूमा फिर उसके बाद मैंने उसके कान के पास पीछे की ओर किस किया और सीधे उसके चूचों पर आ गया, मैं एक हाथ से दबाने लगा और दूसरे हाथ से मुँह में लेकर चूसने लगा।
कुछ देर बाद ऋतंभरा ने मेरा मुँह अपने चूचों पर दबा दिया और सिसियाने लगी।
इधर काजल देख देख कर ही बिना हाथ लगाये गरम हो गई और मेरा लंड चूसने लगी जिससे मेरा लंड बहुत ज्यादा टाइट हो गया और काजल के मुँह में आसानी से नहीं घुस पा रहा था इसलिए वो सिर्फ सुपारे की ऊपरी खाल को हटाकर जीभ से चाट रही थी।
फिर धीरे धीरे मैं ऋतंभरा की चूत पर आ गया और अपनी जीभ को नुकीला करके उसके क्लीटोरियस को चाटने लगा।
जैसे ही मैंने अपनी जीभ ऋतंभरा की चूत पर रखी तो वह एकदम ऐसे सिहर गई जैसे उसे 1100 वाट का करंट लगा हो और फिर उसकी चूत में तीन उंगली डालकर आगे पीछे करने लगा।
मैंने करीब इस क्रिया में 15 मिनट लिए होंगे कि ऋतंभरा का बदन हिचकोले खाने लगा, इसके साथ ही वो मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगी।
कुछ समय पश्चात उसका शरीर ऐंठने लगा और वो आह आह करते हुए मेरे मुँह पर झड़ गई लेकिन फिर भी मैं लगातार उसकी चूत चाटता रहा।
कुछ देर बाद ऋतंभरा फिर से गर्म हो गई और मुझसे कहने लगी- विशु जी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है… मुझे इतना क्यों तड़पा रहे हो? अब डाल भी दो अपना मूसल जैसा लंड।
मैं भी देर न करते हुए ऋतंभरा की टाँगों के बीच आ गया और अपने लंड को ऋतंभरा की चूत पर रगड़ने लगा और सही वक्त देखकर लंड को छेद पर टिका कर एक पूरी ताकत के साथ करारा सा झटका लगा दिया जिससे ऋतंभरा की एक जोरदार चीख निकल गई।
लेकिन मैंने उसकी कोई परवाह न करते हुए लगातार 5-6 धक्के पूरी ताकत के साथ लगाये जिससे ग्राउंड फ्लोर पर काम करने वाली नौकरानी भागी भागी आई और उसने मेरे द्वारा की जा रही ऋतंभरा की चुदाई देखने लगी।
चुदाई देखते देखते वो भी अपने कपड़े उतार कर मैदान में कूद पड़ी और कहने लगी- भाभी, मैं भी चुदना चाहती हूँ।
जब पूरा लंड ऋतंभरा की चूत में घुस गया तो मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया और धीरे धीरे धक्के लगाने लगा।
जैसे ही ऋतंभरा का दर्द कुछ कम हुआ तो मैंने अपना लंड ऋतंभरा की चूत से सुपाड़े तक पूरा बाहर खींचकर दुबारा पूरी ताकत के साथ धकेल दिया।
इधर ऋतंभरा ने भी नीचे से कूल्हे मटकाना शुरू कर दिया।
ऋतंभरा को ज्यादा मज़ा आये इसलिए मैंने उसकी टाँगें अपने कंधे पर रख ली जिससे मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस रहा था।
इस कारण वो जल्दी झड़ गई।
इसी प्रकार से मैंने ऋतंभरा को अलग अलग आसनों में करीब 50 मिनट तक चोदा उसके बाद मेरा सब्र भी जवाब दे गया तो मैंने ऋतंभरा से कहा- मैं झड़ने वाला हूँ, बताओ कहाँ निकालूँ अपना बीज?
तो उसने कहा- नहीं विशु जी चूत में मत झड़ना, अगर आपने बीज चूत में ही डाल दिया तो मैं प्रेग्नेंट हो जाऊँगी इसलिए आप मेरी चूत में नहीं, मेरे मुँह में अपना बीज निकालना, जिससे मैं आपका बीज पी भी लूँगी।
10-15 धक्कों के बाद मैंने अपना लंड ऋतंभरा की चूत से निकालकर उसके मुँह में दे दिया और फिर उसके मुँह में अपना बीज भर दिया।
फिर उसने मेरे लंड को तब तक चूसा जब तक मेरे बीज की एक एक बूँद नहीं निचुड़ गई।
फिर मैं थकान की वजह से ऋतंभरा के ऊपर गिर पड़ा।
इसी तरह से मैंने काजल और नौकरानी की चुदाई की और एक एक बार तीनों की गाण्ड भी मारी।
इस काम में मुझे शाम के 4:00 बज चुके थे।
जब मैं वहाँ से चलने को हुआ तो ऋतंभरा ने मुझे हज़ार हज़ार के दस नोट दिए और कहा- जब भी हमारी याद आये तो चले आना।
इसके बाद उन सबने मेरे लंड का ऐसा प्रचार किया कि आज मेरे पास करीब 500 से ज्यादा क्लाइंट हैं।
तो बताइये दोस्तो, आपको मेरी सच्ची कहानी कैसी लगी?