मैं मेरी दिलरुबा को सात सालों से जानता था! पर कभी चुदाई का मौका नहीं मिला था। पर एक दिन! मैं उसकी कुँवारी बुर को जमकर चोद Meri Pehli Chudai का शुभारम्भ किया..
हेलो दोस्तो,
मैं पहली बार! अपनी सच्ची कहानी आप लोगों के सामने, प्रस्तुत कर रहा हूँ। मेरा नाम ऊजाला है। उम्र 22 साल और मेरी दिलरुबा यानी की! मेरे बड़े भैया की साली का नाम प्रिया है।
जिसका उम्र 19 साल है। इस वक्त उसकी साइज़ 33 31 33 है। हम सात साल से एक दूसरे को जानते है। भैया के शादी से ही! हम एक दूसरे को चाहने लगे थे।
दिलरुबा की चूचियों छूने से करंट लगा
भैया के घर में जिस दिन पूजा पाठ था। उस दिन वो चौकी पर! मेरे तरफ सर करके सोई थी। उस वक्त उसकी चूची ज़्यादा बड़ी नही थी, लेकिन कुछ था।
मैने उसे कहा- मेरे हाथ में कच्चा धागा बाँध दो ना! मैने उसके आगे अपना हाथ कर दिया, और वो मेरे हाथों में धागा बाँधने लगी। इस दौरान मेरा हाथ उसकी छाती से सट जाता था।
हालांकि! मैं बहुत शरीफ था! इसलिए, कोई हरकत नहीं किया। चूँकि! उसके चूची को छूते ही मेरे अन्दर बिजली सी दौड़ गई। उस वक्त मुझे चुदाई के बारे मे कुछ मालूम नही था।
मैं बता दूँ! कि हम दोनों का घर पास के गाँव में ही है। दो दिन के बाद! हम अपने अपने घर आ गए। जब मुझे मन नहीं लगता, तो मैं उसके घर चला जाता था।
उसके साथ सोकर उसे चूमा और चाटा
वो भी मुझे देखकर! बहुत खुश होती थी! उसके घर वाले, कभी भी मेरे बारे में ग़लत नहीं सोचते थे। चूँकि! हम दोनों 15 और 13 साल के बच्चे थे।
कभी-कभी! रात को हम साथ में सो भी जाते थे, और रात भर हम एक दूसरे के शरीर को चूमते चाटते और छुते थे। करीब 3 साल बाद! वो मस्त लगने लगी थी।
मैं उसे चोदने के लिए सोचने लगा! वो पहले की तरह! मुझसे बात नहीं करती थी, और छूने भी नही देती थी। जब मैं उसके घर जाता था, तो वो मेरे सामने बिना दुपट्टे के रहती थी।
उसकी चूचियाँ देख कर! लगता था! सलवार से बाहर निकलने के लिए बेताब है! जब वो झाड़ू लगाती थी, तो उसकी चूची देखकर मैं पागल हो जाता था!
उसके कमरे में एक खिड़की है, जिससे बरामदे की ओर साफ दिखाई देता है। मई वहीँ से उसको देखता था। साइड में प्लास्टिक के अन्दर उसकी पैन्टी रखी थी।
पैन्टी में लण्ड को हिला चोदने की कल्पना
मैंने उसकी पैन्टी निकाल कर! अपने लण्ड में लगाकर! उसकी बुर समझकर चोदने लगा! और सारा माल उसकी पैन्टी पर गिरा दिया।
कुछ दिन बाद! मैं पटना में एक कम्पनी मे काम करने लगा। अब वो भी भागलपुर में रहकर 12वीं की तैयारी करने लगी। वो मुझसे धीरे-धीरे! हर तरह की बात करने लगी।
हम चुदाई की भी बातें करने लगे। जब मैं पटना से आया! तो सीधे उसके साथ डिज्नीलैंड गया और उसके साथ घुमा। उसके बाद! दूसरे दिन वो भागलपुर से घर आई।
मैं रात को 11 बजे! उससे मिलने उसके घर आया। वो बाहर आई, और धीरे धीरे! बात करते हुए हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए।
होंठों को और चूचियों को चूसने का मजा
उसकी चूची मेरी छाती से छू गया, तो मैं पागल हो गया! मैं उसके होंठों को चूसने लगा! और साथ ही उसके पीठ और गांड को, हाथों से मसलने लगा।
उसका शरीर पूरा गरम हो गया था। मैं उसकी चूचियों को अपने मुँह से ऊपर से ही चूसने लगा। उसने मुझे कस कर पकड़ ली और चूमने लगी।
उसके बाद! मैंने अपने हाथों से धीरे धीरे! उसकी चूची दबाने लगा। मैने उसका सलवार चूची से ऊपर कर दिया। उसकी मस्त चूचियाँ को चूसने लगा!
अब उसकी चूचियों को अपने हाथों से दबाने लगा। मैंने अपना लण्ड उसके हाथों में थमा दिया। उसके बाद! मैंने उसे ज़मीन पर लिटाकर! अपने लण्ड से उसकी चूची को चोदने लगा।
गीली बुर में उंगली डालने का मजा
कुछ देर बाद! मैंने उसे खड़ा किया और पायजामे के ऊपर से ही! उसकी बुर को मसलने लगा। अब मैने उसके पायजामे के अन्दर हाथ डाल दिया।
अब उसकी बुर को मसलने लगा! उसकी बुर में बाल बहुत था! साथ में यह भी महसूस किया! कि उसकी बुर में बहुत गीलापन आ गया था!
अब मुझे! जन्नत का मज़ा आ रहा था! शायद! उसे भी बहुत मज़ा आ रहा था। अब मैंने अपनी उंगली उसकी बुर के छेद में डाल दिया।
शायद! उसे बहुत दर्द हुआ! इसलिए वो आ! आ! कर रही थी। उसकी बुर के अन्दर गरम जैसा महसूस हुआ! जैसे कि! बुर के अन्दर आग लगी हो।
मैने उससे पूछा- तेरी बुर इतनी गरम क्यों है?
वो बोली- मुझे नहीं मालूम!
बुर में उंगली करने से हुई चुदासी
मैंने उसने कहा- एक बात पूछूँ? तुम्हें कैसा लग रहा है।
वो बोली- उंगली और अन्दर नहीं जा सकता है क्या?
मैं उसकी यह बात सुनकर! और जोश में आ गया। अब ज़ोर ज़ोर से! अपनी उंगली उसकी बुर में अन्दर बाहर करने लगा।
मुझसे रहा नही गया! मैंने उसका पायजामा नीचे कर दिया, और ज़मीन पर लिटा दिया। चूँकि! उस वक्त! मुझे यह मालूम नहीं था! कि कैसे चुदाई की जाती है।
मैं अनाड़ी बुर नहीं चोद पाया
मैंने उसकी पैंटी थोड़ी नीचे! पैरों के ऊपर ही किया था। मैं उसके ऊपर लेटकर उसके बुर में अपना लण्ड घुसाने लगा। साला! उसकी पैंटी बीच में दीवार बन रहा था।
मेरा लण्ड उसकी बुर से छुआ! लेकिन! धक्का मारने पर भी अन्दर नहीं गया। उसे डर था! कोई घर बाहर ना आ जाए, इसलिए वो खड़ी हो गई।
हालांकि! मुझसे रहा नही गया! और उसका हाथ पकड़कर! अपने लण्ड के ऊपर नीचे करने लगा। वो शर्मा रही थी!
कुछ देर बाद! मैंने अपना सारा वीर्य, उसके हाथ में छोड़ दिया और मैं शांत हो गया। कुछ दिन बाद! मेरी बहन का इम्तेहान था।
मैंने अपनी बहन को प्रिया के कमरे में ही साथ सुला दिया। रात में मेरी बहन और प्रिया चौकी पर सो गई और मैं नीचे बिछाकर सो गया।
दिलरुबा की चुदाई का मस्त मौका
प्रिया मेरे तरफ ही ऊपर चौकी पर सोई हुई थी। मुझसे रहा नही गया! और मैं उसके पास जाकर उसके शरीर को छूने लगा।
मैंने उसके बुर के अन्दर हाथ लगा दिया, और अन्दर बाहर करने लगा। मैं चौकी पर ही लण्ड निकालकर! उसे चोदने के लिए कोशिश करने लगा!
वो धीरे से बोली- तुम्हारी बहन जाग जाएगी। मैंने तुरन्त उसको चौकी से नीचे लिटा दिया। पायजामा और पैंटी दोनों को पूरा नीचे कर दिया!
अब उसके दोनों पैरों के बीच घुसकर! उसके रस भरी बुर में अपना 5″ का लण्ड घुसने लगा! लेकिन! मेरा लण्ड बार-बार फिसल जाता था।
आख़िरकार दिलरुबा की कुँवारी बुर की चुदाई
अब मैने पहले अपनी उंगली घुसाकर देखी! कि छेद किस तरफ है! और इस बार मेरा लण्ड थोड़ा घुस गया।
अब वो थोड़ा चिल्लाने लगी! उसके बाद! मैने अपने हाथों से उसका मुँह बंद कर दिया। और उसके बुर मे ज़ोर से धक्का मारा!
वो दर्द से तड़पने लगी और मेरा पूरा लण्ड उसके बुर में चला गया! अब उसे भी मज़ा आने लगा! मैं उसे चोदते जा रहा था और वो आ! आ! आ! आआ! आ! कर रही थी!
उस वक्त मेरा पहली बार था! इसलिए जल्दी ही झड़ गया और सारा वीर्य! उसकी बुर में ही छोड़ दिया!
दिलरुबा फिर से चुदने को राजी
मैंने उससे पूछा- कैसा लगा? एक बार और करूँ! तो वो मान गई!
मैं अपने हाथों से अपने लण्ड को खड़ा करने लगा! और कुछ देर में! मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया! अब मैंने उसके बुर की मस्त चुदाई की! और उसकी बुर में ही झड़ गया!
मैं फिर उठकर बाथरूम गया और पेशाब करके फिर सो गया। कुछ देर बाद! वो भी बाथरूम गई। बाथरूम के दरवाजे के नीचे एक इंच का जगह था!
पेशाब करके समय बुर देखने का मजा
मैं जाकर छेद से झाँकने लगा! वो पहले अपना पायजामा उतारी! और मेरे तरफ बुर करके बैठ गई!
अन्दर बल्ब जल रही थी! इसलिए बुर का नजारा साफ साफ दिखाई दे रहा था! उसके बुर में घने बाल के अन्दर से पेशाब निकल रहा था।
उस दिन से लेकर आज तक! मैं उसकी चुदाई कर रहा हूँ!
दोस्तो, यह थी मेरी दिलरुबा की चुदाई और यह बिल्कुल सच्ची घटना है! अगर आपको मेरी कहानी अच्छी लगी? हो तो ज़रूर जवाब भेजें!
धन्यवाद!
dkujala66@gmail.com
मैं चौकी से ही उसको निहार रहा था! अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसकी बुर में उंगली करनी शुरू कर दी। उसको चूमते हुए! उसकी चूचियों को चूसने लगा। अब वो भी मेरा साथ दे रही थी। अब मैं उसकी सील बन्द बुर को चोदने लगा। पर यह Meri Pehli Chudai थी! तो मैं जल्दी झड़ गया! मैंने दूसरी बार! उसकी जबरदस्त सीलतोड़ चुदाई कर डाली..