शादी के बाद मैं अपने घर पर ही आ गई थी क्योंकि मेरे पति के साथ मेरी अनबन रहती थी इसलिए मैं अपने पति का घर छोड़ अपने घर वापस आ गई। उस बात से मुझे कई बार लोगों के प्रश्नों का उत्तर देना पड़ता था लेकिन सच बड़ा कड़वा होता है जिसे कि मैंने पी लिया था और मुझे किसी के भी प्रश्नों का उत्तर देने में कोई भी परेशानी नहीं होती थी। मैं अपने घर पर ही रहकर उन प्रश्नों के उत्तर कई बार ढूंढती लेकिन मुझे आज तक उसका जवाब नहीं मिल पाया। मुझे कई बार लगता कि इसमें मेरी कोई गलती नहीं थी और गलती उस रूढ़ीवादी समाज की है जिसने पुरुष के मन में ऐसी मानसिकता भरी है कि वह महिलाओं को सिर्फ अपने पैर की जूती समझता है इससे ज्यादा वह महिला को कुछ नहीं समझता और आखिरकार मैं भी कब तक यह सब सहती इसलिए मैंने भी इससे लड़ने के बारे में सोचा और अपने पति का घर छोड़ मैं अपने मायके वापस आ गई। मायके आने के बाद मेरे परिवार वालों ने मुझे कभी भी इस चीज के लिए कुछ नहीं कहा उन्होंने मुझे हमेशा ही अपना साथ दिया है लेकिन भैया के सरल स्वभाव की वजह से मुझे कई बार डर लगता था। भैया बहुत ही गुस्से वाले हैं और उन्हें कई बार पिताजी समझा चुके हैं कि बेटा गुस्सा बिल्कुल भी ठीक नहीं है लेकिन राजीव भैया कभी भी नहीं समझते और वह हमेशा ही गुस्से में रहते…

घर की चारदीवारी में ही मेरा आशियाना था और मैं घर से बहुत कम ही बाहर जाया करता था दोपहर के वक्त मैं खाना खा कर लेटा ही था कि तभी टेलीफोन की घंटी बज उठी। मेरा पूरा ध्यान टेलीफोन की घंटी सुनकर भंग हो गया मैंने टेलीफोन को उठाया और हेलो कहते हुए कहा कौन बोल रहा है। सामने से आवाज आई और वह कहने लगा पापा मैं राकेश बोल रहा हूं मैंने राकेश से कहा बेटा कैसे हो राकेश कहने लगा पापा मैं ठीक हूं। वह भी मुझसे मेरी तबीयत के बारे में पूछने लगा और कहने लगा पापा आप ठीक तो है ना मैंने राकेश को जवाब दिया और कहा हां बेटा मैं ठीक हूं। मैंने राकेश को कहा तुमने काफी दिनों बाद मुझे फोन किया है राकेश कहने लगा बस ऐसे ही आज आपकी याद आ रही थी तो सोचा आपको फोन कर लूँ। वैसे भी अपने काम से बिल्कुल समय नहीं मिल पाता और हर रोज ही मैं सोचता हूं कि आप को फोन करूं परंतु फोन करना दिमाग से ही निकल जाता है। मैंने राकेश से कहा कोई बात नहीं बेटा ऐसा होता है मैं समझ सकता हूं क्योंकि तुम्हारे ऊपर भी अब इतनी जिम्मेदारी आन पड़ी है तुम्हारी अब शादी हो चुकी है और तुम्हारे बच्चे और तुम्हारी पत्नी का तुम्हे ही ध्यान रखना है। राकेश कहने लगा हां पापा आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं मुझे अब एहसास हो रहा है कि आपने अपने जीवन में कितने ही कष्ट झेले…

दरवाजे की डोरबेल बजते ही मैंने दरवाजे को खोला तो सामने देखा कावेरी खड़ी थी कावेरी मेरी चचेरी बहन है। वह अंदर आई और कहने लगी भैया ताऊजी और ताई जी कहां पर है मैंने कावेरी से कहा वह लोग तो शादी में गए हुए हैं कावेरी कहने लगी भैया मुझे तो लगा था वह लोग घर पर ही होंगे मैं इसलिए उनसे मिलने के लिए आई थी। मैंने कहा कावेरी से कहा तो क्या तुम मुझसे नहीं मिल सकती हो कावेरी कहने लगी नहीं भैया ऐसी कोई बात नहीं है मैं आपसे भी मिल सकती हूं लेकिन मैं उनसे ही मिलने के लिए आई थी। कावेरी अपनी पढ़ाई विदेश से कर रही है और वह एक साल बाद घर लौटी थी। मैंने कावेरी से कहा बैठो मैं तुम्हारे लिए कुछ ले आता हूं। वह कहने लगी नहीं भैया रहने दो लेकिन मैंने फ्रीज से चॉकलेट निकाली और कावेरी को दे दी कावेरी खुश हो गई और कहने लगी आपको मालूम था कि मैं चॉकलेट पसंद करती हूं आपने पहले से ही मेरे लिए चॉकलेट रखी हुई थी। मैंने कावेरी से कहा नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मैंने पहले से ही तुम्हारे लिए चॉकलेट नहीं रखी थी लेकिन मुझे ऐसा अंदेशा था कि घर में कोई ना कोई आने वाला है इसलिए मैं कल चॉकलेट ले आया था और देखो ना आज तुम आ गई यह भी बड़ा अजीब इत्तेफाक है। कावेरी कहने लगी हां भैया आपने बहुत ही अच्छा किया जो आप मेरे लिए चॉकलेट ले…

निखिल भैया घर की छत में टहल रहे थे रात के करीब 10:00 बज चुके थे मैंने भैया से कहा आप छत में क्या कर रहे हैं। भैया कहने लगे कुछ भी तो नहीं बस ऐसे ही टहल रहा था लेकिन भैया के चेहरे पर कोई तो ऐसी बात थी जिसे कि वह बताना नहीं चाहते थे। मैंने भैया से पूछा भैया ऐसा क्या हुआ है तो भैया कहने लगे अरे रोहित ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। भैया मुझसे 5 वर्ष बड़े हैं भैया को मैंने बचपन से देखा है वह हमेशा ही खुश रहते हैं लेकिन इस वक्त उनके चेहरे पर कुछ ज्यादा ही गम था। भैया की उम्र 32 वर्ष हो चुकी है और भैया अभी तक कुंवारे हैं लेकिन भैया ने मुझे उस दिन कुछ भी नहीं बताया मैंने भैया से कहा आप नीचे तो चलिए भैया मेरे साथ नीचे आ चुके थे और भैया ने उस दिन किसी से भी बात नहीं की और ना ही उन्होंने खाना खाया। मम्मी ने भी मुझ से पूछा क्या ऐसी कोई बात हो गई है कि निखिल इतना दुखी है मैंने मम्मी से कहा मम्मी मुझे नहीं पता। मैं जब भैया के रूम में गया तो भैया अपने मोबाइल में पता नहीं क्या कर रहे थे मैं उनसे बात करने की कोशिश करता लेकिन उन्होंने मुझसे बात नहीं की अब मैं समझ चुका था कि उनसे बात करने का कोई अर्थ नहीं है। मैंने सोचा कि भैया से बाद में इस बारे में बात कर ली…

जब पिताजी ने मुझे मोटरसाइकिल दी उस वक्त मैं कॉलेज में ही था मेरे दोस्तों के पास पहले से ही मोटरसाइकिल थी और सब लोग बड़ी ही मस्तियां किया करते थे अब मेरे पास भी मोटरसाइकिल आ चुकी थी। पिताजी ने अपनी तनख्वाह से मेरे लिए मोटरसाइकिल ले ली अब मैं भी कॉलेज में काले रंग का चश्मा लगाकर जाया करता था और सब लड़कियां मुझे देखा करती थी लेकिन मुझे क्या पता था मोटरसाइकिल ही मेरे लिए घातक होने वाली है। मैं एक दिन बड़ी तेजी से अपने काले रंग का चश्मा लगाया हुए चल रहा था और आगे एक बहुत ही बड़ा गड्ढा था लेकिन वह गड्ढा मुझे दिखाई नहीं दिया और मैं उस गड्ढे में जा गिरा। मेरी बाइक तो पूरी तरीके से टूट चुकी थी और मैं भी बहुत घायल हो गया था मेरे हाथ पैरों में चोट आ चुकी थी। मुझे इस बात का डर था कि पापा क्या कहेंगे लेकिन उन्हें तो यह बात पता चलनी हीं थी और उन्हें जब यह बात पता चली तो उन्होंने मुझे कहा बेटा तुम्हें मोटरसाइकिल मैंने इसलिए तो नहीं दी थी कि तुम अपना एक्सीडेंट करवाते फिरो तुम्हें मालूम है जब हमें यह बात पता चली तो हमें कितना दुख हुआ। मुझे भी इस बात का दुख था लेकिन यह मेरी गलती से नहीं हुआ था कुछ दिनों के लिए डॉक्टर ने मुझे घर पर ही आराम करने के लिए कह दिया था। मैं घर पर ही था लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आता कि…

अपनी नई नौकरी की पहली तनख्वाह से अपनी मां के लिए मैं साड़ी लेकर गई जब मैं साड़ी लेकर गई तो मां कहने लगी नलिनी बेटा यह साड़ी तो बड़ी अच्छी लग रही है क्या मैं पहन कर देखूं। मैंने मां से कहा हां मां आप यह साड़ी पहन कर देखो तुम पर कैसी लग रही है। मां ने वह साड़ी पहन कर देखी तो मां पर वह साड़ी बहुत ही अच्छी लग रही थी और मां कहने लगी नलिनी बेटा बताना यह साड़ी मुझ पर कैसी लग रही है। मैंने मां से कहा मां यह साड़ी तो आप पर बड़ी अच्छी लग रही है ऐसा लग रहा है कि जैसे इतने वर्षों बाद आपके चेहरे पर खुशी है। मां मुझे कहने लगी नालिनी बेटा तुम मेरे साथ मजाक तो नहीं कर रही हो मैंने मां से कहा नहीं हुआ मैं आपके साथ क्यों मजाक करूंगी आखिरकार मैं आपकी बेटी हूं भला मुझे आप को झूठ कह कर क्या मिलेगा। मां कहने लगी कल मुझे एक शादी की पार्टी में जाना है तो सोच रही हूँ की यह साड़ी पहन कर जाऊं मैंने मां से कहा कि हां मां यह साड़ी पहन कर जाना। मां खुश थी और उनके चेहरे की खुशी से मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था आखिरकार अपनी पहली तनखा से ही अपनी मां के लिए मैं साड़ी जो लेकर आई थी। उस दिन वह भी खुश थी और अगले ही दिन मां वह साड़ी पहनकर शादी के लिए तैयार हुई तो माँ मुझे…

मैं अपने ऑफिस का काम अपने लैपटॉप पर कर रहा था तभी मेरे पास मेरी पत्नी आई और वह कहने लगी कि अमन मुझे आपसे कुछ बात करनी थी। मैंने नीतू से कहा हां नीतू कहो क्या बात करनी है वह कहने लगी मुझे आपसे यह कहना था कि मैं सोच रही थी बच्चों का दूसरे स्कूल में एडमिशन करवा देते हैं। मैंने नीतू से कहा लेकिन तुम ऐसा क्यों सोच रही हो नीतू मुझे कहने लगी कि आपको मालूम है यहां पर बिल्कुल भी पढ़ाई नहीं होती है और मुझे लगता है कि हमें उन लोगों को दूसरे स्कूल में ही रखवा देना चाहिए। मैंने नीतू से कहा ठीक है तुम देख लो जैसा तुम्हें उचित लगता है नीतू कहने लगी मैंने दूसरे स्कूल में बात भी कर ली है और वह लोग एडमिशन करवाने के लिए भी तैयार हैं यदि आप कहें तो हम वहां चल लेते हैं आप एक बार स्कूल के प्रिंसिपल से मिल लीजिएगा। मैंने नीतू से कहा ठीक है कल मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगा लेकिन मैं ज्यादा समय तक नहीं रुक पाऊंगा नीतू कहने लगी हां कोई बात नहीं आप थोड़ी देर बाद चले जाइएगा। मैंने नीतू से कहा ठीक है मैं तुम्हारे साथ चलूंगा और मैं अगले दिन नीतू के साथ चला गया मैं जब प्रिंसिपल से मिला तो मुझे उनसे मिलकर अच्छा लगा और उन्होंने मुझसे काफी देर तक बात की। जब उन्होंने मुझे कहा कि आपके बच्चों को यहां पर कोई भी परेशानी नहीं होगी और हम लोगों…

शाम के वक्त लाइट चली गई और गर्मी से बुरा हाल था ना जाने लाइट में इतनी कटौती क्यों हो रही थी फिर मैंने फैसला किया कि मैं छत पर ही चला जाता हूं। लाइट आने की फिलहाल तो कोई संभावना ही नहीं थी इसलिए मैं छत पर चला गया जब मैं छत में गया तो वहां पर मैंने देखा वहां पर और भी लोग थे और दूर दूर तक कहीं लाइट नजर नहीं आ रही थी। लाइट को गए हुए करीब एक घंटा हो चुका था सब लोग बड़े परेशान थे घर का इनवर्टर भी कुछ काम नहीं कर रहा था इसलिए छत में हीं मुझे टहलना पड़ा। मेरे मम्मी पापा भी छत में आ गये और वह लोग भी छत में हीं टहलने लगे हम लोग छत में ही थल रहे थे तभी अचानक से जोरदार हवा चलने लगी और हवाओं के साथ साथ पूरा मौसम बदल गया। मैंने जब आसमान की तरफ देखा तो मुझे ऐसा लगा कि शायद बादलों से वर्षा होने वाली है और कुछ ही देर बाद बारिश शुरू हो गई जैसे ही बारिश शुरु हुई तो मैंने पापा मम्मी से कहा चलो नीचे चलते हैं और हम लोग नीचे चले आए। जब हम लोग अपने कमरे में आए तो मौसम में थोड़ा बहुत परिवर्तन था लेकिन फिर भी गर्मी लग रही थी। अचानक से मौसम ने ऐसी करवट ली की बारिश तेज हो गई थी हम लोग बैठे हुए थे तो मैंने मां से कहा अब मौसम बड़ा सुहाना हो गया…

मेरी मम्मी ने मुझे कहा कि बेटा छत पर से चावल ले आना मैंने चावल सुखाने के लिए रखे हुए मैंने मम्मी से कहा मम्मी लेकिन आपने चावल छत में क्यों रखें। मम्मी कहने लगी कि बेटा वह थोड़ा खराब होने लगे थे इस वजह से मैंने छत पर सुखाने के लिए रखे। मैं छत में गया और मैंने वह चावल उठा लिए चावल लेकर मैं नीचे आया जब मैं नीचे आया तो मेरी मां मुझे कहने लगी बेटा आजकल तुम कुछ खोए खोए से रहते हो तुम्हारा ध्यान भी पता नहीं कहां रहता है। मैंने अपनी मां से कहा मां ऐसा कुछ भी नहीं है शायद आपको ऐसा लग रहा होगा लेकिन ऐसा तो कुछ भी नहीं है मां कहने लगी बेटा मैं तुम्हारी आंखों में पढ़कर साफ समझ सकती हूं कि तुम कितने परेशान हो। मैंने मां से कहा लेकिन मां मैं परेशान नहीं हूं आपको लग रहा होगा कि मैं परेशान हूं परंतु ऐसा कुछ भी नहीं है। मां कहने लगी बेटा कुछ दिनों से तुम ना तो अच्छे से खा रहे हो और ना ही तुम अच्छे से किसी से बात करते हो अब तुम ही बताओ मैं क्या समझूँ। मैंने मां से कहा मां बस ऐसे ही कुछ दिनों से तबियत ठीक नहीं थी इसलिए मेरा मन नहीं हो रहा था। मैं अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर के घर पर ही था पड़ोस में रहने वाली सुनीता के साथ मेरा लव अफेयर चल रहा था लेकिन सुनीता के परिवार वालों ने उसकी…

मुझे तो ऐसा लगता था कि जैसे घर एक जंग का मैदान बन चुका है और कोई भी खुश नहीं है क्योंकि आय दिन घर में झगड़े होते रहते थे और मेरे साथ भी कुछ अच्छा नहीं हो रहा था। मेरी बहन का तलाक हो चुका था और वह अब घर में ही रहती थी उसकी जिम्मेदारी भी मेरे सर पर आ चुकी थी और मेरी पत्नी भी मुझसे हमेशा कहती कि तुमने तो जैसे सबका ठेका ले रखा है। मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था मैं तो अपने रिश्तो को सुलझाने की कोशिश कर रहा था लेकिन वह तो और भी ज्यादा बिगड़ते जा रहे थे। मेरी पत्नी और मेरी बहन तो आपस में एक दूसरे से झगड़ते ही रहते थे लेकिन अब मेरी मां भी उन लोगों से चिढ़ने लगी थी मेरी मां कभी मेरी बहन की तरफदारी कर लिया करती और कभी मेरी पत्नी की तरफदारी करती। मैं घर में बहुत ज्यादा परेशान हो चुका था मेरे पास और कोई रास्ता ही नहीं था मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि मुझे ऐसा क्या करना चाहिए जिससे कि सब कुछ ठीक हो जाए। मैंने इसके लिए एक रास्ता ढूंढा कि मुझे दूसरी जगह चले जाना चाहिए और वैसे भी मेरी नौकरी कुछ अच्छी नहीं चल रही थी और इसीलिए मैंने दिल्ली जाने के बारे में सोच लिया था। मेरी मां और मेरी पत्नी कहने लगे लेकिन तुम दिल्ली क्यों जा रहे हो यहां लखनऊ में तो तुम्हारी अच्छी नौकरी है ना।…